सोमवार, 24 दिसंबर 2012

दिल्‍ली गैंगरेप के बाबत प्रधान मंत्री को अन्‍ना हजारे की चिट्ठी

समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने दिल्‍ली में मेडिकल स्‍टूडेंट के साथ गैंगरेप की घटना और इसके बाद युवाओं में आक्रोश पर प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है---
सेवा में,
श्रीमान डॉ. मनमोहन सिंह जी,
प्रधान मंत्री, भारत सरकार,
नई दिल्ली.
विषय- गैंगरेप- मानवता को कलंक लगानेवाली शर्मनाक घटना घटी और देश की जनता का जन आक्रोश गुस्सा बेकाबू होकर देश की जनता रास्ते पर उतर आयी, जनता का क्या दोष...?

महोदय,
गैंगरेप की शर्मनाक घटना से देश वासियों की गर्दन शर्म से झुक गयी। देश की जनता का गुस्सा बेकाबू हो कर देश की जनता रास्ते पर उतर आयी। कही दिनों से लगातार जनता का गुस्सा और आक्रोश बढता ही गया। खास तौर पर युवा शक्ती बडी संख्या में रास्ते पर उतर आयी। सामाजिक न्याय के लिए इतनी बडी संख्या में युवा शक्ती का रास्ते पर उतरना और अहिंसा के मार्ग से आंदोलन करना यही देश में होने जा रहे परिवर्तन के पूर्व संकेत हो सकते हैं। लगता है, अब देश में परिवर्तन का समय निकट आ रहा हैं। युवाशक्ती ही राष्ट्रशक्ती होने के कारण देश में युवा शक्ती परिवर्तन लायेगी ऐसा विश्वास हो रहा हैं। जरुरी हैं कि इस बारे में सरकार की तरफ से गम्भीर सोच हो। सरकार की तरफ से बयान आ रहे हैं कि शिघ्र ही कानून में संशोधन कर के अपराधियों को कडी से कडी सजा दी जायेगी। सरकार के कहने का यही मतलब निकलता हैं कि जनता अन्याय, अत्याचार के विरोध में बार बार आंदोलन करती रहे और आंदोलन के बाद सरकार कानून में संशोधन करने का आश्वासन देती रहेगी।

26 जनवरी 1950 को इस देश में हम भारत की जनता ने पहला प्रजासत्ताक दिन मनाया। इसी दिन जनता इस देश की मालिक बन गयी। सरकारी तिजोरी जनता की हैं। उसका सही नियोजन करने के लिए और देश की सर्वोच्च व्यवस्था न्याय व्यवस्था होने के कारण देश में कानून और सुव्यवस्था रखने के लिए देश में अच्छे अच्छे सशक्त कानून बनवाने के लिए हम देश की जनता ने राज्य के लिए विधायक और केंद्र के लिए सांसदों को जनता के सेवक के नाते भेजा हैं। मंत्री मंडल में जो लोग हैं, वह भी जनता के सेवक हैं। विधानसभा और लोकसभा का मुख्य काम हैं कानून और सुव्यवस्था के लिए सशक्त कानून बनाना। आज गैंगरेप के कारण जनता का गुस्सा बेकाबू हो गया और उधर प्रधानमंत्री के नाते आप, श्रीमती सोनिया गांधीजी और सरकार के लोग कह रहे हैं कि हम कानून में संशोधन कर के दोषियों को कठोर शासन करेंगे। आजादी के 65 साल बीत गये हैं। प्रश्न खडा होता हैं कि, महिलांओं पर इस प्रकार के अन्याय अत्याचार के देश में हजारो उदाहरण हैं। देश में सुव्यवस्था बनाये रखने के लिए नये नये कानून बनवाने और कानून में संशोधन करना यही तो सरकार का कर्तव्य था। तो 65 साल में आज तक आज तक सरकार ने कानून में संशोधन कर के फांशी या जन्मठेप जैसे सशक्त कानून क्यों नही बनवाये ?

गैंगरेप जैसी शर्मनाक घटना के लिए छह लोग दोषी बताए जाते हैं। ऐसे अपराध करनेवालों को फांशी या उम्रकैद की सजा जैसे सशक्त कानून बनवाये गये होते तो इन छह आरोपीयों की ऐसा गुनाह करने की हिम्मत ही नही होती। क्या सरकार को ऐसा नही लगता? हमें लगता हैं कि इन छह दोषी आरोपीयों को कडी से कडी सजा तो मिलनी चाहिए, लेकिन पिछले 65 साल में सशक्त कानून न बनवाने वाली सरकार भी तो उतनी ही जिम्मेदार हैं। ऐसा अगर हम कहें तो गलत नही होगा।

बढते भ्रष्टाचार के कारण जनता का जिना मुश्किल हो गया हैं। महंगाई के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो गया हैं। परेशान हो कर देश की जनता करोडों की संख्या में रास्ते पर उतर गयी थी। अगर भ्रष्टाचार को रोखने वाले सशक्त कानून बनवाये गये होते भ्रष्टाचार नही बढना था। 16 अगस्त 2011 को देशभर में जनता ने रास्ते पर उतर कर अपना गुस्सा प्रदर्शित किया था। अण्णा हजारे तो रामलिला मैदान में निमित्त मात्र थे। जनता रास्तेपर उतर गयी थी क्यों कि जनता को जिना मुश्किल हो गया और दिल में भ्रष्टाचार का बहुत गुस्सा था। आपकी सरकार ने जनता के सब्र का अब और अंत नही देखना चाहिए। कानून और सुव्यवस्था बनाये रखने हेतू सशक्त कानून बनवाने के लिए तो जनता ने सांसदों को संसद में भेजा हैं। उस कर्तव्य भावना से सशक्त कानून ना बनवाने के कारण और गैंगरेप की घटना घटती हैं तो जनता का गुस्सा होना सहज-स्वाभाविक हैं। इस में उनका क्या दोष हैं ?

सरकार चलानेवाले लोगो ने सोचना चाहिए कि यदि अपनी बेटी या अपनी बहन के साथ ऐसा व्यवहार होता तो आप क्या करते? जनता को गुस्सा आया इसमें उनका क्या दोष हैं। अहिंसा के मार्ग से जनता आंदोलन करती हैं और धारा 144 लगा कर  सरकार जनतंत्र का गला घोटने का काम करती हैं। ऐसा कहे तो गलत नही होगा। जनता को संविधान ने ही आंदोलन का अधिकार दिया हैं। जनता में ऐसा गुस्सा फिर से पैदा ना हो इस लिए महिलाओं के संरक्षण के लिए सशक्त कानून बनवाना सरकार के हाथ में हैं और यह सरकार का कर्तव्य भी हैं। आज सरकार जनता को जो आश्वासन दे रही हैं वह पहले भी तो कर सकती थी। लेकिन समाज और देश की भलाई की अपेक्षा, लगता हैं कि सत्ता और पैसे की सोच अधिक प्रभावी होने से सरकार कुछ नही कर पाती।

आज देश में युवकों ने और देश की जनता ने जो आंदोलन किया वह अहिंसा के मार्ग से किया हैं। कहीपर भी तोडफोड की घटना नही घटी। आंदोलन का यह एक आदर्श उदाहरण हैं। देश और दुनिया के लिए एक आदर्श हैं। आंदोलन कारियों का मुख्य उद्देश यही हैं महिलायों पर फिर से ऐसा अन्याय, अत्याचार ना हो ऐसा सशक्त कानून सरकार से बनवा कर दोषी लोगों को कडी सजा मिल जाए। इस आंदोलन से सरकारने समझना चाहिए कि देश का युवक, देश की जनता सामाजिक परिवर्तन चाहती हैं। संविधान के मुताबिक जीवन की जरुरत पुरी करने और अच्छा जीवन जिने का हर हर व्यक्ति को अधिकार हैं। सामाजिक अन्याय के लिए संघर्ष करनेवाली जनता को सशक्त कानून का अगर आधार मिल जाए तो देश में सामाजिक परिवर्तन का बहुत बडा काम होगा। दोषी आरोपियों को कडी से कडी सजा मिले और आगे ऐसी घटना ना हो इसलिए सशक्त कानून जल्द से जल्द बने, चाहे इसके लिए संसद का विशेष अधिवेशन बुलाना पडे तो इसपर सरकार की राय जानना चाहता हूं। इस काम के लिए सरकार चलानेवाले और कानून बनानेवाले लोगों को सद्बुद्धी मिले इस लिए 27 और 28 दिसंबर को मैं और गांव के कुछ लोग मेरे गांव रालेगण सिद्धी के श्री संत यादवबाबा मंदिर में भगवान से प्रार्थना के लिए बैठने का संकल्प किया हैं।
भवदीय,
कि. बा. तथा अण्णा हजारे.
(मैं जनता और युवा भाई बहिनों से विनंती करता हूँ, आंदोलन करते समय संयम रखे। राष्ट्रीय संपत्ती की कोई हानी ना हो। रास्ते से गुजरने वाले सभी जन हमारे भाई-बहन हैं। उन्हे तकलिफ ना हो। आपने पहले भी अगस्त 2011 में शांतिपूर्ण आंदोलन का आदर्श निर्माण किया हैं। करोडो युवक रास्ते पर उतरे। लेकिन किसी ने एक पत्थर तक नही उठाया। उस आदर्श की दुनिया ने सराहना की हैं। उसी आदर्श को सामने रखते हुए शांती के मार्ग से आंदोलन करने की विनंती करता हूँ। अन्याय और अत्याचार की विरोध में जली हुई मशाल को कभी बुझने ना देना। इसी में है समाज और देश की भलाई।)
जयहिंद।

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