-शीतांशु कुमार सहाय
छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें और जीवन को सहज, सरल और आनन्दपूर्ण बनाएँ। बहस, तकरार, क्रोध, दमन, शोषण, ईर्ष्या, धोखेबाजी और लालच से क्षणिक लाभ मिलता हुआ दीख सकता है लेकिन शान्ति, प्रसन्नता या आनन्द की प्राप्ति नहीं हो सकती।
अब से १५० साल बाद, आज इस आलेख को पढ़नेवाले हम में से कोई भी जीवित नहीं रहेगा। अभी हम जिस चीज पर लड़ रहे हैं उस का ७० प्रतिशत से १०० प्रतिशत पूरी तरह से भुला दिया जायेगा। शब्द को पूरी तरह से रेखांकित करें।
अगर हम अपने से १५० साल पहले की स्मृतियों में जाएँ, तो वह सन् १८७३ ईस्वी होगी। उस समय दुनिया को अपने सिर पर उठानेवालों में से कोई भी आज जीवित नहीं है। इसे पढ़ने वाले हम में से लगभग सभी को उस युग के किसी भी व्यक्ति के चेहरे की कल्पना करना मुश्किल होगा।
थोड़ी देर रूकें और कल्पना करें कि कैसे उन में से कुछ ने अपने रिश्तेदारों को धोखा दिया और दर्पण के एक टुकड़े के लिए उन्हें दास के रूप में बेच दिया। कुछ लोग ने ज़मीन के एक टुकड़े या रतालू या कौड़ियों के कन्द या एक चुटकी नमक के लिए परिवार के सदस्यों को मार डाला। वह रतालू, कौड़ी, दर्पण या नमक कहाँ है जिस का उपयोग वे डींगें हाँकने के लिए कर रहे थे? यह अब हमें अजीब लग सकता है लेकिन हम मनुष्य कभी-कभी कितने मूर्ख होते हैं, ख़ासकर जब बात पैसे, ताकत या प्रासंगिक बनने की कोशिश की आती है!
जब आप दावा करते हैं कि इण्टरनेट युग आप की स्मरण-शक्ति को सुरक्षित रखेगा, उदाहरण के तौर पर माइकल जैक्सन को लें। आज से ठीक १४ साल पहले २००९ में माइकल जैक्सन की मौत हो गयी। कल्पना कीजिये कि जब माइकल जैक्सन जीवित थे तो उन का पूरी दुनिया पर कितना प्रभाव था। आज के कितने युवा उन्हें विस्मय के साथ याद करते हैं! यानी क्या वे उन्हें जानते भी हैं? आने वाले १५० वर्षों में, जब भी उन के नाम का उल्लेख किया जायेगा, बहुत से लोग के लिए हृदय में कोई घण्टी नहीं बजेगी। आइये, जीवन को आसान बनाएँ। इस दुनिया से कोई भी जीवित नहीं जायेगा। जिस भूमि के लिए आप लड़ रहे हैं और मरने-मारने को तैयार हैं, उस भूमि को किसी ने छोड़ दिया है, वह व्यक्ति मर चुका है, सड़ चुका है और भुला दिया गया है। वही आप का भी भाग्य होगा। आनेवाले १५० वर्षों में, आज हम जिन वाहनों या दूरभाष यन्त्रों का उपयोग डींगें हाँकने के लिए कर रहे हैं, उन में से कोई भी प्रासंगिक नहीं रहेगा। इसलिए जीवन को आसान बनाइये!
प्रेम को नेतृत्व करने दीजिये। एक-दूसरे के लिए वास्तव में प्रसन्न रहिये। कोई द्वेष नहीं, कोई चुगली नहीं. कोई ईर्ष्या नहीं. कोई तुलना नहीं। जीवन कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं है। जीवन के अन्त में, हम सभी दूसरी ओर चले जायेंगे। यह सिर्फ एक प्रश्न है कि वहाँ पहले कौन पहुँचता है। निश्चित रूप से यह शत प्रतिशत सच है कि हम सभी एक दिन वहाँ जायेंगे। अतः पुनः विनती करता हूँ आप से कि अपने जीवन को जटिल नहीं, आसान बनाइये।
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