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रविवार, 11 अगस्त 2013

बेखौफ दामाद जी रॉबर्ट वाड्रा पर कार्रवाई कब होगी?



शीतांशु कुमार सहाय
    मैं करूँ तो एकदम सही, कोई और करे तो गलत। जिनकी पहुँच ऊँची है, यह उन्हीं का कथन है। कुछ इसी तर्ज पर चलते आ रहे हैं रॉबर्ट वाड्रा। ये पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी और वर्तमान प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से भी ताकतवर काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के दामाद हैं। लिहाजा उनके सारे कार्य देशभर में बेरोकटोक होते हैं, हो रहे हैं। पिछले वर्ष सितम्बर-अक्तूबर से इस वर्ष के शुरुआती महीनों तक वाड्रा काफी चर्चित रहे। चर्चा सकारात्मक नहीं, नकारात्मक ही था। याद होगा सुधी पाठकों को कि हरियाणा के भारतीय प्रशासनिक अधिकारी अशोक खेमका ने वाड्रा व डीएलएफ के बीच के जमीन सौदे को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया था। उसके बाद हरियाणा की काँग्रेसी सरकार ने 3 सदस्यों की एक जाँच समिति बनायी। समिति ने वाड्रा व उनकी जमीन खरीद को साफ-सुथरा सिद्ध कर दिया। कार्रवाई हुई खेमका पर, उनका तबादला कर दिया गया। उसी दौरान खेमका ने भी अपना जाँच प्रतिवेदन समिति को सौंपा था। उस पर हरियाणा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। हाल ही में प्रतिवेदन की वह प्रति मीडिया को हाथ लग गयी और देश जान गया कि खेमका द्वारा लगाये गये आरोपों पर न वाड्रा पर कार्रवाई हुई और न ही डीएलएफ पर। फिर भी हरियाणा के मुख्य सचिव ने सफाई दी है कि खेमका के आरोपों की पड़ताल की जा रही है जो गले नहीं उतरता। आखिर कितनी बड़ी पड़ताल चल रही है जो रिपोर्ट प्राप्त होने के 3 माह बाद भी जारी है?

    दरअसल, हरियाणा के गुड़गाँव के शिकोहपुर गाँव में रॉबर्ट वाड्रा का भूमि सौदा एक बार फिर काँग्रेस और उनकी अध्यक्ष सोनिया गाँधी के लिए परेशानी का सबब बना है। भण्डाफोड़ करने वाले अधिकारी अशोक खेमका ने अपनी रपट में कहा है कि वाड्रा ने शिकोहपुर में 3.53 एकड़ जमीन के दस्तावेज में फर्जीवाड़ा किया और वाणिज्यिक कॉलोनी की अनुज्ञप्ति पर अवैध तरीके से बड़ा मुनाफा कमाया। हरियाणा के डिपार्टमेंट ऑफ टाउन ऐंड कंट्री प्लैनिंग यानी शहरी एवं क्षेत्रीय योजना विभाग (डीटीसीपी) ने नियमों एवं नियमन को नजरंदाज करते हुए दलालों के रूप में काम करने से सम्बधित साठगाँठ वाले पूँजीवादियों (क्रोनी कैपिटलिज्म) को फलने-फूलने की अनुमति दी। आरोप यह भी है कि डीटीसीपी की मदद से वाड्रा ने फर्जी लेन-देन किया। खेमका ने 21 मई को ही अपना जवाब 100 पृष्ठों में पेश किया था। इसमें कहा गया है कि 12 फरवरी 2008 के बिक्री के दोनों अनुबन्धों में वाड्रा की कम्पनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से जमीन खरीदी। सेल डीड में 7.5 करोड़ रुपये के चेक का जिक्र है लेकिन यह वाड्रा की कम्पनी का नहीं है। इतना ही नहीं, स्टाम्प ड्यूटी भी वाड्रा की कम्पनी ने नहीं, ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज ने भरा। वाड्रा की हैसियत के मद्देनजर डीटीसीपी ने एक माह में ही मार्च 2008 में उनकी कम्पनी को वाणिज्यिक अनुज्ञप्ति प्रदान कर दी; ताकि वाड्रा को बाजार से मुनाफा हासिल हो सके। आगे भी जारी रहा घालमेल और डीटीसीपी ने अप्रैल 2012 में स्काईलाइट को अनुमति दे दी कि वह डीएलएफ को अनुज्ञप्ति हस्तान्तरित कर सकती है। यों वाणिज्यिक अनुज्ञप्ति प्राप्त जमीन अन्ततः 18 सितम्बर 2012 को डीएलएफ से वाड्रा ने 58 करोड़ रुपये में बेच दी। एक दिन में ही 7.5 करोड़ की जमीन 58 करोड़ रुपये की कैसे हो गयी? प्रश्न यह भी है कि रजिस्ट्री डीड में कहा गया है कि कोई भुगतान नहीं किया गया तो फिर इस संदिग्ध बिक्री से जमीन का मालिकाना हक स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के पास चले जाना कैसे सम्भव है? ऐसे में इसे बिक्री कहा नहीं जा सकता और कानूनी या नैतिक रूप से स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी जमीन की मालिक नहीं है।

    यदि ऐसी गलती आम व्यक्ति करता तो वह सलाखों के पीछे होता। विदित हो कि निबन्धन अधिनियम 1908 के खण्ड-82 के तहत गलत जानकारी व फर्जी दस्तावेज देने पर 7 वर्षों तक की सजा हो सकती है। केवल जमीन डीड ही नहीं, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की ओर से दाखिल बैलेंस शीट भी गलत है। यह कम्पनी ऐक्ट और भारतीय दण्ड विधान की धाराओं 417, 468 और 471 के तहत अपराध है। अब घोटाले के बारे में जान लेना चाहिये कि अगर व्यावसायिक कॉलोनी के लिए बाजार मुनाफा न्यूनतम एक करोड़ रुपये मान लिया जाए तो पिछले 8 वर्षों में जमीन अनुज्ञप्ति घोटाला करीब 20,000 करोड़ रुपये का होगा। खेमका ने दावा किया कि प्रति एकड़ 15.78 करोड़ रुपये के प्रीमियम पर यह राशि 3.5 लाख करोड़ रुपये जा सकती है। इतने बड़े घोटाले के बावजूद नवम्बर 2012 में प्रधान मंत्री कार्यालय ने भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वाड्रा के खिलाफ अनियमितताओं के आरोपों को झूठा बताया था। अब खेमका की रपट सार्वजनिक होने पर हरियाणा सरकार, उसकी जाँच समिति और प्रधान मंत्री कार्यालय की वाड्रा के पक्ष में दी गयी दलीलें झूठ सिद्ध हो रही हैं। ऐसे में क्या ‘दामाद जी’ पर हरियाणा सरकार कार्रवाई करेगी या उनकी बेखौफी में और वृद्धि कर दी जाएगी?

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