कोरोना विषाणु यानी कोरोना वायरस का नाम सुनते ही लोग डर जाते है। इस ने विश्वस्तर पर कोहराम मचा रखा है। पर, क्या आप जानते हैं कि चीन के हूबेई राज्य के वुहान शहर से ही केवल कोरोना वायरस की शुरुआत नहीं हुई। वुहान से निकलकर जिस वायरस ने विश्वभर में कहर ढाया है, वह वास्तव में नोवेल कोरोना वायरस है यानी बिल्कुल नया प्रकार का कोरोना वायरस। मैं आप को इस बुलेटिन में चीन वाले अत्यन्त हानिकारक और जानलेवा कोरोना वायरस के अलावा छः अन्य कोरोना वायरस के बारे में बताऊँगा।
कोरोना वायरस वास्तव में वायरस की एक प्रजाति है। ‘वायरस’ (Virus) अंग्रेजी का शब्द है जिसे हिन्दी में ‘विषाणु’ कहते हैं। इसे न तो पूरी तरह से सजीव कहा जा सकता है और न निर्जीव। यह सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी है। जबतक यह उपयुक्त वातावरण नहीं पाता, तबतक निष्क्रिय पड़ा रहता है। अलग-अलग विषाणु के निष्क्रिय रहने पड़े रहने की निश्चित अवधि होती है। इस अवधि को ही उस की आयु मानी जाती है। जैसे ताम्बे पर नोवेल कोरोना वायरस चार घण्टों तक निष्क्रिय पड़ा रहता है और जब किसी तरीके से शरीर में या अन्य उपयुक्त वातावरण में चला जाता है तो सक्रिय हो जाता है और जानलेवा साबित हो सकता है।
अबतक सात प्रकार के कोरोना विषाणु खोजे जा चुके हैं। सातवें कोरोना वायरस को चीन के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ली वेनलियांग ने ३० दिसम्बर २०१९ को खोजा। ली वेनलियांग ने अपने साथी चिकित्सकों को बताया कि उन्होंने कुछ मरीजों में बिल्कुल नये वायरस से उत्पन्न रोग के लक्षण देखे हैं। इस कारण चीन प्रशासन ने उन्हें प्रताड़ित भी किया। बाद में उन की बात सच निकली और नया वायरस कोरोना प्रजाति का निकला जिसे ‘नोवेल कोरोना वायरस’ का नाम दिया गया। इस से उत्पन्न रोग को ‘कोरोनावायरस डिजिज 2019’ की संज्ञा दी गयी जिसे संक्षेप में ‘कोविड-19’ कहा जाता है। इस ने तीन महीने से भी कम समय में पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया और विश्वभर की समस्त गतिविधियाँ थम गयीं। संसार ने ऐसी महामारी पहले कभी नहीं देखी।
अगर चीन प्रशासन ली वेनलियांग की बात मान लेता और विश्व को नोवेल कोरोना वायरस के घातक परिणाम की चेतावनी पहले ही दे देता तो विश्व के सैकड़ों देशों को अरबों डॉलर की क्षति नहीं उठानी पड़ती और हज़ारों लोग की जान बच जाती। चीन ने ६ फरवरी २०२० को ली वेनलियांग की मौत की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने जिस नोवेल कोरोना वायरस को खोजा, वही उन की मौत का कारण बना।
नोवेल कोरोना वायरस के अलावा अन्य छः कोरोना विषाणुओं के नाम जानने से पहले जानते हैं कि इस का नाम ‘कोरोना’ क्यों पड़ा। कोरोना वास्तव में लैटिन भाषा का शब्द है जिस का अर्थ ‘मुकुट’ होता है। इस वायरस के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में मुकुट जैसा आकार दीखता है। इस कारण ही इसे ‘कोरोना’ नाम दिया गया।
अब जानिये छः अन्य कोरोना विषाणुओं के बारे में। ये छः प्रकार के कोरोना वायरस पहले से ही मौज़ूद हैं। इन में से चार से डरने की ज़रूरत नहीं हैै। ये आप के साथ रहते हैं और अब भी शरीर में उपस्थित हो सकते हैं। ये कोई नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। चीन वाला कोरोना यानी नोवेल कोरोना घातक है। बहुत कम हानि पहुँचानेवाले चार कोरोना वायरस हैं-
(१) २२९ ई अल्फा कोरोना वायरस (229 E Alpha Coronavirus)
(२) एनएल ६३ अल्फा कोरोना वायरस (NL 63 Alpha Coronavirus)
(३) ओसी ४३ बीटा कोरोना वायरस (OC 43 Beta Coronavirus)
(४) एचकेयू १ बीटा कोरोना वायरस (HKU 1 Beta Coronavirus)
जिस व्यक्ति के शरीर में ये चारों वायरस होते हैं, उसे पता तक नहीं चलता है। कोरोना प्रजाति के ये चार वायरस किसी भी तरह से जानलेवा नहीं हैं। इन की जाँच सामान्य पैथोलॉजिकल लैब में हो सकती है। तो केवल कोरोना नाम से मत घबराइये।
अब और तीन कोरोना वायरस को जानते हैं जो ज़्यादा घातक हैं। पाँचवाँ कम लेकिन छठा और सातवाँ प्राणघातक भी साबित होते हैं। इन के नाम जानिये-
(५) एमईआरएस-सीओवी बीटा कोरोना वायरस (MERS-CoV Beta Coronavirus)
(६) एसएआरएस-सीओवी बीटा कोरोना वायरस (SARS-CoV Beta Coronavirus)
(७) एसएआरएस-सीओवी-२ नोवेल कोरोना वायरस (SARS-CoV-2 Novel Coronavirus)
यही सातवाँ सब से अधिक जानलेवा है। इस के संक्रमण से कोविड-१९ नाम का घातक रोग उत्पन्न होता है।
याद रखिये, ये सातों प्रकार के कोरोना वायरस १४ दिन के अन्दर उपयुक्त वातावरण न मिलने पर स्वयं नष्ट हो जाते हैं। इसलिए नोवेल कोरोना वायरस से होनेवाले जानलेवा रोग कोविड-१९ के संक्रमण की शृँखला यानी इन्फेक्शन चेन को तोड़ने के लिए कम-से-कम तीन सप्ताह के क्वारेनटाइन की आवश्यकता पड़ती है।
.. .....तो परिवार के सदस्यों के साथ स्वस्थ रहिये, ख़ुश रहिये!
वीडियो देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें :
कोरोना वायरस वास्तव में वायरस की एक प्रजाति है। ‘वायरस’ (Virus) अंग्रेजी का शब्द है जिसे हिन्दी में ‘विषाणु’ कहते हैं। इसे न तो पूरी तरह से सजीव कहा जा सकता है और न निर्जीव। यह सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी है। जबतक यह उपयुक्त वातावरण नहीं पाता, तबतक निष्क्रिय पड़ा रहता है। अलग-अलग विषाणु के निष्क्रिय रहने पड़े रहने की निश्चित अवधि होती है। इस अवधि को ही उस की आयु मानी जाती है। जैसे ताम्बे पर नोवेल कोरोना वायरस चार घण्टों तक निष्क्रिय पड़ा रहता है और जब किसी तरीके से शरीर में या अन्य उपयुक्त वातावरण में चला जाता है तो सक्रिय हो जाता है और जानलेवा साबित हो सकता है।
अबतक सात प्रकार के कोरोना विषाणु खोजे जा चुके हैं। सातवें कोरोना वायरस को चीन के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ली वेनलियांग ने ३० दिसम्बर २०१९ को खोजा। ली वेनलियांग ने अपने साथी चिकित्सकों को बताया कि उन्होंने कुछ मरीजों में बिल्कुल नये वायरस से उत्पन्न रोग के लक्षण देखे हैं। इस कारण चीन प्रशासन ने उन्हें प्रताड़ित भी किया। बाद में उन की बात सच निकली और नया वायरस कोरोना प्रजाति का निकला जिसे ‘नोवेल कोरोना वायरस’ का नाम दिया गया। इस से उत्पन्न रोग को ‘कोरोनावायरस डिजिज 2019’ की संज्ञा दी गयी जिसे संक्षेप में ‘कोविड-19’ कहा जाता है। इस ने तीन महीने से भी कम समय में पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया और विश्वभर की समस्त गतिविधियाँ थम गयीं। संसार ने ऐसी महामारी पहले कभी नहीं देखी।
अगर चीन प्रशासन ली वेनलियांग की बात मान लेता और विश्व को नोवेल कोरोना वायरस के घातक परिणाम की चेतावनी पहले ही दे देता तो विश्व के सैकड़ों देशों को अरबों डॉलर की क्षति नहीं उठानी पड़ती और हज़ारों लोग की जान बच जाती। चीन ने ६ फरवरी २०२० को ली वेनलियांग की मौत की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने जिस नोवेल कोरोना वायरस को खोजा, वही उन की मौत का कारण बना।
नोवेल कोरोना वायरस के अलावा अन्य छः कोरोना विषाणुओं के नाम जानने से पहले जानते हैं कि इस का नाम ‘कोरोना’ क्यों पड़ा। कोरोना वास्तव में लैटिन भाषा का शब्द है जिस का अर्थ ‘मुकुट’ होता है। इस वायरस के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में मुकुट जैसा आकार दीखता है। इस कारण ही इसे ‘कोरोना’ नाम दिया गया।
अब जानिये छः अन्य कोरोना विषाणुओं के बारे में। ये छः प्रकार के कोरोना वायरस पहले से ही मौज़ूद हैं। इन में से चार से डरने की ज़रूरत नहीं हैै। ये आप के साथ रहते हैं और अब भी शरीर में उपस्थित हो सकते हैं। ये कोई नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। चीन वाला कोरोना यानी नोवेल कोरोना घातक है। बहुत कम हानि पहुँचानेवाले चार कोरोना वायरस हैं-
(१) २२९ ई अल्फा कोरोना वायरस (229 E Alpha Coronavirus)
(२) एनएल ६३ अल्फा कोरोना वायरस (NL 63 Alpha Coronavirus)
(३) ओसी ४३ बीटा कोरोना वायरस (OC 43 Beta Coronavirus)
(४) एचकेयू १ बीटा कोरोना वायरस (HKU 1 Beta Coronavirus)
जिस व्यक्ति के शरीर में ये चारों वायरस होते हैं, उसे पता तक नहीं चलता है। कोरोना प्रजाति के ये चार वायरस किसी भी तरह से जानलेवा नहीं हैं। इन की जाँच सामान्य पैथोलॉजिकल लैब में हो सकती है। तो केवल कोरोना नाम से मत घबराइये।
अब और तीन कोरोना वायरस को जानते हैं जो ज़्यादा घातक हैं। पाँचवाँ कम लेकिन छठा और सातवाँ प्राणघातक भी साबित होते हैं। इन के नाम जानिये-
(५) एमईआरएस-सीओवी बीटा कोरोना वायरस (MERS-CoV Beta Coronavirus)
(६) एसएआरएस-सीओवी बीटा कोरोना वायरस (SARS-CoV Beta Coronavirus)
(७) एसएआरएस-सीओवी-२ नोवेल कोरोना वायरस (SARS-CoV-2 Novel Coronavirus)
यही सातवाँ सब से अधिक जानलेवा है। इस के संक्रमण से कोविड-१९ नाम का घातक रोग उत्पन्न होता है।
याद रखिये, ये सातों प्रकार के कोरोना वायरस १४ दिन के अन्दर उपयुक्त वातावरण न मिलने पर स्वयं नष्ट हो जाते हैं। इसलिए नोवेल कोरोना वायरस से होनेवाले जानलेवा रोग कोविड-१९ के संक्रमण की शृँखला यानी इन्फेक्शन चेन को तोड़ने के लिए कम-से-कम तीन सप्ताह के क्वारेनटाइन की आवश्यकता पड़ती है।
.. .....तो परिवार के सदस्यों के साथ स्वस्थ रहिये, ख़ुश रहिये!
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