-शीतांशु कुमार सहाय
दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मौत का आँकड़ा भी रफ़्तार पकड़ रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी एक महत्त्वपूर्ण आँकड़े के अनुसार ५ दिन में कोरोना संक्रमण से भरनेवाले ४६ लोग में से ३४ मौत का कारण संक्रमितों में को-मॉर्बिडिटी (गंभीर बीमारियों से ग्रसित) का होना पाया गया है।
यह आँकड़ा ५ से ९ जनवरी तक का है। इस का मतलब यह हुआ कि ५ से ९ जनवरी तक अर्थात् ५ दिनों में हुई कुल मृत मरीज़ों में से लगभग ७४% अन्य गम्भीर बीमारियों से ग्रसित थे।
४६ मृतकों में से २८ पुरुष और १८ महिलाएँ थीं। दिल्ली सरकार के आँकड़े के विश्लेषण से विदित होता है कि को-मॉर्बिडिटी वाले २१ मरीज़ों को दिल्ली के विभिन्न अस्पताल में भर्ती होने के बाद कोरोना हुआ था और उन की मृत्यु हो गयी। जिन ४६ कोरोना मरीज़ों की मृत्यु हुई, उन में से ३२ मरीज़ आईसीयू में भर्ती थे। ३७ मरीज़ ऐसे थे जिन का ऑक्सीजन लेवल अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ९४ से कम था। मतलब यह कि उन के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम थी जो मृत्यु के कारणों में शामिल हुई।
दोनों डोज भी काम न आये
दिल्ली सरकार के आँकड़े से पता चलता है कि दिल्ली में ५ से ९ जनवरी के बीच जिन ४६ मरीज़ों की मृत्यु हुई, उन में से ११ मरीज़ों को कोरोना टीके की दोनों डोज लग चुकी थी।
अधिक उम्र का असर
५ से ९ जनवरी के बीच जिन ४६ मरीज़ों की मौत हुई, उन में से २५ मरीज़ों की आयु ६० वर्ष से अधिक थी। इन के अलावा १४ मरीज़ों की उम्र ४१ से ६० वर्ष के बीच थी। इसी तरह ५ मरीज़ २१ से ४० वर्ष उम्र-वर्ग के थे। एक मरीज १६ से २० साल और एक मरीज़ की उम्र शून्य से १५ वर्ष के आयु-वर्ग में था।
५०% मृत्यु एक दिन में
पाँच दिनों में कोरोना से मृत ४६ में से १२ मरीज़ों की मृत्यु अस्पताल में भर्ती होने वाले दिन ही हुई थी। इसी तरह ११ मरीज़ों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के बाद एक दिन के अन्दर हुई थी। मतलब २३ कोरोना संक्रमितों अर्थात् ५०% मरीज़ों की मौत एक दिन में ही हो गयी। ६ मरीज़ों की मौत २ दिन के अंदर, १४ मरीज़ों की मौत ३ से ७ दिन के अंदर और शेष ३ मरीज़ों की मौत एक सप्ताह के अंदर हुई।
जानिये को-मॉर्बिडिटी को
अगर कोई व्यक्ति मधुमेह, कॉर्निया से सम्बन्धित रोग , हृदय रोग, यकृत से सम्बन्धित रोग, अस्थमा, टायफायड, एड्स, वृक्क से सम्बन्धित रोग, खून की कमी, गठिया जैसे रोग से ग्रसित हैं तो वह मरीज़ में को-मॉर्बिडिटी कही जाती है। किसी रोग के कारण डायलिसिस करानेवाले मरीज़ भी इसी श्रेणी में आते हैं।