शीतांशु कुमार सहाय
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म २३ जनवरी, १८९७ ईस्वी को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उन के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ कटक के प्रसिद्ध अधिवक्ता थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल १४ संतानें थीं, जिन में ६ बेटियाँ और ८ बेटे थे। सुभाष उन की नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे।
नेताजी की पराक्रमी सेना ‘आजाद हिन्द फौज’ के शौर्य को आधार बनाकर लिखी गयी एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक के छ: पन्ने आज तक गोपनीय बने हुए हैं। भारत सरकार द्वारा संकलित इस पुस्तक के छ: पन्नों को केन्द्रीय गृह मन्त्रालय ने गोपनीय घोषित कर दिया। इस कारण यह पुस्तक समस्त भारतवासियों की उत्सुकता का विषय बनी हुई है।
ऐसा कहा जाता है कि उन पन्नों में नेताजी के विमान हादसे से जुड़ी ऐसी जानकारियाँ हैं जो उन की मृत्यु के ७६ साल बाद भी रहस्य बनी हुई हैं। भारत के इस महान स्वतन्त्रता सेनानी की आज १२५वीं जयन्ती है। कुछ दिनों पूर्व भारत सरकार ने घोषणा की कि नेताजी की जयन्ती अब प्रतिवर्ष 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनायी जायेगी। आज यानी २३ जनवरी २०२१ ईस्वी को नेताजी की जयन्ती 'पराक्रम दिवस' के रूप में पहली बार मनायी जा रही है।
पराक्रम दिवस के अवसर पर कई राजनीतिक दलों ने केन्द्र सरकार से नेताजी पर संकलित उस पूरी पुस्तक को सार्वजनिक करने की माँग उठायी है, जिस के ६ पृष्ठ प्रतिबन्धित हैं।
इस पुस्तक का नाम ‘ए हिस्ट्री ऑफ इण्डियन नेशन आर्मी १९४२-४५’ है। इस पुस्तक को जाने-माने इतिहासकार प्रफुल्ल चंद गुप्ता की निगरानी में तैयार किया गया था। इसे १९४९-५० के दौरान रक्षा मन्त्रालय के इतिहास विभाग ने दस्तावेज के तौर पर संकलित किया था। कुछ समय बाद ही भारत सरकार ने इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या १८६ से १९१ तक को गोपनीय करार दे दिया।
तृणमूल काँग्रेस ने इस ‘ए हिस्ट्री ऑफ इण्डियन नेशन आर्मी १९४२-४५’ के गैर-संपादित और विस्तृत ड्राफ्ट को सार्वजनिक किये जाने की माँग की है। तृणमूल काँग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर रॉय का दावा है कि पुस्तक के वे छ: पन्ने सम्भवत: बता सकते हैं कि विमान दुर्घटना के समय नेताजी बचकर निकल गये थे। उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।
१८ अगस्त १९४५ ईस्वी को ताइवान की राजधानी ताइपेई में हुई एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी सुभाष चन्द्र बोस लापता हो गये थे। इस घटना की पड़ताल को लेकर तीन जाँच आयोग बैठे। इन में दो जाँच आयोगों ने दावा किया कि दुर्घटना के बाद नेताजी की मृत्यु हो गयी थी। न्यायमूर्ति एमके मुखर्जी की अध्यक्षता वाले तीसरे जाँच आयोग का दावा था कि विमान घटना के बाद नेताजी जीवित थे। इस विवाद ने बोस के परिवार के सदस्यों के बीच भी विभाजन ला दिया था।
२०१६ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी सौ गोपनीय फाइलों का डिजिटल संस्करण सार्वजनिक किया था। ये दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूद हैं। इसी आधार पर ये ६ पन्ने भी सार्वजनिक किये जाने की माँग हो रही है।