निवेदन करता हूँ कि योग को आप
अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।
हाथ, हाथ की अँगुलियों, कलाई, केहुनी, कन्धा, गर्दन, आँख, मुँह, ओंठ और जबड़ों के यौगिक अभ्यास ज़रूर कीजिये और गैस्ट्रिक व जोड़ों के दर्द का अन्त तुरन्त कीजिये।
निवेदन करता हूँ कि योग को आप
अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।
हाथ, हाथ की अँगुलियों, कलाई, केहुनी, कन्धा, गर्दन, आँख, मुँह, ओंठ और जबड़ों के यौगिक अभ्यास ज़रूर कीजिये और गैस्ट्रिक व जोड़ों के दर्द का अन्त तुरन्त कीजिये।
शरीर में 5 प्रकार के वायु निरन्तर प्रवाहित हो रहे हैं। ये वायु हैं- व्यान, समान, अपान, उदान और प्राण। इन्हें सम्मिलित रूप से ‘पञ्चवायु’ कहते हैं। इसी तरह शरीर में पाँच उपवायु के प्रवाह भी निरन्तर जारी हैं। पाँच उपवायु के नाम हैं- देवदत्त, वृकल, कूर्म, नाग और धनञ्जय। ये पाँच वायु और पाँच उपवायु शरीर के विभिन्न अंगों में फँस जाते हैं। अगर इन्हें मुक्त नहीं किया गया तो अंगों में दर्द या जोड़ों में दर्द होने लगते हैं। इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए अंग संचालन के यौगिक अभ्यास अवश्य करना चाहिये। अंग संचालन के अभ्यास को वायुमुक्ति का अभ्यास भी कहते हैं।
पैर, पैर की अँगुलियों, घुटना, जाँघ और कमर के अभ्यास कैसे करने चाहिये, वीडियो देखकर सीखिये और कीजिये।