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बुधवार, 29 अप्रैल 2020

लॉकडाउन के बीच दूसरे राज्यों में फँसे लोग इन शर्त्तों के साथ जा सकेंगे गृह राज्य
People Stranded in Other States will be Able to go Home With These Conditions Under Lockdown

         पूरे विश्व में इस समय सिर्फ़ एक ही परेशानी है और वह है नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से फैले कोविड-१९ के प्रसार को रोकना। २०५ देश इस से पीड़ित हैं और अधिकतर देशों में लॉकडाउन जारी है। भारत में भी लॉकडाउन की अवधि चल रही है। 
        देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लागू किया गया है। लॉकडाउन के चलते यातायात पर रोक और सार्वजनिक यातायात की सेवाएँ बन्द होने से कई प्रवासी मजदूर, तीर्थयात्री, पर्यटक और छात्र जहाँ थे, वहीं फँसे रह गये।
         भारत में कई राज्यों से मजदूरों का पलायन भी देखा गया। कई मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए निकल गये थे। तब केंद्र सरकार से कई राज्यों ने प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और छात्रों को वापस अपने राज्य लाने की अपील की थी। ऐसे में भारत सरकार ने राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के क्षेत्रों में फँसे हुए लोग को निकालने के लिए अंतरराज्यीय यात्रा की सुविधा के लिए आदेश जारी किया है। 
         केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार, २९ अप्रैल २०२० को जो नया आदेश दिया, उन की विशेष बातें हैं-

  • सभी राज्‍य सरकार अपने यहाँ लोग को वापस बुलाने और उन्‍हें भेजने के लिए नोडल प्राधिकरण और नियम बनाएँ। नोडल अधिकारी की नियुक्ति करें जो सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें। नोडल प्राधिकरण अपने राज्‍यों में फँसे लोग का जो गृह राज्य जाना चाहते हैं, उन का पंजीकरण करेंगी। 
  • भेजने वाले राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश और जिस राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश में वह समूह जा रहा है, दोनों राज्य सरकारें आपसी सहमति के साथ सड़क के जरिये ही लोग को भेज सकते हैं।
  • जो लोग जाना चाहेंगे, उन की पंजीकरण के बाद स्वास्थ्य की जाँच की जायेगी। अगर उन में कोविड-१९ के कोई लक्षण नहीं होंगे तो उन्हें जाने की अनुमति होगी।
  • जाने के लिए केवल बसों का उपयोग किया जा सकेगा। बसों को सेनेटाइजेशन करने के बाद उस में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम के मुताबिक ही लोग को बैठाया जायेगा।
  • कोई भी राज्य इन बसों को अपनी सीमा में प्रवेश करने से नहीं रोकेगा और उन्हें गुजरने की अनुमति देगा।
  • गन्तव्य पर पहुँचने के बाद आये हुए लोग की पुनः स्वास्थ्य की जाँच की जायेगी। बाहर से आये लोग को अपने गाँव-मोहल्ले में घूमने-फिरने की अनुमति नहीं होगी और उन्हें सरकार द्वारा बनाये गये क्वॉरेंटाइन केन्द्र में या होम क्वॉरेंटाइन में ही रहना होगा। ज़रूरत पड़ी तो उन्हें अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में भी भर्ती किया जा सकता है। उन की समय-समय पर स्वास्थ्य की जाँच होती रहेगी।
  • पंजीकृत लोग जिस राज्य में पहुँचेंगे उस राज्य को भी आनेवाले लोग का ब्योरा रखना होगा।
  • ऐसे लोग को आरोग्य सेतु ऐप को अपने फोन में इनस्टॉल करना होगा; ताकि उन के स्वास्थ्य पर नज़र रखी जा सके।

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

कोरोना वायरस Coronavirus (Episode-2)

कोरोनाशास्त्रम्-२ 

-अमित कुमार नयनन


नरसिंहावतार कोरोना


         कोरोना बारबार, बारम्बार अपने रूप बदलने में मेधावी है। उस की इस मेधा में उसे एक साथ कई जीवरूप लेने व कई जीवोंरूपों के साथ एकसाथ प्रकट होने की क्षमता को प्रकट कर दिया है। इस प्रकार ‘नरसिंहावतार कोरोना’ का उदय भी हो चुका है।

कोरोना स्तुति

ईश्वर की तरह प्रकट होकर भी अप्रकट,
दृश्य होकर भी अदृश्य, 
महाकाल की तरह 
समय के चक्र के साथ 
समय के चक्र को अपनी अँगुलियों में धारण कर 
कालचक्र को स्थिर कर 
‘कोरोना काल’ से ‘कोरोना महाकाल’ पर स्थिर कर 
समस्त विश्व को यथास्थिति जहाँ-का-तहाँ,
चलचित्र से स्थिर चित्र की तरह स्थिर,
फ्रीज किये, टाइम मशीन में पाउज बटन दबा,
अपने अन्य हस्त की अँगुलियों पर
समस्त विश्व को नचाते और नाचने को मजबूर कर,
बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण की तरह
प्रयोगशाला के कारावास से निकल,
जन्म के बाद उसे खत्म करने आये
पूतनारूपी शुभचिन्तकों का खात्मा,
विश्वरूपी कालिया नाग
जिस के जन्म के साथ ही 
सारी दुनिया उस की जान की दुश्मन बन गयी,
के सिर पर सवार होकर नृत्य करते,
श्रीकृष्ण की भाँति बाल्यावस्था में ही नटलीला करते,
नटराज की तरह नटराजनृत्य करते,
समस्त विश्व में ताण्डव करते,

अदृश्य महाकाली की तरह खप्पड़ लेकर
खून की प्यासी कई मुण्डों की माला धारण किये, 
रक्तबीज की तरह रक्तरंजित धरती पर
रक्त की हर बूँद के साथ
एक और नव रक्तबीज की तरह प्रकट होते,
जन्म के साथ ही अपने पिता जन्मदाताओं की बलि,
भस्मासुर की तरह
विशिष्ट वरदान शक्ति देनेवाले
अपने निर्माताओं के ऊपर ही
अपनी पूर्व व नव शक्ति का प्रयोग,
वामन अवतार की तरह
प्रथम पग में ही दुनिया लाँघते,
अर्द्धनारीश्वर की तरह
नर-नारी दोनों लक्षणों से युक्त,
नरसिंहावतार की तरह
विविध जीवधारी काया को अपनी काया में समेटे
विविध कायाधारी, महाविलक्षणधारी,
महाशक्तिशाली, महाप्रतापी
कलियुग के कोरोना असुराधिराज
महा असुर बनाम महिषासुराधिराज
विविध प्रकार के
सार्वकालिक दैवीय शक्तियों से लैस
कलियुग का असुर सम्राट 
कोरोना महाराज पधार रहे हैं.....! 
कोरोना महाराज की जय हो!  

Flashback

         कोरोना एक ऐसा असुर, महाअसुर, महिषासुर है, जिस के पास तमाम विविध दैवीय शक्तियाँ हैं, जो उसे वरदान में मिली हुई हैं। इन्हीं शक्तियों के बल पर वह समस्त बिश्व में उत्पात मचा रहा है। 
         कलियुग के अन्तिम चरण में कोरोना नाम के असुर ने जन्म लिया। इस की प्रकृति और प्रवृत्ति जन्म से ही अज़ीब थी। यह समय और स्थिति के अनुसार अपने चेहरे और स्वभाव बदल रहा था। इसलिए इस बहुरूपिया चरित्र को वश में करना अति कठिन था।
         कोरोना असुर के पास कई प्रकार की दैवी शक्तियाँ थीं जो उसे कलियुग के देवताओं-ऋषियों अर्थात् शासकों-वैज्ञानिकों की कृपा से मिली थीं। इस में कलियुग के कई ऋषि, मुनि, देवताओं ने विविध बुद्धिजीवियों, वैज्ञानिकों, राजशाहों, तानाशाहों के रूप में विविध वरदान उसे दिये थे। इस प्रकार यह असुर शक्तिशाली से महाशक्तिशाली बन गया था।

महाशक्तिशाली कोरोना

         इस क्रम में एक शक्ति उस की यह थी कि उस के एकाधिक चेहरे थे। समय और स्थिति के अनुसार वह स्वयं को बदल सकता था। विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता अद्भुत होने के कारण अपने प्रतिरोधी-विरोधी शक्तियों से निपटने की स्थितिनुसार स्वतः क्षमता वृद्धि की अतिविशिष्ट प्रतिभा भी उस में विद्यमान थी। 
         कोरोना के पास जो भी शक्तियाँ हैं, वह आम नहीं; बल्कि विशिष्ट विशेष है। उस के पास दैवी शक्तियाँ हैं जो उसे कलियुग के देवताओं से प्राप्त हुई हैं। विविध देवताओं ने उसे महाशक्तिशाली और अजातशत्रु बना दिया है। इस से कोई नहीं जीत सकता। यह अजेय है।
       सारी दुनिया में मन्थन चल रहा है कि इस अजेय विशिष्ट विशेष शक्तियों से लैस महाबली महाप्रतापी महाशक्तिशाली असुर को कैसे वश में किया जाय। इसे ख़त्म कैसे किया जाय? इस के ख़ात्मे की तो बात ही छोड़िये, अभी तो यह काबू में ही नहीं आ रहा- बेकाबू!

असुर महासुर महिषासुर

        कोरोना कलियुग के उन देवताओं की अवैध सन्तान है जो स्वयं किसी असुर से कम नहीं हैं। इन्द्र की तरह स्वर्ग का सिंहासन बचाये रखने के लिए हमेशा येन-केन-प्रकारेण शक्तियाँ अर्जित-वर्द्धित करते रहने में सजग-व्यस्त कलियुग के देवताओं ने अति उत्साह में एक असुर को ऐसी शक्तियाँ दे डालीं कि एक ऐसे महाशक्तिशाली असुर का जन्म हो गया जो उनसे भी ज़्यादा शक्तिशाली है। अब यह असुर भस्मासुर की तरह उन की शक्ति उन्हीं पर आजमाने में व्यस्त है। विश्व के तमाम देवता इधर-से-उधर भागे-भागे फिर रहे हैं।

कोरोना विश्व-भ्रमण 


       इस ने अति अल्पकाल में, शिशुकाल में ही विश्व-भ्रमण कर लिया और वामन अवतार की भाँति प्रथम पग धरती पर रखा। अभी आकाश और पाताल लाँघना तो बाकी थे। इस ने आकाश-पाताल भले न लाँघा मगर इस की पाताल से गहरी गहराई को मापना अवश्य मुश्किल था। इस ने दुनिया को दिन में ही तारे भी दिखा दिये।

कोरोना वायरस Coronavirus (Episode-1)

कोरोना वायरस Coronavirus (Episode-3)




शनिवार, 25 अप्रैल 2020

कोरोना वायरस Coronavirus (Episode-1)

कोरोनाशास्त्रम् -१

-अमित कुमार नयनन

कोरोना काल

         मानव इतिहास का वह काल जब समय स्थिर हो गया है और मानव अस्तित्व इस काल में कैद होकर रह गया है। धरती पर मानव इतिहास का यह ऐतिहासिक पल है!

कोरोना और मिथक

         महाभारत में अर्जुन को जब भगवान श्रीकृष्ण उपदेश दे रहे थे उस दौरान काल स्थिर हो गया था। समय की सारी स्थितियाँ एक काल में और एक ही स्थिति में कैद होकर रह गयी हैं! मानव सभ्यता के सारे रास-रंग स्थिर हो गये हैं मानो शिव के त्रिनेत्र ने काम-रति को भस्म कर दिया है। 
        कोरोना ने वामन अवतार की तरह पूरी दुनिया में दौड़ क्या लगायी, सारी दुनिया उस के संक्रमण का शिकार हो गयी। रक्तबीज की तरह कोरोना वायरस धरती पर पसर गया है। 
         जिस तरह रक्तबीज का जहाँ-जहाँ खून टपकता, वहाँ उस की शक्ति के समान ही प्रतिरूप जन्म ले लेता था, ठीक उसी तरह कोरोना स्पर्श मात्र से ही अदृश्य दुश्मन की तरह प्रकट हो शिकार करता जा रहा है। इस प्रकार यह रक्तबीज से भी भयानक है। रक्तबीज के संहार के लिए माँ शक्ति को माँ महाकाली का अवतार लेना पड़ा था इस के संहार के लिए भी उसी प्रकार के प्रयास हो रहे हैं। महाकाली के अवतार का जिस प्रकार काल और महाकाल साक्षी हैं, उसी प्रकार कोरोना के संहार के लिए भी महाकाली अवतार के लिए काल-महाकाल साक्षी बनेंगे।
         महाभारत काल की भाँति महाभारत युद्ध से पहले जिस तरह समय ‘स्थिर’ हो गया था, उसी तरह सबकुछ ‘स्थिर’ हो गया है। सभी ‘कालचिन्तन’ में लगे हैं, गीतोपदेश की भाँति विविध उपदेश की झड़ी लगी है। इस में देश-विदेश सभी लगे हैं। इस में जीवन-दर्शन, प्राणी-दर्शन से लेकर तमाम प्रकार के दर्शन- वेबदर्शन-सह-देवदर्शन की झड़ी लगी है। एक ऐसी लड़ी जो पहले से लगी है, एक ऐसी लड़ी जो लड़ी जा रही है- बुराइयों के विरूद्ध, विविध दर्शनों के बीच।  
          एक ही साथ कई इतिहास पुनर्घटित हो रहे हैं, पुनर्जीवित हो रहे हैं। 
        उस वक़्त श्रीकृष्ण उपदेश दे रहे थे। इस वक़्त भी समय और स्थिति उपदेश दे रहे हैं। हालाँकि धरती के सब से बुद्धिमान प्राणी को उपदेश देने के लिए भगवान या समय या स्थिति या किसी और के पास भी कुछ बचा नहीं है। सतयुग से कलियुग तक सारे उपदेश तो इन्होंने दे डाले। अब समय है आत्ममन्थन का। अमृतमन्थन का। मगर क्या यह हलाहल के बिना हो पायेगा। और इस हलाहल को पीयेगा कौन? पीने वाला शिव कहाँ मौजूद है?

कोरोना उवाच

         कोरोना एक विषाणु है जीवाणु नहीं। वायरस है, बैक्टीरिया नहीं।
        कोरोना कहता है: मैं विषाणु हूँ, जीवाणु नहीं; वायरस हूँ, बैक्टीरिया नहीं। इसलिए मैं नर या नारी भी नहीं हूँ.....मगर.....अगर.....प्रकृति देवी की कृपा से जीव का रूप भी ले सकता हूँ। इस प्रकार नर-नारी दोनों मुझ में समाये हैं, मैं नर-नारी दोनों हूँ!

अर्द्धनारीश्वर कोरोना

         इस प्रकार अर्द्धनारीश्वर कोरोना का उदय हो चुका है।

नरसिंहावतार कोरोना

         कोरोना बारबार, बारम्बार अपने रूप बदलने में मेधावी है। उस की इस मेधा में उसे एक साथ कई जीवरूप लेने व कई जीवोंरूपों के साथ एकसाथ प्रकट होने की क्षमता को प्रकट कर दिया है। इस प्रकार ‘नरसिंहावतार कोरोना’ का उदय भी हो चुका है।


कोरोना वायरस Coronavirus (Episode-2)

कोरोना वायरस Coronavirus (Episode-3)




शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

24 April Coronavirus Update India : अबतक संक्रमितों की कुल संख्या २३,०७७ और अभी तक ४७४८ लोग रोगमुक्त हुए Total 23, 077 People Infected & 4748 People freed to COVID-19

         भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय, गृह मंत्रालय और एनसीडीसी ने संयुक्त संवाददाता सम्मलेन में नोवेल कोरोना वायरस को लेकर कई तथ्य सामने रखे। गृह मंत्रालय ने बताया कि ६ अंतर मंत्रालयी केंद्रीय टीमों (आईएमटीसी) के गठन के अलावा आज चार और आईएमटीसी का गठन किया गया है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि मरीजों का रिकवरी रेट २०.५७ प्रतिशत है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- अबतक संक्रमितों की कुल संख्या २३,०७७ पहुँची। ४७४८ लोग अभी तक सही हुए हैं, हमारा रिकवरी रेट २०.५७ प्रतिशत है। कल से आज तक ४९१ लोग ठीक हुए हैं, ठीक होनेवालों की कुल संख्या ४७४८ हुई। पिछले २४ घंटे में १६८४ नये मामले सामने आए हैं। कोविड-१९ से अबतक ७१८ लोग की मौत हुई है। 
         भारत के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोई भी शिकायत मिलने पर हमारी रैपिड एक्शन टीम तुरंत हरकत में आ जाती है। ये हाउस टू हाउस सर्च करती है, और इस का डाटा रिकॉर्ड किया जाता है। मरीजों का उपचार होने तक उसकी निगरानी चलती रहती है, २८ दिनों तक निगाह रखी जाती है। पिछले २८ दिन से १५ जिलों में कोई नया केस सामने नहीं आया है। अभीतक ८० जिलों में पिछले १४ दिन से नया मामला सामने नहीं आया है।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

२३ अप्रैल कोरोना अद्यतन : २४ घंटों में १२२९ पॉजिटिव मामले, ३८८ मरीज स्वस्थ 23 April Corona Update : 1229 Positive Cases in 24 Hours, 388 Patients are Free of COVID-19

         नोवेल कोरोना वायरस से निपटने और लॉकडाउन के दौरान स्थितियों पर नियंत्रण के लिए बृहस्पतिवार, २३ अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश के १२ जिलों में पिछले २८ दिनों में कोविड-१९ का कोई नया मामला नहीं आया है। देश के २३ राज्‍यों के ७८ जिलों में पिछले १४ दिनों में कोरोना वायरस का नया मामला नहीं आया है।
         पिछले २४ घंटों में १२२९ पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, जो हमारे कुल मामलों को २१,७०० तक ले जाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना संक्रमण की वजह से अब तक ६८६ लोग की मौत हो चुकी है। बीते २४ घंटे में ३८८ मरीज कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गए हैं। इसी के साथ संक्रमण मुक्त होने वालों की संख्या ४३२५ हो गई है। वर्तमान में कुल १६,६८९ व्यक्ति महामारी से संक्रमित हैं।
      अधिकार प्राप्त समूह -2 के अध्‍यक्ष और पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा ने कहा- हम कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन में कटौती, प्रसार को कम करने और ड‍बलिंग की दर को बढ़ाने में सक्षम हुए हैं। उन्‍होंने कहा कि २३ मार्च को हमने देश भर में १४,९१५ टेस्‍ट किये हैं और २२ अप्रैल को हमने ५ लाख से अधिक टेस्‍ट किए हैं। यदि इस की गणना की जाये तो यह 30 दिनों में लगभग ३३ गुना होता है। यह पर्याप्त नहीं है और हमें लगातार आगे बढ़ना है और देश में टेस्टिंग को बढ़ाना है। अभी हमारे पास ३,७७३ ऐसे अस्पताल हैं जिन्हें COVID19 के लिए चिन्हित किया है। कुल आइसोलेशन बैड १,९४,००० हैं। हमारी कोशिश है कि इसे हर दिन बढ़ाया जाय।

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों पर हमला करने पर ७ साल की जेल 7 Years in Jail For Attacking Doctors & Medical Workers


नई दिल्ली, २२ अप्रैल।  कोरोना वायरस महामारी के दौरान देश में डॉक्टरों और नर्सों पर हमले को देखते हुए भारत की केन्द्र सरकार उन की सुरक्षा के लिए एक अध्यादेश लाई है। नरेंद्र मोदी कैबिनेट की बैठक में आज १२३ साल पुराने कानून में बदलाव करने का फैसला किया गया और हेल्थकर्मियों के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया गया। इस अध्यादेश के तहत डॉक्टरों और अन्य हेल्थकर्मियों पर हमला करने वालों को अधिकतम ७ साल तक की सजा हो सकती है।

२२ अप्रैल कोरोना अद्यतन : मरीजों की संख्या २०,४७१ जबकि ३,९५९ रोगमुक्त 22 April Corona Update : 20,471 Patients While 3,959 Disease Free

भारत में नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण से उत्पन्न कोविड-१९ महामारी के मामलों की जानकारी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी। ताजा आँकड़ों के अनुसार, पिछले २४ घंटे में देशभर में १,४८६ नए मामले सामने आए हैं, वहीं ४९ संक्रमितों ने दम तोड़ दिया है। इसी के साथ देश में कोरोना के कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर २०,४७१ हो गई है। इनमें से १५,८५९ केस सक्रिय हैं जबकि ३,९५९ लोग ठीक हो चुके हैं। देश में कोरोन से मरने वालों की तादाद बढ़कर ६५२ हो गई है।
आंध्र प्रदेश में कोरोना के ५६ नए मामले आये हैं और दो लोग की मौत हुई है। इस के बाद राज्य में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या ८१३ हो गई। राज्य में संक्रमण से कुल २४ लोग की मौत हुई है।
बिहार स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने बताया कि राज्य में कोरोना के ५ नए केस सामने आए हैं। राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या १३६ हो गई है। इन के संपर्क में आए लोग का पता लगाया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के प्रधान सचिव रोहित कंसल ने कहा कि कश्मीर डिवीजन में आज कोरोना के २७ नए मामले सामने आए और कोरोना के कुल मामलों की संख्या ४०७ हो गई है।
राजस्थान में आज कोरोन वायरस के १३३ नए मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में कोरोना पॉजिटिव की कुल संख्या १,८६८ में २७ की मौत हो गई और ३२८ को अस्पताल से छुट्टी मिली।

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

भारत सरकार ने 'कोविड इंडिया सेवा' की शुरुआत की Government of India Launched 'COVID India Seva'

भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने कोरोना वायरस (COVID-19) पर नागरिक सहभागिता के लिए एक इंटरैक्टिव डिजिटल प्लेटफॉर्म 'कोविड इंडिया सेवा' (COVID India Sewa) की शुरुआत की है। इस का उद्देश्य वास्तविक समय में ई-गवर्नेंस डिलीवरी को सक्षम करना और नागरिक प्रश्नों का उत्तर देना है। वेब पोर्टल में २० कैटिगरी और ४९ सब कैटिगरी बनाई गई हैं, जो कोरोना मैनेजमेंट के काम आ सकते हैं और उन की जानकारी covidwarriors.gov.in पर उपलब्ध हैं।

२१ अप्रैल कोरोना अद्यतन : भारत में १८,६०१ संक्रमित, ३,२५२ लोग रोगमुक्त 21 April Corona update : 16,401 Infected in India, 3,252 People are Disease Free

 भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक देश में नोवेल कोरोना विषाणु संक्रमण के १८,६०१ मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इन में से ५९० लोग की मौत हो चुकी है। भारत में अब लोग तेजी से ठीक भी हो रहे हैं। देश में अब तक ३,२५२ लोग इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। अकेले सोमवार, २० अप्रैल २०२० को को ७०५ लोग ठीक हुए जो देश में किसी भी एक दिन में कोरोना से मुक्त होनेवालों की सब से बड़ी संख्या है।
कोरोना की सब से अधिक मार झेल रहे महाराष्ट्र में ५७२ लोग अब तक पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यह संख्या ४३१ है। केरल में ४०८ मरीजों में से २९१ अब ठीक हो चुके हैं। इसी तरह बिहार के कुल ११३ मरीजों में से ४२ अब तक ठीक हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश के ११८४ मरीजों में से अब तक १४० इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। तमिलनाडु में यह आँकड़ा ४५७ है। साथ ही राजस्थान में २०५, तेलंगाना में १९०, मध्य प्रदेश में १२७, गुजरात में १३१ और हरियाणा में १२७ लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं।

रविवार, 19 अप्रैल 2020

कोरोना संकट पर नयनन का ज्योतिषीय आकलन : अत्यन्त कष्टकारी होगा चीन के लिए 17 साल, वीटो व अर्थव्यवस्था पर ख़तरा
Nayanan's Astrological Assessment on the Corona Crisis : 17 Years will be Very Painful for China, Risk on Veto & Economy

Astrological Assesment on COVID-19 (PART-1)



-प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय
         ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक साथ पूरे विश्व की समस्त गतिविधियाँ ठप हो गयीं। केवल राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों पर ही नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा; बल्कि शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और यहाँ तक कि पारिवारिक गतिविधियों को भी लॉकडाउन के असर झेलने पड़ रहे हैं। किसी प्राकृतिक आपदा से ऐसा नहीं हुआ है, यह निश्चय ही मानव निर्मित त्रासदी है। सम्पूर्ण मानव जाति को कँपानेवाली अदृश्य शक्ति को वैज्ञानिकों ने ‘नोवेल कोरोना वायरस’ यानी नया कोरोना विषाणु का नाम दिया, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस विषाणु से फैले संक्रामक बीमारी को ‘कोविड-19’ की संज्ञा दी। जनवरी 2020 के अन्तिम सप्ताह में डब्ल्यूएचओ ने इसे विश्वव्यापी महामारी कहकर विश्व समुदाय को सचेत करने में बहुत देर कर दी। वास्तव में इस की शुरुआत चीन के हुबेई राज्य की राजधानी वुहान से हुई। इस तरह चीन की लापरवाही और डब्ल्यूएचओ की देर से काम करने की प्रवृत्ति का ख़ामियाजा पूरे संसार को झेलना पड़ रहा है। अबतक 205 देशों में नोवेल कोरोना वायरस ने पाँव पसार लिये हैं।

चीन पर महासंकट कैसे आ रहा है, देखिये नीचे के लिंक पर.....


         इस समय पूरा विश्व दो धड़ों में बँटा दीख रहा है। चीन की लापरवाही में विश्व समुदाय को साज़िश का अंश नज़र आ रहा है। ताइवान, संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने तो खुले तौर पर कोविड-19 के विश्व संकट के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। विश्व को संकट में डालकर स्वयं चीन फिलहाल चैन की वंशी बजा रहा है। चीन ने वुहान सहित पूरे देश में सामान्य गतिविधियों को शुरू भी कर दिया और परमाणु परीक्षण कर एक तरह से ख़ुशी का अट्टाहास भी किया है।
         चीन की वर्तमान ख़ुशी ज़्यादा दिनों तक टिकनेवाली नहीं है। ज्योतिषीय आकलन के आधार पर यह कहा जा रहा है कि आनेवाले कुछ वर्ष चीन पर बेहद भारी पड़नेवाले हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ओठों की मुस्कान गायब होनेवाली है। 
         जाने-माने ज्योतिर्विद् अमित कुमार नयनन ने ज्योतिषीय विश्लेषण कर बताया है कि विश्व का वर्तमान संकट चीन के घोर संकट के लिए शुरुआत है। केतु का प्रभाव चीन पर पड़ रहा है। इसलिए 2021 से 2028 तक उस के लिए बेहद परेशानी वाला समय होगा। यही नहीं, सन् 2037 ईस्वी तक चीन के संघर्ष का दौर दिखायी दे रहा है। इस दौरान चीन की वैश्विक गतिविधियाँ भी अत्यन्त चुनौतीपूर्ण होंगी। 
         चीन को केन्द्रबिन्दु बनाकर विश्व के कई शक्तिशाली देश उस पर तरह-तरह के प्रतिबन्ध लगायेंगे। इस के विपरीत चीन आर्थिक प्रतिबन्धों से बौखला जायेगा और वह विश्व समुदाय के प्रति और घातक कदम उठा सकता है। हालाँकि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है, परन्तु चीन को सबक सिखाने के लिए विश्व के किसी देश द्वारा चीन पर हमला हो सकता है या अपने ऊपर लगे आरोपों-प्रतिबन्धों की खि़लाफ़त स्वरूप चीन किसी प्रतिद्वन्द्वी देश पर सशस्त्र आक्रमण कर सकता है।
         ज्योतिष अमित के अनुसार, 2037 तक संघर्ष या महासंघर्ष (विश्वयुद्ध?) का दौर हो सकता है। मतलब यह कि विश्व और चीन के लिए सन् 2020 से 2037 ईस्वी तक सम्बन्धों मंे खटास और अशान्ति का दौर रहेगा। इस अवधि में न चाहते हुए भी संघर्ष अर्थात् युद्ध की त्रासदी झेलनी पड़ सकती है। अमित कुमार नयनन बताते हैं कि भारत सहित कई देश युद्ध को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। इतना होने के बाद भी अगर युद्ध हुआ तो चीन किसी भी हद तक जा सकता है। इस दौरान चीन और शेष विश्व को बहुत ही समझदारी से काम लेना होगा; ताकि विश्वशान्ति ख़तरे में न पड़े।
         विदित हो कि चीन में कम्युनिस्ट सरकार है। कम्युनिस्ट को हिन्दी में साम्यवाद या समाजवाद कहा गया; क्योंकि समानता के साथ समाज गठन के सिद्धान्त को कम्यनिस्टों ने अपनाया। पर, गरीबों की बात करनेवाला कम्युनिस्ट अब बदल गया है, बिल्कुल बदल गया है। ‘आम आदमी का कोई शोषण न करे’- इस लुभावने सन्देश के साथ सत्ता प्राप्त करते ही साम्यवादी स्वयं ‘शोषक’ बन जाते हैं। शी जिनपिंग ने तो शोषण की हद कर दी। जिनपिंग ने ऐसा कानून बनाया कि अब चीन में उन के जीते-जी राष्ट्रपति का निर्वाचन होगा ही नहीं, वे आजीवन चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे। इस कारण चीन के अन्दर भी जिनपिंग ने अपने विरोधियों की फौज खड़ी कर ली है।      
         कहानीकार और ज्योतिषीय विश्लेषक अमित कुमार नयनन ने आगे कहा- कम्युनिज्म और शी जिनपिंग के लिए भी अगले सात से सतरह वर्ष का दौर बिल्कुल सही नहीं है। कम्युनिज्म की शासकीय और आर्थिक गतिविधियों के बिल्कुल तहस-नहस हो जाने के संकेत मिल रहे हैं। नयनन कहते हैं कि चीन को नये शत्रुओं, नयी समस्याओं, प्रगति की नयी बाधाओं और अन्तर्राष्ट्रीय उलझनों से भी दो-चार होना पड़ेगा। यह दौर 2028 तक विशेष तौर पर चलेगा।
        अमित कुमार नयनन की विशेषता है कि वे ज्योतिष शास्त्र के गूढ़ नियमों के आधार पर भी ज्योतिषीय भविष्यवाणी करते हैं। उन्होंने ज्योतिष के दुर्लभ स्वरांक नियम के आधार पर बताया कि चीन और जिनपिंग के लिए कोरोना बिल्कुल ही नकारात्मक प्रभाव के अति प्रभाव से प्रभावी है। अति प्रभाव से प्रभावी का मतलब है कि चीन की विश्व चौधराहट पर अंकुश लगेगा।
         इस सन्दर्भ में प्रख्यात पत्रकार और शीतांशु टीवी के सम्पादक जय कृष्ण का कथन उपयुक्त जान पड़ता है। जय कृष्ण के अनुसार, विश्व में चौधराहट की ऊर्जा चीन को उस के पास निहित वीटो की शक्ति और बढ़ती अर्थव्यवस्था से मिल रही है। यदि इन दोनों पर वार हो तो चीन की ‘गर्मी’ शान्त हो सकती है।
         नयनन की ज्योतिषीय गणना के अनुसार, शी जिनपिंग और चीन दोनों की नींव हिला देने की क्षमता लेकर उभरा है नोवेल कोरोना विषाणु। अगर नयनन की गणना को जयकृष्ण की टिप्पणी के आलोक में देखें तो ग्रह-नक्षत्र मिलकर चीन के वीटो पावर और इकोनॉमी पर घोर संकट का दौर शुरू करनेवाले हैं।  
         अमित कुमार नयनन ने स्पष्ट कहा है कि ग्रहों की दशाएँ विपरीत होने से यह आशंका और बलवती होती है कि कई प्रकार के संकटों के तूफान चीन के विरुद्ध खड़े होंगे। अतः अति सावधानी अपेक्षित है। नयनन के मुताबिक, इस परिदृश्य में भारत नयी शक्ति के साथ विश्व-क्षितिज पर उभरेगा। विश्वयुद्ध के सन्निकट खड़े मानव समुदाय के लिए विश्वशान्ति की कामना करनेवाला सब से बड़ा देश भारत है और यही रहेगा। भारत को छोड़कर कमोबेश सभी देश युद्ध के मूड में हैं। ऐसे में ज्यातिष कहते हैं कि विश्वशान्ति की कामना कीजिये; ताकि सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय और वसुधैव कुटुम्बकम् की भारतीय परम्परा पर आँच न आये और इस परम्परा का लाभ विश्व समुदाय को मिल सके।

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

लॉकडाउन को ३ मई तक बढ़ाकर मोदी ने माँगा सात बातों में देशवासियों का साथ By Extending The Lockdown Till May 3, Modi Asked For The Support of The Countrymen in 7 Things


-शीतांशु कुमार सहाय
     नोवेल कोरोना विषाणु के संक्रमण से फैलनेवाली कोविड-१९ महामारी को रोकने के सभी प्रयास भारत सरकार और भारत के सभी राज्यों की सरकारों द्वारा किये जा रहे हैं। सरकारी प्रयासों में देशवासियों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। मंगलवार, २४ मार्च को २१ दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद आज मंगलवार, १४ अप्रैल २०२० को फिर से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ३ मई २०२० तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है।
     इस दौरान उन्होंने ७ बिन्दुओं पर नागरिकों का सहयोग माँगा है-  
  • अपने घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। विशेषकर ऐसे व्यक्ति जिन्हें पुरानी बीमारी हो उन का हमें अधिक ध्यान रखना है। उन्हें कोरोना से बचाकर रखना है।
  • लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पालन करें। घर में बने फेस कवर या मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें।
  • अपनी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के लिए आय़ुष मंत्रालय की ओर से दिये गये निर्देशों का पालन करें। काढ़ा आदि बनाकर पीयें। 

इम्यूनिटी बढ़ानेवाली औषधियों को जानने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें : 


  • कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप जरूर डाउनलोड करें। दूसरों को भी डाउनलोड कराएँ।

आरोग्य सेतु ऐप को कैसे और कहाँ से डाउनलोड करें, इस के बारे में पूरी जानकारी नीचे के लिंक पर देखें :


  • जितना हो सके उतने गरीब परिवार की देखरेख करें। उन के  भोजन की आवश्यकता पूरी करें।
  • आप अपने व्यव्साय की अपने उद्योग में साथ काम करने वाले लोगों के प्रति संवेदना रखें।उन्हें नौकरी से न निकालें।
  • देश के कोरोना योद्धाओं डॉक्टर, नर्सेज, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी सभी लोगों का सम्मान करें। उन का आदरपूर्वक गौरव करें।

    इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'सप्तपदी' की संज्ञा दी है।

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

इस स्थिति में लहसुन खाना अत्यन्त हानिकारक होता है Eating Garlic is Very HarmfulIn in This Situation

 -शीतांशु कुमार सहाय 
         लहसुन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। मनुष्य को स्वस्थ रखने में कई स्थितियों में लहसुन वरदान साबित होता है। इसलिए लोग लहसुन का कुछ ज़्यादा ही उपयोग कर लेते हैं। मांसाहारी लोग तो इस का जमकर उपयोग करते हैं। शाकाहारी लोग भी लहसुन खाने में पीछे नहीं रहते। पर कई ऐसी स्थितियाँ हैं जब लहसुन वरदान के बदले अभिशाप बन जाता है। मैं ऐसी कुछ प्रमुख स्थितियों के बारे में बता रहा हूँ जब लहसुन खाना अत्यन्त हानिकारक होता है। आप यह भी जानेंगे कि लहसुन खाने के बाद क्या न खाएँ। इस पूरी जानकारी को पढ़ें और इस का पालन करें तो आप ज़्यादा स्वस्थ रहेंगे, इस में कोई शक नहीं।

लहसुन का वीडियो नीचे के लिंक पर क्लिक कर देखें :

  • होम्योपैथिक दवा लेनेवालों को लहसुन नहीं खाना चाहिये। इस से दवा का असर नहीं होता है।
  • अगर आप को एसिडिटी की परेशानी है तो लहसुन के सेवन से बचें; क्योंकि इस से एसिडिटी बढ़ सकती है।
  • हार्टबर्न से पीड़ित हैं तो लहसुन ग्रहण न करें।
  • पेट का अल्सर है या आँत की कोई बीमारी है तो लहसुन का सेवन बंद कर देना चाहिये। 
  • इसी तरह अतिसार यानी डायरिया हो रहा है तो लहसुन का सेवन तुरन्त बन्द कर देना चाहिये। लहसुन इस समस्या को बढ़ा सकता है।
  • जिन के पसीने में गन्ध है, वैसे लोग लहसुन न खाएँ।  
  • अगर एनीमिया के मरीज हैं तो आप के लिए लहसुन का सेवन हानिकारक हो सकता है। शरीर में खून की कमी को ही एनीमिया रोग कहते हैं। इस स्थिति में लहसुन का सेवन हीमोग्लोबिन में कमी का कारण बन सकता है, जिसे हीमोलाइटिक एनीमिया भी कहते हैं।
  • अगर आप को निम्न रक्तचाप यानी लो ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो लहसुन का सेवन करने से बचें। यह रक्तचाप को और कम कर सकता है। इस के विपरीत हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए लहसुन का प्रयोग करना रक्तचाप को कम करने में मददगार होगा।
  • गर्भवती महिलाएँ लहसुन खाने से परहेज करें। गर्भास्था में लहसुन खाना काफ़ी ख़तरनाक साबित हो सकता है। लहसुन की गर्म प्रकृति होने के कारण यह गर्भस्थ शिशु के लिए ज़्यादा हानिकारक हो सकता है, इसलिए इस से बचें।
  • अगर आप किसी तरह का ऑपरेशन या सर्जरी करवाने वाले हैं, तो लहसुन का प्रयोग समस्या का कारण बन सकता है। यह खून को पतला करता है और इस स्थिति में सर्जरी के वक्त ब्लीडिंग अधिक हो सकती है।
  • जिन को पेट से जुड़ी कोई परेशानी है, तो वो कच्चे लहसुन का सेवन करने से बचें।
  • अगर आप खून को पतला करने की कोई दवाई ले रहे हैं, तो लहसुन का सेवन न करें।
  • जिन को माइग्रेन की समस्या है, वे लहसुन का सेवन न करें; क्योंकि इस की गन्ध से समस्या और बढ़ सकती है।
  • लहसुन की तासीर गर्म होती है। इसलिए जिन्हें ज़्यादा पसीना आता है, वे लहसुन को आहार में शामिल न करें।
         अब जानिये कि लहसुन खाने के बाद क्या-क्या नहीं खाना चाहिये-
        लहसुन खाने के बाद दूध या दूध से बनी खाद्य सामग्रियों को नहीं खानी चाहिये। अगर आप ने ऐसा किया, तो बुखार या त्वचा से सम्बन्धित समस्या हो सकती है। साथ ही गन्ना या गन्ने से बनी चीजें, चीनी, गुड़ आदि खाने से भी बचें, ये पेट के फूलने की समस्या का कारण बन सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, लॉकडाउन में आरोग्य सेतु ऐप ई-पास की तरह काम करेगा PM Narendra Modi Said, Arogya Setu App will Work Like an E-pass in Lockdown


-शीतांशु कुमार सहाय
     भारत में नोवेल कोरोना विषाणु (Novel Coronavirus) के संक्रमण से होनेवाले कोविड-१९ (COVID-19) महामारी के लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच शनिवार, ११ अप्रैल २०२० को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से लॉकडाउन को बढ़ाने समेत इस महामारी से लड़ने और आवश्यक कदमों पर सुझाव भी माँगा। इस दौरान सभी राज्यों ने लॉकडाउन दो हफ्ते बढ़ाने की माँग की। 
     इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महत्त्वपूर्ण बात कही कि लॉकडाउन में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए आरोग्य सेतु ऐप ई-पास की तरह काम करेगा। उन्होंने कहा कि आरोग्य सेतु ऐप कोविड-19 से लड़ाई में ज़रूरी है लॉकडाउन के दौरान एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए यह ई-पास की तरह काम करेगा।
     आरोग्य सेतु ऐप (Aarogya Setu App) कैसे डाउनलोड करें? इसे अपने मोबाइल फोन में कैसे इन्स्टाल करें? इस ऐप से और क्या लाभ हैं? इन सब के ज़वाब के अलावा आरोग्य सेतु ऐप के बारे में विशेष जानकारी नीचे दिये गये वीडियो लिंक पर क्लिक कर प्राप्त करें :

आरोग्य सेतु ऐप का वीडियो लिंक

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

तरबूज : स्वाद के साथ स्वास्थ्य का वरदान Watermelon : A Boon of Health & Taste

-शीतांशु कुमार सहाय
         रसीला और मीठा फल है तरबूज। इस के लाल गुदे बड़े ही लाभदायक और स्वादिष्ट होते हैं। तरबूज में जल की मात्री अत्यधिक होती है। यही कारण है कि गर्मी में इसे खाने से शरीर में जल की कमी पूरी होती है और पेट ठंडा रहता है। यह कई प्रकार से लाभप्रद है। तरबूज खाना कई बीमारियों में भी बहुत फायदेमंद होता है। तरबूज दो प्रकार के होते हैं। एक चित्तिदार हरे रंग का लम्बवत गोलाकार होता है और दूसरा पूरी तरह गोल और गाढ़े हरे रंग का होता है। अभी आप जानेंगे कि तरबूज कब और क्यों खाना चाहिये, इसे कब नहीं खाना चाहिये, किस व्यक्ति को तरबूज नहीं ग्रहण करना चाहिये, इस के बीज में क्या गुण हैं, तरबूज खाने से क्या-क्या फायदे हैं? इस में कौन-कौन पोषक तत्त्व कितनी मात्रा में पाये जाते हैं? ये सारी जानकारी अभी तुरन्त प्राप्त कीजिये.....

तरबूज के फायदे वाला वीडियो नीचे के लिंक पर देखें :


         गर्मी के दिनों में शरीर में जल की कमी से निबटने के लिए यह बढ़ि‍या विकल्प है। तरबूज में जल की मात्रा सभी फलों से अधिक होती है। इसलिए इसे खाने पर आप के शरीर में जल की पर्याप्त आपूर्ति होती है। तरबूज मस्तिष्क को भी ठण्डा रखता है। तरबूज की तासिर ठण्डी मानी जाती है और इसे खाने से भूख और दिमाग दोनों शान्त रहते हैं। दिमाग के शान्त रहने से गुस्सा कम आता है। ...तो क्रोध में मत आइये, मैं सब से पहले आप को तरबूज के पोषक तत्त्वों के बारे में बता रहा हूँ।
100 ग्राम तरबूज में पोषक तत्त्वों की मात्रा जानिये-  
  • कैलोरी - 30
  • कुल वसा यानी फैट - 0.2 ग्राम
  • सेचुरेटेड फैट - 0
  • पॉलीअनसेचुरेटेड फैट - 0.1 ग्राम
  • मोनोअनसेचुरेटेड फैट - 0
  • कोलेस्ट्रॉल - 0
  • सोडियम - 1 मिलीब्राम
  • पोटैशियम - 112 मिलीब्राम
  • कार्बोहाइड्रेट - 8 ग्राम
  • डाइटरी फाइबर - 0.4 ग्राम
  • सुगर - 6 ग्राम
  • प्रोटीन - 0.6 ग्राम
  • विटामिन ए - 11 प्रतिशत
  • विटामिन सी - 13 प्रतिशत
  • मैग्नीशियम - 2 प्रतिशत
  • आयरन - 1 प्रतिशत
स्वास्थ्य का वरदान
         अगर पथरी यानी स्टोन की समस्या है तो ज़रूर तरबूज खाइये। अगर वृक्क यानी किडनी या किसी अन्य अंग में स्टोन है तो तरबूज खूब खाना चाहिये। तरबूज में जल की अधिकता होती है और यह किडनी को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है। मतलब यह कि तरबूज का जल दोनों वृक्कों की सफाई करता है। इसलिए इसे खाना फायदेमंद है।
        आजकल शरीर का वज़न बढ़ना आम बात है। वज़न बढ़ गया है तो घबराइये नहीं, वज़न कम करने के लिए प्रतिदिन तरबूज का सेवन कीजिये। मोटापा घटाने का बेहतरीन विकल्प है तरबूज। इसे खाने पर पेट भी जल्दी भरता है और शरीर में वसा यानी फैट का संग्रह भी नहीं होता। इसलिए वेट लॉस डाइट में तरबूज को ज़रूर शामिल कीजिये। तरबूज में बहुत कम कैलोरी होती है जिस के बारे में आप पहले जान चुके हैं। तरबूज बहुत लंबे समय तक पेट को भरा हुआ महसूस कराता है। ऐसे में आप देर तक कुछ और नहीं खायेंगे और मोटापे से बचे रहेंगे। 
         तरबूज इम्यून यानी रोग प्रतिरोधी क्षमता मज़बूत करता है। तरबूज में विटामिन-ए और विटामिन-सी भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं जो आप की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इज़ाफ़ा करता है। 
         विटामिन-ए और विटामिन-सी का अच्छा स्रोत होने के कारण तरबूज आँखों के लिए वरदान साबित होता है। ये दोनों विटामिन शरीर को पोषण देते हैं और चुस्त-दुरुस्त रखते हैं।
       तरबूज के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। यह पेट को साफ़ करने में सहायक है। तरबूज को काला नमक और काली मिर्च के साथ खाने पर अपच की समस्या दूर होती है और पाचन तंत्र बेहतर कार्य करता है।
       अगर एनीमिया है, शरीर में खून की कमी है तो तरबूज का ज़्यादा सेवन करना चाहिये। इस में पाये जानेवाले पोषक तत्त्व शरीर में नये रक्त के निर्माण में सहायक होते हैं। 
         त्वचा की चमक को बरकरार रखने के लिए तरबूज का सेवन वरदान है। इस में लाइकोपिन पाया जाता है जो त्वचा में ताजगी और नमी बनाये रखने के साथ ही सुन्दरता को बढ़ाने में भी मददगार है। तरबूज का लाइकोपिन त्वचा को झुर्रियों से बचाने में भी कारगर है। तरबूज के टुकड़े को त्वचा पर रगड़ने से त्वचा की बेहतर सफाई होती है। तरबूज को चेहरे पर रगड़ने से निखार आता है और काले धब्बे भी खत्म हो जाते हैं।
         तरबूज में मौज़ूद लाइकोपिन कैंसर कोशि‍काओं को समाप्त कर इस गंभीर बीमारी से आप की रक्षा करता है। 
        अगर आप उच्च रक्तचाप के मरीज हैं तो आप को तरबूज अवश्य खाना चाहिये। यह हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए अत्यन्त लाभदायक है। तरबूज में बहुत कम मात्रा में सोडियम होता है और ये ठंडा भी होता है जो रक्त परिसंचरण को ठीक करता है। 
        हृदय को स्वस्थ रखने में तरबूज मददगार है। यह कोलस्ट्रॉल के लेवल को नियन्त्रित करता है जिस से हृदय से सम्बन्धित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
         
तरबूज के बीज भी अत्यन्त लाभदायक हैं
         तरबूज खाते समय अधिकतर लोग इस के बीजों को फेंक देते हैं। पर तरबूज के बीज वास्तव में गुणों की खान हैं। इस से आप को बहुत से फायदे मिलते हैं।   
         तरबूज के बीजों को पीसकर चेहरे पर लगाने से निखार आता है। त्वचा चमक उठती है। इस का लेप सिर दर्द में आराम पहुँचाता है। 
       तरबूज के बीजों को चबाकर ग्रहण करने से थकान दूर होती है। बीजों में मौजूद एल सीट्रूलाइन नामक एक एमिनो एसिड होती है जो थकान को दूर करता है।
         तरबूज के बीजों के सेवन से कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। इन से आयरन प्राप्त होता है और यही आयरन शरीर में कैलोरी को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है और खून की कमी को दूर करता है।
        अगर आप अपने हृदय को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो भी आप को तरबूज के बीज कभी नहीं फेंकने चाहिये। इन बीजों में मोनोअनसेचुरैटिड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड पाये जाते हैं जिन के कारण दिल के दौरे और स्ट्रोक की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। इन बीजों से पोटेशियम भी अच्छी मात्रा में प्राप्त होता है और यही पोटेशियम हृदय को स्वस्थ रखने में सहयोगी है।
       तरबूज के बीजों को खाने से मोटापा कम करने में मदद मिलती है। इस में सिट्रलाइन नामक कपांउड पाया जाता है, जिस के कारण शरीर में पहले से जमा वसा घट सकता है।

        अब जानते हैं कि किस व्यक्ति को और कब-कब तरबूज नहीं खाना चाहिये।
       वैसे लोग को तरबूज नहीं खाना चाहिये जिन्हें अस्थमा या एलर्जी की समस्या हो; क्योंकि इस की तासिर ठण्डी होती है और यह साँस की नली में सूजन पैदा कर सकता है। साथ ही इस से छींक की समस्या भी बढ़ सकती है। अगर सर्दी या खाँसी है तो भी तरबूज न खाएँ। 
  • अगर आप ने भात या दही का सेवन किया है तो तरबूज से दूर रहें। भात या दही के बाद तरबूज खाने से हानि होती है। 
  • खाली पेट में या सुबह उठकर प्रथम आहार के रूप में तरबूज न खायें। ऐसा करने से उल्टी या पेट की अन्य तकलीफें हो सकती हैं। तरबूज खाने के बाद जल न पीयें। इस कारण उल्टी हो सकती है। मुँह साफ़ करने के लिए आप केवल कुल्ला करें।
  • शाम या रात में तरबूज नहीं खाना चाहिये। इस कारण कफ बढ़ सकता है या दूसरी परेशानी हो सकती है।
तो सावधानी के साथ तरबूज का सेवन कीजिये और स्वस्थ जीवन का आनन्द लीजिये।

शनिवार, 4 अप्रैल 2020

गुरु वन्दना : गुर्वष्टकम् : गुरु के सम्मान में आदि शंकराचार्य ने लिखा GURU VANDANA : Gurvashtakam : By Ancient Shankaracharya in the Honour of Guru

आदि शंकराचार्य द्वारा रचित 
प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय

शरीरं सुरूपं तथा वा कलत्रंयशश्चारु चित्रं धनं मेरुतुल्यम्।गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।१।।


         शरीर रूपवान हो, पत्नी भी रूपसी हो और सत्कीर्ति चारों दिशाओं में विस्तारित हो, मेरु पर्वत के तुल्य अपार धन हो, किन्तु गुरु के श्रीचरणों में यदि मन आसक्त न हो, तो इन सारी उपलब्धियों से क्या लाभ?

कलत्रं धनं पुत्रपौत्रादि सर्व्वंगृहं बान्धवाः सर्वमेतद्धि जातम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।२।।


         सुन्दरी पत्नी, धन, पुत्र, पौत्र, घर और स्वजन आदि प्रारब्ध से सर्वसुलभ हों, किन्तु गुरु के श्रीचरणों में मन की आसक्ति न हो, तो इस प्रारब्ध-सुख से क्या लाभ?

षडङ्गादिवेदो मुखे शास्त्रविद्या कवित्वादि गद्यं सुपद्यं करोति।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।३।।


         वेद और षट्वेदांगादि शास्त्र जिसे कण्ठस्थ हों, जिस में सुन्दर काव्य-निर्माण की प्रतिभा हो, किन्तु उस का मन यदि गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न हो, तो इन सद्गुणों से क्या लाभ?

विदेशेषु मान्यः स्वदेशेषु धन्यःसदाचारवृत्तेषु मत्तो न चान्यः।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।४।।


         जिसे विदेश में आदर मिलता हो, अपने देश में जिस का नित्य स्वागत किया जाता हो और जो सदाचार-पालन में भी अनन्य स्थान रखता हो, यदि उस का भी मन गुरु के श्रीचरणों के प्रति अनासक्त हो, तो इन सद्गुणों से क्या लाभ?

क्षमामण्डले भूपभूपालवृन्दैःसदा सेवितं यस्य पादारविन्दम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।५।।


         जिन महानुभाव के चरणकमल पृथ्वीमण्डल के राजा-महाराजाओं से नित्य पूजित रहा करते हों, किन्तु उन का मन यदि गुरु के श्रीचरणों में आसक्त न हो, तो इस सद्भाग्य से क्या लाभ?

यशो मे गतं दिक्षु दानप्रतापाद्जगद्वस्तु सर्व्वं करे सत्प्रसादात्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।६।।


         दानवृत्ति के प्रताप से जिन की कीर्ति जगत में व्याप्त हो, अति उदार गुरु की सहज कृपादृष्टि से जिन्हें संसार के सारे सुख-ऐश्वर्य हस्तगत हों, किन्तु उन का मन यदि गुरु के श्रीचरणों में आसक्तिभाव न रखता हो, तो इन सारे ऐश्वर्यों से क्या लाभ?

न भोगे न योगे न वा वाजिराज्येन कान्तासुखे नैव वित्तेषु चित्तम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।७।।


         जिस का मन भोग, योग, अश्व, राज्य, धनोपभोग और स्त्रीसुख से कभी विचलित न हुआ हो, फिर भी गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न बन पाया हो, तो इस मन की अटलता से क्या लाभ?

अरण्ये न वा स्वस्य गेहे न कार्य्येन देहे मनो वर्तते मेऽत्यनर्थैः।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।८।।


         जिस का मन वन या अपने विशाल भवन में, अपने कार्य या शरीर में तथा अमूल्य भण्डार में आसक्त न हो, पर गुरु के श्रीचरणों में भी यदि वह मन आसक्त न हो पाये, तो उस की सारी अनासक्तियों का क्या लाभ?

अनर्घ्याणि रत्नानि मुक्तानि सम्यक्समालिङ्गिता कामिनी यामिनीषु।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।९।।


         अमूल्य मणि-मुक्तादि रत्न उपलब्ध हों, रात्रि में समलिंगिता विलासिनी पत्नी भी प्राप्त हो, फिर भी मन गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न बन पाये, तो इन सारे ऐश्वर्य-भोगादि सुखों से क्या लाभ?

गुरोरष्टकं यः पठेत् पुण्यदेही यतिर्भूपतिर्ब्रह्मचारी च गेही।

लभेद्वाञ्छितार्थं पदं ब्रह्मसंज्ञंगुरोरुक्तवाक्ये मनो यस्य लग्नम्।।१०।।


         गुरु के वचन में मन से प्रीति रखनेवाले जो यती, राजा, ब्रह्मचारी और गृहस्थ इस गुरु-अष्टक का पाठ करते हैं, वे पुण्यशाली शरीरधारी वाञ्छित फल व ब्रह्मपद को प्राप्त कर लेते हैं।

जीवन के घटनाक्रमों को समझना आवश्यक It is Necessary to Understand Life's Chronology

-शीतांशु कुमार सहाय
         अगर आप का जीवन ख़ुशहाल है, भौतिक रूप से साधनसम्पन्न है, तो भी उस की सीमा निर्धारित है। वास्तव में प्रकृति में कुछ भी स्थिर और अनन्त नहीं है; क्योंकि प्रकृति ही स्थिर और अनन्त नहीं है। सब कुछ प्रतिक्षण बदल रहे हैं। किसी वस्तु या घटना की निरन्तरता सृष्टि के लिए उचित नहीं है और जब मनुष्य अपनी हठधर्मिता से कृत्रिम निरन्तरता जारी रखने का प्रयास करता है तो अनर्थ हो जाता है। मीठे भोजन की निरंतरता मधुमेह, तो नमकीन की निरन्तरता उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है। ऐसे कई उदाहरण आप इस विश्व में देख सकते हैं। 
         एक बार की बात है बलराम और श्रीकृष्ण को मथुरा छोड़ना पड़ा था और जंगल में भटकना पड़ रहा था। उन के पास पर्याप्त भोजन और आराम का समय भी नहीं था। तब बलरामजी ने श्रीकृष्ण से प्रश्न किया- "हमारे साथ ये सब क्यों हो रहा है, जबकि तुम मेरे साथ हो?" 
         भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, "जब जीवन आप के साथ बहुत अच्छी तरह घटित होता है, तो आप शिकायत नहीं करते। जब आप कुछ विशेष स्थितियों को अच्छा और शेष को बुरा मानते हैं या कुछ स्थितियों को मनचाहा और बाकी को अवांछित मानते हैं। क्या उस समय आप स्वयं से पूछते हैं कि आप के साथ ये सब क्यों हो रहे हैं?" 
         द्वापर युग के इन दो भाइयों ने अपनी लौकिक लीला के इस वार्तालाप में जीवन का गूढ़ रहस्य समझाया है। हालाँकि यह वार्तालाप और लम्बी है, तथापि यहाँ आलोच्य सन्दर्भ में उस अपूर्व वार्तालाप का इतना ही अंश पर्याप्त है। 
         वास्तव में आप जीवन को केवल जीवन के रूप में नहीं देखते। जैसे ही आप आध्यात्मिकता में कदम रखते हैं, जीवन आप के साथ ज़बर्दस्त तरीके से घटित होता है। मतलब यह कि सब कुछ तेजी से घटित होता हुआ, भागता हुआ प्रतीत होता है। अगर आप किसी वस्तु की पहचान अच्छा या बुरा के रूप में नहीं करते, तो आप देखेंगे कि जीवन अत्यन्त तीव्रता से घटित हो रहा है। अच्छी या बुरी जैसी श्रेणी केवल आप बनाते हैं। सच तो यह है कि न कुछ अच्छी है और न कुछ बुरी, केवल जीवन घटित होता है। कुछ लोग उस का आनन्द उठाते हैं, कुछ लोग उसे झेलते हैं। हम बस इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि हर कोई इस का आनन्द उठाये। मूलभूत स्तर के दृष्टिकोण से देखें तो इस धरती पर होनेवाली घटनाएँ कोई महत्त्व नहीं रखतीं। मैं चाहता हूँ कि आप अच्छे और बुरे की पहचान के बिना अपने जीवन की ओर देखें। जीवन अत्यन्त तीव्रता से घटित हो रहा है।
परमसत्ता, जिसे भगवान कहते हैं, ईश्वर कहते हैं। वह परमसत्ता दीखती नहीं लेकिन उस के कई रूप दिखायी देते हैं। प्रकृति उसी सत्ता का दृश्यमान रूप है। प्रकृति के अन्तर्गत ही जीवन और घटनाएँ दिखायी देती हैं। 
अगर आप आध्यात्मिकता की ओर मुड़ना चाहते हैं, तो इस का मतलब है कि प्राकृतिक रूप से आप जीवन के एक बड़े अंश की चाह करते हैं। इसे यों समझें कि जीवन में जिस वस्तु को भी पाने का प्रयास करते हैं, वह जीवन का एक बड़ा हिस्सा पाने की कोशिश होती है। 
         जिस के पास कार नहीं होती, उसे लगता है कि कार वाले लोग बड़े ख़ुशकिस्मत होते हैं। कार निश्चित रूप से आरामदेह और सुविधाजनक होती है, मगर वह कोई ख़ुशकिस्मती नहीं है। अगर विश्व में कारें होती ही नहीं, तो किसी को कार पाने की इच्छा नहीं होती। समस्या यह है कि आप दूसरों से इस तरह अपनी तुलना करते हैं, तो यह विषाद का कारण बन जाता है। अगर जिन के पास कार नहीं है, वे कार वाले से अपनी तुलना न करें, तो उन्हें पैदल चलने या साइकिल चलाने में कोई समस्या नहीं होगी, कोई लज्जा नहीं होगी, किसी प्रकार का दुःख नहीं होगा।
         मैं अस्तित्व के रूप में जीवन की बात कर रहा हूँ। अभी, आप बहुत-सी ऐसी चीजों या घटनाओं को जीवन मानते हैं, जिन का वास्तव में जीवन की वास्तविकता से कोई वास्ता नहीं है। ऐसी तुलना या ऐसा सोच केवल एक विकृत मानसिक अवस्था है। कई दुःख केवल इसी कारण होते हैं। 
         जब आध्यात्मिक रास्ते पर चलते हैं, तो आन्तरिक स्थितियाँ  बहुत तेज गति से परिवर्तित होती हैं। इस के कई कारण हैं। एक मूलभूत कारण प्रारब्ध है। इस जीवन के लिए जो कर्म मिले हैं, उसे ही प्रारब्ध कहते हैं। 
सृष्टि बहुत करुणामयी है। अगर वह इसी जीवन में आप के सारे कर्म दे देती, जिसे संचित कर्म कहते हैं, तो आप मर जाते। बहुत लोग इसी जीवन की स्मृतियों को नहीं झटक पाते। मान लीजिये कि मैं आप को गहरी तीव्रता में आप के सौ जीवनकालों की याद दिला दूँ, तो अधिकतर लोग उस स्मृति का बोझ न सह पाने पर तुरंत प्राण त्याग देंगे। इसलिए, सृष्टि और प्रकृति आप को उतना प्रारब्ध देती है, जितना आप संभाल सकें। अगर आप प्रकृति द्वारा सौंपे गये कर्मों पर ही चलें और आप कोई नया कर्म उत्पन्न नहीं करते– जो संभव नहीं है, तो सौ जन्मों के कर्मों को नष्ट करने के लिए, आप को कम-से-कम सौ और जन्म लेने पड़ेंगे। इन सौ जीवनकालों की प्रक्रिया में हो सकता है कि आप और हज़ार जीवनकालों के लिए कर्म इकट्ठा लें।
         जब कोई आध्यात्मिक पथ पर होता है, तो वह अपने गंतव्य यानी मुक्ति पर पहुँचने की हड़बड़ी में होता है।  वह सौ या हज़ार जीवनकाल नहीं लेना चाहता, वह जल्दी अपने लक्ष्य को पा लेना चाहता है। अगर विशेष रूप में दीक्षा दी जाय, तो मुक्ति के आयाम खुलते हैं जो अन्यथा नहीं खुलते। अगर आप आध्यात्मिक रास्ते पर नहीं होते, तो हो सकता है कि आप अधिक आरामदेह और शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे होते, मगर साथ ही एक निर्जीव जीवन भी जी रहे होते। जब आप के साथ कोई मूलभूत चीज घटित नहीं होती, तो आप जीवन से अधिक मृत्यु के निकट होते हैं। 
         आध्यात्मिक प्रक्रिया में प्रवेश का मतलब है, जीवन को वास्तविक रूप से अनुभव करने की इच्छा रखना। जहाँ तक दशकों में नहीं पहुँचा जा सकता, आध्यात्मिकता से वहाँ कुछ दिनों में पहुँचा जा सकता है। यह केवल कहने की बात नहीं है, यह जीवन की सच्चाई है। भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में यही समझाया है। 
         आध्यात्मिक व्यक्ति किसी घटना को अच्छा या बुरा नहीं मानता, उस का सरोकार केवल इस बात से होता है कि जीवन उस के लिए कितनी तीव्रता से घटित हो रहा है। अच्छाई और बुराई समाज से जुड़ी होती है, उन का जीवन से कोई लेना-देना नहीं। अगर आप गुरु प्रदत्त साधना करते हैं, तो आप अपने प्रारब्ध तक सीमित नहीं रहते। गुरु आप की स्थिति के अनुसार ही आप के कालचक्र को तेज करते हैं। दस जीवन के कर्मों को संभालना है तो जीवन की गति संसार से थोड़ी तेज होगी लेकिन अगर सौ जीवनकालों के कर्मों को अभी संभालना है, तो निश्चय ही जीवन बहुत तीव्रता से घटित होगा। ऐसे में संतुलन बनाये रखना बहुत आवश्यक होता है। इस दौरान यदि सामाजिक स्थितियों के असर में आकर किसी से अपनी तुलना करने लगे, तो जीवन जिस गति से घटित होता है, उस से यह लग सकता है कि जीवन में कुछ गड़बड़ है लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता।
         अगर आप आध्यात्मिक होना चाहते हैं, तो इस का मतलब है कि आप अभी जैसे हैं, उस में परिवर्तन चाहते हैं, चरम प्रकृति को अर्थात् परमसत्ता को पाना चाहते हैं, आप असीमित होना चाहते हैं, आप मुक्ति चाहते हैं। इस चाहत को पूरा करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता है। साधना के माध्यम से गुरु आप में इस ऊर्जा की पूर्ति करते हैं। अत्यधिक ऊर्जा के कारण ही जीवन तेज गति से, ज़बर्दस्त गति से घटित होता है।
इतने शब्दों को लिखने का एक ही मतलब है कि जीवन के घटनाक्रमों को समझना आवश्यक है। अगर जीवन में भौतिक दु:खों की बारम्बारता बनी हुई है तो समझना चाहिए कि आप को ईश्वर की निकटता शीघ्र मिलेगी। इस के लिए आडम्बर और प्रचार से दूर रहनेवाले एक गुरु की खोज कीजिये। 
कृष्णं वन्दे जगद्गुगुरुम्।

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

कोरोना वायरस का नाम कोरोना क्यों पड़ा Why Was The Coronavirus Named Corona

-शीतांशु कुमार सहाय
         नोवेल कोरोना वायरस यानी नोवेल कोरोना विषाणु से उत्पन्न भयंकर महामारी कोविड-19 ने विश्व के 196 देशों में कोहराम मचा रखा है। इस बुलेटिन में मैं बता रहा हूँ कि कोरोना विषाणु का नाम कोरोना क्यों पड़ा। 
         कोरोना वायरस वास्तव में वायरस की एक प्रजाति है। ‘वायरस’ (टपतने) अंग्रेजी का शब्द है जिसे हिन्दी में ‘विषाणु’ कहते हैं। कोरोना वायरस के नामकरण का राज जानने से पहले यह जान लेते हैं कि अबतक कितने कोरोना वायरस खोजे गये हैं। तो आप जान लीजिये कि अबतक सात प्रकार के कोरोना विषाणु खोजे गये हैं। सातवें को नोवेल कोरोना वायरस का नाम दिया गया जो चीन के हूबेई प्रान्त के वुहान शहर से निकलकर विश्वभर में तबाही मचायी है। अन्य छः कोरोना विषाणुओं के नाम और सातों से सम्बन्धित विशेष जानकारी आप पहले के आलेख में जान चुके हैं। उस आलेख में आप यह भी जान चुके हैं कि कौन-कौन कोरोना वायरस साधारण हैं और कौन-कौन जानलेवा साबित होते हैं।

इस सन्दर्भ में वीडियो नीचे के लिंक पर देखें : 


         अब जानते हैं कि कोरोना वायरस का यह नाम क्यों पड़ा? इन दिनों कोरोना नाम तो भय का प्रतीक बन गया है। आप भयभीत मत होइये- केवल स्वच्छता के नियमों का पालन कीजिये, सतर्क रहिये और स्वस्थ रहिये। 
         जानिये कोरोना के नामकरण का राज। आखिर इस का नाम ‘कोरोना’ क्यों पड़ा। कोरोना वास्तव में लैटिन भाषा का शब्द है। दक्षिण अमेरिका महादेश में लैटिन भाषा बोली जाती है। अँग्रेेजी भाषा पर इस का बहुत प्रभाव है। लैटिन भाषा के ‘कोरोना’ शब्द का अर्थ ‘मुकुट’ होता है। वही मुकुट जो राजा अपने सिर पर धारण करते हैं। विषाणु यानी वायरस इतना सूक्ष्म कण है कि इसे न पूरी तरह से सजीव कह जा सकता है और न निर्जीव। यह सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी है। इसे साधारण सूक्ष्मदर्शी से देखना सम्भव नहीं है। इसे विशेष प्रकार के इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखना सम्भव है। 
         इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से जब इस वायरस को देखा गया तो इस वायरस के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसी संरचना दिखायी दी। ये काँटेदार संरचनाएँ मुकुट की तरह प्रतीत होती हैं। इस कारण ही इसे ‘कोरोना’ नाम दिया गया। आप ने संक्रामक रोग फैलानेवाले कोरोना वायरस के नाम का रहस्य जाना। संक्रामक रोग से बचने के लिए स्वच्छता को अपनाइये और हर तरह से सतर्क रहिये, स्वस्थ रहिये।

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप जारी, कोविड-१९ के संक्रमण से आप को करेगा सतर्क Arogya Setu App Launched, Will Alert You to the Infection of Novel Coronavirus or COVID-19

-शीतांशु कुमार सहाय
         भारत सरकार ने कोविड-१९ (COVID-19) से आम लोग को सुरक्षित रखने के लिए बृहस्पतिवार २ अप्रैल २०२० को आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) नाम का एक मोबाइल ऐप जारी किया है। यह ऐप ऐंड्रॉयड और आईओएस के लिए रोलआउट किया गया है। मतलब यह कि आप का मोबाइल फोन ऐंड्रॉयड हो या आईओएस, दोनों पर यह आरोग्य सेतु ऐप काम करता है। इसे आप ऐपल ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। यह 11 भाषाओं को सपॉर्ट करता है। अँग्रेज़ी, हिन्दी, गुजराती, तेलुगु, तमिल, उड़िया, मलयालम, कन्नड़, मराठी, बांग्ला, पञ्जाबी में यह ऐप काम करता है। लॉन्च होने के कुछ घण्टे बाद ही इस की रेटिंग ४.५ हो गयी। यह २.६ एमबी का है। यह एनआईसी द्वारा जारी किया गया है। गूगल प्ले स्टोर पर जायेंगे तो ऐप के नाम के नीचे NIC eGov Mobile Apps लिखा हुआ मिलेगा।


वीडियो बुलेटिन देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें :

Aarogya Setu App Video


         आरोग्य सेतु ऐप (Aarogya Setu App) स्मार्टफोन के लोकेशन डेटा और ब्लूटूथ के माध्यम से प्रयोग करनेवाले को बताता है कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आये थे या नहीं। इस के लिए यह ऐप कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित लोगों के डेटाबेस को चेक करता है।
         पिछले कुछ दिनों से इस ऐप के बीटा वर्जन की टेस्टिंग की जा रही थी और रिलीज हुए स्टेबल वर्जन में बीटा वर्जन वाले लगभग सभी फंक्शन दिये गये हैं। यह ऐप डिवाइस से यूजर के डेटा को एनक्रिप्टेड फॉर्म में लेता है। एनक्रिप्शन कोड जानने के बाद यह यूजर के डेटा को सर्वर पर भेजता है। इस के बाद यूजर को पता चल जाता है कि वे किसी कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आये थे या नहीं। इस के लिए ऐप स्मार्टफोन का ब्लूटूथ इस्तेमाल करता है और संक्रमित व्यक्ति के 6 फीट के दायरे में आने पर यूजर को नोटिफाइ करता है।
          अगर आप का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव आया है या आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये हैं तो यह आप के डेटा को सरकार के साथ शेयर करता है।
       आरोग्य सेतु ऐप में कई और फीचर भी दिये गये हैं। इस में दिये गये चैटबॉच की मदद से आप कोरोना वायरस के लक्षण को पहचान सकते हैं।
यह ऐप हेल्थ मिनिस्ट्री के अपडेट्स और भारत के हर राज्यों के कोरोना वायरस हेल्पलाइन नंबर की लिस्ट भी देता है।
ऐप में यूजर्स की प्राइवेसी यानी निजता का पूरा ध्यान रखा गया है और इसीलिए डेटा को किसी थर्ड पार्टी ऐप के साथ शेयर नहीं किया जाता है।
ऐप डाउनलोड करने के बाद जब आप इसे खोलेंगे तो सब से पहले आप से भाषा पूछी जायेगी। भाषा का विकल्प देने के बाद स्क्रीन पर ऐसा दिखाई देगा। इस में लिखा है- हम सभी में भारत में फ़ैल रही कोरोना वायरस महामारीको रोकने की क्षमता है। क्या आप चाहते हैं कि आप को यह जानकारी मिले कि कहीं आप के सम्पर्क में आया हुआ कोई व्यक्ति कोविड-१९ पॉजिटिव तो नहीं पाया गया है?
अब स्क्रीन को दायें से बायें स्क्रॉल करें। चार पेज स्क्रॉल के रजिस्टर करने का विकल्प आयेगा और उस के बाद सेवा और गोपनीयता की शर्तें माननी होगी।
ऐप इनस्टॉल करने के बाद ब्लूटूथ और लोकेशन को ऑन कर दें और लोकेशन शेयरिंग को ऑलवेज पर सेट कर दें। ऐसा करने पर ही आरोग्य सेतु ऐप काम करेगा।
आरोग्य सेतु के साथ आप स्वयं की, अपने परिवार और मित्रों की कोविड-१९ से सुरक्षा कर सकते हैं और राष्ट्र को इस से लड़ने में सहायता कर सकते हैं।
हम सुरक्षित, तो भारत सुरक्षित।

रामनवमी : कण-कण में हैं राम, भक्ति कीजिये अविराम RAMNAVAMI : RAM IS EVERYWHERE, PRAY HIM

-शीतांशु कुमार सहाय 

कण-कण में हैं राम, 
भक्ति हो अविराम!
लाॅकडाउन के धर्म का करें सब पालन,
कोविड-१९ का तभी होगा पूरा शमन।
घर में रहकर कीजिये पूजन,
श्रीराम-हनुमान का अभिनन्दन। 
कोरोना विषाणु असुर का करेंगे अब संहार,
श्रीराम के धर्म-तीर का होगा ज़ोरदार प्रहार। 


सभी सुधी पाठकों को भगवान राम के अवतरण दिवस रामनवमी की शुभकामना व बधाई!

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

धोखाधड़ी से बचें और असली PM-Cares Fund में दान देकर कोविड-१९ को परास्त करें AVOID FRAUD & CONTRIBUTE IN ORIGINAL PM-CARES FUND FOR INDIA'S FIGHTS AGAINST COVID-19

-शीतांशु कुमार सहाय                
         भारत में रहनेवाले भारतीय और विदेश में निवास करनेवाले लाखों भारतीय (NRI) 'प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि' (PM-Cares Fund) में उदारतापूर्वक दान देना चाहते हैं। पर, उन्हें कहाँ दान देना है और कैसे देना है, यह पता नहीं होता है। इसलिए यहाँ पूरी जानकारी दी जा रही है। कितना देना है, यह तो आप पर निर्भर करता है लेकिन किस बैंक खाते में देना है, उस का सम्पूर्ण विवरण यहाँ दिया जा रहा है।
      इन दिनों चीन के हूबेई राज्य के वुहान शहर से शुरू होकर कोविड-१९ (COVID-19) महामारी ने भारत सहित पूरे विश्व को तबाह कर रखा है। नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से उत्पन्न कोविड-१९ रोग के जानलेवा हमले से भारतवासियों को सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। इस के अलावा अरबों रुपयों के पैकेज की घोषणाएँ सभी राज्य सरकारों ने भी की हैं। अब उद्योगपति, व्यवसायी, कलाकार, विभिन्न संगठन से लेकर आमजन तक प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि में दान दे रहे हैं।     
          सुधी पाठकों से भी आग्रह है कि आप PMCARES में जनहित में दान दें और 'कोविड-१९ से युद्ध' (War against COVID-19) में अपने देश भारत का साथ दें। 
          कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए योगदान को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने PM-CARES फंड के लिए सभी दान को आयकर अधिनियम की धारा ८० जी के तहत १०० प्रतिशत कर कटौती का लाभ देने का निर्णय लिया है। इस के लिए आयकर अधिनियम में संशोधन किया गया है। १०० प्रतिशत कर कटौती का लाभ लेने के लिए दानदाता का दावा ३० जून २०२० तक स्वीकार किया जायेगा। ३० जून २०२० तक किया जानेवाला दान की गणना भी वित्त वर्ष २०१९-२० के अन्तर्गत होगी। इस के अलावा, सकल आय के १० प्रतिशत की कटौती की सीमा भी PM-CARES फंड में किये गये दान के लिए लागू नहीं होगी।
        कोरोनोवायरस के प्रकोप से प्रभावित व्यक्तियों को राहत प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि (PM-Cares Fund) की स्थापना की गयी है। संक्षेप में इसे पीएम केयर्स फण्ड कहा जाता है। यह सार्वजनिक चैरिटेबल फण्ड है। 
         इस की स्थापना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने २८ मार्च २०२० को अपराह्न ४:५१ बजे अंग्रेजी में ट्वीट कर दी -People from all walks of life expressed their desire to donate to India’s war against COVID-19. Respecting that spirit, the Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund has been constituted. This will go a long way in creating a healthier India. (सभी लोगों ने COVID-19 के खिलाफ भारत के युद्ध में दान देने की इच्छा व्यक्त की। उस भावना का सम्मान करते हुए, प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि का गठन किया गया है। यह स्वस्थ भारत बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।)
         प्रधानमंत्री इस ट्रस्ट के अध्यक्ष होंगे और इस के सदस्यों में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री शामिल होंगे। 

HERE IS YOUR CHANCE TO CONTRIBUTE IN INDIA'S WAR AGAINST COVID-19


       Keeping in mind the objective of dealing with any kind of emergency or distress situation, like the COVID-19 pandemic, and to provide relief to the affected, a public charitable trust under the name of Prime Minister's Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations (PM CARES) Fund has been set up.

       This fund also accepts micro-donations, as a result of which, a large number of people will be able to contribute with smallest of denominations.
         
           किसी भी प्रकार की आपातकालीन या संकट की स्थिति से निपटने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, जैसे कि COVID-19 महामारी, और प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए, प्रधानमंत्री के नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति में राहत के नाम पर एक सार्वजनिक चैरीटेबल ट्रस्ट (PM CARES) फंड की स्थापना की गयी है।
        यह कोष सूक्ष्म दान को भी स्वीकार करता है, जिस के परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में लोग छोते-छोते योगदान करने में सक्षम होंगे।

HOW TO CONTRIBUTE?

Name of the Account : PM CARES
Account Number : 2121PM20202
IFSC Code : SBIN0000691
SWIFT Code : SBININBB104
Name of Bank & Branch : State Bank of India, New Delhi Main Branch
UPI ID : pmcares@sbi
किसी भी अन्य बैंक खाते में इस फण्ड के नाम पर दान न दें, वह गलत हो सकता है