-शीतांशु कुमार सहाय
हे किशोर कुणालजी, करते नमन अपार।
एक-दो गिनती नहीं, कीर्ति तेरे हज़ार।।
सत्य-धर्म के मार्ग पर चलते रहे हैं आप।
श्रीराम और हनुमान के प्रिय रहे हैं आप।।
राम द्वार के तुम थे सेवक,
हनुमान के भक्त निराले।
मानव सेवा में तत्पर थे,
तुम तो थे बड़े ही भोले।।
पटना के हनुमान मन्दिर का,
तुम ने जीर्णोद्धार किया है।
अयोध्या के श्रीराम मन्दिर में,
सेवा तुम ने बहुत दिया है।।
सेवा के तुम प्रतिमूर्ति थे,
मानवता के कीर्ति पताका।
थे प्रशासक अतुलनीय तुम,
स्वास्थ्य-रक्षक बेमिसाल तुम।।
कार्य करण और कारक थे तुम,
हम सब के प्रेरक थे तुम।
अतुलित कार्य किये थे जग में,
सेवा-भाव था तेरे रग-रग में।।
करते प्रणाम हम धरतीवासी,
करो स्वीकार हे परलोकवासी।
सहकर कष्ट लक्ष्य तुम पाये,
यही प्रेरणा हमें सिखाये।।
छोड़ गये जो काज अधूरे,
प्रमुख लेते हैं करेंगे पूरे।
रामायण मन्दिर भव्य बनेगा,
भारत तुझ को भुला न सकेगा।।
आचार्य किशोर कुणालजी, नमन आप को हम सब का है।
सत्य-धर्म का मार्ग दिखाया, वन्दन आप को हम सब का है।।
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