-शीतांशु कुमार सहाय
तिरंगा हमारी शान है,
ये आबरू मेरी जान है।
इस की छाया में हम बढ़ें,
बढ़ते रहें आगे चलें।
धन्य जीवन कोटि है, जिन्होंने पाया जन्म यहाँ;
मिट्टी जिस की है स्वर्ण-सी, वह है हमारी भारती।
खेतों में हरियाली है, है गर्भ रत्नों से भरा;
सारे जहां में नाम है, वह है हमारी भारती।।
तिरंगा हमारी शान है,
ये आबरू मेरी जान है।
इस की छाया में हम बढ़ें,
बढ़ते रहें आगे चलें।
भाल पर नगराज है, है पाँव धोता उदधि;
विन्ध्य मेरूदण्ड बना, है यह हमारी भारती।
न धर्म में न जाति में, हम कभी भी न बँटें;
आगोश में जिस के रहे हैं, है यह हमारी भारती।।
तिरंगा हमारी शान है,
ये आबरू मेरी जान है।
इस की छाया में हम बढ़ें,
बढ़ते रहें आगे चलें।
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