गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

सावधान! आप की हर डिजिटल गतिविधि पर सरकार की नज़र #NATGRID #NationalInte...


रहिये सावधान, मत कीजिये ग़लत हरकत। इस वीडियो बुलेटिन में आप जानेंगे कि भारत में रहनेवाले लोग और भारत में आनेवाले विदेशियों की प्रत्येक डिजिटल गतिविधि पर सरकार और खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नज़र होगी।

गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड आतंकियों की कमर तोड़ देगा, हर गलत हरकत पर नज़र National Intelligence Grid will Break the Backbone of Terrorists, Track Every Wrong Act

-शीतांशु कुमार सहाय
दुनिया के कई विकसित देशों में खुफिया एजेंसियाँ इलेक्ट्रोनिक इण्टीग्रेटेड सिस्टम या डिजिटल तकनीक की मदद से देश के अंदर होनेवाली सभी गतिविधियों पर नज़र रखती हैं। भारत में भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए इस तरह के सिस्टम की लम्बे समय से ज़रूरत महसूस की जा रही थी, जो जनवरी २०२० तक पूरी हो जायेगी। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड यानी नेटग्रिड भारत के भीतर आतंकियों की कमर तोड़ देगा। इस के बाद आतंकियों के लिए अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देना लगभग नामुमकिन हो जायेगा।

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड यानी नेटग्रिड का वीडियो इस लिंक पर देखें 
शीतांशु टीवी

नेटग्रिड कैसे काम करेगा ?

खुफिया इनपुट का विश्लेषण करने के लिए नेटग्रिड के पास देश में आनेवाले और यहाँ से दूसरे देश जानेवाले हर देसी-विदेशी व्यक्ति का पूरा डाटा उपलब्ध होगा। बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन, इमिग्रेशन, कार्ड से खरीददारी, ऑनलाइन शॉपिंग, मोबाइल या फोन कॉल, सोशल मीडिया प्रोफाइल, इण्टरनेट सर्च, व्यक्तिगत करदाता, हवाई यात्रियों और रेल यात्रियों का रीयल टाइम डाटा भी नेटग्रिड की पहुँच में होगा। इस की मदद से सुरक्षा एजेंसियाँ हर संदिग्ध हरकत पर २४ घण्टे नज़र रख सकेंगी। नेटग्रिड सभी तरह के डाटा का एनालिसिस कर, उन्हें खुफिया एजेंसियों तक पहुँचायेगा। सन्दिग्ध गतिविधियों के बाबत नेटग्रिड सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट करेगा।

  यह 3400 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, नेटग्रिड ३,४०० करोड़ रुपये की परियोजना है। इस के दो केन्द्र होंगे। पहला केन्द्र बेंगलुरू में होगा जहाँ डाटा रिकवरी किया जायेगा। दूसरा केन्द्र दिल्ली में होगा जो मुख्यालय के रूप में कार्य करेगा। दोनो केन्द्रों के निर्माण कार्य पूरे कर लिये गये हैं। जनवरी २०२० से नेटग्रिड काम करना शुरू कर देगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल में इस प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की है, इस के बाद से इस के काम में और तेजी आ गयी है।

नेटग्रिड में 1000 संगठनों का डाटा होगा

नेटग्रिड के डाटा का काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। आयकर विभाग के लगभग सभी करदाताओं के डाटा नेटग्रिड प्रबंधन को प्राप्त हो चुके हैं। इस के अलावा नागर विमानन मंत्रालय और सभी निजी एयरलाइंस कंपनियों से भी डाटा उपलब्ध कर लिया गया है। पहले चरण में नेटग्रिड से १० एजेंसियों और २० सेवा प्रदाताओं का डाटा जोड़ा गया है। आनेवाले वर्षों में करीब १००० अन्य संगठनों के गोपनीय डाटा को नेटग्रिड से जोड़ने की योजना है। फिलहाल, बैंकिंग लेन-देन और इमिग्रेशन का डाटा नेटग्रिड पर रियल टाइम मैकेनिज्म के तहत सुरक्षा एजेंसियों को उपलब्ध कराया जायेगा।

10 सुरक्षा एजेंसियों को मिलेगा डाटा

नेटग्रिड का रियल टाइम डाटा देश की १० सुरक्षा एजेंसियों को मिलेगा। इन में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW), केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), डीआइआइ (DII), फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU), सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्सेशन (CBDT), सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइस इंटेलिजेंस (DGCEI) और नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो (NCB) शामिल हैं।

राज्य को नहीं मिलेगा डाटा

नेटग्रिड के पास देश के आम और खास हर वर्ग के नागरिक का डाटा मौजूद रहेगा। ऐसे में इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। लिहाजा राज्यों की सुरक्षा इकाइयों को सीधे डाटा उपलब्ध नहीं कराया जायेगा। राज्य की जाँच और सुरक्षा एजेंसियों को उन १० केंद्रीय एजेंसियों की मदद से ही डाटा प्राप्त करना होगा, जिन्हें नेटग्रिड में एक्सेस दिया गया है।

            काँग्रेस सरकार ने बनायी थी योजना

नेटग्रिड की योजना सन् २००८ ईस्वी के मुंबई आतंकी हमले के बाद बनी थी। उस हमले में १६६ लोग को जान गंवानी पड़ी थी। लश्कर-ए-तैयबा ने ये आतंकी हमला पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली के फोटो-वीडियो इनपुट के आधार पर अंजाम दिया था। डेविड हेडली ने इस आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए वर्ष २००६ ईस्वी से २००८ ईस्वी के बीच कई बार भारत की यात्रा की और इस दौरान आतंकियों के घुसपैठ और हमले के संभावित ठिकानों की रेकी कर उन की फोटो और वीडियो बनायी थी। उस वक्त खुफिया एजेंसियों के पास नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड यानी नेटग्रिड जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, जिस वजह से हेडली की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में खुफिया एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी। मुंबई हमले के बाद काँग्रेस के नेतृत्ववाली सन्युक्त प्रगतिशील गठबन्धन यानी यूपीए की सरकार ने ८ अप्रैल २०१० ईस्वी को नेटग्रिड योजना को मंजूरी प्रदान की थी। २०१२ ईस्वी तक इस के गठन का काम केवल फाइलों में चलता रहा। 

           नरेंद्र मोदी ने शुरू करायी योजना

      २०१४ ईस्वी में केंद्र में सरकार बनानेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने १० जून २०१६ ईस्वी को एक बैठक कर इस योजना पर दुबारा काम शुरू करने का निर्देश दिया था। इस तरह ३,४०० करोड़ रुपये की नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड यानी नेटग्रिड का अनमोल उपहार भारतवासियों को प्राप्त हो रहा है।