गुरुवार, 31 मई 2018

ज्योतिष : जन्म कुण्डली निर्माण अनिवार्य / Astrology : Birth Horoscope is Compulsory

-शीतांशु कुमार सहाय
जन्म के समय का बड़ा महत्त्व है। इस समय का जीवनपर्यन्त प्रभाव पड़ता है। बच्चे का जन्म चाहे स्वतः अर्थात् प्राकृतिक रूप से हो या शल्य क्रिया द्वारा, उस के जन्म का समय उस के भविष्य को निर्धारित करता है। वास्तव में जन्म के समय ब्रह्माण्ड में ग्रहों और नक्षत्रों की जो स्थिति होती है, उस का प्रभाव जीवनभर पड़ता रहता है। 
भारत के ऋषियों ने प्राचीन काल में ही अपनी ज्योतिषीय गणना द्वारा यह बताया था जो आज कृत्रिम उपग्रहों के युग में भी अक्षरशः सत्य है। इसी आधार पर नवजात की जन्म कुण्डली बनायी जाती है। इस से बच्चे की रुचि, रोजगार, व्यवसाय, दुर्घटना, विवाह की स्थिति, विदेश यात्रा, विघ्न-बाधा आदि की सहज जानकारी मिल जाती है। यों बेटे या बेटी के भविष्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण सहयोग मिलता है। समस्याओं के समय रहते समाधान निकालने का अवसर मिल जाता है। 
कुछ बड़े लोग भी कुण्डली की जानकारी से अनभिज्ञ हैं। यदि आप बड़े हो गये और आप के माता-पिता ने आप की कुण्डली नहीं बनवायी है तो आप वरदान ज्योतिष केन्द्र से अपनी कुण्डली बनवा सकते हैं। 
ज्योतिषीय गणना चँूकि सूर्य या चन्द्र की चाल पर निर्भर करता है, अतः यह पूर्णतः वैज्ञानिक है। पर, आवश्यक यह है कि आप जिस ज्योतिषाचार्य की सेवा ले रहे हैं, वह वास्तव में ज्योतिषीय ज्ञान में पारंगत हो और सटीक गणना का उसे पूर्ण ज्ञान हो। 

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