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शुक्रवार 3 जुलाई 2015 को केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नयी दिल्ली में सामाजिक-आर्थिक एवं जातीय जनगणना रिपोर्ट- 2011 जारी किया। |
-शीतांशु कुमार सहाय
-देश में कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं।
-6.68 लाख परिवार भीख माँगते हैं।
-4.08 लाख परिवार कचरा बीनते हैं।
-5.39 करोड़ ग्रामीण परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
-9.16 करोड़ परिवार दिहाड़ी के आधार पर हाथ से किये जानेवाले श्रम से आय कमाते हैं।
-44.84 लाख परिवार दूसरों के घरों में घरेलू सहायक हैं।
1931 के बाद पहली बार शुक्रवार 3 जुलाई 2015 को केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नयी दिल्ली में सामाजिक-आर्थिक एवं जातीय जनगणना रिपोर्ट- 2011 जारी किया। केन्द्र सरकार की ओर से जारी किये गये सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना रिपोर्ट- 2011 काफी चिन्ताजनक है। देश में ग्रामीण और शहरी दोनों तरह के परिवार मिलाकर कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं। 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहते हैं। कुल ग्रामीण परिवारों में से 5.39 करोड़ परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। ग्रामीण इलाकों में 5.37 करोड़ (29.97 प्रतिशत) परिवार भूमिहीन हैं और उनकी आजीविका का साधन मेहनत-मजदूरी है। 2.37 करोड़ (13.25 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार एक कमरे के कच्चे घर में रहते हैं। 21.53 प्रतिशत या 3.86 करोड़ ग्रामीण परिवार अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के हैं।
9.16 करोड़ परिवार दिहाड़ी के आधार पर हाथ से किये जानेवाले श्रम से आय कमाते हैं। करीब 44.84 लाख परिवार दूसरों के घरों में घरेलू सहायक के तौर पर काम करके आजीविका चलाते हैं। 4.08 लाख परिवार कचरा बीनकर और 6.68 लाख परिवार भीख माँगकर अपना घर चला रहे हैं। यह आँकड़ा गरीबी के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से गरीबों व आम लोग के लिए चलाये जा रहे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर प्रश्न चिह्न भी लगाता है।
आय के स्रोत के लिहाज से 9.16 करोड़ परिवार (51.14 प्रतिशत) दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं जिनके बाद खेती पर निर्भर परिवारों का स्थान है जो 30.10 प्रतिशत हैं। जनगणना के मुताबिक 2.5 करोड़ (14.01 प्रतिशत) परिवार आय के अन्य स्रोतों पर निर्भर हैं जिनमें सरकारी सेवा, निजी क्षेत्र और सार्वजनिक उपक्रम शामिल हैं। इसके अलावा 4.08 लाख परिवार आजीविका के लिए कचरा बीनने पर निर्भर हैं जबकि 6.68 लाख परिवार भीख और दान पर निर्भर हैं।
देश के करोड़ों परिवार दो जून की रोटी के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। 17.18 प्रतिशत घरों की आय 5-10 हजार रुपये पर निर्भर हैं, वे कहाँ से महंगा मोबाईल खरीदकर इण्टरनेट सेवा का लाभ उठा पायेंगे।
प्रधानमंत्री से गुहार
गरीबी जैसे दंश से देश को उबारने के लिए गरीबों व ग्रामीण क्षेत्रों पर पूरी तरह से ध्यान दिया जाय। ऐसी योजनाएँ लायी जायें जो पूरी तरह से ग्रामीणों एवं गरीबों को लाभ दिलानेवाली हो, जिसका फायदा सीधे लाभुकों के बैंक एकाउण्ट में जाय। समयानुसार योजनाओं की केन्द्रीय स्तर पर समीक्षा की जाय। तब कहीं जाकर भारत समृद्व देश बन पायेगा।
राष्ट्रीय स्थिति और बिहार की स्थिति---
सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना- 2011 के मुताबिक बिहार के कुल ग्रामीण परिवारों में से 65 प्रतिशत भूमिहीन हैं। देश स्तर पर यह आँकड़ा 56 प्रतिशत है। देशभर में सबसे अधिक 98 प्रतिशत ग्रामीण भूमिहीन परिवार चंडीगढ़ में हैं। बिहार के गांवों में सिर्फ 3.89 प्रतिशत परिवार सरकारी नौकरी में हैं और 54.33 प्रतिशत भूमिहीन परिवार मजदूरी करते हैं। सरकारी नौकरी का राष्ट्रीय औसत पांच प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया कि देश के सिर्फ 4.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आयकर देते हैं जबकि वेतनभोगी ग्रामीण परिवारों की संख्या 10 प्रतिशत है। आयकर देनेवाले अनुसूचित जाति के परिवारों की संख्या 3.49 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति के ऐसे परिवारों की संख्या मात्र 3.34 प्रतिशत है। बिहार में 2.73 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आयकर या पेशा कर देते हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहिया व चारपहिया वाहनोंवाले परिवार 11.70 प्रतिशत और 10 हजार से ऊपर की आमदनी वाले 6.87 प्रतिशत परिवार हैं।
ग्रामीण भूमिहीनों के मामले में बिहार से चंडीगढ़, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, दमन, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश आगे हैं। 1931 के बाद यह पहली जनगणना है जिसमें क्षेत्र विशेष, समुदाय, जाति एवं आर्थिक समूह संबंधी विभिन्न किस्म के ब्योरे हैं और भारत में परिवारों की प्रगति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुल ग्रामीण जनसंख्या के 56 प्रतिशत हिस्से के पास भूमि नहीं है, जिनमें 70 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 50 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग भूमिहीन हैं। इसके अलावा 11 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास फ्रिज है और 20.69 प्रतिशत के पास एक मोटरगाड़ी या एक मत्स्य नौका है। सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति की आबादी पंजाब में 36.74 प्रतिशत है।
सिर्फ आठ हजार अनुसूचित जाति के पास कार---
बिहार में अनुसूचित जाति के करीब 85 हजार ग्रामीण परिवारों (2.83 प्रतिशत) की आय 10 हजार रुपये मासिक से ज्यादा है जबकि राष्ट्रीय औसत 4.69 प्रतिशत है। राज्य में सिर्फ आठ हजार अजा परिवारों के पास चारपहिया वाहन हैं। 22 प्रतिशत के पास कोई फोन नहीं है।
18.42 प्रतिशत की आय कृषि से---
देश के कुल ग्रामीण परिवारों में से 30.10 प्रतिशत परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, जबकि बिहार में यह आँकड़ा 18.42 प्रतिशत है। बिहार में 1.25 करोड़ ग्रामीण परिवार (70.59 प्रतिशत) दिहाड़ी मजदूर हैं जबकि देश में 9.16 करोड़ (51.14 प्रतिशत) परिवार दिहाड़ी से अपनी रोजी कमाते हैं। बिहार में 54.33 प्रतिशत भूमिहीन परिवार अनियमित रूप से मजदूरी करते हैं।
मकान के मामले में आगे---
ग्रामीण परिवारों के पास मकान के मामले में जम्मू-कश्मीर को छोड़ बिहार बाकी सबसे आगे है। देश में 94 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मकान हैं जबकि बिहार में 98.81 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास अपना मकान है, जिनमें 57 फीसदी कच्चे व 42 प्रतिशत पक्के मकान हैं।
हर तीसरा परिवार भूमिहीन मजदूर---
रपट से संकेत मिलता है कि गांवों में हर तीसरा परिवार भूमिहीन है, जो अपनी आजीविका के लिए शारीरिक श्रम पर निर्भर है। बिहार में यह संख्या आधे से ज्यादा है।
ये लोग शामिल नहीं---
इस सेंसस में वे परिवार शामिल नहीं हैं, जो 14 तय पैरामीटर में से किसी एक में भी शामिल हैं। मसलन खेती से जुड़ीं मशीनें, वाहन, 50 हजार रुपये से ज्यादा सीमा वाला किसान क्रेडिट, तीन से ज्यादा कमरों वाले पक्के मकान, लैंडलाइन फोन और फ्रिज जैसी अन्य चीजें जिनके पास हैं, वे इसमें शामिल नहीं किये गये हैं।
कहाँ होगा उपयोगी---
ये आँकड़े सबके लिए आवास, शिक्षा एवं कौशल विकास, मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, विशिष्ट रूप से समर्थ लोगों के लिए पहलों, महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों के लिए हस्तक्षेप और वंचितों के साक्ष्य के आधार पर परिवारों-व्यक्तियों की पात्रता तय करने के संबंध में इसका अर्थपूर्ण उपयोग किया जायेगा। इससे अंत्योदय मिशन का रास्ता साफ होगा; ताकि ग्राम पंचायत गरीबी उन्मूलन योजना के जरिये परिवारों की गरीबी घटाई जा सके।
कुल परिवार
भारत - 179164754
बिहार - 17662724
वेतनभोगी
भारत बिहार
कुल 17338251 (9.68 प्रतिशत) 106431 (6.03 प्रतिशत)
सरकारी 8989248 (5.02 प्रतिशत) 713201 (4.04 प्रतिशत)
निजी 6407754 (3.58 प्रतिशत) 241753 (1.37 प्रतिशत)
शिक्षा
भारत बिहार
अनपढ़ 315786931 (35.73 प्रतिशत) 42890099 (43.85 प्रतिशत)
प्राइमरी से कम 123427659 (13.97 प्रतिशत) 19269966 (19.70 प्रतिशत)
प्राइमरी तक 157111009 (17.18 प्रतिशत) 14745696(15.08 प्रतिशत)
मिडिल स्कूल तक 119620648 (13.53 प्रतिशत) 8618739 (8.18 प्रतिशत)
सेकेंडरी तक 84619867 (9.57 प्रतिशत) 6179917 (6.32 प्रतिशत)
हायर सेकेंडरी 47821608 (5.41 प्रतिशत) 3552680 (3.63 प्रतिशत)
स्नातक और ऊपर 30513307 (3.45 प्रतिशत) 2231780 (2.28 प्रतिशत)
संपत्ति
भारत बिहार
फ्रिज 19772939 (11.04 प्रतिशत) 461067 (2.61 प्रतिशत)
लैंडलाइन फोन 1785476 (1 प्रतिशत) 107625 (0.61 प्रतिशत)
मोबाइल 122453752 (68.35 प्रतिशत) 14510889 (82.16 प्रतिशत)
लैंड लाइन+मो. 4874886 (2.72 प्रतिशत) 154778 (0.88 प्रतिशत)
गाड़ी 37077942 (20.69 प्रतिशत) 2066897 (11.70 प्रतिशत)
(गाड़ी में दो, तीन, चार पहिया के साथ मछली पकड़ने वाला मोटरबोट भी शामिल)
भूमि स्वामित्व
भारत बिहार
कुल जमीन 1057522765.188 हेक्टेयर 307346303.18 हेक्टेयर
भूमि वाले परिवार 78378173 हे. (44 प्रतिशत) 6169414 हे. (35 प्रतिशत)
भूमिहीन परिवार 100777240 हे. (56 प्रतिशत) 11490154 हे. (65 प्रतिशत)
जातीय संरचना
भारत
एससी 33065266 (18.46 प्रतिशत)
एसटी 19646873 (10.97 प्रतिशत)
बिहार
एससी 2997987 (16.97 प्रतिशत)
एसटी 286284 (1.62 प्रतिशत)