नरेन्द्र मोदी और अमित शाह |
-शीतांशु कुमार सहाय
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 26 और 27 जून 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य की दो दिवसीय यात्रा की। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल सत्यपाल मलिक और राज्य सरकार के अधिकारियों से मुलाकात कर राज्य की प्रगति पर महत्त्वपूर्ण चर्चा की। उन्होंने शहीद अरशद के घर जाकर परिजनों से मुलाकात की और आतंकी घटनाओं में मारे गये लोग को अनुग्रह राशि के चेक प्रदान किये। अमरनाथ यात्रा की समीक्षा की। अब केन्द्र सरकार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए एक विशेष योजना तैयार की है। यह योजना कश्मीर के उन युवकों की तकदीर बदल कर रख देगा, जो बेरोजगारी की वजह से या गुमराह होकर गलत रास्ते पर चले गये हैं।
केन्द्रीय मन्त्री शाह ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक और दूसरे अधिकारियों के साथ हुई बैठक में स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए केंद्र सरकार खुले मन से आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। सैन्य बलों पर पत्थराव करनेवाले या आतंक के रास्ते पर जा रहे युवाओं को किस तरह से दुबारा राष्ट्र की मुख्य धारा में लाया जाय, इस के लिए भी एक प्रभावी योजना बनायी जा रही है।
तीन प्रतिशत आरक्षण
गृह मंत्री बनने के बाद अपने पहले जम्मू-कश्मीर की यात्रा (26 व 27 जून 2019) से वापस नयी दिल्ली लौटने के बाद अमित शाह ने 27 जून 2019 को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को छः माह का अवधिविस्तार और जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहनेवाले लोग को नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव पर सदन की सहमति प्राप्त की। राज्य में 3 जुलाई 2019 को राष्ट्रपति शासन की अवधि खत्म हो रही थी। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण कानून में संशोधन किया है। प्रस्तान के मुताबिक, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहनेवाले लोग को 3 प्रतिशत आरक्षण का फायदा मिलेगा।
जान-माल की क्षति पर मुआवजा
पाकिस्तान की तरफ से होनेवाली गोलीबारी और अन्य प्रहार से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहनेवालों को जान-माल की क्षति होती रहती है। पशु भी मारे जाते हैं। इस सन्दर्भ में पहले कोई मुआवजा नहीं मिलता था। पर, अब मोदी सरकार ने ऐसे पीड़ितों या उन के परिजनों को मुआवजा देने का प्रावधान किया है। पालतू भैंस की मौत पर भी 50 हजार रुपये देने का काम सरकार ने किया है।
15 हजार बंकर
एलओसी और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा के मद्देनज़र लगभग 15 हजार बंकर बनाने का फैसला केन्द्रीय सरकार ने किया है। इन में से अब तक 4400 बंकर बन चुके हैं। समय के भीतर सभी बंकर बना लिये जायेंगे।
युवाओं पर खास ध्यान, एनजीओ पर नज़र
श्रीनगर में बैठक करते अमित शाह व सत्यपाल मलिक |
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान युवाओं पर खास ध्यान दिया है। चूँकि घाटी में अधिकांश युवा किसी वजह से राष्ट्र की मुख्य धारा से दूर चले गये हैं। जम्मू-कश्मीर में शांति कायम करने के प्रयासों को नुकसान पहुँचानेवाले कुछ लोग के बहकावे में आकर स्थानीय युवा गलत राह पर जा रहे हैं। इस मामले में अलगाववादी हों, हुर्रियत या फिर कथित स्थानीय राजनेताओं और सीमा पार के आतंकी संगठनों के सहयोग से घाटी में चल रहे कई एनजीओ और उन के संचालकों पर जाँच एजेंसियों की नज़र है। सेना, अर्द्धसैनिक बल, जम्मू-कश्मीर पुलिस और एनआईए जैसी जाँच एजेंसियों के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि उक्त संगठन कश्मीर के युवाओं को गलत राह पर ले जा रहे हैं। सुरक्षा बलों पर पथराव करना या हैंड ग्रेनेड फेंकना, ये सब बातें युवाओं के गुमराह होने की वजह से सामने आ रही हैं। इस का एक दूसरा कारण कश्मीर में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का होना भी है। इस के चलते स्थानीय युवा आसानी से आतंकियों के बहकावे में आ जाते हैं।
कार्ययोजना के प्रमुख बिन्दु
- राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के नेतृत्ववाली नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं की बेरोजगारी पूरी तरह से समाप्त करने के लिए जिन बिन्दुओं पर कार्य हुए हैं या हो रहे हैं, उन में प्रमुख हैं-
- विकास पैकेज में युवाओं के लिए अलग से योजना बनेगी।
- युवाओं को फायदा पहुँचानेवाली योजनाओं में भ्रष्टाचार और लीकेज जैसी बुराई को जड़ से खत्म किया जायेगा।
- घाटी में डेयरी और पशुपालन व्यवसाय को अन्तर्राष्ट्रीय मापदण्डों के अनुसार विकसित करेंगे।
- अमूल और मदर डेयरी जैसी बड़ी संस्थाओं के साथ यहाँ के युवाओं को जोड़ा जायेगा।
- पोल्ट्री व्यवसाय में अत्याधुनिक तरीकों का इस्तेमाल होगा।
- उद्यमियों के द्वार पर बाजार उपलब्ध कराये जायेंगे।
- हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर कई योजनाएँ शुरू होंगी।
- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जम्मू-कश्मीर की कला पहुँचे, इस के लिए अलग से योजना बनेगी।
- सभी योजनाओं में युवाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए बैंक ऋण और विशेष आर्थिक पैकेज भी दिया जायेगा।
- घाटी में एमबीबीएस, इंजीनियरिंग या एमबीए जैसे प्रोफेशनल कोर्स करनेवाले वे युवा जो किन्हीं कारणों से खुद को संतुष्ट नहीं पा रहे हैं, राज्य सरकार अब उन की सुधि लेगी। राज्य सरकार ऐसे युवाओं को बेहतर जीवन जीने और संतोषजनक रोजगार मुहैया कराने का इंतजाम करेगी।
आतंकवाद और लोकतन्त्र
जम्मू-कश्मीर में बहुत समय बाद पहली बार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी गयी है। एक साल के भीतर केन्द्रीय सरकार ने आतंकवाद को जड़ों से उखाड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। विकास की बात करते हुए एक साल के भीतर पंचायत के चुनाव कराये गये और 4 हजार पंचायतों में 40 हजार सरपंच देश की सेवा कर रहे हैं। अब तक 700 करोड़ रुपये सीधे पंचायतों के बैंक खातों में पहुँचा है। आगे 3000 करोड़ रुपये भी पंचायतों को जल्द दिये जायेंगे।
केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं, जम्मू-कश्मीर भी चुनावों में हिंसा के लिए प्रसिद्ध था। पर, 40 हजार पदों के लिए हुए पंचायत चुनाव (नवम्बर 2018) में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गयी। इसी तरह इसी वर्ष अप्रील-मई में हुए लोकसभा आम निर्वाचन में भी हिंसा नहीं हुई। मत-प्रतिशत बढ़ा और चुनाव शान्तिपूर्ण रहा। मतलब यह कि स्थिति सरकार के नियंत्रण में है।