- शीतांशु कुमार सहाय
श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी
को ‘कामिका एकादशी’ कहा जाता है। इस बार यह एकादशी 7 अगस्त (मंगलवार) को है। कामिका एकादशी का व्रत
रखने से जीवात्माओं को उन के सभी पापों से मुक्ति मिलती
है। एकादशी को पुण्य कार्यों के लिए, भक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण
माना गया है। वैसे तो एक साल में 24 एकादशियां होती हैं लेकिन मलमास
या अधिमास होने के कारण इन की संख्या 26 हो जाती है।
भगवान विष्णु के आराध्य भगवान
शिव हैं और भगवान शिव के आराध्य भगवान विष्णु हैं। सावन माह में एकादशी का विशेष
संयोग है। जो मनुष्य सावन में भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, उन से देवता, गंधर्व
और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरनेवाले मनुष्य को कामिका
एकादशी का व्रत और
विष्णु भगवान का पूजन अवश्य करना चाहिए। इस
से बढ़कर
पाप के नाश का कोई उपाय नहीं है। इस का व्रत रखनेवाले को कभी भी
कुयोनि प्राप्त नहीं होती। एक बार इस एकादशी के महत्व के
बारे में खुद भगवान कृष्ण ने पांडुपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर
को बताया था। भगवान कृष्ण ने कहा था कि इस एकादशी का व्रत रखनेवाले को अश्वमेध
यज्ञ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शंख, चक्र और गदाधारी भगवान विष्णु
का पूजन और अर्चना की जाती है।
एकादशी तिथि पर सुबह स्नानादि
से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें फिर व्रत का संकल्प लेकर पूजन-क्रिया
को प्रारंभ करें। फल, फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित कर
रोली-अक्षत से तिलकर फूल चढ़ाएं। एकादशी के दिन आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के
नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ व जप अवश्य करें। कामिका एकादशी को गरीबों व ब्राह्मण भोज और दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। इस
दिन सिर में तेल न लगाएं, जमीन पर सोएं और ईश्वर का
ध्यान करते रहें। विधिनुसार जो भी कामिका एकादशी का व्रत रखता है उस की कामनाएं पूर्ण होती हैं।
एकादशी का व्रत रखनेवालों को
सदाचार का पालन करना चाहिए। जो यह व्रत नहीं भी करता है उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस, मदिरा, पान, सुपारी और तंबाकू आदि से परहेज
करना चाहिए। व्रत रखनेवाले को दशमी तिथि के दिन से ही भगवान विष्णु का ध्यान शुरू
कर देना चाहिए। साथ ही काम-भाव, भोग-विलास से खुद को दूर करना चाहिए। व्रत के दौरान कांसे के बर्तन में
भोजन और नमक का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
कामिका
एकादशी व्रत का मुहूर्त
- व्रत तिथि– 7 अगस्त 2018, मंगलवार
- पारण समय- 13:45 से 16:24 (8 अगस्त 2018)
- एकादशी तिथि प्रारंभ- 07:52 बजे से (7 अगस्त 2018)
- एकादशी तिथि समाप्त- 05:15 बजे (8 अगस्त 2018)
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