शीतांशु कुमार सहाय
यह शत प्रतिशत सच है कि जो क़ौम अपने इतिहास को भूल जाता है या भूलने की कोशिश करता है, उसे मिटने में देर नहीं लगती।
कल २५ दिसम्बर को सब ने क्रिसमस दिवस और तुलसी पूजन दिवस को याद किया लेकिन आज किसी ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने बलिदान देनेवाले गुरु गोविन्द सिंह जी के सुपुत्रों को याद नहीं किया। जोरावर सिंह जी व फतेह सिंह जी को आज (२६ दिसम्बर) ही के दिन आततायी मुगलों ने ज़िन्दा ही दीवार में चुनवा दिया था।
२६ दिसंबर १७०४ ईस्वी को गुरु गोविन्द सिंह जी के दो पुत्रों जोरावर सिंह (९ वर्ष) और फतेह सिंह (७ वर्ष) को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिन्द के नवाब मिर्जा अस्करी उर्फ वज़ीर खान ने दीवार में ज़िंदा चुनवा दिया था, माता गुजरी को किले की दीवार से गिराकर शहीद कर दिया गया था। उन की इस शहादत के लिए फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा में शहीदी जोड़ मेले का आयोजन हर वर्ष किया जाता है।
स्वयं वीर बनें और बच्चों को भी ऐतिहासिक वीरों और वीरांगनाओं से परिचित कराएँ; ताकि वे भी अपने अन्दर वीरता महसूस कर सकें।
आप सब 'वीर बाल दिवस' के अवसर पर धर्म और देश की रक्षा का संकल्प लेंगे, ऐसी प्रत्याशा है।
वन्दे मातरम्!
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