सोमवार, 6 नवंबर 2017

पैराडाइज पेपर्स : भ्रष्टाचार के खात्मे के संकल्प को झटका / Paradise Papers : Shock the Resolution of the end of Corruption





अमिताभ बच्चन व जयंत सिन्हा
-शीतांशु कुमार सहाय
भ्रष्टाचार के खात्मे का संकल्प लेकर ही नरेन्द्र मोदी ने प्रधान मंत्री पद की शपथ ली थी। पर, अब तो ऐसा लगने लगा है कि उन के दल (भारतीय जनता पार्टी) और सरकार के सहयोगी ही उन के संकल्प की ऐसी-की-तैसी करने में लगे हैं। मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी लागू करने के एक साल पूरे होने के दो दिन पूर्व ही पनामा पेपर्स के बाद काले धन को लेकर अब पैराडाइज पेपर्स (Paradise Papers) के रूप में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। मालूम हो कि पैराडाइज पेपर्स में 1 करोड़ 34 लाख दस्तावेज हैं जिन में दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोग के गुप्त निवेश की जानकारी है। विश्व के  96 मीडिया संस्थानों ने साथ मिलकर इंटरनेशनल कॉन्सोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स International Consortium of Investigative Journalists (आईसीआईजे) ने ‘पैराडाइज पेपर्स’ दस्तावेजों की छानबीन की है। पैराडाईज पेपर्स के खुलासे में कई नामचीन हस्तियों के नाम सामने आये हैं। इस के जरिये उन फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है जो दुनिया भर में अमीर और ताकतवर लोग के धन विदेशों में भेजने में उन की मदद करते हैं। इन पेपर्स में कई भारतीय राजनेता, अभिनेता और बड़े कारोबारी भी शामिल हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अधिकतर लेन-देन में किसी तरह की कोई क़ानूनी गड़बड़ी नहीं है। पनामा पेपर्स के बाद यह बड़ा खुलासा हुआ है जिन में कई भारतीय कंपनियों के नाम हैं।
मालूम हो कि पिछले साल 8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने कालेधन पर कड़ा कदम उठाते हुए पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद कर दिए थे। तब उम्मीद की जा रही थी की काला धन बाहर आएगा लेकिन इस के बाद भी उम्मीद से काफी कम मात्रा में काला धन बाहर आया और इस के बड़े हिस्से की हेरा-फेरी होने की बात सामने आयी।
पैराडाइज पेपर्स खुलासा इस बात की तस्दीक करता है कि कैसे ताकतवर लोग, नेता, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ  और अमीर लोग फ़र्ज़ी कंपनियों, ट्रस्ट या फाउंडेशन के जरिये कर अधिकारियों से अपनी संपत्ति और सौदों को छिपाकर कर अदा करने से बचते हैं और बड़े पैमाने पर पैसा बनाते हैं।
पैराडाइज पेपर्स में 180 देशों के लोग की जानकारियाँ मिली हैं। इन में ब्रटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई मंत्रियों, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूंडो के मुख्य फंडरेजर के नाम भी शामिल है। रूस की ऊर्जा फर्म में व्लादिमीर पुतिन के दामाद का नाम भी सामने आया है। इस में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज सहित दुनिया के 120 नेताओं के नाम हैं।
दस्तावेजों के अनुसार, अरबपति निवेशक रॉस की 'नेविगेटर होल्डिंग्स' में 31 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस कंपनी की रूस की ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी कंपनी 'सिबर' से साझेदारी है जिस का आंशिक तौर पर मालिकाना हक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दामाद और उन के दोस्त के पास है।
पनामा पेपर्स की ही तरह ये दस्तावेज जर्मन अख़बार 'ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग' को हासिल हुए थे, जिन की पड़ताल  आईसीआईजे ने की है। अखबार इस संबंध में 40 लेख प्रकाशित करेगा, जिन में विस्तार से जानकारियाँ दी जायेंगी।
रिपोर्ट में ओमिदयार नेटवर्क का जिक्र है, जिस से केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा भी जुड़े थे। ओमेदियार नेटवर्क नरेन्द्र मोदी की जीत के लिए काम कर रहा था। 2009 में ओमेदियार नेटवर्क ने भारत में सबसे अधिक निवेश किया, इस निवेश में इस के निदेशक जयंत सिन्हा की बड़ी भूमिका थी। 2013 में जयंत सिन्हा ने इस्तीफा देकर मोदी के विजय अभियान में शामिल होने का एलान कर दिया। जब मोदी जीते थे तब ओमेदियार नेटवर्क ने ट्वीट कर बधाई दी थी। 

ब्रिटेन की महारानी व कनाडाई प्रधानमंत्री के सलाहकार

 
व्यापक पैमाने पर लीक हुए पैराडाइज़ दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबियों से जुड़ी कंपनी के साथ कारोबारी संबंध हैं जबकि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने विदेशों में कर से बचाव करने वाले स्थानों पर निवेश किया हुआ है। इसमें यह भी खुलासा किया गया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदू के लिए कोष जुटाने वाले और वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन ब्रॉन्फमैन ने पूर्व सीनेटर लियो कोल्बर के साथ मिलकर विदेशों में कर पनाहगाहों में करीब 6 करोड़ डॉलर का निवेश कर रखा है। बहरहाल, इन खुलासों से ऐसे संकेत नहीं मिले हैं कि रॉस, ब्रान्फमैन या महारानी की निजी कंपनी ने गैरकानूनी रूप से निवेश किया। एलिजाबेथ की निजी कंपनी के मामले में आलोचक यह सवाल उठा सकते हैं कि क्या ब्रिटेन की महारानी द्वारा विदेशी कर पनाहगाहों में निवेश करना उचित है? दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि महारानी की करीब एक करोड़ 30 लाख डॉलर की निजी धनराशि को केमैन द्वीप और बरमुडा में निवेश किया गया। पैराडाइज़ दस्तावेजों में कानून कंपनी एप्पलबी के मुख्यत: 1.34 करोड़ दस्तावेज हैं। इस कंपनी के कार्यालय बरमूडा और अन्य जगहों पर हैं।

714 भारतीयों के नाम

पैराडाइज़ दस्तावेजों में भारत 19वें नंबर पर है। नरेन्द्र मोदी सरकार में मौजूदा विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा और केंद्रीय राज्यमंत्री व बिहार से राज्यसभा सांसद रवीन्द्र किशोर (आरके) सिन्हा के नाम की भी चर्चा है। पैराडाइज पेपर्स में अभिनेता अमिताभ बच्चन, उद्योगपति विजय माल्या के नाम शामिल हैं। अमिताभ बच्चन के बरमूडा में एक कंपनी में शेयर्स होने का भी खुलासा हुआ है। इस में संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त का भी नाम है। जालंधर के पवितार सिंह उप्पल, कोटा के रवीश भडाना, गाजियाबाद की नेहा शर्मा और मोना कलवानी, हैदराबाद के वेंकटा नरसा रेड्डी अतुनूरी और पार्थ सारथी रेड्डी बंदी, मुजफ्फरपुर से अल्पना कुमारी, अंजना कुमारी और अर्चना कुमारी, मुंबई से दीपेश राजेंद्र शाह के नाम शामिल हैं। कुछ महीने पहले पनामा पेपर्स में नाम सामने आने के कारण पाकिस्तान में नवाज शरीफ सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था। उस में भी अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन आदि के नाम शामिल थे।

जानिये पैराडाइज पेपर्स को

बताया जा रहा है कि जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung ने बरमूडा की कंपनी एप्पलबी, सिंगापुर की कंपनी एसियासिटी ट्रस्ट और कर चोरों के स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में करायी गयी कार्पोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज लीक करके हासिल किए थे। इस लीक का केंद्र एप्पलबी नामक एक लॉ फर्म है जो बरमूडा, ब्रिटेन के वर्जिन आईलैंड, केमैन आईलैंड, आइल ऑफ मैन, जर्सी में स्थित है। इस अखबार ने ये करोड़ों दस्तावेज आईसीआईजे के साथ साझा किये। आईसीआईजे में दुनियाभर की 96 मीडिया कंपनियां शामिल हैं। इन सभी ने 10 महीने तक सभी दस्तावेजों की पड़ताल की। वहीं भारतीय अंग्रेजी अखबार 'इंडियान एक्सप्रेस' ने भारत से जुड़े हुए सभी दस्तावेजों की पड़ताल की जो आईसीआईजे का सदस्य है।

जयंत सिन्हा की सफाई

पैराडाइज़ दस्तावेजों में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम आने पर उन्होंने कहा कि निजी उद्देश्य से कोई लेन-देन नहीं किया गया। नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा है कि सितंबर २००९ में वह ओमिद्यार नेटवर्क से बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर जुड़े थे। वह दिसंबर २०१३ तक कंपनी में रहे। जनवरी २०१४ से नवंबर २०१४ तक वह डिलाइट के स्वतंत्र निदेशक रहे। उन्होंने कहा कि मंत्री बनने से पहले ही उन्होंने ये कंपनी छोड़ दी थी और इस से मिली फीस व डिलाइट के शेयर पहले ही सार्वजनिक कर रखे हैं। उन्होंने कहा-- सभी लेन-देनों को आवश्यक नियामकीय जानकारियों के तहत संबद्ध प्राधिकारियों के समक्ष सार्वजनिक ही रखा गया था। ओमिदयार नेटवर्क को छोड़ने के बाद मुझ से डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशक बने रहने के लिए कहा गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद मैंने डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल से तत्काल इस्तीफा दे दिया था और कंपनी से अपने संबंध तोड़ दिए थे। सिन्हा पहले वित्त राज्य मंत्री थे। सिन्हा भारत में ओमिदयार नेटवर्क के प्रबंध निदेशक रहे हैं और ओमिदयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी. लाइट डिजाइन में निवेश किया था। डी. लाइट डिजाइन की केमैन द्वीप में अनुषंगी कंपनी है। 

विदेश में धन भेजने का कानून 

भारतीय रिजर्व बैंक के नियमानुसार वर्ष २०१३ तक भारत का कोई नागरिक देश से बाहर कंपनी शुरू नहीं कर सकता था। २००४ में पहली बार आरबीआई ने २५ हजार डॉलर वार्षिक विदेश में निवेश या खर्च करने की छूट दी। यह रकम आज ढाई लाख डॉलर वार्षिक है। मतलब यह कि कोई भारतीय एक वर्ष में अधिकतम ढाई लाख डॉलर विदेशी कंपनियों के शेयर खरीदने, ज्वाइंट वेंचर या किसी को गिफ्ट देने में इस्तेमाल कर सकता है। २००४ में जब भारतीय रिजर्व बैंक ने २५ हजार डॉलर विदेशी निवेश का विकल्प दिया तो कुछ लोग ने इसे विदेश में कंपनी खड़ी करने का सिग्नल समझ लिया। तब रिजर्व बैंक ने सितंबर २०१० में सफाई दी और स्पष्ट किया कि इस का मतलब यह नहीं है कि भारतीय नागरिक विदेश में कंपनी शुरू कर सकते हैं। अगस्त २०१३ में भारत ने सहायक कंपनी शुरू करने या ज्वाइंट वेंचर में निवेश करने का नियम बनाया।

सीबीडीटी को जाँच का जिम्मा

भारत सरकार ने पैराडाइज पेपर्स मामलों की जाँच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई का बहुविभागीय समूह बनाने का निर्देश दिया है। वित्त मंत्रालय की ६ नवंबर २०१७ को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस बहुविभागीय समूह का नेतृत्व केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष करेंगे तथा इस का काम पैराडाइज पेपर्स में आने वाले नामों से जुड़े मामलों की जाँच की निगरानी करना होगा। आयकर विभाग की जाँच इकाई को हर मामले पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए चेताया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि पैराडाइज पेपर्स के अनुसार, विदेशी कंपनियों के आँकड़ों में 180 देशों के लोग के नाम आये है। इन में 714 भारतीयों के नाम हैं और पैराडाइज पेपर्स की सूची में भारत का स्थान 19वाँ है। इन पेपर्स में विदेशी लॉ फर्म 'एप्पलबाय' के पिछले 50 साल के 70 लाख ऋण समझौतों, वित्तीय बयानों तथा अन्य दस्तावेजों को जारी किया गया है। मंत्रालय ने बताया कि अभी कुछ ही भारतीयों के नाम मीडिया में आये हैं। पैराडाइज पेपर्स जारी करने वाले 'इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स' ने भी अपनी वेबसाइट पर सभी नाम सार्वजनिक नहीं किये गये हैं। वेबसाइट पर संकेत दिया गया है कि बाकी के नाम चरणबद्ध तरीके से सार्वजनिक किये जायेंगे और आयकर विभाग की जाँच इकाई को नाम सार्वजनिक होते ही कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं।
टैक्स चोरों के स्वर्ग पनामा, बहमास या ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड जैसे देशों में कंपनी शुरू करने, कंपनी खरीदने या खाता खोलने वाले भारतीय हस्तियों का नाम पनामा पेपर्स या पैराडाइज पेपर्स लीक में आने का मतलब ये नहीं है कि ये ऐसा खुलासा है कि हफ्ते या महीने भर में ये सारे लोग गिरफ्तार ही कर लिए जायेंगे। टैक्स बचाने या चुराने के इस खेल में फँसे लोग के साथ क्या होगा, यह इस बात से तय होगा कि किस ने किस कानून का उल्लंघन कब किया। पनामा पेपर्स लीक और पैराडाइज पेपर्स लीक मिलाकर भारत के मशहूर लोग में अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, केपी सिंह, विनोद अडाणी, जयंत सिन्हा, आरके सिन्हा, मान्यता दत्त वगैरह के नाम सामने आये हैं।

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2017

छठ व्रत कथा / CHHATH VRAT KATHA

सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्यनारायण
आदिदेवं नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। 
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते।।
-शीतांशु कुमार सहाय
सृष्टि को ऊर्जा प्रदान करनेवाले देव सूर्य के विशेष पूजन के वर्ष में दो अवसर आते हैं जिन्हें छठ कहते हैं। छठ को सूर्यषष्ठी व्रत भी कहा जाता है। वर्ष का प्रथम छठ प्रथम महीना चैत्र में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व दूसरा आठवाँ महीना कार्तिक में शुक्ल षष्ठी को होता है। वैसे यह चार दिवसीय व्रत है- चतुर्थी को ‘नहाय-खाय’, पंचमी को ‘खरना’, षष्ठी को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य व सप्तमी को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत की समाप्ति की जाती है।
यहाँ हम जानते हैं छठ व्रत कथा के बारे में जो अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के पौत्र जनमेजय और महर्षि वैशम्पायन के बीच वार्तालाप शैली में है। वैसे इसे चारों दिन कहा-सुना जा सकता है, पर षष्ठी को सन्ध्या अर्घ्य देने के पश्चात् शान्त व भक्ति भाव से अवश्य ही सुनना, पढ़ना या कहना चाहिये। यह कथा ‘भविष्योत्तपुराण’ में उल्लिखित है।
खरना का पूजन :  केले के पत्ते पर गुड़ की खीर, घी लगी रोटी, केला और तुलसी 

छठ व्रत कथा आरम्भ

राजा जनमेजय ने वैशम्पायन से पूछा- ‘‘दुरात्मा दुर्योधन द्वारा कपटरूप जुआ से परास्त पाण्डव  वनवास के लिए भेजे गये तो जंगल में जाकर उन्होंने क्या किया?’’

क्लिक करें और छठ व्रत कथा देखें : 

वैशम्पायन जी बोले- ''हे जनमेजय! सुनो, वह पाण्डु के पुत्र पाण्डव (पाँचों भाई) अत्यन्त दुःख-सागर मेें डूबे हुए वनवास के लिए घोर जंगल में जाकर दुःख और चिन्तामग्न हो वन में रहने लगे। वन के फल-मूल खाकर पृथ्वी तल पर शयन करते हुए केला और भोजपत्र के वस्त्र पहनकर दुःख के दिन काटने लगे। राजकन्या का सुख भोगनेवाली पतिव्रता गजगामिनी द्रौपदी भी धर्म का पालन करती हुई पतियों के साथ वन को गयी थी। जिस स्थान पर द्रौपदी सहित पाण्डव थे, वहाँ पर ब्रह्मवेत्ता तपोरूप अठासी हजार मुनि जा पहुँचे। ऋषियों के आये हुए जानकर महाराज युधिष्ठिर चिन्ता से अत्यन्त घबरा गये कि उन के भोजन के लिए क्या प्रबन्ध करें। जब युधिष्ठिर को यह चिन्ता हुई कि भोजनार्थ क्या व्यवस्था करें तो मुख की चेष्टा मलिन किये स्वामी युधिष्ठिर को देखकर द्रौपदी अत्यन्त दुःख से व्याकुल हो गयी। उसी क्षण द्रौपदी निज पुरोहित महर्षि धौम्य को पवित्र आसन पर बैठाकर प्रदक्षिणा की और नमस्कार करने के पश्चात् बोली- हे धौम्य! हे महाभाग! इन दुःखित पाण्डुपुत्रों को देखिये। हे स्वामिन्! इन के दुःख नाशार्थ कोई व्रत मुझ से कहिये, जिस से इनके क्लेश शान्त हो जायें। थोड़े ही उपाय से प्रत्यक्ष महत्पुण्य को देनेवाला व्रत कहिये, जिस से हमारे स्वामी पृथ्वी तल पर सुखी हो जायें, जिस से शत्रु का नाश हो जाय, निज राज्यलक्ष्मी वापस मिले और इस समय हमारे यहाँ आये हुए ब्राह्मणों को दुग्धपान करने को मिल जाय।’’
अस्ताचलगामी सूर्यनारायण को सांध्य अर्घ्य
 द्रौपदी के इस वचन को सुनकर वैशम्पायन जी जनमेजय जी से आगे कहते हैं- ‘‘ब्राह्मणों में श्रेष्ठ महाराज धौम्य जी प्रसन्न हुए और मुहूर्तमात्र ध्यानस्थ होने के पश्चात् बोले- हे पांचालपुत्री! एक उत्तम व्रत को सुनो, जिसे पूर्व काल में नागकन्या के उपदेश से सुकन्या ने किया था। हे महाभागे! स्त्रियों के साथ तुम अनेक विघ्नों को शान्त करनेवाले रविषष्ठी (छठ) व्रत को करो।’’
द्रौपदी बोलीं- ‘‘हे विप्र। आप का कहा हुआ व्रत कैसा है और उस की विधि क्या है? उस व्रत में किस का पूजन किया जाता है? वह नागकन्या कौन थी और किस हेतु उस ने इस व्रत को किया था? हे महाभाग! वह सुकन्या अत्याश्चर्य रूपी व्रत को करनेवाली कौन थी? हे शरणागतवत्सल! मेरे इस संशय का आप निवारण करें।’’
द्रौपदी के प्रश्नों को सुनकर धौम्य जी बोले- ‘‘हे देवी! सतयुग में एक शर्याति नाम के राजा थे। उन की एक हजार स्त्रियाँ थीं। राजा को एकमात्र कन्या उत्पन्न हुई थी। अकेली सन्तान होने के कारण वह माता-पिता की अत्यन्त प्यारी थी। पिता के घर में वह पलने-बढ़ने लगी। कुछ समय पश्चात् वह कन्या चन्द्रवत् मुख, कमलवत् नेत्र और कुम्भस्तनी होती हुई युवावस्था को प्राप्त हुई। बाल्यावस्था से ही चंचला वह कन्या पिता को प्राण के समान प्रिय थी। इस पृथ्वीलोक में उस के सदृश अन्य कोई ऐसी कन्या न थी जिस को मैं ने देखा हो। इस कारण उस का नाम सुकन्या पड़ा।’’
अस्ताचलगामी सूर्यनारायण को सांध्य अर्घ्य

‘‘एक समय राजा शर्याति मृगया (शिकार) के लिए मन्त्री, सेना, बड़े-बड़े योद्धाओं और पुरोहित को साथ लेकर घोर जंगल को गये। राजा शर्याति दिन में शिकार खेलकर रात्रि में स्त्रियों के साथ क्रीड़ा करते हुए वन में रहने लगे।‘‘
‘‘एक समय सखियों के साथ सुकन्या फूल लेने के निमित्त वन में गयी। वहीं महर्षि च्यवन तपस्यारत थे। सुकन्या समाधिस्थ च्यवन के शरीर में दीमक लगा देखी। दीमक और उन के शरीर पर लगी मिट्टी के बीच च्यवन ऋषि के दोनों नेत्र जुगनु की भाँति चमक रहे थे। सुकन्या विस्मित हो उन के दोनों नेत्र फोड़ डाली। ऐसा होते ही मुनि के नेत्रों से रक्त की धारा प्रवाहित होने लगी और वह चकोराक्षी सुकन्या फूलों को लेकर सखियों के साथ गृह को चली आयी।’’
‘‘च्यवन ऋषि के नेत्र सुकन्या द्वारा फोड़े जाने के कारण राजा शर्याति और सेना के मल-मूत्र आदि बन्द हो गये और सभी हाहाकार करने लगे। ऐसे ही तीन दिन व्यतीत हो जाने के पश्चात् राजा ने अपने पुरोहित से पूछा- हे मुनिसत्तम! किस हेतु हमारे मल-मूत्र बन्द हो गये? आप दिव्य-दृष्टि से देखकर कहिये।’’
‘‘पुरोहित जी बोले- हे राजन! भार्गववंशी च्यवन नाम के एक ऋषि इसी वन में घोर तपस्या कर रहे हैं। उन के शरीर में दीमक लग गये हैं और शरीर के मांस का भक्षण कर गये हैं। अब उन के हड्डी मात्र मिट्टी से लिपटी हैं। हे राजन! आप कीे कन्या ने अज्ञानतावश उन महर्षि च्यवन के दोनों नेत्र काँटों से फोड़ डाले हैं जिन से रुधिर प्रवाहित हो रहा है। उन्हीं के क्रोध से यह कष्ट उपस्थित हुआ है। अतः हे राजन! आप उन को प्रसन्न कीजिये और अपनी कन्या उन्हें दे दीजिये। कन्यादान से मुनि च्यवन प्रसन्न हो जायेंगे।’’
‘‘पुरोहित के वचन सुनकर राजा शर्याति अपनी पुत्री सुकन्या को लेकर ऋषि के पास गये और जल से धोने पर हड्डी मात्र के दर्शन हुए। नेत्रहीन ऋषि को देखकर राजा बोले- हे प्रभो! मेरी कन्या से अनजाने में यह अपराध हुआ है जिस से आप के ये नेत्र फूट गये हैं। हे मुनिवर! टाप की सेवा हेतु मैं अपनी कन्या आप को दान में देते हैं; ताकि आप को कष्ट न हो।’’
‘‘राजा के वचन सुनकर ऋषि च्यवन बड़े प्रसन्न हुए। उसी समय राजा शर्याति ने सुकन्या को ऋषि के लिए दान कर दिया। राजा से कन्या प्राप्त कर च्यवन अत्यन्त प्रसन्न हुए और उन का क्रोध शान्त हो गया। इस के पश्चात् राजा और अन्य को मल-मूत्र हुए। सेना सहित राजा प्रसन्नचित्त अपने देश को वापस गये।’’
‘‘सुकन्या नेत्रहीन च्यवन ऋषि की सेवा करने लगी। वह कार्तिक महीने में एक दिन जल हेतु पुष्करिणी (छोटा तालाब) में गयी। वहाँ पर वह अनेक आभूषणों से युक्त नागकन्या को देखी। ऋषि कश्यप के यज्ञ मण्डप में भगवान सूर्य का पूजन करती हुई नागकन्या को देखकर सुकन्या धीरे से निकट जाकर पूछीं- ‘‘हे महाभागे! आप क्या करती हैं? किस कारण यहाँ आयी हैं?’’
सुकन्या के वचन सुनकर नागकन्या बोली- ‘‘हे साध्वी! मैं नागकन्या हूँ। मैं व्रत धारण कर ऋषि कश्यप के पूजनार्थ यहाँ आयी हूँ।’’
सुकन्या बोली- ‘‘इस व्रत का और पूजा का क्या प्रभाव है? क्या फल है? इस पूजा की विधि क्या है? किस महीने और किस तिथि को यह उत्तम व्रत किया जाता है?’’
नागकन्या ने बताया- ‘‘कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सप्तमी युक्त होने पर सर्वमनोरथ सिद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है। व्रती को चाहिये कि पंचमी के दिन नियम से व्रत को धारण करे। सन्ध्या काल में खीर का भोजन कर पृथ्वी पर सोये। षष्ठी (छठ) के दिन व्रत (उपवास) रहे। दिन में चार रंगों से सुशोभित मण्डप में सूर्यनारायण का पूजन करे और रात्रि में जागरण करे। अनेक प्रकार के फल और पकवान आदि के नैवेद्य चढ़ाये और सूर्यनारायण की प्रीति के लिए गीत-वाद्य आदि से गा-बजाकर उत्सव मनाये। जब तक सूर्यनारायण का दर्शन न हो, तब तक व्रत धारण किये रहे। प्रातःकाल सप्तमी को सूर्यनारायण के दर्शन कर अर्घ्य दे। दूध, नारियल, कदलीफल, पुष्प, चन्दन से सूर्य के बारह नामों के उच्चारण करते हुए प्रत्येक नाम से दण्डवत् प्रणाम करते हुए अर्घ्य दे। जगत के सविता, जगत के नेत्र, जगत के उत्पत्ति-पालन-नाश हेतु त्रिगुण रूप, त्रिगुणात्मक, ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप सूर्यनारायण को नमस्कार है! इस प्रकार इस व्रत के करने से सूर्यनारायण महाघोर कष्ट को दूर कर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। हे सुव्रत! मैं ने यह रविषष्ठी व्रत तुम से कहा।’’
ऋषि धौम्य ने कहा- ‘‘हे द्रौपदी नागकन्या के इस वचन को सुनकर सुकन्या ने इस उत्तम व्रत को किया। इसी व्रत के प्रभाव से च्यवन ऋषि के नूत्र पुनः पूर्ववत् हो गये। ऋषि का शरीर भी नीरोग हो गया और वे सुकन्या के साथ लक्ष्मी-नारायण की भाँति राज्ययुक्त हो सुख भोग करने लगे। इस से हे पांचालनन्दिनी! तुम भी इस उत्तम व्रत को करो। इसी व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पति पुनः राज्यलक्ष्मी को पायेंगे और निःसन्देह तुम्हारा कल्याण होगा।
तब द्रौपदी ने धौम्य ऋषि की आज्ञा से यह व्रत यथाविधि किया। व्रत के प्रभाव से युधिष्ठिर अतिथि रूप में आये हुए ब्राह्मणों को भोजन देकर प्रणाम किया।
महर्षि वैशम्पायन ने कहा- ‘‘हे जनमेजय! धौम्य से इस उत्तम व्रत को जानकर द्रौपदी ने विधिपूर्वक किया जिस के प्रभाव से पाण्डव सहित द्रौपदी पुनः राज्यलक्ष्मी को प्राप्त हुई। जो कोई स्त्री इस पुनीत व्रत को करेगी उस के समस्त पाप नाश होकर सुकन्या की भाँति पति सहित सुख को पायेगी। इस व्रत का विधिवत् उद्यापन करे, विधि-विधान से प्रत्येक वर्ष व्रत करते हुए कथा को सुने, ब्राह्मणों को दक्षिणा दे तो उस का मनोरथ सिद्ध होता है। जो कोई भक्तियुक्त इस कथा को सुनता है, उस को पुत्र, पौत्र, धन-सम्पत्ति तथा अक्षय सुख मिलता है। इस भाँति कथा को सुनकर सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर नमस्कार करते हुए श्रोता निज-निज घर को जायें।’’

गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

दीपावली में जलाइये प्यार का दीया / Burning Lamp of Love In Deepawali

शीतांशु कुमार सहाय की ओर से दीपावली की शुभकामना, हृदय से!
-शीतांशु कुमार सहाय
दिन गिनते-गिनते फिर बीत ही गये ३६५ दिन। उड़ान की बात तो दूर, सोच ने पर फड़फड़ाये भी नहीं और पुनः गयी दीपावली। क्या-क्या सोचा था मगर कुछ हुआ नहीं!? कुछ हुए भी तो आधे-अधूरे! कुछ तो सोच की परिधि से बाहर भी सके! कुछ हसरतें तो विचार के धरातल पर भी नहीं आये! यदि आप के साथ ऐसा हुआ है तो यकीन मानिये कि आप के हाथ से सफलताएँ लगातार फिसल रही हैं। जब असफलताएँ हाथ लगती रहेंगी तो तमाम पर्व-त्योहारों का मज़ा ता नहीं, मज़ा किरकिरा हो जाता है। किरकिराते मजे का समूल बदलने की शक्ति वास्तव में मनुष्य के हाथों में है। बस, करना यही है कि दिल से प्यार का एक दीया जलाना है। इस के उजियारे में उन हसरतों के सिलसिले को सजाना है; ताकि उस फेहरिश्त पर नज़र पड़ते ही याद ताजा हो जाय। ऐसा करने से तमाम हसरतें नतीजे के मुकाम तक अवश्य ही पहुँचेंगी।

दीपावली या दिवाली का वीडियो 

दीपावली, भगवान श्रीराम के लंका-विजय के पश्चात् अयोध्या वापस आने के काल से मनायी जाती है। उस समय सारे अयोध्यावासी प्रसन्न थे लेकिन अपनी प्रसन्नता के लिए आप कीजिये वही जो आप को अच्छा लगता है। ज़रूरी नहीं कि जो एक को पसन्द है, वही दूसरे को भी पसन्द हो। लिहाजा अपनाइये वही जिस से औरों को हानि हो। निश्चय ही वही कार्य सराहनीय है जिसे समाज भी सराहे, जिस से किसी का दिल दुखाये। पर, अफसोस यही है कि इन दिनों वही ज्यादा हो रहा है जिसे अधिकतर लोग पसन्द नहीं करते हैं। समाज के कथित अगुआ व्यक्ति उन कार्यों को अंजाम दे रहे हैं जो हर किनारे से आलोचित होते हैं, निन्दित होते हैं। यहाँ किसी का नाम लेना उचित नहीं है। पर, इतना तो कहना ही पड़ेगा कि लोकतन्त्र में तन्त्र से जुड़े अधिकतर लोग वही कर रहे हैं जो लोक यानी जनता को पसन्द नहीं, उन के कार्यों से लोकोपकार कम, लोकापकार अधिक हो रहा है। हम यहाँ तन्त्र से नहीं, लोक से मुखातिब हैं कि करें वही जो लोकोपकारी हो।
चूँकि वर्तमान दौर पूर्णतः व्यावसायिक है, लिहाजा हर क्षेत्र को व्यवसाय से जोड़कर देखा जाता है। इस व्यावसायिक नजरिये का अपवाद पर्व-त्योहार भी नहीं हैं। दीपावली को भी व्यवसायियों ने अपने हित में उपयोग किया है, परम्परा में व्यावसायिकता को जोड़ दिया है। तभी तो दीपावली के पावन अवसर पर पटाखे छोड़ने की 'प्रदूषणयुक्त परम्परा' को शामिल किया है। यदि समुद्र मन्थन में लक्ष्मी प्रकट हुईं तो दीप जलाकर देवों द्वारा उन के स्वागत की बातें ग्रन्थों में मिलती हैं मगर पटाखे छोड़ने की कला का प्रदर्शन देवताओं ने नहीं किया था। अयोध्या की प्रजा भी विस्फोटक नहीं जलाये थे। वातावरण को प्रदूषित करने का कोई प्रमाण हमारे ग्रन्थों में नहीं मिलता है। अगर भगवान राम से दीपावली को जोड़ें तो उन के वनवास से लौटने पर अयोध्यावासियों के दीपोत्सव के बीच कहीं विस्फोट की बातों का जिक्र नहीं मिलता। तेज पटाखों को छोड़ने से पूर्व आस-पड़ोस के किसी हृदय रोगी या किसी अन्य बीमार की राय ले लें। इसी तरह कम आवाज़ वाले पटाखों में आग लगाने से पूर्व किसी बच्चे से पूछें। दोनों स्थितियों में पता यही चलता है कि आप का व्यवहार उन के लिए क्षतिकारक है।
दरअसल, दीपावली को कई नज़रिये से देखा जाता है। सब के नज़रिये पृथक हो सकते हैं। यदि जेब 'गर्म' हो तो वर्ष में एक दिन नहीं, पूरे वर्ष की हर रात दीपावली हर दिन होली ही है। पर, उस देश में जहाँ की एक-चौथाई आबादी को दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पाता, वहाँ रुपये में आग लगाना उन दुखियों का मखौल उड़ाना ही तो है।
ज़रूरी नहीं कि १०० दीये ही जलाएँ, एक ही दीया जलाइये, पूरे मन से, दिल से और पूरे वर्ष वैसों के साथ प्यार का दीया जलाइये जो आप के खर्च की सीमा का कभी अन्दाज़ भी नहीं लगा पाते। प्यार का एक दीया केवल घर को ही नहीं, समाज को रौशन करेगा!
आप सभी को शीतांशु कुमार सहाय की ओर से दीपावली की शुभकामना, हृदय से!