बिहार सरकार द्वारा बिहार निवासी शौर्य पुरस्कार विजेताओं को दी जानेवाली राशि में वृद्धि
-शीतांशु कुमार सहाय
भारत में 'सशस्त्र सेना झण्डा दिवस' प्रतिवर्ष सात दिसम्बर को मनाया जाता है। इस की शुरुआत सन् १९४९ ईस्वी में हुई। भारत की सुरक्षा में संलग्न वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता, श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हुए उन के और उन के परिजनों के कल्याण की कामना के लिए सशस्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया जाता है।
इस दिन अवकाश प्राप्त सैन्य सेवा कर्मियों और वीरगति को प्राप्त सैनिकों के परिजनों के कल्याणार्थ राशि एकत्र किये जाते हैं। कोई भी व्यक्ति सैनिकों या उन के परिजनों के कल्याणार्थ दान थे सकता है। राज्य सरकारों के सैनिक कल्याण कोष या केन्द्रीय सरकार के कोष में धनराशि का दान दिया जा सकता है।
बिहार सरकार ने सात दिसम्बर २०२४ अर्थात् सशस्त्र सेना झण्डा दिवस को अखबारों में विज्ञापन देकर अनुग्रह राशि और शौर्य पुरस्कार विजेताओं को दी जानेवाली राशि में भारी वृद्धि की घोषणा की है।
अनुग्रह राशि को ११ लाख से बढ़ाकर २१ लाख रुपये कर दी गयी है। इसी तरह सशस्त्र सैन्य सेवा से निवृत्त दिव्यांग सैनिकों को दी जानेवाली अनुग्रह राशि में ३०० प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। इस मद में अब ५० हजार रुपये के बदले दो लाख रुपये दिये जायेंगे।
विभिन्न सैन्य पुरस्कारों से सम्मानित होनेवाले बिहार निवासी सैनिकों को बिहार सरकार अपनी तरफ से भी सम्मान राशि प्रदान करती है। इस मद की सभी श्रेणियों में भी वृद्धि की गयी है। परमवीर चक्र पानेवाले बिहारी सैनिक या उन के परिजन को पहले दस लाख रुपये दिये जाते थे लेकिन अब एक हज़ार प्रतिशत अधिक यानी एक करोड़ रुपये प्रदान किये जायेंगे।
सैन्यकर्मियों को उत्कृष्ट कार्य-प्रदर्शन पर शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। बिहार निवासी शौर्य पुरस्कार विजेताओं को बिहार सरकार अब पहले की अपेक्षा अधिक धनराशि देकर सहयोग करेगी।
बिहार सरकार अभी तेरह जिलों में सैनिक कल्याण कार्यालय संचालित कर रही है। अब बारह अन्य जिलों में भी सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने का निर्णय लिया गया है।