बुधवार, 22 अक्टूबर 2014

दीपावली में महालक्ष्म्यष्टकम् का पाठ / Read Mahālakshmyashtakam on Deepawali


-शीतांशु कुमार सहाय
देवराज इंद्र ने देवी महालक्ष्मी की स्तुति की। वह स्तोत्र 'महालक्ष्म्यष्टकं' जन कल्याण के लिए विख्यात हुआ। महालक्ष्मी की दृष्टि मात्र पड़ जाने से व्यक्ति श्री युक्त हो जाता है। प्रत्येक को इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करके प्रसन्नता प्राप्त करनी चाहिए। दीपावली के पावन अवसर पर आप भी धन व ऐश्वर्य की अधिठात्री देवी लक्ष्मी की आराधना के दौरान महालक्ष्म्यष्टकम् का सस्वर पाठ करें और माता की कृपा प्राप्त करें।

महालक्ष्म्यष्टकम्

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 1।।
नमस्ते गरूडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 2।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 3।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 4।।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 5।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 6।।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि‍।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 7।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।। 8।।
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।। 9।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः।। 10।।
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।। 11।।

|| इति इन्द्रकृतं महालक्ष्म्यष्टकं सम्पूर्णम् ||

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