शुक्रवार, 7 मार्च 2014

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च 2014) पर विशेष : झारखण्ड में महिलाओं की स्थिति में सुधार, पर काफी कुछ किया जाना शेष / INTERNATIONAL WOMEN'S DAY : WOMEN ON PROGRESSIVE WAY IN JHARKHAND BUT...



-शीतांशु कुमार सहाय
झारखण्ड में पिछले 10-12 सालों में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति में सुधार हुए हैं लेकिन अभी भी काफी कुछ किये जाने की जरुरत है। राज्य में पिछले दस सालों में लिंगानुपात में सुधार देखा गया है। 2001 में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं का अनुपात 941 था। वर्ष 2011 में यह प्रति 1000 पुरुषों पर 949 महिलाओं का हो गया। इसी अवधि में शिशु लिंगानुपात (0-6 वर्ष) में गिरावट दर्ज की गयी। 2001 में यह प्रति 1000 लड़कों पर 965 लड़कियों का था जो 2011 में प्रति 1000 लड़कों पर 948 लड़कियों का हो गया।
साक्षरता:-
झारखण्ड में लड़कियों की शिक्षा में वृद्धि दर्ज की गयी है। 2001 में यह 39 प्रतिशत था जो 2011 में बढ़कर 55 प्रतिशत पर पहुँच गया। यह आँकड़ा राष्ट्रीय 65 प्रतिशत से अभी भी नीचे है।
लड़कियों की शिक्षा-
विद्यालयों में कक्षा 1-8 तक में लड़कियों के नामांकन में काफी सुधार हुआ है। राज्य की प्रायः सभी लड़कियाँ क्लास 1-8 तक में नामांकित हैं। कक्षा 11-12 में मात्र 12 प्रतिशत लड़कियाँ ही नामांकित हैं।
लड़कियों की शिशु मृत्यु दर-
पिछले 12 वर्षों में लड़कियों (और लड़कों के भी) शिशु मृत्यु दर में आधी से अधिक गिरावट दर्ज की गयी है। यह वर्ष 2000 में प्रति एक हजार जीवित बच्चे के जन्म में 79 की मृत्यु के आँकड़े से घटकर 2012 में 39 तक पहुँच गया।
कुपोषण-
कुपोषण के सभी मानकों (उम्र की तुलना में कम वजन, उम्र की तुलना में कम लंबाई और लंबाई की तुलना में कम वजन) में लड़कियों की स्थिति लड़कों से थोड़ी बेहतर है।
मातृ मृत्यु-
झारखण्ड राज्य में मातृ मृत्यु में गिरावट दर्ज की गयी है। 2004-05 में प्रति एक लाख बच्चों के जन्म में माताओं की मृत्यु का आँकड़ा 312 का था जो 2010-12 में घटकर 219 पर पहुँच गया। सहस्राब्दी विकास लक्ष्य के तहत 2015 के अंत तक मातृ मृत्यु दर घटाकर 109 पर लाना है।
बाल विवाह-
2005-06 में बाल विवाह दर 63 प्रतिशत था जो 2007-08 में 56 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2011-12 में यह आँकड़ा 48 प्रतिशत तक पहुँच गया।
महिलाओं के खिलाफ अपराध-
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में झारखण्ड में 100 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है, खासकर जघन्य अपराधों के मामले में।

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