मंगलवार, 19 जुलाई 2011
अमर हैं अश्वत्थामा
भगवान शंकर के अंशावतार थे महाभारत के प्रमुख पात्र अश्वत्थामा। ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा अमर हैं तथा वह आज भी धरती पर ही निवास करते हैं। भगवान शंकर का यह अवतार संदेश देता है कि हमें सदैव अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए; क्योंकि क्रोध ही सभी दु:खों का कारण है। यह गुण अश्वत्थामा में नहीं था। एक और बात जो हमें अश्वत्थामा से सीखनी चाहिए, वह यह कि जो भी ज्ञान प्राप्त करें उसे पूर्ण करें। अधूरा ज्ञान सदैव हानिकारक है। अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र चलाना तो जानते थे लेकिन उसका उपसंहार करना नहीं। उन्होंने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया जिसके कारण संपूर्ण सृष्टि के नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो गया था। इस तथ्य से हमें यह शिक्षा मिलती है कि क्रोध तथा अपूर्ण ज्ञान से कभी सफलता नहीं मिलती। अश्वत्थामा महादेव, यम, काल व क्रोध के अंशावतार थे। वह द्रोणाचार्य के पुत्र थे। अश्वत्थामा अत्यंत शुरवीर, प्रचंडक्रोधी स्वभाव के योद्धा थे। महाभारत संग्राम में अश्वत्थामा ने कौरवों की सहायता की थी। हनुमानजी आदि सात चिरंजीवियों में अश्वत्थामा का नाम भी आता है। अश्वत्थामा, राजा बलि, व्यासजी, हनुमानजी, विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम ये सातों चिरंजीवी हैं। शिवमहापुराण(शतरुद्रसंहिता-37) के अनुसार अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं और वे गंगा के किनारे निवास करते हैं किंतु उनका निवास कहां हैं, यह नहीं बताया गया है।
सावन का संदेश
रिमझिम बूंदों का महीना है सावन। सावन की फुहारों से मिली ठंडक, हमें कुछ संदेश देती है, हमें कुछ सिखाती है। सावन केवल एक महीना नहीं है, बल्कि जीवन के हर वर्ष में आने वाला एक ऐसा महीना है जिससे हम कई बातें समझ और सीख सकते हैं। सावन के मिजाज में कई बातें हैं जो हमें जीवन की परिस्थितियों से जूझने और सुधरने का मौका देती हैं। सावन की रिमझिम हमारे शरीर को गरमी से हुए नुकसान से उबारती है और झमाझम बारिश धरती की उष्मा को खत्म कर देती है। सावन का महीना हमें जीवन प्रबंधन के कई सूत्र बता रहा है:-- सावन रिमझिम फुहारों का महीना है। आसमान पर दिनभर छाई रहने वाली घटाएं धीरे-धीरे बरसती हैं। यह हमें सिखाती है कि जीवन में हम जब भी किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए निकलें, हमारी गति शुरुआत में धीमी रहे, ताकि हम अपनी योजना के हर पहलू को देखते हुए कोई कदम उठा सकें। सावन में अधिकांश समय आसमान पर बादल रहते हैं, लेकिन बरसते कभी-कभी ही हैं। यह सिखाते हैं कि हमें अपने जीवन में किसी भी चुनौती के लिए हर वक्त तैयार रहना चाहिए, ताकि समय आने पर हमें तैयारियों में देर न लगे। यह महीना और भी कई कारणों से विशेष है, क्योंकि इस दौरान भक्ति, आराधना तथा प्रकृति के कई रंग देखने को मिलते हैं। यह महीना भगवान शंकर की भक्ति के लिए विशेष माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस मास में विधि पूर्वक शिव उपासना करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। सावन में ही कई प्रमुख त्योहार जैसे- हरियाली अमावस्या, नाग पंचमी तथा रक्षा बंधन आदि आते हैं। सावन में प्रकृति अपने पूरे शवाब पर होती है, इसलिए यह महीना प्रकृति को समझने व उसके निकट जाने का है। सावन की रिमझिम बारिश और प्राकृतिक वातावरण मन में उल्लास व उमंग भर देती है। सावन का महीना पूरी तरह से शिव तथा प्रकृति को समर्पित है।
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