महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन सहित विभिन्न प्रकार की प्रताड़ना से संरक्षण प्रदान करने और उन्हें तनावमुक्त माहौल प्रदान करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार 26 फरवरी 2013 को संसद की मंजूरी मिल गयी। विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि शिकायतों की 90 दिनों की समयसीमा के अंदर जांच करनी होगी और प्रावधानों का उल्लंघन करने पर नियोक्तों को 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। दफ्तरों से लेकर मजदूरी और खेत-खलिहानों में काम करने वाली महिलाएं भी अब महफूज रह सकेंगी। विधेयक के दायरे में घरों में काम करने वाली सहायिकाओं को भी शामिल किया गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य संगठित एवं असंगठित दोनों क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल प्रदान करना है। तीरथ ने कहा कि 1997 के विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में स्थायी समिति के सुझावों पर गौर किया गया है और राज्यों के साथ विचार-विमर्श किया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि एवं घरेलू कार्य में लगी महिलाओं को भी इस विधेयक के दायरे में लाया गया है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने महिलाओं को कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) विधेयक 2012 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
बुधवार, 27 फ़रवरी 2013
मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013
रेल बजट करेगा आपकी जेब खाली / RAIL BUDGET 2013
सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र में एक और रेल कोच फैक्ट्री का प्रस्ताव। इस बजट में रेल मंत्री पवन बंसल ने साफ-सफाई और खान-पान पर विशेष जोर दिया है। वहीं, रेल मंत्री ने 67 नई एक्सप्रेस ट्रेनें और 27 पैसेंजर ट्रेने शुरू करने की घोषणा की है। साथ ही, 58 ट्रेनों के फेरों में भी इजाफा किया गया है। इसके अलावा आम आदमी के लिए तत्काल टिकट बुकिंग, ई-टिकट बुकिंग, रेल टिकट के लिए आधार कार्ड, एसएमएस से आरक्षण स्टेट्स सुविधा, और मुफ्त वाई-फाई सुविधा जैसी कई घोषणाएं की गई है।
यात्रियों के लिए सौगात-
1. तत्काल टिकट चार्ज बढ़ाया गया।
2. हर टिकट में फ्यूल एडजस्टमेंट चार्ज होगा। इससे ईंधन के दाम बढ़ने पर किराया बढ़ाया जाएगा और जब दाम घटेगा तो किराया घटाया जाएगा। फ्यूयल एडजस्टमेंट चार्ज को साल में दो बार तय किया जाएगा।
3. 67 नई एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी।
4. 27 यात्री गाड़ियों का ऐलान।
5. 5 नई मेमो गाड़ियां।
6. शहरों में रेल नीर बॉटलिंग प्रोजेक्ट।
7. मालभाड़ा हुआ महंगा, महंगाई पर पड़ेगा असर।
8. 450 किलोमीटर की छोटी लाइन को बड़ी लाइन में तब्दील करने का प्रस्ताव।
9. दोहरीकरण लक्ष्य बढ़ाकर 750 किलोमीटर किया गया।
10. 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली सेल्फ प्रोपेल्ड दुर्घटना राहत गाड़ियों का प्रस्ताव।
11. मुंबई में 72, कोलकाता में 18 नई गाड़ियां।
12. मुंबई लोकल में एसी डिब्बे लगाए जाएंगे।
13. महिलाओं की सुरक्षा पर खास जोर। आरपीएफ की 4 टुकडियां खास इसी के लिए बनाई गयीं।
14. लेडी स्पेशल गाडियों के साथ लेडी आरपीएफ को लगाने का प्रस्ताव।
15. मुफ्त वाई-फाई सेवा का प्रस्ताव।
16. 23 घंटे होगी इंटरनेट बुकिंग
17. 12.30 से रात 11.30 बजे तक होगी बुकिंग।
18. एसएमएस अलर्ट सुविधा हर ट्रेन के लिए।
19. मोबाइल से भी होगा ई-टिकट बुक।
20. रिजर्व टिकट पर आई कार्ड जरूरी।
21. नई दिल्ली और पटना में यात्री लाउंज।
22. 400 स्टेशनों पर बुजुर्गों के लिए लिफ्ट।
23. रेलवे में मिलेंगी सवा लाख नौकरियां।
24. खाने की क्वालिटी जांचने का सिस्टम बनेगा।
25. स्वतंत्रता सेनानियों का 3 साल में होगा पास रिन्यू।
26. कई गाड़ियों में मुफ्त वाई-फाई सिस्टम।
27. मोबाइल से ई-टिकट बुक करने का प्रस्ताव।
28. अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर को रेल नेटवर्क में शामिल किया जा रहा है।
29. आजादी एक्सप्रेस के नाम से शैक्षिक-सस्ती गाड़ी चलाने का प्रस्ताव।
30. आरपीएफ के कर्मचारियों पर विशेष ध्यान। महिला आरपीएफ कर्मचारियों के लिए होस्टल की व्यवस्था।
31. राजीव गांधी खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार जीतने वालों को रेलवे फर्स्ट क्लास और सेकंड एसी का पास मिलेगा।
32. खिलाड़ियों को राजधानी में सफर करने के लिए दिए गए पास दुरंतो में भी लागू होंगे।
33. वीरता पुरस्कारों से नवाजे गए लोगों के लिए भी एसी पास की घोषणा।
34. स्वतंत्रता सेनानियों के लिए खास प्रावधान। अब उन्हें हर एक साल की जगह तीन साल में पास रिन्यू कराना होगा।
35. मनरेगा को पहली बार रेलवे से जोड़ा गया।
36. नागपुर, ललितपुर, अहमदाबाद सहित 6 जगह रेल नीर बॉटलिंग प्लांट लगाने का प्रस्ताव।
37. कुल 31846 लेवल क्रॉसिंग हैं, जिनमें से 13530 पर कोई व्यक्ति नहीं होता है। इस संबंध में सुरक्षा के लिए 37 हजार करोड़ का प्रावधान।
38. रेल दुर्घटना रोकने के लिए ट्रेन प्रोटेक्टिंग प्रणाली को लागू करने का प्रावधान।
39. आग लगने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष प्रणाली को गाड़ी में लगाया जाएगा।
40. 10 वर्षों के लिए रेलवे सेफ्टी सिस्टम बनाया जाएगा, ताकि रेलवे सुरक्षा पर जोर दे सकें।
41. सिग्नल प्रणाली को उन्नत करने के लिए स्पेशल प्रबंध।
42. साफ-सफाई और यात्री सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध।
43.. दिल्ली-एनसीआर में स्टेशनों पर खास ध्यान दिया जाएगा।
44. शताब्दी-राजधानी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस तरह का 1 कोच कई बड़ी गाड़ियों में लगाने का प्रस्ताव।
45. वरिष्ठ नागरिकों के लिए 189 एक्सीलेटर और 400 लिफ्ट लगाए जाएंगे।
46. विकलांग लोगों के लिए बैट्री से चलने वाली व्हील चेयर का प्रस्ताव।
47. आधार योजना का रेलवे इस्तेमाल करेगी। टिकट बुकिंग के साथ-साथ रेल कर्मचारियों की सैलरी-पेंशन आधार स्कीम से जोड़ी जाएगी।
48. एसएमएस अलर्ट योजना के दायरे को बढ़ाया जाएगा। आरक्षण की स्थिति यात्रियों तक एसएमएस से पहुंचेगी।
49. नई टिकटिंग प्रणाली का प्रस्ताव। इससे कई गुना ज्यादा टिकट जारी कर पाएंगे।
50. नेक्स्ट जनरेशन ई-टिकट प्रणाली शुरू करेंगे। इससे धोखाधड़ी में कमी आएगी।
51. यात्रियों को यात्रा के दौरान आई-कार्ड रखना अनिवार्य होगा।
52. आजादी एक्सप्रेस के नाम से शैक्षिक-सस्ती गाड़ी चलाने का प्रस्ताव।
53. पीपीपी के जरिए 1 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य 12वीं पंचवर्षीय योजना में।
54. रेल स्टेशन विकास प्राधिकरण के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव।
55. 9000 करोड़ रुपये बंदरगाहों को नेटवर्क से जोड़ने के लिए प्रस्तावित।
56. राज्य सरकारों के साथ मिलकर फुटओवर ब्रिज बनाने का विचार।
57. सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र में एक और रेल कोच फैक्ट्री का प्रस्ताव।
58. सोनीपत में कोच मैन्युफैक्चरिंग इकाई निर्माण का प्रस्ताव।
59. पालाकाड केरल में नई कोच फैक्ट्री लगाने का प्रस्ताव।
60. रेलवे में 1.5 लाख खाली पदों को भरने के लिए 60 शहरों में एग्जाम लिए जाएंगे।
61. रेलवे स्टाफ क्वाटर् को बनाने के लिए 300 करोड़ रुपये का आबंटन।
कितना बढ़ा ट्रेन रिजर्वेशन--
सेकंड क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 15 रुपये : इस रेल बजट में कोई परिवर्तन नहीं।
स्लीपर क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 20 रुपये : इस रेल बजट में कोई परिवर्तन नहीं।
एसी चेयर कार का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 40 रुपये किया गया।
एसी 3 इकोनॉमी का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 40 रुपये किया गया। एसी 3 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 40 रुपये किया गया।
फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 50 रुपये किया गया।
एसी 2 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 50 रुपये किया गया।
एसी फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 35 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 60 रुपये किया गया।
एक्जीक्यूटिव क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 35 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 60 रुपये किया गया।
कितना बढ़ा सुपरफास्ट चार्ज--
सेकंड क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 10 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 15 रुपये किया गया।
स्लीपर क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 20 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 30 रुपये किया गया।
एसी चेयर कार का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 35 रुपये किया गया।
एसी 3 इकॉनोमी का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
एसी 3 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
एसी 2 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
एसी फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 50 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 75 रुपये किया गया।
एक्जीक्यूटिव क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 50 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 75 रुपये किया गया।
कितना बढ़ा तत्काल टिकट चार्ज--
रिजर्व सेकंड क्लास का तत्काल चार्ज 10 रुपये : इस रेल बजट में कोई परिवर्तन नहीं।
स्लीपर क्लास का तत्काल चार्ज 75 रुपये : इस रेल बजट में 90 रुपये से 175 रुपये तक।
एक्जीक्यूटिव क्लास का तत्काल चार्ज 200 रुपये : इस रेल बजट में 300 से 400 रुपये तक।
एसी चेयर कार का तत्काल चार्ज 75 रुपये : इस रेल बजट में 100 से 150 रुपये तक।
एसी 3 टियर का तत्काल चार्ज 200 रुपये : इस रेल बजट में 250 से 300 रुपये तक।
एसी 2 टियर का तत्काल चार्ज 200 रुपये : इस रेल बजट में 300 से 400 रुपये तक।
महंगा होगा टिकट रद्द करना--
वेटिंग और आरएसी टिकट कैंसिलेशन
क्लास पहले अब बढ़े
सेकेंड क्लास 10 15 05
स्लीपर 20 30 10
सभी एसी क्लास 20 30 10
कंफर्म टिकट कैंसिलेशन--
क्लास पहले अब बढ़े
सेकेंड क्लास 20 30 10
स्लीपर 40 60 20
एसी चेयरकार, एसी-3 60 90 30
फर्स्ट क्लास 60 100 40
एसी-2 60 100 40
एसी-फर्स्ट 70 120 50
रेल मंत्री पवन बंसल ने रेल बजट में 67 नई एक्सप्रेस गाड़ियों का तोहफा दिया--
1. अहमदाबाद-जोधपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया समदड़ी, भिलड़ी
2. अजनी (नागपुर)-लोकमान्य तिलक (टी) एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया हिंगोली
3. अमृतसर-लालकुआं एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया चंडीगढ़
4. बांद्रा टर्मिनस-रामनगर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया नागदा, मथुरा, कानपुर, लखनऊ, रामपुर
5. बांद्रा टर्मिनस-जैसलमेर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मारवाड़, जोधपुर
6. बांद्रा टर्मिनस-हिसार एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया अहमदाबाद, पालनपुर, मारवाड़, जोधपुर, डेगाना
7. बांद्रा टर्मिनस-हरिद्वार एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया वलसाड
8. बेंगलुरु-मंगुलुरु एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
9. बठिंडा-जम्मू तवी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया पिटयाला, राजपुरा
10. भुवनेश्वर-हज़रत निजामुद्दीन एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया संबलपुर
11. बीकानेर-चेन्नै एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया जयपुर, सवाईमाधोपुर, नागदा, भोपाल, नागपुर
12. चंडीगढ़-अमृतसर इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली), लुधियाना
13. चेन्नै-करईकुडी एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
14. चेन्नै-पलनी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया जोलारपेट्टै, सेलम, करूर, नामक्कल
15. चेन्नै एग्मोर-तंजावूर एक्सप्रेस (दैनिक) वाया जिवलुपुरम, मइलादुतुरै
16. चेन्नै-नागरसोल (साई नगर शिरडी के लिए) एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया रेणिगुंटा, धोने, काचेगुडा
17. चेन्नै-वेलनकन्नी लिंक एक्सप्रेस (दैनिक) वाया विलुपुरम, मइलादुतुरै, तिरूवरूर
18. कोयंबटूर-मन्नारगुडी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया तिरूचिरापल्ली, तंजावूर, निदामंगलम
19. कोयंबटूर-रामेश्वरम एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
20. दिल्ली-फिरोज़पुर इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया बठिंडा
21. दिल्ली सराय रोहिल्ला-सीकर एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) आमान परिवर्तन के बाद
22. दिल्ली-होशियारपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
23. दुर्ग-जयपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
24. गांधीधाम-विशाखापटनम एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया अहमदाबाद, वर्धा, बल्लारशाह, विजयवाड़ा
25. हज़रत निजामुद्दीन-मुंबई एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया भोपाल, खंडवा, भुसावल
26. हावड़ा-चेन्नै एसी एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) वाया भिक, दुव्वादा, गुडूर
27. हावड़ा-न्यू जलपाईगुडी एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मालदा टाऊन
28. हुबली-मुंबई एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
29. इंदौर-चंडीगढ़ एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया देवास, उज्जैन, गुना, ग्वालियर, हज़रत निजामुद्दीन
30. जबलपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया नागपुर, धमार्वरम
31. जयपुर-लखनऊ एक्सप्रेस (सप्ताह में तीन दिन) वाया बांदीकुई, मथुरा, कानपुर
32. जयपुर-अलवर एक्सप्रेस (दैनिक)
33. जोधपुर-जयपुर एक्सप्रेस (दैनिक) वाया फुलेरा
34. जोधपुर-कामाख्या (गुवाहाटी) एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया डेगाना, रतनगढ़
35. काकीनाडा-मुंबई एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन)
36. कालका-साई नगर शिरडी एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) वाया हज़रत निजामुद्दीन, भोपाल, इटारसी
37. कामाख्या (गुवाहाटी)-आनंद विहार एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया किटहार, बरौनी, सीतापुर कैण्ट, मुरादाबाद
38. कामाख्या (गुवाहाटी)-बेंगलूरू एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
39. कानपुर-आनंद विहार एकसप्रेस (साप्ताहिक) वाया फरूर्ख़ाबाद
40. कटिहार-हावड़ा एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मालदा टाऊन
41. कटरा-कालका एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) वाया मोरिन्डा
42. कोलकाता-आगरा एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया अमेठी, राय-बरेली, मथुरा
43. कोलकाता-सीतामढ़ी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया झाझा, बरौनी, दरभंगा
44. कोटा-जम्मू तवी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मथुरा, पलवल
45. कुनूर्ल टाऊन-सिंकदराबाद एक्सप्रेस (दैनिक)
46. लोकमान्य तिलक (टी)-कोचुवेली एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
47. लखनऊ-वाराणसी एक्सप्रेस (सप्ताह में 6 दिन) वाया राय-बरेली
48. मडगांव-मंगलोर इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया उडुपी, करवार
49. मंगलोर-काचेगुडा एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया धोने, गूत्ती, रेणिगुंटा, कोयंबतूर
50. मऊ-आनंद विहार एक्सप्रेस (सप्ताह में 2 दिन)
51. मुंबई-सोलापूर एक्सप्रेस (सप्ताह में 6 दिन) वाया पुणे
52. नागरकोइल-बेंगलूरू एक्सप्रेस (दैनिक) वाया मदुरै, तिरूचिरापल्ली
53. नई दिल्ली-कटरा एसी एक्सप्रेस (सप्ताह में 6 दिन)
54. निजामाबाद-लोकमान्य तिलक (टी) एक्सेप्रेस (साप्ताहिक)
55. पटना-सासाराम इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया आरा
56. पाटलीपुत्र (पटना)-बेंगलुरु एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया छिवकी
57. पुडुचेरी-कन्याकुमारी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया विल्लुपुरम, मइलादुतुरै, तिरूचिरापल्ली
58. पुरी-साई नगर शिरडी एक्सप्रेस (साप्ताहक) वाया संबलपुर, टिटलागढ़, रायपुर, नागपुर, भुसावल
59. पुरी-अजमेर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया आबू-रोड
60. राधिकापुर-आनंद विहार लिंक एक्सप्रेस (दैनिक)
61. राजेन्निगर टर्मिनस (पटना)-न्यू तिनसुकिया एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया कटिहार, गुवाहाटी
62. तिरूपति-पुडुचेरी एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
63. तिरूपति-भुवनेश्वर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया विशाखापटनम
64. उना/नंगल डैम-हजूर साहेब नांदेड़ एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया आनंदपुर साहिब, मोरिंडा, चंडीगढ़, अंबाला
65. विशाखापटनम-जोधपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया टिटलागढ़, रायपुर
66. विशाखापटनम-कोल्लम एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
67. यशवंतपुर-लखनऊ एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया राय-बरेली, प्रतापगढ़
सोमवार, 25 फ़रवरी 2013
रविवार, 24 फ़रवरी 2013
रामसेतु के अस्तित्व पर प्रश्न, तोडऩे पर अडिग है केंद्र सरकार/ RAMSETU
यदि कुतुबमीनार को बचाने के लिए मेट्रो रेल के मार्ग में परिवर्तन किया जा सकता है, आगरा के ताजमहल की सुन्दरता को बचाने के लिए इसके आसपास की औद्योगिक इकाइयों को बंद करवाया जा सकता है, देश के अलग-अलग म्यूजियम में रखी गई प्राचीन वस्तुओ की देख–रेख पर करोडो रूपये खर्च किये जा सकते हैं तो इस प्राचीन धरोहर जो कि करोडो लोगों की आस्था का केंद्र है को तोड़ने हेतु केंद्र सरकार करोडो रूपये क्यों खर्चा करना चाह रही है|
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से 22 फरवरी 2013 को कहा है कि 829 करोड़ खर्च करने के बाद इस परियोजना को बंद नहीं किया जा सकता। अपनी परियोजना को आर्थिक और पर्यावरण के लिहाज से सही ठहराते हुए केंद्र ने वैकल्पिक मार्ग के लिए गठित पर्यावरणविद् आरके पचौरी समिति की सिफारिशों को नकार दिया है। भाजपा ने सरकार के ताजा रुख की कठोर आलोचना करते हुए कहा है कि रामसेतु से कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। रामसेतु एक पौराणिक सेतु है जिससे होकर राम और उनकी सेना ने रावण के राज्य पर आक्रमण करने के लिए समुद्र पार किया था। सेतुसमुद्रम परियोजना के तहत भारत और श्रीलंका के बीच से जहाजों के गुजरने के लिए रामसेतु को पार करते हुए 30 मीटर चौड़े, 12 मीटर गहरे और 167 किलोमीटर लंबे रास्ते की खुदाई करनी है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 2008 में गठित की गई पचौरी कमेटी की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सेतुसमुद्रम पोत परिवहन मार्ग बनाने की परियोजना आर्थिक एवं पर्यावरणीय दोनों ही दृष्टि से ठीक नहीं है। इसके अलावा भाजपा, अन्नाद्रमुक और हिंदू संगठनों की ओर से इस आधार पर परियोजना का विरोध किया जा रहा है कि रामसेतु भगवान राम से जुड़ा है और इस धार्मिक महत्व के कारण उसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए।
केंद्र सरकार 30 जून, 2012 तक परियोजना पर 829 करोड़ 32 लाख रूपये खर्च कर चुकी है। इस कारण पचौरी समिति की सिफारिशों को मानने का सवाल ही नहीं उठता। केंद्र सरकार भगवान राम के बनाए सेतु को तोड़कर सेतुसमुद्रम परियोजना का निर्माण करने पर अडिग है। सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि 829 करोड़ खर्च करने के बाद इस परियोजना को बंद नहीं किया जा सकता। अपनी परियोजना को आर्थिक और पर्यावरण के लिहाज से सही ठहराते हुए केंद्र ने वैकल्पिक मार्ग के लिए गठित पर्यावरणविद् आरके पचौरी समिति की सिफारिशों को नकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में जहाजरानी मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने बहुत शीर्ष स्तर के शोध के आधार पर परियोजना को हरी झंडी दी है। परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय से भी मंजूरी मिल गई है। पर्यावरण की शीर्ष संस्था नीरी ने भी परियोजना को आर्थिक तथा पारिस्थितिकी तौर पर ठीक बताया है।
हलफनामे में कहा गया है कि सेतुसमुद्रम परियोजना सहित पचौरी समिति ने अपनी रिपोर्ट में वैकल्पिक मार्ग को साफ तौर पर नकार दिया है। समिति ने कहा था कि सेतुसमुद्रम परियोजना आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से ठीक नहीं है। मंत्रालय के उपसचिव अनंत किशोर सरन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे यह भी कहा है कि केंद्र सरकार ने 2007 में विशिष्ठ व्यक्तियों की एक समिति का गठन किया था। उसकी ओर से इस परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई थी। परियोजना समुद्र मार्ग निर्देशन, सुरक्षा व रणनीतिक लिहाज से और आर्थिक लाभ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार 30 जून, 2012 तक परियोजना पर 829 करोड़ 32 लाख रूपये खर्च कर चुकी है। इस कारण पचौरी समिति की सिफारिशों को मानने का सवाल ही नहीं उठता। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 2087 करोड़ रूपये की परियोजना की समीक्षा करने का सरकार को आदेश दिया था। पचौरी कमेटी का गठन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से किया गया था।
रामसेतु मामला--
देश के दक्षिणपूर्व तट पर रामेश्वरम और पडोसी देश श्रीलंका के पूर्वोत्तर में स्थित मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की लम्बी श्रंखला है, इसे हिन्दू समुदाय भगवान् राम से जोड़कर देखता है| मान्यता है कि जब असुर सम्राट रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया था तब भगवान् श्रीराम ने वानरों की सहायता से इस सेतु का निर्माण किया था| इसी सेतु को कालांतर में देशवासी 'रामसेतु' और विश्व में 'एडम्स ब्रिज' कहा जाता है| रामसेतु की लंबाई तक़रीबन 48 किलोमीटर है और ये मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक-दूसरे से जोड़ता है| इस इलाके में समंदर काफी उथला है इसी वजह से यहाँ जल यातायात प्रभावित होता है| इस इलाके में रहने वाले निवासी कहते हैं कि 15 शताब्दी तक रामसेतु पर चलकर रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया जा सकता था| बाद के वर्षों में समुद्री-तूफानों ने इसे काफी नुकसान पहुँचाया|पूर्वी एशिया से देश में आने वाले पानी के जहाजों के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाने के लिए सेतुसमुद्रम परियोजना का ढांचा तैयार किया गया| इस योजना के तहत 30 मीटर चौड़े, 12 मीटर गहरे और 167 मीटर लंबे समुद्री चैनल के निर्माण का प्रस्ताव है, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर में पाक जलडमरूमध्य के मध्य एक रास्ता निर्मित करना है|
विवाद--
मन्नार की खाड़ी जैविक रूप से देश में बाकि तटों की अपेक्षा कहीं अधिक धनाड्य है| यहाँ पौधों और समुद्री जीवों की 3,600 से भी अधिक प्रजातियाँ निवास करती हैं| पर्यावरण जानकारों के मुताबिक, इस मार्ग के निर्माण से इन प्रजातियाँ के जीवन पर खतरा मंडराने लगेगा| विज्ञानियों के मुताबिक, रामसेतु के विद्द्वंस से समय-समय पर सुनामी केरल की तबाही की नयी इबारत लिखने लगेगी| वो हजारों मछुआरे जिनके घर इसी से चल रहे हैं, जिनके बच्चे इसी से कमाई गयी रकम से पढते हैं वो बेरोजगार हो जाएँगे| इसके साथ ही दुर्लभ शंख-सीप से होने वाली करोडो रुपए की वार्षिक आय बंद हो जाएगी| यही नहीं यूरेनियम के विकल्प थोरियम का विश्व में सबसे बड़ा भंडार यहीं है जो रामसेतु को तोड़ देने के बाद देश के हाथ से निकल जायेगा| यही नहीं सेतुसमुद्रम परियोजना को लेकर कोस्ट गार्ड संगठन ने भी आपत्ति जताई थी कि इस परियोजना से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो जायेगा| ये भी कहा गया कि संभव है कि इस चैनल का प्रयोग आतंकवादी करें| इसके साथ ही हिन्दुओं के सबसे बड़े धार्मिक संगठन विश्व हिंदू परिषद सहित कई और हिंदूवादी संगठन आस्था के कारण इस योजना के मुखर का विरोध कर रहे हैं|
वीएचपी के अशोक सिंघल ने पचौरी समिति की इस रिपोर्ट पर उंगली उठाते हुए कहा भी है कि यह पूर्वाग्रह से ग्रसित है| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि विकास के नाम पर जहाजरानी को विकसित करने के लिए इस अत्यंत प्राचीन धरोहर को नष्ट कर देना कितना उचित है? यदि कुतुबमीनार को बचाने के लिए मेट्रो रेल के मार्ग में परिवर्तन किया जा सकता है, आगरा के ताजमहल की सुन्दरता को बचाने के लिए इसके आसपास की औद्योगिक इकाइयों को बंद करवाया जा सकता है, देश के अलग-अलग म्यूजियम में रखी गई प्राचीन वस्तुओ की देख–रेख पर करोडो रूपये खर्च किये जा सकते हैं तो इस प्राचीन धरोहर जो कि करोडो लोगों की आस्था का केंद्र है को तोड़ने हेतु सरकार करोडो रूपये क्यों खर्चा करना चाह रही है|गौरतलब है कि 19 अप्रैल में सप्रंग सरकार ने रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने पर कोई कदम उठाने से मना कर दिया था| साथ ही उच्चतम न्यायलय से इस पर निर्णय देने को कहा था| सरकार ने कोर्ट में कहा था कि वह वर्ष 2008 वाले पहले हलफनामे पर कायम रहेगी जिसे राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी थी और इसमें कहा गया था कि सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है| सप्रंग सरकार द्वारा पहले दो हलफनामे वापस लिए जाने के बाद संशोधित हलफनामा दायर किया गया, जिसमें भगवान श्रीराम और रामसेतु के अस्तित्व पर प्रश्न उठाए गए थे| हिन्दुओं के परम पूज्य भगवान राम और रामसेतु के अस्तित्व पर प्रश्न उठाए जाने पर देश में धार्मिक भावनाएं भड़क गयी थी| इसके बाद कोर्ट ने 14 सितंबर 2007 को केंद्र को 2,087 करोड़ रुपये की इस महत्वकांक्षी परियोजना पर नए सिरे से समीक्षा करने के लिए समूची सामग्री के फिर से निरीक्षण की अनुमति दे दी थी|(Source)
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से 22 फरवरी 2013 को कहा है कि 829 करोड़ खर्च करने के बाद इस परियोजना को बंद नहीं किया जा सकता। अपनी परियोजना को आर्थिक और पर्यावरण के लिहाज से सही ठहराते हुए केंद्र ने वैकल्पिक मार्ग के लिए गठित पर्यावरणविद् आरके पचौरी समिति की सिफारिशों को नकार दिया है। भाजपा ने सरकार के ताजा रुख की कठोर आलोचना करते हुए कहा है कि रामसेतु से कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। रामसेतु एक पौराणिक सेतु है जिससे होकर राम और उनकी सेना ने रावण के राज्य पर आक्रमण करने के लिए समुद्र पार किया था। सेतुसमुद्रम परियोजना के तहत भारत और श्रीलंका के बीच से जहाजों के गुजरने के लिए रामसेतु को पार करते हुए 30 मीटर चौड़े, 12 मीटर गहरे और 167 किलोमीटर लंबे रास्ते की खुदाई करनी है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 2008 में गठित की गई पचौरी कमेटी की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सेतुसमुद्रम पोत परिवहन मार्ग बनाने की परियोजना आर्थिक एवं पर्यावरणीय दोनों ही दृष्टि से ठीक नहीं है। इसके अलावा भाजपा, अन्नाद्रमुक और हिंदू संगठनों की ओर से इस आधार पर परियोजना का विरोध किया जा रहा है कि रामसेतु भगवान राम से जुड़ा है और इस धार्मिक महत्व के कारण उसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए।
केंद्र सरकार 30 जून, 2012 तक परियोजना पर 829 करोड़ 32 लाख रूपये खर्च कर चुकी है। इस कारण पचौरी समिति की सिफारिशों को मानने का सवाल ही नहीं उठता। केंद्र सरकार भगवान राम के बनाए सेतु को तोड़कर सेतुसमुद्रम परियोजना का निर्माण करने पर अडिग है। सरकार ने सर्वोच्च अदालत से कहा है कि 829 करोड़ खर्च करने के बाद इस परियोजना को बंद नहीं किया जा सकता। अपनी परियोजना को आर्थिक और पर्यावरण के लिहाज से सही ठहराते हुए केंद्र ने वैकल्पिक मार्ग के लिए गठित पर्यावरणविद् आरके पचौरी समिति की सिफारिशों को नकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में जहाजरानी मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार ने बहुत शीर्ष स्तर के शोध के आधार पर परियोजना को हरी झंडी दी है। परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय से भी मंजूरी मिल गई है। पर्यावरण की शीर्ष संस्था नीरी ने भी परियोजना को आर्थिक तथा पारिस्थितिकी तौर पर ठीक बताया है।
हलफनामे में कहा गया है कि सेतुसमुद्रम परियोजना सहित पचौरी समिति ने अपनी रिपोर्ट में वैकल्पिक मार्ग को साफ तौर पर नकार दिया है। समिति ने कहा था कि सेतुसमुद्रम परियोजना आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से ठीक नहीं है। मंत्रालय के उपसचिव अनंत किशोर सरन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे यह भी कहा है कि केंद्र सरकार ने 2007 में विशिष्ठ व्यक्तियों की एक समिति का गठन किया था। उसकी ओर से इस परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई थी। परियोजना समुद्र मार्ग निर्देशन, सुरक्षा व रणनीतिक लिहाज से और आर्थिक लाभ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार 30 जून, 2012 तक परियोजना पर 829 करोड़ 32 लाख रूपये खर्च कर चुकी है। इस कारण पचौरी समिति की सिफारिशों को मानने का सवाल ही नहीं उठता। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 2087 करोड़ रूपये की परियोजना की समीक्षा करने का सरकार को आदेश दिया था। पचौरी कमेटी का गठन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से किया गया था।
रामसेतु मामला--
देश के दक्षिणपूर्व तट पर रामेश्वरम और पडोसी देश श्रीलंका के पूर्वोत्तर में स्थित मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथली चट्टानों की लम्बी श्रंखला है, इसे हिन्दू समुदाय भगवान् राम से जोड़कर देखता है| मान्यता है कि जब असुर सम्राट रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया था तब भगवान् श्रीराम ने वानरों की सहायता से इस सेतु का निर्माण किया था| इसी सेतु को कालांतर में देशवासी 'रामसेतु' और विश्व में 'एडम्स ब्रिज' कहा जाता है| रामसेतु की लंबाई तक़रीबन 48 किलोमीटर है और ये मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक-दूसरे से जोड़ता है| इस इलाके में समंदर काफी उथला है इसी वजह से यहाँ जल यातायात प्रभावित होता है| इस इलाके में रहने वाले निवासी कहते हैं कि 15 शताब्दी तक रामसेतु पर चलकर रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया जा सकता था| बाद के वर्षों में समुद्री-तूफानों ने इसे काफी नुकसान पहुँचाया|पूर्वी एशिया से देश में आने वाले पानी के जहाजों के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाने के लिए सेतुसमुद्रम परियोजना का ढांचा तैयार किया गया| इस योजना के तहत 30 मीटर चौड़े, 12 मीटर गहरे और 167 मीटर लंबे समुद्री चैनल के निर्माण का प्रस्ताव है, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर में पाक जलडमरूमध्य के मध्य एक रास्ता निर्मित करना है|
विवाद--
मन्नार की खाड़ी जैविक रूप से देश में बाकि तटों की अपेक्षा कहीं अधिक धनाड्य है| यहाँ पौधों और समुद्री जीवों की 3,600 से भी अधिक प्रजातियाँ निवास करती हैं| पर्यावरण जानकारों के मुताबिक, इस मार्ग के निर्माण से इन प्रजातियाँ के जीवन पर खतरा मंडराने लगेगा| विज्ञानियों के मुताबिक, रामसेतु के विद्द्वंस से समय-समय पर सुनामी केरल की तबाही की नयी इबारत लिखने लगेगी| वो हजारों मछुआरे जिनके घर इसी से चल रहे हैं, जिनके बच्चे इसी से कमाई गयी रकम से पढते हैं वो बेरोजगार हो जाएँगे| इसके साथ ही दुर्लभ शंख-सीप से होने वाली करोडो रुपए की वार्षिक आय बंद हो जाएगी| यही नहीं यूरेनियम के विकल्प थोरियम का विश्व में सबसे बड़ा भंडार यहीं है जो रामसेतु को तोड़ देने के बाद देश के हाथ से निकल जायेगा| यही नहीं सेतुसमुद्रम परियोजना को लेकर कोस्ट गार्ड संगठन ने भी आपत्ति जताई थी कि इस परियोजना से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो जायेगा| ये भी कहा गया कि संभव है कि इस चैनल का प्रयोग आतंकवादी करें| इसके साथ ही हिन्दुओं के सबसे बड़े धार्मिक संगठन विश्व हिंदू परिषद सहित कई और हिंदूवादी संगठन आस्था के कारण इस योजना के मुखर का विरोध कर रहे हैं|
वीएचपी के अशोक सिंघल ने पचौरी समिति की इस रिपोर्ट पर उंगली उठाते हुए कहा भी है कि यह पूर्वाग्रह से ग्रसित है| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि विकास के नाम पर जहाजरानी को विकसित करने के लिए इस अत्यंत प्राचीन धरोहर को नष्ट कर देना कितना उचित है? यदि कुतुबमीनार को बचाने के लिए मेट्रो रेल के मार्ग में परिवर्तन किया जा सकता है, आगरा के ताजमहल की सुन्दरता को बचाने के लिए इसके आसपास की औद्योगिक इकाइयों को बंद करवाया जा सकता है, देश के अलग-अलग म्यूजियम में रखी गई प्राचीन वस्तुओ की देख–रेख पर करोडो रूपये खर्च किये जा सकते हैं तो इस प्राचीन धरोहर जो कि करोडो लोगों की आस्था का केंद्र है को तोड़ने हेतु सरकार करोडो रूपये क्यों खर्चा करना चाह रही है|गौरतलब है कि 19 अप्रैल में सप्रंग सरकार ने रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने पर कोई कदम उठाने से मना कर दिया था| साथ ही उच्चतम न्यायलय से इस पर निर्णय देने को कहा था| सरकार ने कोर्ट में कहा था कि वह वर्ष 2008 वाले पहले हलफनामे पर कायम रहेगी जिसे राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मंजूरी दी थी और इसमें कहा गया था कि सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है| सप्रंग सरकार द्वारा पहले दो हलफनामे वापस लिए जाने के बाद संशोधित हलफनामा दायर किया गया, जिसमें भगवान श्रीराम और रामसेतु के अस्तित्व पर प्रश्न उठाए गए थे| हिन्दुओं के परम पूज्य भगवान राम और रामसेतु के अस्तित्व पर प्रश्न उठाए जाने पर देश में धार्मिक भावनाएं भड़क गयी थी| इसके बाद कोर्ट ने 14 सितंबर 2007 को केंद्र को 2,087 करोड़ रुपये की इस महत्वकांक्षी परियोजना पर नए सिरे से समीक्षा करने के लिए समूची सामग्री के फिर से निरीक्षण की अनुमति दे दी थी|(Source)
गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013
प्रेस की आजादी पर समूचे भारत में बढ़ा अंकुश
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में शुमार भारत में पिछले कुछ साल के दौरान प्रेस की आजादी पर अंकुश बढ़ा है। हाल ही में जारी ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ में भारत नौ पायदान खिसककर 140वें स्थान पर पहुंच गया है। इंडेक्स तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले एक व्यक्ति के मुताबिक वर्ष 2002 से भारत में प्रेस पर लगाम कसने की कवायद बढ़ी है। वर्ष 2013 के लिए जारी सूची में पत्रकारों को आजादी के मामले में यूरोपीय देश फिनलैंड, नीदरलैंड्स और नॉर्वे सबसे ऊपर हैं। वहीं, तुर्कमेनिस्तान, उत्तरी कोरिया और इरीट्रिया लगातार तीसरे साल भी सूची में सबसे नीचे हैं। सूची में 140वें स्थान पर लुढ़कने वाला भारत एशिया में सबसे नीचे पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2002 के बाद पत्रकारों पर गंभीर हमले और इंटरनेट सेंसरशिप में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वहीं, पत्रकारों पर हमला करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं करने के मामले भी सामने आए हैं। चीन एक स्थान उछलकर 173वें स्थान पर पहुंच गया है। चीन में कई पत्रकार और नेटीजन जेल में हैं। गैरसरकारी संगठन ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ द्वारा जारी प्रेस आजादी सूचकांक में राष्ट्रों की राजनीतिक प्रणाली पर प्रत्यक्ष टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन स्पष्ट किया गया है कि जिन देशों में सही व वास्तविक सूचनाएं उपलब्ध कराने वालों को बेहतर सुरक्षा दी जाती है, उन देशों में मानवाधिकार पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं। एनजीओ के महासचिव क्रिस्टोफर डेलियर के मुताबिक, तानाशाहों वाले देशों में बिना लागलपेट के खबर मुहैया कराने वालों और उनके परिजनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है, जबकि लोकतांत्रिक देशों में मीडिया को आर्थिक समस्याओं के कारण समझौता करना पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित वे तमाम देश सूची में नीचे खिसके हैं, जहां क्षेत्रीय मॉडल को तरजीह दी जाती है। दक्षिण एशिया में वर्ष 2012 के दौरान खबर व सूचनाओं से जुड़े लोगों के लिए माहौल तेजी से खराब हुआ है। मालदीव सूची में 30 स्थान लुढ़ककर 103वें स्थान पर पहुंच गया है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के इस्तीफे के बाद मीडियाकर्मियों को धमकी के साथ ही हिंसा का शिकार भी बनाया गया। पाकिस्तान , बांग्लादेश और नेपाल में भी पत्रकारों की स्थिति बिगड़ती जा रही है। (raznama.com)
मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013
भगवान वैद्यनाथ का तिलकोत्सव
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग शामिल है। यहाँ प्रतिवर्ष वसंत पंचती यानी माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को मिथिलांचलवासियों द्वारा भगवान वैद्यनाथ को तिलक चढाने की रस्म निभाई जाती है और बारात लेकर आने का निमंत्रण दिया जाता है। इस बार 15 फरवरी 2013 को वसंत पंचमी पर भी ऐसा ही हुआ। तिलकोत्सव के बाद ज्योतिर्लिंग पर रंग-अबीर अर्पित किया जाता है। इसी दौरान मिथिलांचलवासी सुल्तानगंज से कांवर में गंगाजल भरकर 105 किलोमीटर पैदल चलकर और ‘बोल बम’ का जयघोष करते हुए वैद्यनाथधाम पहुंचते हैं। इन्हें ‘तिलकहरूआ’ कहा जाता है। इस बार 80 हजार तिलकहरूए पहुँचे थे।
शनिवार, 16 फ़रवरी 2013
MAHATMA GANDHI'S HIGHEST STATUE IN THE WORLD AT PATNA./ दुनिया में महात्मा गांधी की सबसे ऊंची प्रतिमा पटना में दुनिया में महात्मा गांधी की सबसे ऊंची प्रतिमा पटना में MAHATMA GANDHI'S HIGHEST STATUE IN THE WORLD AT PATNA. महात्मा गांधी की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा 15 फरवरी 2013 को लगी है, पटना के गांधी मैदान में। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने यहां लोगों को संबोधित किया था। गांधी मैदान में उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा, इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा यह होगी। संसद परिसर में लगी महात्मा की योग मुद्रा वाली प्रतिमा अब तक सबसे ऊंची थी। उसकी ऊंचाई 16 फीट है जबकि गांधी मैदान में लगी प्रतिमा की ऊंचाई 40 फीट है और उसका प्लेटफार्म 32 फीट है। नीतीश कुमार ने कहा कि गांधी के विचारों को दुनिया स्वीकार कर रही है। उनकी प्रतिमा लगने से बिहार का भी मान बढ़ेगा। सभी जगहों के लोगों को यह प्रतिमा आकर्षित करेगी। महात्मा गांधी की प्रतिमा आमतौर लाठी ठेकते हुए देखने को मिलती है। पर इस प्रतिमा में एक बच्ची और एक बच्चे को गांधी के साथ दिखाया गया है। प्रतिमा के चारों कोने पर गांधी से जुड़े संदेश अंकित हैं। एक कोने पर चंपारण आंदोलन से जुड़ा संदेश है, दूसरे कोने पर दांडी से जुडा संदेश, तीसरे कोने पर चरखा आंदोलन से जुड़ा उनका संदेश है तो चौथे कोने पर अगस्त क्रांति का संदेश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिमा के कॉन्सेप्ट पर काफी दिनों से विमर्श चल रहा था। प्रसिद्ध गांधीवादी और प्रतिमा बनाने वाले रामजी सुतार, उनके पुत्र अनिल वी सुतार, गांधी संग्रहालय के प्रमुख रजी अहमद और सर्वोदय आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर त्रिपुरारी शरण को नीतीश कुमार ने सम्मानित भी किया।
दुनिया में महात्मा गांधी की सबसे ऊंची प्रतिमा पटना में
MAHATMA GANDHI'S HIGHEST STATUE IN THE WORLD AT PATNA.
महात्मा गांधी की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा 15 फरवरी 2013 को लगी है, पटना के गांधी मैदान में। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने यहां लोगों को संबोधित किया था। गांधी मैदान में उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा, इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा यह होगी। संसद परिसर में लगी महात्मा की योग मुद्रा वाली प्रतिमा अब तक सबसे ऊंची थी। उसकी ऊंचाई 16 फीट है जबकि गांधी मैदान में लगी प्रतिमा की ऊंचाई 40 फीट है और उसका प्लेटफार्म 32 फीट है। नीतीश कुमार ने कहा कि गांधी के विचारों को दुनिया स्वीकार कर रही है। उनकी प्रतिमा लगने से बिहार का भी मान बढ़ेगा। सभी जगहों के लोगों को यह प्रतिमा आकर्षित करेगी। महात्मा गांधी की प्रतिमा आमतौर लाठी ठेकते हुए देखने को मिलती है। पर इस प्रतिमा में एक बच्ची और एक बच्चे को गांधी के साथ दिखाया गया है। प्रतिमा के चारों कोने पर गांधी से जुड़े संदेश अंकित हैं। एक कोने पर चंपारण आंदोलन से जुड़ा संदेश है, दूसरे कोने पर दांडी से जुडा संदेश, तीसरे कोने पर चरखा आंदोलन से जुड़ा उनका संदेश है तो चौथे कोने पर अगस्त क्रांति का संदेश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिमा के कॉन्सेप्ट पर काफी दिनों से विमर्श चल रहा था। प्रसिद्ध गांधीवादी और प्रतिमा बनाने वाले रामजी सुतार, उनके पुत्र अनिल वी सुतार, गांधी संग्रहालय के प्रमुख रजी अहमद और सर्वोदय आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर त्रिपुरारी शरण को नीतीश कुमार ने सम्मानित भी किया।
शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013
महात्मा गांधी की सबसे ऊंची प्रतिमा पटना में
दुनिया में महात्मा गांधी की सबसे ऊंची प्रतिमा कहां लगी है? इसका जवाब है,पटना के गांधी मैदान में। प्लेटफार्म सहित महात्मा गांधी की प्रतिमा की कुल ऊंचाई 72 फीट है। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के साथ आज 15 फरवरी 2013 को यह एक और मिसाल जुड़ गयी। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने यहां लोगों को संबोधित किया था। आज उसी मैदान के एक कोने में उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा, इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा यह होगी। संसद परिसर में लगी महात्मा की योग मुद्रा वाली प्रतिमा अब तक सबसे ऊंची थी। उसकी ऊंचाई 16 फीट है जबकि गांधी मैदान में लगी प्रतिमा की ऊंचाई 40 फीट है और उसका प्लेटफार्म 32 फीट है। नीतीश कुमार ने कहा कि गांधी के विचारों को दुनिया स्वीकार कर रही है। उनकी प्रतिमा लगने से बिहार का भी मान बढ़ेगा। सभी जगहों के लोगों को यह प्रतिमा आकर्षित करेगी। महात्मा गांधी की प्रतिमा आमतौर लाठी ठेकते हुए देखने को मिलती है। पर इस प्रतिमा में एक बच्ची और एक बच्चे को गांधी के साथ दिखाया गया है। प्रतिमा के चारों कोने पर गांधी से जुड़े संदेश अंकित हैं। एक कोने पर चंपारण आंदोलन से जुड़ा संदेश है, दूसरे कोने पर दांडी से जुडा संदेश, तीसरे कोने पर चरखा आंदोलन से जुड़ा उनका संदेश है तो चौथे कोने पर अगस्त क्रांति का संदेश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिमा के कॉन्सेप्ट पर काफी दिनों से विमर्श चल रहा था। प्रसिद्ध गांधीवादी और प्रतिमा बनाने वाले रामजी सुतार, उनके पुत्र अनिल वी सुतार, गांधी संग्रहालय के प्रमुख रजी अहमद और सर्वोदय आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर त्रिपुरारी शरण को नीतीश कुमार ने सम्मानित भी किया।
बुधवार, 13 फ़रवरी 2013
रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक
रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी तट पर मूर्तियों को गढ़ा
बेरहमपुर विश्वविद्यालय 2 मई को अपने वार्षिक दीक्षांत समारोह पर प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक को डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करेगा। प्रतिभा के मामले में वह किसी से कम नहीं हैं। एक के बाद एक कई विश्व खिताब अपने नाम करने वाले विश्व प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार देश में रेत पर कलाकारी की बढ़ती लोकप्रियता है। यह पूछे जाने पर कि इस बेजोड़ रचनात्मकता के लिए उन्हें कहां से प्रेरणा मिलती है, उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति विराट है, उन्हें इसी से प्रेरणा मिलती है। कलाकार को निरंतर कल्पनाशील, मौलिक बने रहना चाहिए, रचनात्मकता फिर खुद ही दिखेगी। उल्लेखनीय कार्यों के लिए पटनायक का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के 2006, 2007, 2008 और 2009 के संस्करणों में दर्ज हो चुका है।
बेरहमपुर विश्वविद्यालय 2 मई को अपने वार्षिक दीक्षांत समारोह पर प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक को डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करेगा। प्रतिभा के मामले में वह किसी से कम नहीं हैं। एक के बाद एक कई विश्व खिताब अपने नाम करने वाले विश्व प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार देश में रेत पर कलाकारी की बढ़ती लोकप्रियता है। यह पूछे जाने पर कि इस बेजोड़ रचनात्मकता के लिए उन्हें कहां से प्रेरणा मिलती है, उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति विराट है, उन्हें इसी से प्रेरणा मिलती है। कलाकार को निरंतर कल्पनाशील, मौलिक बने रहना चाहिए, रचनात्मकता फिर खुद ही दिखेगी। उल्लेखनीय कार्यों के लिए पटनायक का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के 2006, 2007, 2008 और 2009 के संस्करणों में दर्ज हो चुका है।
शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013
स्वस्तिक (卐) या स्वस्तिक (卍)/ SWASTIK
卐स्व का अर्थ होता है, 'अच्छा', अस्ति का अर्थ होता है 'होना' और 'का' प्रत्यय है। स्वस्तिक एक प्राचीन प्रतीक है- प्रकाश, प्रेम और जीवन का।
स्वस्तिक दोनों ही तरह का, दायें की तरफ मुँह वाला (卐) या बाएँ की तरफ मुँह वाला (卍) हो सकता है। हिंदुत्व में दाईं तरफ मुड़ा हुआ स्वस्तिक सृष्टि के विकास (卐) का प्रतीक है तथा बाईं तरफ मुड़ा हुआ स्वस्तिक (卍) सृष्टि के ह्रास का प्रतीक है। इसी प्रकार ये सृजन करने वाले भगवान् ब्रह्मा के दो रूपों का प्रतिनिधित्व करता है। स्वस्तिक को चारों दिशाओं {पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण} की ओर इशारा करने वाले की तरह भी देखा जाता है, तो इससे यह स्थायीत्व तथा गाम्भीर्य का प्रतिनिधित्व भी करता है। स्वस्तिक को सूर्य भगवान् का प्रतीक भी माना जाता है। स्वस्तिक को बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा इससे हिन्दू संस्कृति से जुडी चीज़ों को अलंकृत करने में प्रयुक्त किया जाता है। स्वस्तिक को हिन्दू मंदिरों, प्रतीकों, चिन्हों, चित्रों, जहाँ-जहाँ पावित्र्य है, पाया जा सकता है। स्वस्तिक का प्रयोग सभी पूर्वीय धर्मो में होता है।आज भी यहूदियों की दृष्टि में स्वस्तिक प्रतीक है 'हत्या' का, क्योंकि स्वस्तिक को नाजियों द्वारा अपने प्रतीक चिन्ह के रूप में उपयोग में लाया गया था। स्वस्तिक का प्रयोग नाज़ी सिद्धान्त्वेत्ताओं द्वारा, आर्य मूल के लोग जर्मन लोगो के पूर्वज हैं, इस सिद्धांत के साथ जोड़ा गया। दुर्भाग्य से स्वस्तिक का प्रयोग नाज़िओं द्वारा इतने प्रभावशाली ढंग से हुआ के आज भी लोग स्वस्तिक का असली मतलब नहीं समझते हैं। लेकिन, आर्य भारतीय नहीं थे, इस हास्यापद सिद्धांत को पाश्चात्य विद्वानों ने ही ख़ारिज कर दिया है।
बाईं तरफ मुड़ा हुआ (卍) प्रेम तथा करुण का प्रतिनिधित्व करता है वहीँ दाई तरफ मुड़ा हुआ (卐) बल तथा बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। तिब्बत में स्वस्तिक को 'युंग-दुंग' कहते हैं। ये शाश्वतता का प्रतीक हुआ करता था। आजकल ये प्रतीक बौद्ध कला और साहित्य में प्रयोग किया जाता है तथा धर्म, वैश्विक एकता तथा विरोधों के संतुलन का प्रतीक है। दाईं तरफ मुड़ा हुआ स्वस्तिक (卐) या बायीं तरफ मुड़ा हुआ (卍) बुद्ध की मूर्तियों पर देखा जा सकता है। 3000 वर्ष पुराना सोने का स्वस्तिक ईरानी में स्वस्तिक की माला के रूप में भी मिला है जो इरान के राष्ट्रीय संग्रहालय में मौजूद है। अफगानिस्तान में हुई खुदाई में घड़ों पर भी स्वस्तिक के चिन्ह पाए गए हैं। स्वस्तिक बर्कल, सुडान, अफ्रीका में भी पाए गए हैं।
बुधवार, 6 फ़रवरी 2013
अरविंद केजरीवाल/ARVIND KEJRIWAL
अरविंद केजरीवाल/ARVIND KEJRIWAL
भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं अरविंद केजरीवाल। सरकार में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए संघर्षरत हैं। उन्हें 2006 में उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारत के सूचना अधिकार अर्थात सूचना कानून (सूका) के आन्दोलन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाया और नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सशक्त बनाने हेतु सामाजिक आन्दोलन किया। अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ। उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे 1992 में भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए। उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया। शीघ्र ही उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। अपनी आधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू कर दी। प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जनवरी 2000 में उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन 'परिवर्तन' की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। फरवरी 2006 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ 'परिवर्तन' में ही काम करने लगे। अरुणा रॉय और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया। दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया।
जुलाई 2006 में उन्होंने पूरे भारत में आरटीआई के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए एक अभियान शुरू किया। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अरविन्द ने अब अपने संस्थान के माध्यम से एक आरटीआई पुरस्कार की शुरुआत की है। सूचना का अधिकार गरीब लोगों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, आम जनता और पेशेवर लोगों के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। अरविंद सूचना के अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को अपनी सरकार से प्रश्न पूछने की शक्ति देते हैं। अपने संगठन 'परिवर्तन' के माध्यम से वे लोगों को प्रशासन में सक्रिय हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हैं। हालांकि आरटीआई को आम नागरिक के लिए शक्तिशाली उपकरण बनने में समय लगेगा, अरविन्द ने दिखा दिया है कि वास्तव में इसके लिए एक सम्भव रास्ता है।
6 फरवरी 2007 को अरविन्द को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन 'इन्डियन ऑफ़ द इयर' के लिए नामित किया गया। अरविंद ने सूचना अधिकार अधिनियम को स्पष्ट करते हुए गूगल पर भाषण दिया।
2 अक्टूबर 2012 को गांधीजी और शास्त्रीजी के चित्रों से सजी पृष्ठभूमि वाले मंच से अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी, जो अब 'अण्णा टोपी' भी कहलाने लगी है, पहनी थी। टोपियों पर उन्होंने लिखवाया, 'मैं आम आदमी हूं'। उन्होंने 2 अक्टूबर 2012 को ही अपने भावी राजनीतिक दल का दृष्टिकोण पत्र भी जारी किया।
राजनीतिक दल बनाने की विधिवत घोषणा के साथ उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी जो नेहरू परिवार की उत्तराधिकारी और संप्रग की मुखिया हैं, के दामाद रॉबर्ट वढेरा और भूमि-भवन विकासकर्ता कम्पनी डीएलएफ के बीच हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। बाद में केन्द्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुई खुर्शीद के ट्रस्ट में हो रही धांधलियों का खुलासा किया।
पुरस्कार..
2004 में अशोक फैलो, सिविक अंगेजमेंट के लिए।
2005 में 'सत्येन्द्र दुबे मेमोरियल अवार्ड', आईआईटी कानपुर, सरकार में पारदर्शिता लाने के लिए उनके अभियान हेतु।
2006 में उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड।
2006 में लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन, 'इन्डियन ऑफ़ द इयर'।
2009 में विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए आईआईटी खड़गपुर।
भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं अरविंद केजरीवाल। सरकार में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए संघर्षरत हैं। उन्हें 2006 में उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने भारत के सूचना अधिकार अर्थात सूचना कानून (सूका) के आन्दोलन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाया और नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए सशक्त बनाने हेतु सामाजिक आन्दोलन किया। अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ। उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे 1992 में भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए। उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया। शीघ्र ही उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। अपनी आधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू कर दी। प्रारंभ में, अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जनवरी 2000 में उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन 'परिवर्तन' की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। फरवरी 2006 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ 'परिवर्तन' में ही काम करने लगे। अरुणा रॉय और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो जल्दी ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया। दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया।
जुलाई 2006 में उन्होंने पूरे भारत में आरटीआई के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए एक अभियान शुरू किया। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अरविन्द ने अब अपने संस्थान के माध्यम से एक आरटीआई पुरस्कार की शुरुआत की है। सूचना का अधिकार गरीब लोगों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, आम जनता और पेशेवर लोगों के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। अरविंद सूचना के अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को अपनी सरकार से प्रश्न पूछने की शक्ति देते हैं। अपने संगठन 'परिवर्तन' के माध्यम से वे लोगों को प्रशासन में सक्रिय हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हैं। हालांकि आरटीआई को आम नागरिक के लिए शक्तिशाली उपकरण बनने में समय लगेगा, अरविन्द ने दिखा दिया है कि वास्तव में इसके लिए एक सम्भव रास्ता है।
6 फरवरी 2007 को अरविन्द को वर्ष 2006 के लिए लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन 'इन्डियन ऑफ़ द इयर' के लिए नामित किया गया। अरविंद ने सूचना अधिकार अधिनियम को स्पष्ट करते हुए गूगल पर भाषण दिया।
2 अक्टूबर 2012 को गांधीजी और शास्त्रीजी के चित्रों से सजी पृष्ठभूमि वाले मंच से अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी, जो अब 'अण्णा टोपी' भी कहलाने लगी है, पहनी थी। टोपियों पर उन्होंने लिखवाया, 'मैं आम आदमी हूं'। उन्होंने 2 अक्टूबर 2012 को ही अपने भावी राजनीतिक दल का दृष्टिकोण पत्र भी जारी किया।
राजनीतिक दल बनाने की विधिवत घोषणा के साथ उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी जो नेहरू परिवार की उत्तराधिकारी और संप्रग की मुखिया हैं, के दामाद रॉबर्ट वढेरा और भूमि-भवन विकासकर्ता कम्पनी डीएलएफ के बीच हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। बाद में केन्द्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुई खुर्शीद के ट्रस्ट में हो रही धांधलियों का खुलासा किया।
पुरस्कार..
2004 में अशोक फैलो, सिविक अंगेजमेंट के लिए।
2005 में 'सत्येन्द्र दुबे मेमोरियल अवार्ड', आईआईटी कानपुर, सरकार में पारदर्शिता लाने के लिए उनके अभियान हेतु।
2006 में उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए रमन मेगसेसे अवार्ड।
2006 में लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन, 'इन्डियन ऑफ़ द इयर'।
2009 में विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए आईआईटी खड़गपुर।
शनिवार, 2 फ़रवरी 2013
नागा साधु बनाने की प्रक्रिया/NAGA SAINT
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले- महाकुम्भ के कई रंगों में एक रंग है- नागा साधु जो हमेशा की तरह श्रद्धालुओं के कुतूहल का केंद्र बने हुए हैं। इनका जीवन आम लोगों के लिए एक रहस्य की तरह होता है। नागा साधु बनाने की प्रक्रिया महाकुम्भ के दौरान ही होती है। नागा साधु बनने के लिए इतनी परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है कि शायद बिना संन्यास के दृढ़ निश्चय के कोई व्यक्ति इस पर पार ही नहीं पा सकता। सनातन परम्परा की रक्षा और उसे आगे बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न संन्यासी अखाड़ों में हर महाकुम्भ के दौरान नागा साधु बनाए जाते हैं। माया मोह त्यागकर वैराग्य धारण की इच्छा लिए विभिन्न अखाड़ों की शरण में आने वाले व्यक्तियों को परम्परानुसार आजकल प्रयाग महाकुम्भ में नागा साधु बनाया जा रहा है। अखाड़ों के मुताबिक इस बार प्रयाग महाकुम्भ में पांच हजार से ज्यादा नागा साधु बनाए जाएंगे।
आमतौर पर नागा साधु सभी संन्यासी अखाड़ों में बनाए जाते हैं लेकिन जूना अखाड़ा सबसे ज्यादा नागा साधु बनाता है। सभी तेरह अखाड़ों में ये सबसे बड़ा अखाड़ा भी माना जाता है। जूना अखाड़े के महंत नारायण गिरि महाराज के मुताबिक नागाओं को सेना की तरह तैयार किया जाता है। उनको आम दुनिया से अलग और विशेष बनना होता है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति साधु बनने के लिए किसी अखाड़े में जाता है तो उसे कभी सीधे-सीधे अखाड़े में शामिल नहीं किया जाता। अखाड़ा अपने स्तर पर ये तहकीकात करता है कि वह साधु क्यों बनना चाहता है। उसकी पूरी पृष्ठभूमि देखी जाती है। अगर अखाड़े को ये लगता है कि वह साधु बनने के लिए सही व्यक्ति है तो उसे अखाड़े में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
गिरि के मुताबिक प्रवेश की अनुमति के बाद पहले तीन साल गुरुओं की सेवा करने के साथ धर्म कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है। उन्होंने कहा कि अगली प्रक्रिया कुम्भ मेले के दौरान शुरू होती है। जब ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष बनाया जाता है। इस दौरान उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार गंगा में डुबकी लगवाई जाती है। उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं। भस्म, भगवा, रूद्राक्ष आदि चीजें दी जाती हैं। महापुरुष के बाद उसे अवधूत बनाया जाता है। अखाड़ों के आचार्य द्वारा अवधूत का जनेऊ संस्कार कराने के साथ संन्यासी जीवन की शपथ दिलाई जाती हैं। इस दौरान उसके परिवार के साथ उसका भी पिंडदान कराया जाता है। इसके पश्चात दंडी संस्कार कराया जाता है और रातभर उसे ओम नम: शिवाय का जाप करना होता है।
जूना अखाड़े के एक और महंत नरेंद्र महाराज कहते हैं कि जाप के बाद भोर में अखाड़े के महामंडलेश्वर उससे विजया हवन कराते हैं। उसके पश्चात सभी को फिर से गंगा में 108 डुबकियां लगवाई जाती हैं। स्नान के बाद अखाड़े के ध्वज के नीचे उससे दंडी त्याग कराया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद वह नागा साधु बन जाता है। चूंकि नागा साधु की प्रक्रिया प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में कुम्भ के दौरान ही होती है। ऐसे में प्रयाग के महाकुम्भ में दीक्षा लेने वालों को नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है।(indoasiannews)
आमतौर पर नागा साधु सभी संन्यासी अखाड़ों में बनाए जाते हैं लेकिन जूना अखाड़ा सबसे ज्यादा नागा साधु बनाता है। सभी तेरह अखाड़ों में ये सबसे बड़ा अखाड़ा भी माना जाता है। जूना अखाड़े के महंत नारायण गिरि महाराज के मुताबिक नागाओं को सेना की तरह तैयार किया जाता है। उनको आम दुनिया से अलग और विशेष बनना होता है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति साधु बनने के लिए किसी अखाड़े में जाता है तो उसे कभी सीधे-सीधे अखाड़े में शामिल नहीं किया जाता। अखाड़ा अपने स्तर पर ये तहकीकात करता है कि वह साधु क्यों बनना चाहता है। उसकी पूरी पृष्ठभूमि देखी जाती है। अगर अखाड़े को ये लगता है कि वह साधु बनने के लिए सही व्यक्ति है तो उसे अखाड़े में प्रवेश की अनुमति मिलती है।
गिरि के मुताबिक प्रवेश की अनुमति के बाद पहले तीन साल गुरुओं की सेवा करने के साथ धर्म कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है। उन्होंने कहा कि अगली प्रक्रिया कुम्भ मेले के दौरान शुरू होती है। जब ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष बनाया जाता है। इस दौरान उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार गंगा में डुबकी लगवाई जाती है। उसके पांच गुरु बनाए जाते हैं। भस्म, भगवा, रूद्राक्ष आदि चीजें दी जाती हैं। महापुरुष के बाद उसे अवधूत बनाया जाता है। अखाड़ों के आचार्य द्वारा अवधूत का जनेऊ संस्कार कराने के साथ संन्यासी जीवन की शपथ दिलाई जाती हैं। इस दौरान उसके परिवार के साथ उसका भी पिंडदान कराया जाता है। इसके पश्चात दंडी संस्कार कराया जाता है और रातभर उसे ओम नम: शिवाय का जाप करना होता है।
जूना अखाड़े के एक और महंत नरेंद्र महाराज कहते हैं कि जाप के बाद भोर में अखाड़े के महामंडलेश्वर उससे विजया हवन कराते हैं। उसके पश्चात सभी को फिर से गंगा में 108 डुबकियां लगवाई जाती हैं। स्नान के बाद अखाड़े के ध्वज के नीचे उससे दंडी त्याग कराया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद वह नागा साधु बन जाता है। चूंकि नागा साधु की प्रक्रिया प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में कुम्भ के दौरान ही होती है। ऐसे में प्रयाग के महाकुम्भ में दीक्षा लेने वालों को नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है।(indoasiannews)
तुम स्वयं देवों के देव हो : स्वामी विवेकानन्द/SWAMI VIVEKANAND'S 150 YEARS BIRTH ANNIVERSARY
* उठो, जागो और तब तक रूको नहीं, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाय।
* सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो- उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है और उन्हें बहा ले जाती है, तो ले जाने दो- वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही है। तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ।
* जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते।
* ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्धि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं- इस भाव से सबको देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएँगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। ज्ञान स्वयमेव वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
* मानव-देह ही सर्वश्रेष्ठ देह है एवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी है, क्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से संपूर्णतया बाहर हो सकते हैं- निश्चय ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त कर सकते हैं और यह मुक्ति ही हमारा चरम लक्ष्य है।
* जो मनुष्य इसी जन्म में मुक्ति प्राप्त करना चाहता है, उसे एक ही जन्म में हजारों वर्ष का काम करना पड़ेगा। वह जिस युग में जन्मा है, उससे उसे बहुत आगे जाना पड़ेगा किन्तु साधारण लोग किसी तरह रेंगते-रेंगते ही आगे बढ़ सकते हैं। जो महापुरुष प्रचार-कार्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, वे उन महापुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत अपूर्ण हैं, जो मौन रहकर पवित्र जीवनयापन करते हैं और श्रेष्ठ विचारों का चिन्तन करते हुए जगत् की सहायता करते हैं। इन सभी महापुरुषों में एक के बाद दूसरे का आविर्भाव होता है- अंत में उनकी शक्ति का चरम फलस्वरूप ऐसा कोई शक्तिसम्पन्न पुरुष अविर्भूत होता है, जो जगत् को शिक्षा प्रदान करता है।
* आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो। मुक्ति-लाभ के अतिरिक्त और कौन-सी उच्चावस्था का लाभ किया जा सकता है? देवदूत कभी कोई बुरे कार्य नहीं करते, इसलिए उन्हें कभी दंड भी प्राप्त नहीं होता, अतएव वे मुक्त भी नहीं हो सकते। सांसारिक धक्का ही हमें जगा देता है, वही इस जगत्स्वप्न को भंग करने में सहायता पहुँचाता है। इस प्रकार के लगातार आघात ही इस संसार से छुटकारा पाने की अर्थात् मुक्ति-लाभ करने की हमारी आकांक्षा को जाग्रत करते हैं।
* हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है। मन का विकास करो और उसका संयम करो, उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो- उससे अतिशीघ्र फल प्राप्ति होगी। यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है।
* पहले स्वयं संपूर्ण मुक्तावस्था प्राप्त कर लो, उसके बाद इच्छा करने पर फिर अपने को सीमाबद्ध कर सकते हो। प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो। सभी मरेंगे- साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- सभी मरेंगे। चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ। भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र, चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके। संन्यास का अर्थ है, मृत्यु के प्रति प्रेम।
* सांसारिक लोग जीवन से प्रेम करते हैं, परन्तु संन्यासी के लिए प्रेम करने को मृत्यु है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम आत्महत्या कर लें। आत्महत्या करने वालों को तो कभी मृत्यु प्यारी नहीं होती है। संन्यासी का धर्म है समस्त संसार के हित के लिए निरंतर आत्मत्याग करते हुए धीरे-धीरे मृत्यु को प्राप्त हो जाना।
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