2001 में उद्योगपति नवीन जिंदल ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नागरिकों को आम दिनों में भी झंडा फहराने का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने नवीन के पक्ष में ऑर्डर दिया और सरकार से कहा कि वह इस मामले को देखे। केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 2002 को झंडा फहराने के नियमों में बदलाव किया और इस तरह हर नागरिक को किसी भी दिन झंडा फहराने की इजाजत मिल गई। बिलासपुर हाई कोर्ट ने अगस्त 2010 में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि रात को तिरंगा नहीं उतारे जाने को ' प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नेशनल ऑनर ऐक्ट-1971' का उल्लंघन नहीं माना जा सकता यानी अगर कोई रात को तिरंगा उतारकर नहीं रखता है तो वह कोई नियम नहीं तोड़ रहा है। तिरंगा फहराने को लेकर और भी कई नियम-कायदे हैं---
1.) आजादी से ठीक पहले 22 जुलाई, 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके साइज और रंग आदि तय हैं।
2.) ' फ्लैग कोड ऑफ इंडिया ' के तहत झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाएगा।
3.) उसे कभी पानी में नहीं डुबोया जाएगा और किसी भी तरह नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। यह नियम भारतीय संविधान के लिए भी लागू होता है।
4.) ' प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नेशनल ऑनर ऐक्ट-1971 ' की धारा-2 के मुताबिक, फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करनेवालों के खिलाफ सख्त कानून हैं।
5.) अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपड़ा बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के
6.) तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहन लेना भी गलत है।
7.) अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपड़ा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है।
8.) तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
9.) सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है।
10.) फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने ' इंडियन फ्लैग कोड ' में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा।
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