रविवार, 19 अप्रैल 2020

कोरोना संकट पर नयनन का ज्योतिषीय आकलन : अत्यन्त कष्टकारी होगा चीन के लिए 17 साल, वीटो व अर्थव्यवस्था पर ख़तरा
Nayanan's Astrological Assessment on the Corona Crisis : 17 Years will be Very Painful for China, Risk on Veto & Economy

Astrological Assesment on COVID-19 (PART-1)



-प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय
         ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक साथ पूरे विश्व की समस्त गतिविधियाँ ठप हो गयीं। केवल राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों पर ही नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा; बल्कि शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और यहाँ तक कि पारिवारिक गतिविधियों को भी लॉकडाउन के असर झेलने पड़ रहे हैं। किसी प्राकृतिक आपदा से ऐसा नहीं हुआ है, यह निश्चय ही मानव निर्मित त्रासदी है। सम्पूर्ण मानव जाति को कँपानेवाली अदृश्य शक्ति को वैज्ञानिकों ने ‘नोवेल कोरोना वायरस’ यानी नया कोरोना विषाणु का नाम दिया, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस विषाणु से फैले संक्रामक बीमारी को ‘कोविड-19’ की संज्ञा दी। जनवरी 2020 के अन्तिम सप्ताह में डब्ल्यूएचओ ने इसे विश्वव्यापी महामारी कहकर विश्व समुदाय को सचेत करने में बहुत देर कर दी। वास्तव में इस की शुरुआत चीन के हुबेई राज्य की राजधानी वुहान से हुई। इस तरह चीन की लापरवाही और डब्ल्यूएचओ की देर से काम करने की प्रवृत्ति का ख़ामियाजा पूरे संसार को झेलना पड़ रहा है। अबतक 205 देशों में नोवेल कोरोना वायरस ने पाँव पसार लिये हैं।

चीन पर महासंकट कैसे आ रहा है, देखिये नीचे के लिंक पर.....


         इस समय पूरा विश्व दो धड़ों में बँटा दीख रहा है। चीन की लापरवाही में विश्व समुदाय को साज़िश का अंश नज़र आ रहा है। ताइवान, संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने तो खुले तौर पर कोविड-19 के विश्व संकट के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। विश्व को संकट में डालकर स्वयं चीन फिलहाल चैन की वंशी बजा रहा है। चीन ने वुहान सहित पूरे देश में सामान्य गतिविधियों को शुरू भी कर दिया और परमाणु परीक्षण कर एक तरह से ख़ुशी का अट्टाहास भी किया है।
         चीन की वर्तमान ख़ुशी ज़्यादा दिनों तक टिकनेवाली नहीं है। ज्योतिषीय आकलन के आधार पर यह कहा जा रहा है कि आनेवाले कुछ वर्ष चीन पर बेहद भारी पड़नेवाले हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ओठों की मुस्कान गायब होनेवाली है। 
         जाने-माने ज्योतिर्विद् अमित कुमार नयनन ने ज्योतिषीय विश्लेषण कर बताया है कि विश्व का वर्तमान संकट चीन के घोर संकट के लिए शुरुआत है। केतु का प्रभाव चीन पर पड़ रहा है। इसलिए 2021 से 2028 तक उस के लिए बेहद परेशानी वाला समय होगा। यही नहीं, सन् 2037 ईस्वी तक चीन के संघर्ष का दौर दिखायी दे रहा है। इस दौरान चीन की वैश्विक गतिविधियाँ भी अत्यन्त चुनौतीपूर्ण होंगी। 
         चीन को केन्द्रबिन्दु बनाकर विश्व के कई शक्तिशाली देश उस पर तरह-तरह के प्रतिबन्ध लगायेंगे। इस के विपरीत चीन आर्थिक प्रतिबन्धों से बौखला जायेगा और वह विश्व समुदाय के प्रति और घातक कदम उठा सकता है। हालाँकि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है, परन्तु चीन को सबक सिखाने के लिए विश्व के किसी देश द्वारा चीन पर हमला हो सकता है या अपने ऊपर लगे आरोपों-प्रतिबन्धों की खि़लाफ़त स्वरूप चीन किसी प्रतिद्वन्द्वी देश पर सशस्त्र आक्रमण कर सकता है।
         ज्योतिष अमित के अनुसार, 2037 तक संघर्ष या महासंघर्ष (विश्वयुद्ध?) का दौर हो सकता है। मतलब यह कि विश्व और चीन के लिए सन् 2020 से 2037 ईस्वी तक सम्बन्धों मंे खटास और अशान्ति का दौर रहेगा। इस अवधि में न चाहते हुए भी संघर्ष अर्थात् युद्ध की त्रासदी झेलनी पड़ सकती है। अमित कुमार नयनन बताते हैं कि भारत सहित कई देश युद्ध को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। इतना होने के बाद भी अगर युद्ध हुआ तो चीन किसी भी हद तक जा सकता है। इस दौरान चीन और शेष विश्व को बहुत ही समझदारी से काम लेना होगा; ताकि विश्वशान्ति ख़तरे में न पड़े।
         विदित हो कि चीन में कम्युनिस्ट सरकार है। कम्युनिस्ट को हिन्दी में साम्यवाद या समाजवाद कहा गया; क्योंकि समानता के साथ समाज गठन के सिद्धान्त को कम्यनिस्टों ने अपनाया। पर, गरीबों की बात करनेवाला कम्युनिस्ट अब बदल गया है, बिल्कुल बदल गया है। ‘आम आदमी का कोई शोषण न करे’- इस लुभावने सन्देश के साथ सत्ता प्राप्त करते ही साम्यवादी स्वयं ‘शोषक’ बन जाते हैं। शी जिनपिंग ने तो शोषण की हद कर दी। जिनपिंग ने ऐसा कानून बनाया कि अब चीन में उन के जीते-जी राष्ट्रपति का निर्वाचन होगा ही नहीं, वे आजीवन चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे। इस कारण चीन के अन्दर भी जिनपिंग ने अपने विरोधियों की फौज खड़ी कर ली है।      
         कहानीकार और ज्योतिषीय विश्लेषक अमित कुमार नयनन ने आगे कहा- कम्युनिज्म और शी जिनपिंग के लिए भी अगले सात से सतरह वर्ष का दौर बिल्कुल सही नहीं है। कम्युनिज्म की शासकीय और आर्थिक गतिविधियों के बिल्कुल तहस-नहस हो जाने के संकेत मिल रहे हैं। नयनन कहते हैं कि चीन को नये शत्रुओं, नयी समस्याओं, प्रगति की नयी बाधाओं और अन्तर्राष्ट्रीय उलझनों से भी दो-चार होना पड़ेगा। यह दौर 2028 तक विशेष तौर पर चलेगा।
        अमित कुमार नयनन की विशेषता है कि वे ज्योतिष शास्त्र के गूढ़ नियमों के आधार पर भी ज्योतिषीय भविष्यवाणी करते हैं। उन्होंने ज्योतिष के दुर्लभ स्वरांक नियम के आधार पर बताया कि चीन और जिनपिंग के लिए कोरोना बिल्कुल ही नकारात्मक प्रभाव के अति प्रभाव से प्रभावी है। अति प्रभाव से प्रभावी का मतलब है कि चीन की विश्व चौधराहट पर अंकुश लगेगा।
         इस सन्दर्भ में प्रख्यात पत्रकार और शीतांशु टीवी के सम्पादक जय कृष्ण का कथन उपयुक्त जान पड़ता है। जय कृष्ण के अनुसार, विश्व में चौधराहट की ऊर्जा चीन को उस के पास निहित वीटो की शक्ति और बढ़ती अर्थव्यवस्था से मिल रही है। यदि इन दोनों पर वार हो तो चीन की ‘गर्मी’ शान्त हो सकती है।
         नयनन की ज्योतिषीय गणना के अनुसार, शी जिनपिंग और चीन दोनों की नींव हिला देने की क्षमता लेकर उभरा है नोवेल कोरोना विषाणु। अगर नयनन की गणना को जयकृष्ण की टिप्पणी के आलोक में देखें तो ग्रह-नक्षत्र मिलकर चीन के वीटो पावर और इकोनॉमी पर घोर संकट का दौर शुरू करनेवाले हैं।  
         अमित कुमार नयनन ने स्पष्ट कहा है कि ग्रहों की दशाएँ विपरीत होने से यह आशंका और बलवती होती है कि कई प्रकार के संकटों के तूफान चीन के विरुद्ध खड़े होंगे। अतः अति सावधानी अपेक्षित है। नयनन के मुताबिक, इस परिदृश्य में भारत नयी शक्ति के साथ विश्व-क्षितिज पर उभरेगा। विश्वयुद्ध के सन्निकट खड़े मानव समुदाय के लिए विश्वशान्ति की कामना करनेवाला सब से बड़ा देश भारत है और यही रहेगा। भारत को छोड़कर कमोबेश सभी देश युद्ध के मूड में हैं। ऐसे में ज्यातिष कहते हैं कि विश्वशान्ति की कामना कीजिये; ताकि सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय और वसुधैव कुटुम्बकम् की भारतीय परम्परा पर आँच न आये और इस परम्परा का लाभ विश्व समुदाय को मिल सके।

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