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शनिवार, 10 अगस्त 2013

पंजीकरण अधिनियम, 1908 का संशोधन विधेयक 8 अगस्त 2013 को संसद में पेश


शीतांशु कुमार सहाय
       पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2013
      इस विधेयक में प्रमुख संशोधन प्रस्‍तावित है:-

·       1) वर्तमान में पुस्‍तक 4, अर्थात ‘विविध पंजीयक’ में शामिल सभी पंजीकृत दस्‍तावेजों के विवरण (वसीयत के अलावा) आम जनता के लिए उपलब्‍ध नहीं हैं। अधिक पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए पुस्‍तक चार में इन्‍हें आम जनता को देखने की सुविधा देने का प्रस्‍ताव किया गया है।
·      2)  वर्तमान में अधिनियम में सिर्फ पुत्र को गोद लेने से संबंधित दस्‍तावेजों को पंजीकृत कराने की आवश्‍यकता है। लैंगिंग समानता को सुनिश्चित करने के लिए पुत्रियों को भी गोद लेने से संबंधित दस्‍तावेजों को खण्‍ड में जोड़ा गया है।
·     3)  पंजीकरण को अब दिए गए किसी भी राज्‍य अथवा संघशासित प्रदेश में कहीं भी कराए जाने को स्‍वीकृति दी गई है। लोगों की सुविधा, पार‍दर्शिता को ध्‍यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। इससे दस्‍तावेजों के इलेक्‍ट्रॉनिक पंजीकरण को प्रोत्‍साहन देने में भी मदद मिलेगी। देशभर में भूमि रिकॉर्डों के तेजी से बढ़ते कम्‍प्‍यूट्रीकरण को देखते हुए यह आवश्‍यक है कि दस्‍तावेजों के इलेक्‍ट्रॉनिक पंजीकरण की सुविधा प्रदान की जाए, इससे व्‍यापक पारदर्शिता को भी सुनिश्चित किया जाएगा। अधिनियम में इसी के अनुसार संशोधन को प्रस्‍तावित किया गया है।
·     4)   बिक्री अथवा अचल संपत्ति के निर्माण से संबंधित पावर एटॉर्नी, भवन निर्माताओं के समझौते और अन्‍य किसी समझौते से जुड़े दस्‍तावेजों को अब आवश्‍यक तौर पर पंजीकृत कराना होगा। दस्‍तावेजों की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों को न्‍यूनतम करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
·     5)   वर्तमान में उप-रजिस्‍ट्रार के कार्यालय को दस्‍तावेजों के पंजीकरण से इंकार करने का अधिकार नहीं है। इससे अनाधिकृत व्‍यक्तियों को झूठे पंजीकरण कराने में मदद मिलती है। इस तरह की संपत्तियों के रजिस्‍ट्रेशन को रोकने के लिए एक नया खंड 18-ए प्रस्‍तावित किया गया है। (जैसे चेरिटेबल संस्‍थान और सरकार से संबंधित)
·       7) पंजीकरण अधिनियम 1908 के खंड-28 में प्रावधान है यदि किसी व्‍यक्ति के पास एक से ज्‍यादा राज्‍यों में अचल संपत्तियां हैं, तो वह इन राज्‍यों में से किसी में भी अपने हस्‍तांतरण से संबंधित दस्‍तावेजों को पंजीकृत करा सकता है। अनैतिक तत्‍व इस प्रावधान का दुरूप्रयोग करते रहे हैं और ऐसे तत्‍व राज्‍यों में अपनी संपत्तियों को न्‍यून पंजीकरण शुक्‍ल और स्‍टाम्‍प ड्यूटी पर पंजीकृत करा लेते हैं। इससे उस राज्‍य को हानि उठानी पड़ती है, जहां वास्‍तविक रूप से संपत्ति है।

भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्‍थापना विधेयक 2012 में निष्‍पक्ष हर्जाने और पारदर्शिता अधिकार के संबंध में---
·        8) भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थास्‍थापना विधेयक 2012 में निष्पक्ष हर्जाने और पारदर्शिता के अधिकार से जुड़ी नई विशेषताओं में हर्जाने की बढी हुई धनराशि शामिल है, जिसे विस्‍थापित परिवारों को मिलने की गारंटी दी गई है।
·      9)  हालांकि इस धनराशि को तय करने के लिए पंजीकृत मूल्‍य की जगह वर्तमान बाजार मूल्‍य को आधार माना गया है। पंजीकृत मूल्‍य आमतौर पर अस्‍पष्‍ट और सही नहीं होते और पुराने भी होते हैं। यदि पंजीकरण को आवश्‍यक बनाया जाता है और इसका आम लोगों द्वारा समीक्षा/मूल्‍य संवर्द्धन किया जा सकता है, तो इससे खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में भू‍मि के मूल्‍यों में सटीकता आएगी।
·      10)  गैर-पेशेवर और तदर्थ तरीके से दर्ज किए जाने के कारण भूमि शीर्षक आमतौर पर विवाद का कारण बनते है। पंजीकरण अधिनियम में किए गए इन नये संशोधनों से लाभग्राहताओं की पहचान/निर्धा‍रण (स्‍पष्‍ट शीर्षकों के माध्‍यम से) में अधिक पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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