-शीतांशु कुमार सहाय
झारखण्ड के देवघर जिले से 16 किलोमीटर दूर देवघर-दुमका मार्ग पर खूबसूरत त्रिकूट पहाड़ स्थित है। देवघर का यह सबसे रोमांचक पर्यटन स्थल है। इस पहाड़ पर कई गुफाएँ और झरनें हैं। वैद्यनाथधाम से वासुकिनाथ मंदिर की ओर जाने वाले श्रद्धालु मंदिरों से सजे इस पहाड़ पर रूकना पसन्द करते हैं। यहाँ लोग पूजा-अर्चना करते हैं। यहाँ पहाड़ के निचले हिस्से पर बन्दर की कई प्रजातियाँ मिलती हैं। बन्दरों को दर्शनार्थी चना खिलाते हैं। गाड़ी से उतरते ही पर्यटकों पर पैनी निगाह रखनेवाले बन्दर हाथों में कोई भी वस्तु देखने पर उसे छीन लेते हैं। अतः यहाँ आने पर जरूरी वस्तुओं को लोग वाहनों में ही रखकर बन्द कर देते हैं। बन्दरों के अलावा त्रिकूट के जंगल में हाथी, खरहा, शाहिल, हिरन आदि वन्य जीव पाये जाते हैं। इस पहाड़ पर व निकटवर्ती जंगल में कई प्रजातियों की वनस्पतियाँ पायी जाती हैं। यह पहाड़ काफी मनोरम है।
ब्रह्मा़-विष्णु-महेश व ट्रैकिंग
त्रिकूट पहाड़ की तीन मुख्य ऊँची चोटियाँ हैं। इनके नाम हैं- ब्रह्मा़, विष्णु़ और महेश। इसलिए इसे ‘त्रिकूट’ कहा गया। सबसे ऊँची चोटी समुद्र तल से 2470 फीट की ऊँचाई पर है। यह ट्रैकिंग के लिए एक आदर्श स्थान है। अधिकतर चोटियाँ खड़ी ढाल वाली हैं। अतः ट्रैकिंग के लिए कुछ चोटियाँ ही सुरक्षित हैं।
रज्जु मार्ग
त्रिकूट पहाड़ और इसके जंगल में पैदल घूमने के अलावा मुख्य शिखर (विष्णु चोटी) पर रज्जु मार्ग (रोप-वे) के माध्यम से भी जाया जा सकता है। शिखर तक पहुँचने के लिए एक एकल रस्सी कार को 10 मिनट लगते हैं।
तपस्थली व मन्दिर
यह मनोरम पहाड़ कई ऋषियों-मुनियों की तपस्थली रही है। कहा जाता है कि कुछ समय तक रावण ने भी यहाँ तपस्या की थी। अभी भी यहाँ सन्त आश्रम है और कई मन्दिर हैं। यहाँ प्रसिद्ध त्रिकूटाचल महादेव मंदिर है। गणेश, पार्वती, भैरव, अन्नपूर्णा आदि की भी मन्दिरें हैं। मन्दिरों के बीच एक प्राकृतिक जलस्रोत है जिसका जल अत्यन्त निर्मल है। पर्यटकों के अलावा मन्दिर में रहनेवालों के लिए यह जीवनदायिनी जलस्रोत है। मैंने भी बोतल में भरकर इस जल का रसास्वादन किया।
कई गुफाएँ
देवघर के त्रिकूट पहाड़ पर कई गुफाएँ हैं। कुछ में मन्दिर तो कुछ में सन्तों या स्थानीय पुजारियों के आवास हैं। कुछ गुफाओं में पूजन स्थल बनाये गये हैं। सभी गुफाएँ अत्यन्त गर्मी में भी शीतलता प्रदान करती हैं। सबसे अधिक शीतल गुफा में माता अन्नपूर्णा देवी का मन्दिर है। इसमें हमें काफी राहत महसूस हुई।
प्लास्टिक से हानि
देवघर के त्रिकूट पहाड़ पर इन दिनों प्लास्टिक का जमकर उपयोग हो रहा है। उपयोग में लाए गए प्लास्टिक को नष्ट करने का कोई प्रयास नहीं होने से इस मनोरम पर्यटक स्थल की स्थिति नारकीय होती जा रही है। विभागीय अधिकारी एक-दूसरे की जिम्मेदारी बताकर अपना पाला झाड़ लेतेे हैं। इससे जहाँ पर्यावरण को खतरा है वहीं यहाँ निवास कर रहे बंदर, शाहिल, खरहे, हिरन, हाथी आदि जंगली जानवरों का जीवन भी खतरे में पड़ गया है।
इसके अलावा एक अन्य प्रसिद्ध त्रिकूट पर्वत हिमालय क्षेत्र में है जिसपर माता वैष्णो देवी का मन्दिर है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें