-शीतांशु कुमार सहाय
कल अर्थात् 8 अप्रैल 2014 को रामनवमी है। आप सबको रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! रामनवमी के अवसर पर यहाँ मैं भगवान श्रीराम से जुड़े दो पात्रों के बारे में चर्चा कर रहा हूँ, श्रीराम की बड़ी और एकमात्र बहन शान्ता और उनके अनुज लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला के बारे में। शान्ता के बारे में तीन कथाएँ (प्रकरण) यहाँ प्रस्तुत हैं--
प्रकरण-- 1
हम सभी प्रभु राम के 3 भाईओं के बारे में तो जानते हैं जिनके नाम क्रमशः लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न थे। परन्तु शान्ता का नाम अल्प ही लिया जाता है जो कि वास्तव में इन सभी भ्राताओं में वरिष्ठ थीं। शान्ता रामायण का एक अभिन्न अङ्ग है। वो दशरथ तथा कौशल्या की पुत्री थीं तथा उनको रोम्पद तथा वर्षिणी ने गोद लिया था। वो ऋषिश्रङ्ग की पत्नी थीं। ये माना जाता है कि उनके वंशज सेंगर राजपूत हैं जिन्हे ऋषिवंशी राजपूत भी कहा जाता है। शान्ता राजा दशरथ तथा कौशल्या की पुत्री थीं परन्तु उन्हे अङ्ग देश के राजा रोम्पद तथा उनकी काकी (कौशल्या की बड़ी बहन) वर्षिणी ने गोद लिया था। वर्षिणी के पास कोई बच्चा नहीं था तथा एक बार अयोध्या में उन्होने हंसी में बच्चे की मांग की। दशरथ मान गए। रघुकुल का दिया गया वचन निभाने के लिए शान्ता अङ्गदेश की राजकुमारी बन गईं। ये माना जाता है कि शान्ता वेद, कला तथा शिल्प में पारङ्गत थीं। वो अधिक सुन्दर भी थीं। एक दिन वो अपने पिता के साथ वार्तालाप कर रहीं थीं कि एक ब्राह्मण उनके पास आया। वो मानसून के मौसम में बीजने के लिए सहायता मांगने आया था। परन्तु रोम्पद ने उसे अनदेखा कर दिया। इससे क्रोधित हो कर ब्राह्मण राज्य छोड़ कर चला गया जिससे इन्द्र देव क्रोधित हो गए। वर्षा ऋतु में कम जल बरसने के कारण सूखा पड़ गया। इस स्थिति से पार पाने के लिए राजा ने ऋषिश्रङ्ग को बुलाया। यज्ञ से वर्षा हुई। ऋषिश्रङ्ग को धन्यवाद स्वरूप शान्ता का विवाह उन ऋषि के साथ कर दिया गया। दशरथ के कोई पुत्र नहीं था। वो चाहते थे कि वंश चलाने वाला कोई तो हो। उन्होने ऋषिश्रङ्ग को पुत्रकामेष्ठि यज्ञ पूर्ण करने के लिए बुलाया। इसी यज्ञ से चारों भाई राम, लक्षमण, भरत तथा शत्रुघ्न पैदा हुए।
प्रकरण-- 2
सत्य साईं बाबा ने अपने एक प्रवचन (19 मई, 2002), जो कि बृन्दावन, व्हाईटफ़ील्ड (बेंगलुरु) में दिया गया था, में प्रभु राम की बहन के बारे में कहा था। उन्होने इस कथा को ऐसे कहा:--- कौशल्या के राम को जन्म देने से पहले उसके एक पुत्री थी। क्योंकि वो एक कन्या थी तथा राज्य की उत्तराधिकारी नहीं थी तो उसको एक ऋषि की गोद में दे दिया गया। उस ऋषि ने उसका पालन किया तथा उसका विवाह ऋषिश्रङ्ग से कर दिया। दशरथ ने उनके मंत्री सुमन्त की सलाह पर पुत्रकामेष्ठि यज्ञ में महान ऋषियों को बुलाया। दशरथ ने ऋषिश्रङ्ग को भी बुलाया। ऋषिश्रङ्ग एक पुन्य ऋषि थे तथा जहां वो पांव रखते थे वहां यश होता था. सुमन्त ने ऋषिश्रङ्ग को मुख्य ऋत्विक बनने के लिए कहा। ऋषिश्रङ्ग ने कहा कि मैं अकेला नहीं आ सकता। मेरी भार्या शान्ता को भी आना पड़ेगा। सुमन्त इस के लिए मान गए। शान्ता तथा ऋषिश्रङ्ग अयोध्या पहुंचे। तभी शान्ता ने दशरथ के चर्ण स्पर्श किए। दशरथ ने आश्चर्यचकित होकर पूछा कि वो कौन है चूँकि वो एक ऋषि की भाँति जान पड़ती थीं। वो जहां भी पांव रखती थी सूखा मिट जाता था और समय पर वर्षा होती थी। जब माता पिता विस्मित थे कि वो कौन है तब शान्ता ने बताया कि वो उनकी पुत्री शान्ता है। दशरथ और कौशल्या ये जानकर अधिक प्रसन्न हुए।
प्रकरण-- 3
इसी कथा का एक और रूप है जो कि टीवी कार्यक्रम 'रावण' में था--- इस रूप के अन्तर्गत पुत्री को गोद नहीं दिया। परन्तु सूखा पड़ने के कारण ऋषिश्रङ्ग को बुलाने वाली बात इसमें भी है। ऋषि यज्ञ के लिए मान गए। वर्षा हुई तथी सभी प्रसन्न हो गए। राजा दशरथ अध्यात्मिक वैज्ञानिक को पुरस्कार देने के लिए तत्पर थे जिसने सहस्रों की तृष्णा शान्त की थी। ऋषि ने पुरस्कार के रूप में शान्ता के साथ विवाह का प्रस्ताव रख दिया। सभी आश्चर्यचकित रह गए चूँकि वो एक ब्राह्मण थे तथा शान्ता एक राजकन्या थी। यदि विवाह हुआ तो उसे ऋषि पत्नी की भाँति आश्रम में रहना होगा। परन्तु वो मान गए। वर्षों उपरान्त, दशरथ ने पुनः ऋषिश्रङ्ग को पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा। ऋषिश्रङ्ग ने पुत्रकामेष्ठि यज्ञ किया तथा इसी से भगवान राम तथा और भाईयों का जन्म हुआ।
लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला---
वाल्मीकि के ‘रामायण’ या तुलसीदास के ‘रामचरितमानस’ में लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला के बारे में बहुत कम चर्चा है। अन्य ग्रन्थों में भी उनकी चर्चा नहीं मिलती है। उर्मिला का नाम रामायण में लक्ष्मण की पत्नी के रूप में मिलता है। महाभारत, पुराण तथा काव्य में भी इससे अधिक उर्मिला का कोई परिचय नहीं मिलता। आधुनिक काल में उर्मिला के विषय में विशेष सहानुभूति प्रकट की गयी है। उर्मिला जनकनंदनी सीता की छोटी बहन थीं और सीता के विवाह के समय ही दशरथ और सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण को ब्याही गई थीं। इनके अंगद और चन्द्रकेतु नाम के दो पुत्र तथा सोमदा नाम की एक पुत्री थी। उर्मिला विविध कलाओं में पारंगत और कर्तव्यपरायण नारी थी। राम के साथ लक्ष्मण के भी चौदह वर्ष के लिए वन जाने पर उर्मिला ने अपनी विरह-व्यथा को जीव-जन्तुओं के प्रति सहानुभूति में बदल दिया। भगवान राम के राजतिलक का वनवास में परिवर्तन हो जाने की भनक उर्मिला को नहीं थी। वो अपने भवन में राम के राजतिलक का सुन्दर चित्र बना रही थी। वनवास का समाचार उर्मिला को बताने जब उर्मिला के कक्ष में लक्ष्मण आये तो चित्र पर रंग गिर पड़ा और पूरा चित्र बिगड़ गया। वह सोचीं कि अवश्य ही कोई विषादवाला समाचार है। श्रीराम के वन जाने का समाचार सुनने पर उर्मिला ने पति लक्ष्मण से कहा- आप भी उनके साथ जाइये। वैसे पतिव्रता होने के कारण मुझे भी आपके साथ जाना चाहिये, किन्तु यदि मैं भी वन गयी तो आपकी राम-भक्ति में बाधा पड़ेगी। अतः आप अग्रज के साथ जाएँ और मैं यहीं रहूँगी। यह सुनकर लक्ष्मण हर्षित हो गये। उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व हुआ कि उनकी राम-भक्ति में पत्नी बाधा नहीं बनी। यों चौदह वर्षों तक वह पति से अलग रहीं। उनका त्याग अद्भुत है।
भगवान राम आपकी मनोकामना पूरी करें!
भगवान राम आपकी मनोकामना पूरी करें!
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https://eaarti.com/ram-ki-patni-ka-kya-naam-tha/
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