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भारत की कुण्डली |
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर हिन्दुओं की हत्या किये जाने को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते खराब हो गये हैं। राजनयिकों की संख्या में कटौती, नागरिकों की वापसी, वीजा में छूट पर रोक, नये वीजा पर प्रतिबन्ध, सीमा पर सैन्य गतिविधियों में वृद्धि, द्विपक्षीय सन्धियों के निलम्बन जैसी कार्रवाइयाँ दोनों देशों की ओर से हुई हैं। आपसी सम्बन्ध निरन्तर बिगड़ रहे हैं। ऐसे में ज्योतिष अमित कुमार नयनन ने इस सन्दर्भ को ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर गणना कर यह आलेख प्रस्तुत किया है...
भारत की कुण्डली के अनुसार, भारत की महादशा चंद्र १० वर्षीय से मंगल ७ वर्षीय की ओर अग्रसर है; महादशा जुलाई २०२५ में चंद्र से मंगल में प्रवेश कर जाएगी । चंद्र एक शांतिपूर्ण शीतल ग्रह हैँ मगर मंगल स्वयं ही युद्धप्रिय ग्रह ही नही बल्कि स्वयं ही योद्धा ग्रह हैँ। इसलिए मंगल की ७ वर्षीय महादशा अपनी दशा में कई बार युद्ध स्थितियों को जन्म दे रही है। भारत के लिए यह युद्ध की महादशा है।
मंगल महादशा का गम्भीर प्रभाव
मंगल का सीधा सम्बन्ध भाई, भूमि से होता है, इसलिए संलगन क्षेत्रों से भूमि एवं युद्ध का स्पष्ट सूचक है। भारत की कुण्डली में मंगल मिथुन राशि में हैँ। मिथुन पश्चिम दिशा का सूचक है, अतः इस दशा मैं पश्चिम, उत्तर-पश्चिम व दक्षिण-पश्चिम से विशेष तौर पर संघर्ष होगा। मंगल राहु के नक्षत्र और राहु के उपनक्षत्र में ही हैँ तथा राहु भारत के लगन में उच्च होकर स्थित हैँ। अतः इतना तो स्पष्ट है कि भारत सुरक्षित रहेगा एवं इस के प्रभुत्व का विश्व लोहा मानेगा।
बड़े नेताओं पर खतरा
मंगल और राहु दोनो की दृष्टि संतान भाव पर है, इसलिए यह भारत के शीर्षस्थ नेताओं यहाँ तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या समतुल्य उच्च शासकीय लोग के लिए खतरे की घण्टी है। अतः इस मामले में पूर्ण सतर्कता बरतनी होगी अन्यथा अकस्मात् गंभीर घटना हो सकती है।
केतु की महादशा का कुप्रभाव
यहाँ यह जानने की बात है कि केतु की महादशा में ही इंदिरा गाँधी की हत्या हुई थी। केतु स्वयं विस्फोटक ग्रह हैँ। विदित हो कि राहु और केतु की अपनी कोई राशि नहीं होती, इसलिए जिन राशियों मैं बैठते एवं जिन से भी संयुक्त या प्रभावित होते हैँ, उन का भी फल देने लग जाते हैँ। अतः स्वयं विस्फोटक होने तथा अग्नि ग्रह मंगल की राशि मैं बैठने से तथा मंगल के कुटुम्ब भाव मैं बैठने तथा संतान भाव पर दृष्टि डालने से उक्त (इन्दिरा गाँधी की हत्या) घटना ने जन्म लिया था। इस में मंगल का व्यय भाव का मालिक होने से भी आग में घी का काम किया था। इसलिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री वगैरह देश के मुख्य शीर्ष शासकीय व्यक्तियों को विशेष रूप से सचेत रहना ही होगा। इस में भी यह मंगल की महदशा में मंगल, राहु, शनि, बुध, केतु की अन्तर्दशा मे होंगी। इन में केतु के अतिरिक्त सारी दशाएँ मंगल महादशा के पूर्वार्द्ध अर्थात् पहले साढ़े ३ साल के अंदर पड़ती हैँ। अतः २०२५ जुलाई से सतर्कता ज़रूरी है। राष्ट्र को तो कुछ नहीं होगा, इस का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा मगर कोई अनहोनी घटना शीर्ष अधिकारियों को लेकर हो सकती है।
जम्मू-कश्मीर की स्थिति
वर्तमान में कश्मीर की कुण्डली के अनुसार, कश्मीर में ७ जून २०२५ तक स्थिति खराब रहेगी। हालाँकि विपरीत घटनाओं का असर कश्मीर पर कमोबेश सितम्बर २०२५ तक भी है।
पाकिस्तान की ग्रह-दशा
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पाकिस्तान की कुण्डली |
पाकिस्तान की कुण्डली के अनुसार, वह २९ अप्रैल २०२५ से ७ जून २०२५ तक कठिन और बेहद कठिन दौर से गुजरेगा। २०२५ जुलाई तक भी बहुत सुधार की उम्मीद नहीं है। १५ अगस्त २०२५ तक भारत से विवाद चरम पर होगा तथा १६ सितम्बर २०२५ तक भारत पाकिस्तान संघर्ष का सम्पूर्ण परिणाम सभी तरह से स्पष्ट हो जाएगा। भारत की कुण्डली बलवान है, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के साथ बलूचिस्तान भी पाकिस्तान के हाथ से जाता दीख रहा है। पाकिस्तान की सम्प्रभुता पर भी आँच आएगी।
भारत के लिए
मंगल महादशा में सतर्कता की अवधि
मंगल - मंगल : २०२५ जुलाई-दिसंबर २०२५
मंगल - राहु : २०२५ दिसंबर-जनवरी २०२७
मंगल - शनि : २०२७ दिसंबर-जनवरी २०२९
मंगल - बुध : २०२९ जनवरी-जनवरी २०३०
मंगल - केतु : २०३० जानवरी-जून २०३०
चीन का हस्तक्षेप
इस प्रकरण में चीन का हस्तक्षेप ७ जून २०२५ तक रहेगा। मई के प्रथम सप्ताह से चीन पाकिस्तान का साथ देगा। राहु और केतु जून में अगले १ साल ६ माह तक के लिए कुम्भ-सिंह राशि में गोचर कर रहे हैँ। भारत-पाक के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण दौर होगा; क्योंकि दोनो की नवमांश कुंडली में राहु और केतु इन्हीं राशियों मे हैँ। मई २०२५ तक चीन का हस्तक्षेप अधिक रहेगा तथा ७ जून २०२५ के बाद चीन इस मामले मे कमजोर पड़ जाएगा।
चीन की ग्रहचाल एवं गतिविधि से इस मामले में चीन की प्रत्यक्ष या परोक्ष संलिप्त्ता संभव है। ऐसा संभव है कि उस ने इस प्रकरण मे पाक का साथ दिया हो और प्रॉक्सी वार खेल रहा हो, मगर विश्व तथा भारत के अंदर व बाहर से मिल रहे पूर्ण समर्थन को देख उस की रणनीतिक हार हुई हो। भारत को इस सिरे पर पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। मुख्यातः इस बात पर ध्यान हो कि बिना चीन की मदद के पाकिस्तान में इतना बड़ा कदम उठाने की कूबत नहीं है। भूखे-दरिद्र पाक को उकसाकर समृद्ध होते भारत तथा जम्मू-कश्मीर एवं उत्तर भारत की सकारात्मक होती बयार को डिस्टर्ब करना चाहता हो। गुप्त रूप से भी पाकिस्तान को चीन की तरफ से भारत के विरुद्ध सहायता मिल सकती है।
भारत-पाक युद्ध : महादशा-अंतर्दशा
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तीन युद्धों में ग्रहों की महादशा और अन्तर्दशा देखिये। इस बार जो दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति है, वैसी स्थिति में भी २०२५ की वर्तमान ग्रह-स्थिति प्रदर्शित की गयी है।
१९४८ : शनि-शनि
१९६५ : बुध-बुध
१९७१ बुध-सूर्य
१९९९ : शुक्र-बृहस्पति
२०२५ : चंद्र-सूर्य और मंगल-मंगल
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