शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2014

सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी : नोबेल शांति पुरस्कार-2014 विजेता की प्रमुख बातें / Social Worker Kailash Satyarthi : Nobel Peace Prize-2014 Winner's Main Points


मलाला यूसुफजई और कैलाश सत्यार्थी

-शीतांशु कुमार सहाय
भारत के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को वर्ष 2014 के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से देने की घोषणा की गई। सत्यार्थी भारत में जन्मे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है और नोबल पुरस्कार पाने वाले सातवें भारतीय हैं। कैलाश सत्यार्थी बच्चों के अधिकार के लिए संघर्ष करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो सालों से बाल अधिकार के लिए संघर्षरत हैं। कैलाश सत्यार्थी के बारे में प्रमुख बातें---
(1.) कैलाश का जन्म मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को हुआ था।
(2.) कैलाश सत्यार्थी ने वर्ष 1980 में बालश्रम के खिलाफ 'बचपन बचाओ आंदोलन' की स्थापना की। उनका यह संगठन अब तक 80,000 से ज़्यादा बच्चों को बंधुआ मजदूरी, मानव तस्करी और बालश्रम के चंगुल से छुड़ा चुका है।

(3.) गैर-सरकारी संगठनों तथा कार्यकर्ताओं की सहायता से कैलाश सत्यार्थी ने हज़ारों ऐसी फैकटरियों तथा गोदामों पर छापे पड़वाए, जिनमें बच्चों से काम करवाया जा रहा था। बाल श्रमिकों को छुडाने के दौरान उन पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए हैं। दिल्ली की एक कपड़ा फैक्ट्री में 17 मार्च 2011 को छापे के दौरान उन पर हमला किया गया था। इससे पहले 2004 में ग्रेट रोमन सर्कस से बाल कलाकारों को छुडाने के दौरान उन पर हमला हुआ। ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के रूप में उनकी संस्था लोगों के बीच में काफी लोकप्रिय है। दिल्ली एवं मुंबई जैसे देश के बड़े शहरों की फैक्टरियों में बच्चों के उत्पीड़न से लेकर ओडिशा और झारखंड के दूरवर्ती इलाकों से लेकर देश के लगभग हर कोने में उनके संगठन ने बंधुआ मजदूर के रूप में नियोजित बच्चों को बचाया। उन्होंने बाल तस्करी एवं मजदूरी के खिलाफ कड़े कानून बनाने की वकालत की और अभी तक उन्हें मिश्रित सफलता मिली है। बाल मित्र ग्राम वह मॉडल गांव है जो बाल शोषण से पूरी तरह मुक्त है और यहां बाल अधिकार को तरजीह दी जाती है। 2001 में इस मॉडल को अपनाने के बाद से देश के 11 राज्यों के 356 गांवों को अब तक बाल मित्र ग्राम (चाइल्ड फ्रेंडली विलेज) घोषित किया जा चुका है। इन गांवों के बच्चे स्कूल जाते हैं, बाल पंचायत, युवा मंडल और महिला मंडल में शामिल होते हैं और समय-समय पर ग्राम पंचायत से बाल समस्याओं के संबंध में बातें करते हैं। ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ बाल मित्र ग्राम में 14 साल के सभी बच्चों को मुफ्त, व्यापक और स्तरीय शिक्षा के साथ ही लड़कियां स्कूल न छोड़ें, इसलिए स्कूलों में आधारभूत सुविधाएं मौजूद हों यह सुनिश्चित करती है।
(4.) कैलाश सत्यार्थी ने 26 साल की उम्र में अपना इलेक्ट्रिकल इंजीनियर का पेशा छोड़कर बच्चों के अधिकारों के लिए काम करना शुरू किया था। 
(5.) कैलाश सत्यार्थी ने 'रगमार्क' (Rugmark) की शुरुआत की, जो इस बात को प्रमाणित करता है कि तैयार कारपेट (कालीनों) तथा अन्य कपड़ों के निर्माण में बच्चों से काम नहीं करवाया गया है। इस पहल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करने में काफी सफलता मिली। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ के लिए बच्चों के शोषण के खिलाफ काम करना था।
(6.) कैलाश सत्यार्थी ने विभिन्न रूपों में प्रदर्शनों तथा विरोध-प्रदर्शनों की परिकल्पना और नेतृत्व को अंजाम दिया, जो सभी शांतिपूर्ण ढंग से पूरे किए गए।
(7.) कैलाश सत्यार्थी यूनेस्को के सदस्य भी रहे हैं।
(8.) वे नई दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में पत्नी सुमेधा, उनकी बेटी, बेटा और बहू शामिल हैं। उनके साथ उनकी संस्था 'बचपन बचाओ आंदोलन' द्वारा बचाए गए बच्चे भी रहते हैं।
(9.) नोबेल से पहले उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं। इसमें 2009 में यूएस का डिफेंडर्स ऑफ डेमोक्रेसी अवार्ड, 2008 में स्पेन का एलफोंसो कामिन इंटरनेशनल अवार्ड, 2007 में मेडेल ऑफ इटेलियन सीनेट अवार्ड और फ्रीडम अवार्ड, रॉबर्ट एफ. केनेडी इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स अवार्ड (अमेरिका) और फ्रेडरिक एबर्ट इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स अवार्ड (जर्मनी) शामिल हैं। इसके साथ ही 2007 में ही यूस लिस्ट ऑफ 'हीरोज एक्टिंग टू एंड मार्डन डे स्लेवरी' में सत्यार्थी का नाम शामिल किया गया था।
(10.) उन्हें 10 दिसंबर 2014 को यह पुरस्कार नार्वे की राजधानी ओस्लों में दिया जाएगा। इस पुरस्कार के साथ 12 करोड़ डॉलर (7,35,54,00,000 रुपये) की धनराशि भी दी जाएगी।
(11.) साल 2014 का शांति के लिए नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई को बच्चों एवं युवाओं के दमन के खिलाफ और बच्चों की शिक्षा की दिशा में काम करने के लिए दिया गया है।
(12.) मदर टेरेसा (1979) के बाद कैलाश सत्यार्थी सिर्फ दूसरे भारतीय हैं जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है।
(13.) कैलाश सत्यार्थी ने नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में खुशी जताई। उन्होंने कहा, ''मैं काफी खुश हूं। यह बाल अधिकारों के लिए हमारी लड़ाई को मान्यता है। मैं इस आधुनिक युग में पीड़ा से गुजर रहे लाखों बच्चों की दुर्दशा पर काम को मान्यता देने के लिए नोबेल समिति का शुक्रगुजार हूं।'' 
(14.)  कैलाश सत्यार्थी का अधिकांश कार्य राजस्थान और झारखंड के गांवों में होता है।
(15.) उनके बारे में जानने की लोगों की दिलचस्पी का आलम यह है कि उनकी वेबसाइट पुरस्कार की घोषणा के पाँच मिनट के भीतर ही क्रैश हो गई। पुरस्कार की घोषणा के चंद मिनटों के भीतर ही कैलाश सत्यार्थी ट्विटर पर टॉप ट्रेंड्स में भी कुछ देर शामिल रहे।
(16.) भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि इस पुरस्कार को बाल श्रम जैसी जटिल सामाजिक समस्या के समाधन में भारत के नागरिक समाज के योदान को मान्यता देने और देश से बाल श्रम के सभी रूपों को समाप्त करने में सरकार के साथ सहयो की उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में देखा जाना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफ़ज़ई को नोबेल जीतने पर बधाई दी। उन्होंने इसके लिए ट्विटर का सहारा लिया। मोदी ने लिखा, "इस उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है। कैलाश सत्यार्थी ने ऐसे उद्देश्य के लिए पूरा जीवन लगाया है जो पूरी मानवता के लिए अहम है। मैं उनके प्रयासों के लिए उन्हें सलाम करता हूँ।" मोदी ने मलाला को भी बधाई देते हुए लिखा, "मलाला यूसुफ़ज़ई का जीवन धैर्य और साहस की यात्रा है। मैं उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार जीतने पर बधाई देता हूँ।"
(17.) कैलाश इस समय वह ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (बाल श्रम के खिलाफ वैश्विक अभियान) के अध्यक्ष भी हैं। सत्यार्थी संस्था की वैश्विक सलाहकार परिषद से भी जुड़े रहे हैं। इस संस्था में दुनिया के भर के एनजीओ, शिक्षक और ट्रेड यूनियनें काम करती हैं, जो शिक्षा के लिए ग्लोबल कैंपेन भी चलाती हैं।
(18.) अब तक इन भारतीयों को मिले नोबेल पुरस्कार--- बाल श्रम उन्मूलन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कैलाश सत्यार्थी प्रतिष्ठित नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले 8वें और शांति के क्षेत्र में यह पुरस्कार पाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। इससे पहले यह पुरस्कार जिन भारतीयों को दिए गए हैं वे हैं---
रवींद्र नाथ टैगोर- 1913 - साहित्य
सीवी रमण- 1930 - भौतिक विज्ञान
हरगोविंद खुराना- 1968 - चिकित्सा औषधि
मदर टेरेसा - 1979 - शांति
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर - 1983 - भौतिक विज्ञान
अमर्त्य सेन - 1998 - अर्थशास्त्र
वी रामकृष्णन - 2009 - रसायन शास्त्र

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