शनिवार, 30 मार्च 2013

हो रहा है सीबीआइ का दुरुपयोग


शीतांशु कुमार सहाय

अगले वर्ष होने वाला लोकसभा निर्वाचन समय से हो या पहले मगर एक बात तो तय है कि हाल के 2-3 वर्षों से जो कुछ हो रहा है उन घटनाओं की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण होने वाली है। इन घटनाओं में सबसे प्रमुख है सीबीआइ का दुरुपयोग। समाजवादी पार्टी के संस्थापक व सर्वेसर्वा मुलायम सिंह यादव की मुलायमियत इन दिनों गायब होती महसूस हो रही है। ऐसा ही महसूस कर रही है कांग्रेस भी। केन्द्र की सत्ता से चिपकी कांग्रेस को मुलायम की दूरी कुछ ज्यादा ही खटकती है। ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी व करुणानिधि की द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम यानी डीएमके के साथ छोड़ देने से दलों के सहयोग की दरकार कांग्रेस को अधिक है। इस गरज को मुलायम भी गहराई से महसूस कर रहे हैं। इसलिए उनकी जुबान बेनी की तरह बदजुबान तो नहीं हुई पर उनकी जुबान अब आडवाणी का गुणगान करने लगी है। उनकी पार्टी केंद्रीय मंत्री बेनी वर्मा को पागल कहती है जो कभी उनके प्रिय पात्र थे। इससे इतर कांग्रेस पर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के दुरुपयोग का भी आरोप खुलेआम लगाया। सपा प्रमुख ने जो कहा है, वही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी कहती आई है। ऐसा ही आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल व प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे भी कहते हैं। पर, मुलायम का कहना खास असरकारक है। शेष सभी तो विरोधी हैं ही, मुलायम का सरकार समर्थक कुनबे में रहने के बावजूद विरोध करने का कारण अलग है। पर, विरोध की बात करते हुए सरकार से समर्थन वापस न लेने की लाचारी उनके हालिया वक्तव्य में झलकती है। कनिमोंझी व डीएमके का उदाहरण देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि विरोधियों के पीछे कांग्रेस सीबीआइ को लगा देती है। विदित हो कि डीएमके प्रमुख करुणानिधि ने केन्द्र से समर्थन वापसी की घोषणा कि और उनके पुत्र के घर पर सीबीआइ का छापा पड़ गया।

दिग्गजों को सीबीआइ से डर लगता है। जिसने गलती की नहीं उसे तो नहीं डरना चाहिए। स्वामी रामदेव की तरह निर्भय होकर सीबीआइ जांच करानी चाहिए। वैसे प्रकरण रामदेव का हो या उनके मित्र स्वामी बालकृष्ण का, मायावती या मुलायम का- गौर करें तो सीबीआइ के दुरुपयोग के ऐसे कई अन्य उदाहरण भी मिल जाएंगे। जब तक स्वामी रामदेव ने कांग्रेस का विरोध नहीं किया तब तक वे भद्र पुरुष थे। सभी नयाचारों को ताक पर रखकर उनकी अगुवाई करने हवाई अड्डे पर पांच केन्द्रीय मंत्री भी हाजिर हो गए थे। पर, जैसे ही उन्होंने कांग्रेसी खिलाफत शुरू की, उनके उत्पाद की गुणवत्ता जांचने सहित उनके गुम हुए गुरु की खोजबीन के नाम पर उनके पीछे सीबीआइ को लगा दिया गया। यही नहीं भाजपा की पिछली राज्य सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश में रामदेव की संस्था को दी गई जमीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई; क्योंकि वहां कांग्रेस की सरकार सत्ता में आ गई। इसी तरह स्वामी बालकृष्ण को परेशान करने के लिए भी सीबीआइ का इस्तेमाल हो रहा है। उन्हें नेपाली साबित करने की भी जद्दोजहद हो रही है और उनकी वैद्य की उपाधि को भी फर्जी बताया जा रहा है। यदि बालकृष्ण नेपाली हैं भी तो हो-हल्ला की कोई जरूरत नहीं है। भारतीय संविधान के अनुसार, नेपाली को भारत में सरकारी नौकरी भी करने का अधिकार है। क्या कांग्रेस को संविधान की यह बात मालूम नहीं? यदि रामदेव, उनके सहयोगी या उनकी संस्था इतनी बदतर है तो जांच वर्षों पहले ही शुरू क्यों नहीं हुई? वैसे कांग्रेस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार को समर्थन देकर सीबीआइ जांच की आंच से फिलहाल मायावती व मुलायम सुरक्षित हैं। उनकी संचिकाएं सीबीआइ के किस कार्यालय में धूल खा रही हैं, पता नहीं! इन घटनाओं को केवल संयोग नहीं कहा जा सकता।

यहां अन्ना आंदोलन के दौरान सीबीआइ को जनलोकपाल के अंतर्गत लाने के पुरजोर प्रयास का उल्लेख करना आवश्यक है। अन्ना, केजरीवाल, किरण बेदी, संतोष हेगड़े व प्रशान्त भूषण जैसे प्रखर समाजसेवियों ने स्पष्ट कहा था कि जब तक केन्द्र सरकार के अंतर्गत सीबीआइ रहेगी तब तक भ्रष्टाचार पर पूर्णतः अंकुश लगाना सम्भव नहीं होगा। यह भी कहा गया कि यदि ऐसा नहीं होता है तो सरकार सीबीआइ का विद्वेषपूर्ण इस्तेमाल कर सकती है। लगता है कि अभी ऐसा ही हो रहा है। इसपर लगाम जरूरी है अन्यथा सीबीआइ की रही-सही विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिह्न लग जाएगा।

मंगलवार, 26 मार्च 2013

होली : जीवन का अंग है रंग Holi : Colour Is A Part Of Life

शीतांशु कुमार सहाय

       हो-ली अर्थात् किसी के साथ हो लेने को ही होली की संज्ञा दी जाती है। चूंकि ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि के उपरान्त विवेक भी दिया है इसलिए विवेकानुसार अच्छाई के साथ ही होना मनुष्यता को प्रदर्शित करेगा। मनुष्यता प्रदर्शित करते हुए अच्छाई के साथ हो लीजिये और तब देखिये कि होली का कितना मजा आता है! मजा तो तब सजा में बदल जाता है जब बुराई के साथ हो लिया जाता है। यकीन मानिये कि होली में अधिकतर बुराई को ही आत्मसात् करने की एक परम्परा-सी चल पड़ी है। खूब नशा करो और जी भर कर हुल्लड़बाजी करो, अगर कोई प्रतिकार करे तो जबर्दस्ती करो और सामने वाला अगर शक्तिशाली निकला तो बुरा न मानो होली है का घिसा-पिटा जुमला सुना दो। यही सूत्र वाक्य हो गया है आजकल होली का। इसे कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। उपर्युक्त संदर्भ को यदि अपने ऊपर लागू करवाएं तो आपको शालीन होली का अभद्र स्वरूप दिखाई देगा। जो शालीन है उसे शालीन ही रहने दीजिये। प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई और नाम न दो। शानदार परम्परा को बिगाड़ने का अनधिकृत अधिकार अपने हाथों में लेकर स्वयं को निन्दा का पात्र बनाना उचित तो नहीं। वास्तव में होली का सरोकार न नशे से है और न ही अभद्रता से। इसका सम्बन्ध तो अहंकारशून्य होकर सौहार्द फैलाने से है। यह सौहार्द केवल एक धर्म-विशेष से ही आबद्ध न होकर सम्पूर्ण समाज से जुड़ा है। 

       सौहार्द से पारस्परिक प्रेम का ऐसा प्रणयन होता है जो युगों-युगों तक घर-परिवार-समाज को स्नेह की शीतल छाया प्रदान करता रहता है। ऐसे वातावरण में अहंकारशून्य अर्थात् संस्कारित संतति उत्पन्न होती है। ऐसे संस्कारवानों से ही समतामूलक समाज की उत्पत्ति होती है। समानता पर आधारित समाज के निर्माण में जब प्रह्लाद को भारी समस्या का सामना करना पड़ा, घर-परिवार का भी सहयोग नहीं मिला, यहां तक कि पिता हिरण्यकश्यप भी जान के दुश्मन बन गए तब भगवान को आना ही पड़ा। सामाजिक सौहार्द के शत्रु का अवसान हुआ और फिर से अमन-चैन का राज कायम हुआ। यह पौराणिक घटना केवल धर्मारूढ़ नहीं; बल्कि सर्वधर्म समाज पर लागू होने वाला वैज्ञानिक सत्य है। इसे नकारा नहीं जा सकता। वैज्ञानिकता यह कि किसी भी प्राणी योनि में जन्म लेकर अमरता को आत्मसात् नहीं किया जा सकता। कोई-न-कोई एक कारण होगा ही जिसके कारण मौत को गले लगाना पड़ेगा। इसी कारण न धरती, न आकाश, न पाताल में; न दिन में, न रात में; न किसी अस्त्र-शस्त्र से और किसी मानव-दानव-देव के हाथों न मरने का वरदान पाकर हिरण्यकश्यप अपने को अमर समझने की भूल कर बैठा। इसलिए भगवान को नरसिंह का रूप धारण कर संधि काल में अपने घुटने पर रखकर भयानक नाखूनों से उसे मृत्यु दण्ड देना पड़ा। यहां जानने वाली वैज्ञानिकता यह है कि दूसरों को सताते समय अहंकारवश अपने को अमर समझने की भूल की जाती है। इसी भूल को जला डालना ही वास्तविक होलिका दहन है। 

       समस्त भूलों व दुष्प्रवृत्तियों को जलाने के पश्चात् रंगों से होली खेलने की बारी आती है। लाल, पीले, हरे, नीले- सभी रंग मिलकर एक हो जाते हैं। रंगों से सराबोर सबके चेहरे एक जैसे लगते हैं। किसी में कोई फर्क नहीं रह जाता है। सभी समान नजर आते हैं। होली अपनी समता यहीं प्रकट करती है। विभिन्न रंगों में छिपे चेहरों में कौन अरबपति और कौन खाकपति है, यह पता लगाना मुश्किल होता है। कौन खाते-खाते परेशान है और कौन खाए बिना- रंगों के बीच यह विभेद भी सम्भव नहीं। जीवन का अंग है रंग, इसे दुत्कारिये नहीं स्वाकारिये। वसन्त के इस रंगीले पर्व के माध्यम से अपने जीवन में भी नवविहान लाइये, रंगीन हो जाइये होली के साथ!
 

सोमवार, 25 मार्च 2013

बिहार के पूर्णिया में जली थी होलिका



भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा खंभा आजकल माणिक्य स्तंभ कहलाता है।

अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं बिहार से। होली के एक दिन पूर्व होने वाले होलिका दहन का भी सम्बन्ध बिहार से है। वास्तव में होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। असुर राज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का दहन बिहार में हुआ था। तभी से प्रतिवर्ष होलिका दहन की परंपरा चल पड़ी। यहां पूर्णतः जंगल वाला यानी पूर्ण अरण्य वाला एक क्षे़त्र था जो कालान्तर में पूर्णिया कहलाया। अभी यह बिहार का एक जिला है। इस जिले के बनमनखी प्रखंड के सिकलीगढ़ में वह स्थान है जहां भगवान विष्णु के प्रिय भक्त प्रह्लाद को होलिका अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी। होलिका तो भस्म हो गई मगर प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने बचा लिया। भगवान विष्णु ने उसी समय नरसिंह के रूप में अवतरित होकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
पौराणिक कथा के अनुसार, सिकलीगढ़ में हिरण्यकश्यप का राजमहल था। इसी राजमहल में अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु राजमहल के एक खंभे से नरसिंह के रूप में अवतरित हुए थे। भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा खंभा आजकल माणिक्य स्तंभ कहलाता है जो आज भी यहां मौजूद है। इसे कई बार तोड़ने का प्रयास भी हुआ मगर यह स्तंभ झुक तो गया, टूटा नहीं। झूके हुए स्तम्भ को आप चित्र में भी देख सकते हैं। पूर्णिया जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित सिकलीगढ़ जहां प्राचीन काल में 400 एकड़ के दायरे में कई टीले थे, जो अब 100 एकड़ में ही सिमट गए हैं। इन टीलों की खुदाई में कई पुरातन वस्तुएं निकली हैं। गोरखपुर के गीता प्रेस की धार्मिक पत्रिका ‘कल्याण’ के 31वें वर्ष के विशेषांक में सिकलीगढ़ को भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का स्थल बताया गया। इसकी प्रामाणिकता के कई साक्ष्य हैं। यहीं हिरन नदी बहती है जो हिरण्यकश्यप के नाम से सम्बद्ध है। कुछ वर्षाे पहले तक नरसिंह स्तंभ में एक छेद था जिसमें पत्थर डालने से वह हिरन नदी में पहुंच जाता था। यहां भीमेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है। पौराणिक मान्यता है कि हिरण्यकश्यप का भाई हिरण्याक्ष वराह क्षेत्र का राजा था। वराह क्षेत्र अब नेपाल में पड़ता है। जिस स्तम्भ से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था, वह आजकल ‘प्रह्लाद स्तंभ’ कहलाता है। इस स्तम्भ का रख-रखाव के लिए बनाए गए ‘प्रह्लाद स्तंभ विकास ट्रस्ट’ के अध्यक्ष बद्री प्रसाद साह के अनुसार, यहां साधु-सन्तों का जमावड़ा रहता है। भागवत पुराण के सप्तम स्कंध के अष्टम अध्याय में भी माणिक्य स्तंभ स्थल का जिक्र मिलता है। भागवत पुराण के अनुसार, इसी खंभे से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी और दुष्ट हिरण्यकश्यप का वध किया था।

सिकलीगढ़ में राख और मिट्टी से होली खेली जाती है। होलिका के भस्म होने और प्रह्लाद के चिता से सकुशल वापस आने पर प्रह्लाद के समर्थकों ने चिता की राख और मिट्टी एक-दूसरे को लगाकर खुशी मनाई थी। तभी से यहां राख और मिट्टी से होली खेली जाती है। यहां होलिका दहन के दिन दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु होलिका दहन के समय उपस्थित होते हैं और राख-मिट्टी से होली खेलते हैं।

सिकलीगढ़ में भगवान विष्णु के प्रिय भक्त प्रह्लाद को होलिका अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी।

उपेक्षित है सिकलीगढ़ टीला
बिहार के पूर्णिया जिलास्थित बनमनखी अनुमंडल में सैकड़ों एकड़ में फैले टीले आज भी अपनी पौराणिकता का परिचय दे रहा है। पर, इस ओर न बिहार साकार का और न ही पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का ही ध्यान गया है। इस कारण यह उपेक्षित है। बड़े-बड़े ईटों से बने इन टीलों को अनधिकृत रूप से तोड़कर इसके पौराणिक स्वरूप को नष्ट किया जा रहा है। भागवत पुराण के अनुसार, यहां हिरण्यकश्यप का राजमहल था। भगवान विष्णु ने यहीं नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी और हिरण्यकश्यप का वध किया था।

मंगलवार, 19 मार्च 2013

5 पतियों वाली कलयुगी द्रोपदी राजो वर्मा/FIVE HUSBANDS BUT ONE WIFE RAJO VERMA

देहरादून। पुरुष मानसिकता वाले समाज में आप यह खबर पढ़कर चौंक जाएंगे कि एक महिला के पांच पति और सभी के सभी आपस में सगे भाई हैं। यह परिवार आपस में काफी खुश है और मिल-जुलकर रहता है। पहाड़ पर रहने वाली 21 साल की राजो वर्मा अपने पांच पतियों के साथ एक ही कमरे में रहती हैं और सभी फर्श पर कंबल बिछाकर साथ ही सोते हैं। एक बच्चे की मां राजो जो हर रात अलग-अलग भाई के साथ सोती है और उसे यह नहीं मालूम कि 18 महीने के उसके बेटे का बाप पांच पतियों में से कौन हैं। एक महिला के कई पति यह देखने व सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन देहरादून के पास एक छोटे से गांव में सदियों पुरानी यह परंपरा आज भी कायम है। इस परंपरा के अनुसार महिला को अपने पहले पति के सभी भाइयों के साथ शादी करनी होती है। पांच पतियों वाली राजो का कहना है कि शुरुआत में उसे यह परंपरा बहुत बेतुकी लगी थी। लेकिन अब वह नहीं चाहती कि ऐसा किसी और के साथ हो। राजो और उसके पहले पति गुड्डू की शादी चार साल पूर्व हिंदू रीति-रिवाजों के साथ हुई थी। इसके बाद राजो ने अन्य भाइयों बैजू [32 साल], संत राम [28 साल], गोपाल [26 साल] और दिनेश [19 साल] के साथ विवाह किया। दिनेश के 18 साल के होने पर उसने अपना पांचवां ब्याह रचाया। राजो के पहले पति गुड्डू का कहना है कि हम सभी उसके साथ सेक्स करते हैं लेकिन मैं किसी के प्रति ईष्र्यालु नहीं हूं। हम लोग एक बड़े परिवार में साथ रहकर खुश हैं। गुड्डू ही राजो का एकमात्र अधिकारिक पति है। सदियों पहले प्राचीन भारत में कई जगहों पर बहुपति प्रथा कायम थी लेकिन आज केवल एक अल्पसंख्यक समाज में ही यह परंपरा है। इस परंपरा के पीछे यह माना जाता है कि इससे परिवार में जमीनों का बंटवारा नहीं होगा और परिवार आपस में एकजुट बने रहेंगे। राजो का कहना है कि उसे पता था कि उसे अपने पति के सभी भाइयों को स्वीकार करना होगा। राजो की मां ही ने खुद तीन भाइयों के साथ शादी की थी। वह कहती हैं कि सभी अपनी पारी के आधार पर ही आते हैं। हालांकि इस बडे़ परिवार में एक भी बेड नहीं है लेकिन उसके पास कई 'कंबल' जरूर हैं। साथ ही वह कहती हैं कि सभी पति मेरा खूब ध्यान रखते हैं और उनसे ढेर सारा प्यार भी पाती हूं। पुरुषवादी समाज में एक महिला के कई पति हों ऐसा बहुत कम ही दिखाई देता है। प्राचीन काल में रची गई महाभारत में पांचाल के राजा की बेटी द्रौपदी के भी पांच पति थे। द्रौपदी ने युधिष्ठिर समेत उनके सभी चार भाइयों के संग विवाह किया था। (danik jagran)


सोमवार, 18 मार्च 2013

पत्रकार को हरा रंग से होली का उत्सव मनाना चाहिए/GREEN COLOUR FOR JOURNALIST

होली आने में कुछ ही दिन बचे हैं तो रंगों से जुड़ी कुछ जानकारियां काफी फायदेमंद हो सकती है। इस होली पर ऐसा कौन सा रंग इस्तेमाल करें जो व्यवसाय, नौकरी एवं पेशों के लिए लाभदायक हो। रंगों का चयन अपने आय स्रोत के अनुकूल करने से लाभ को बढ़ा सकते हैं तथा मान-प्रतिष्ठा भी अर्जित कर सकते हैं।
लाल रंग : लाल रंग भूमि पुत्र मंगल का रंग है। भूमि से संबंधित कार्य करने वाले बिल्डर्स, प्रापर्टी डिलर्स, कॉलोनाइजर्स, इंजीनियर्स, बिल्डिंग मटेरियल का व्यवसाय करने वाले एवं प्रशासनिक अधिकारियों को लाल रंग से ही होली का उत्सव मनाना चाहिए तथा गरीबों को भोजन कराने से अप्रत्याशित लाभ होगा। सभी कामनाएं पूर्ण होंगी।
पीला : पीला रंग गुरु का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु सोना, चांदी, अन्न व्यापार आर्थिक पक्ष को प्रभावित करता है। अनाज व्यापारी, सोना, चांदी व्यापारी शेयर का धंधा करने वाले से इस वर्ष अपनी स्थिति मजबूत करेंगे। अपने अन्य साथियों से आप दोगुनी अच्छी स्थिति में रहेंगे। सम्मानित होंगे।
हरा : हरा रंग बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। व्यापार में वृद्धि, शिक्षक, अभिभाषक, विद्यार्थियों, जज को सफलता हेतु एवं लेखक, पत्रकार, पटकथा, लेखक को भी होली हेतु इस रंग का प्रयोग करना, लाभ एवं सफलता दिलाएगा। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर इंजीनियर भी हरा रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
नीला : नीला रंग शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। अभिनेता, रंगमंच, कम्प्यूटर व्यवसायी, प्लास्टिक, आइलपेंट, स्क्रेप, लौहा व्यवसायी एवं राजनीतिज्ञ लोग होली उत्सव नीले रंग से मनाएं। इससे इस वर्ष नई ऊंचाइयां एवं नवीन पद को प्राप्त करेंगे। आर्थिक एवं सामाजिक लाभ होगा।

रविवार, 17 मार्च 2013

इस शिव मंदिर में होती है मिसाइलों की पूजा/WHEELER ISLAND OR PRITHVI POINT

SATELLITE PHOTOGRAPH OF WHEELER ISLAND


व्हीलर द्वीप (ओडिशा)। वह मंदिर विज्ञान एवं ईश्वरीय आस्था के संगम का प्रतीक है और यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां मिसाइलों की पूजा की जाती है। भारत की अब तक लगभग सभी मिसाइलों का प्रक्षेपण इसी व्हीलरद्वीप से किया जाता है और दिलचस्प बात यह है कि हर लान्च से पहले यहां स्थित शिव मंदिर में इन मिसाइलों की सफलता की कामना की जाती है।
मिसाइल पुरूष डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हों या अग्नि पुत्री कहलाने वाली अग्नि परियोजना की निदेशक टेसी थामस या फिर मौजूदा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन प्रमुख वीके सारस्वत। सभी इस मंदिर में शीश नवाने आते रहे हैं।
भारतीय वैज्ञानिकों ने एक मिसाइल के परीक्षण से ही व्हीलर द्वीप खोजा था। मिसाइल दागने के बाद जब समंदर में उसकी खोज हुई तो जहाजों को वह कहीं नहीं मिली। आखिरकार यह डेढ़ वर्ग किलोमीटर का द्वीप दिखाई दिया जहां उस मिसाइल का मलबा पड़ा हुआ मिला था। जहां यह मलबा पाया गया था, उसे आज पृथ्वी प्वाइंट कहा जाता है।
इसी द्वीप पर गांव देहात के देवताओं की तरह एक छोटा सा शिव मंदिर भी पाया गया। कोई आबादी न होने के बावजूद मंदिर की मौजूदगी वाकई आश्चर्यजनक थी। बाद में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इस मंदिर का विकास कराया और इस मंदिर में भारत की मिसाइलों की सफलता के लिए मन्नत मांगी जाने लगी। अब तो आलम यह है कि हर प्रक्षेपण से पहले इस मंदिर के पुजारी को किसी पुरोहित की तरह बुलाया जाता है। मंदिर के प्रांगण में पल्ला बिछाया जाता है। वहां ग्यारह नारियलों के साथ पूजा होती है। देश के मिसाइल वैज्ञानिक एक-एक करके नारियल फोड़कर मंदिर में नतमस्तक होते हैं। मिसाइल के मस्तक पर भी रोली से तिलक लगाया जाता है और फिर वैज्ञानिक आश्वस्त होकर अपने-अपने कंप्यूटरों की राह पकड़ लेते हैं।
कंप्यूटरों के लिए एक अंडरग्राउंड सुविधा है। मिसाइल के परीक्षण के समय द्वीप पर कोई नहीं रह सकता। मिसाइलों के रखने के लिए भी एक अंडरग्राउंड सुविधा वहां मौजूद है। मिसाइल दागे जाने के समय एक बड़े इलाके में आग लग जाती है और वहां खड़ी अग्निशमन की गाडियां सक्रिय हो जाती हैं। मिसाइल के परीक्षण के समय के फोटो लेने के लिए व्हीलर द्वीप के आसपास के कुछ द्वीपों की पर्वत चोटियों पर कैमरे लगाए गए हैं और इन्फ्रारैड लैंस से युक्त ये कैमरे दो सौ किलोमीटर तक की परिधि के सटीक चित्र ले सकते हैं।
व्हीलर द्वीप पर हेलीकाप्टर से सांझ ढले उतरते समय एक अजीबखूबसूरत दृश्य दिखाई देता है। ऊपर से देखने पर लगता है मानों समुद्र में किसी के गले में दीपकों की माला पहना दी गई हो। पूरा द्वीप प्रकाशमान होने के बावजूद बल्ब नहीं दिखाई देते। हेलीकाप्टर नीचे उतरने पर पता चलता है कि द्वीप के चारों ओर टेबल लैंप की तरह मुहं झुकाए हुए बल्बो की व्यवस्था की गई है। अनायास ही मन में एक प्रश्न आता है कि यहां धरती की ओर मुहं करके बिजली के बल्ब क्यों लगे हैं। जवाब में एक वैज्ञानिक ने बताया कि व्हीलर द्वीप के चारों ओर दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का बसेरा है जिन्हें दुनिया ओलिव टर्टल के नाम से जानती है। ये कछुए चांद की रोशनी से बहुत प्रभावित होते हैं। उन कछुओं का ध्यान चांद की चांदनी से भंग न हो इसलिए वैज्ञानिकों ने यहां प्रकाश की व्यवस्था इस नए अंदाज में की है।



मंगलवार, 12 मार्च 2013

जानिए बजट की हितकारी बातों को 10 बिन्दुओं में/KNOW MAIN PROFITABLE TOPICS IN BUDGET 2013-14

केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम द्वारा संसद में पारित वर्ष 2013-14 का बजट 1 अप्रील 2013 से लागू होगा। ऐसे में जानिए बजट की हितकारी बातों को 10 बिन्दुओं में।
यह पृष्ठ देवघर, झारखंड से प्रकाशित अखबार Good Noon News का है जिसकी पृष्ठ-सज्जा की है राजू कुमार ने।

वैद्यनाथधाम में बाबा मंदिर पर महाशिवरात्रि को वायुयान से पुष्पवर्षा/FLOWERFALL ON BABA TEMPLE AT VAIDYANATHDHAM ON MAHASHIVRATRI

शीतांशु कुमार सहाय/SHEETANSHU KUMAR SAHAY 
इस वर्ष महाशिवरात्रि 10 मार्च 2013 को था। इस दिन विधिवत् पूजनोपरान्त दिन के 11 बजे वैद्यनाथधाम में बाबा मंदिर पर वायुयान से पुष्पों की वर्षा की गई। यह विमान जमशेदपुर से लाया गया था। भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी शामिल है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दीखता है मगर वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण, गणेश, हनुमान, सरस्वती, भैरव व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं। 



















All photographs by Jems Kumar Nawab





सोमवार, 11 मार्च 2013

दुनिया की सबसे उंची अर्द्धनारीश्वर (शिव-शक्ति) प्रतिमा का अनावरण

शनिवार (9 March 2013) को दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप की प्रतिमा का अनावरण किया गया। पहली पूजा के दौरान लोगों ने दुग्ध और जल से अभिषेक किया, हेलीकॉप्टर से फूल बरसाये गये। दुनिया की सबसे उंची अर्द्धनारीश्वर (शिव-शक्ति) प्रतिमा का दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में अनावरण किया गया। प्रतिमा की उंचाई 20 मीटर है। बेनानी के एक्टनविले में स्थित स्टील से बनी इस प्रतिमा को नौ भारतीय कलाकारों ने 10 महीनों की मेहनत से बनाया है। इस प्रतिमा के आधे भाग में भगवान शिव है और आधे हिस्से में माता शक्ति। भगवान के इस रूप को अर्द्धनारीश्वर कहा जाता है। बेनोनी तमिल स्कूल बोर्ड के अध्यक्ष कार्थी मुथसामी ने कहा- ‘‘वर्तमान परिवेश में दक्षिण अफ्रीका में महिलाओं के लिए सम्मान में कमी को देखते हुए हमारी संस्था के लिए सभी महिलाओं और सबकी माता शक्ति का सम्मान करने से उत्तम क्या हो सकता था। हमारी प्रतिमा में अर्द्ध माता, अर्द्ध पिता हैं, यह लिंग आधारित समानता को दर्शाता है।’’ कार्थी ने कहा कि तीन वर्ष पहले मॉरिशस यात्रा के दौरान जब उन्होंने अर्द्धनारीश्वर की विशाल प्रतिमा देखी तभी से उनकी इसमें दिलचस्पी थी। उन्होंने बताया कि इस प्रतिमा के निर्माण में 90 टन स्टील लगा है। तमिल फेडरेशन ऑफ गावतेंग के अध्यक्ष नदास पिल्लै का कहना है कि यह प्रतिमा लोगों को लगातार याद दिलाएगी कि उन्हें अपने अहंकार को त्याग कर स्वार्थरहित मानवता और समाजसेवा के क्षेत्र में आना है।

अर्द्धनारीश्वर
शिव शब्द कल्याण, आनन्द, मंगल और यश का द्योतक है। आस्थाओं एवं परंपराओं के अनुरूप ही शिव अनेक मुद्राओं में चित्रित-वर्णित और पूजे जाते रहे हैं। किंतु उनकी सर्वोत्कृष्ट और विलक्षण मुद्रा है अर्द्धनारीश्वर की जो प्रकृति-पुरुष के एकाकार होने का प्रतीक है। आदि परंपरा में अर्द्धनारीश्वर की परिकल्पना ऐसी है जिसमें एक ओर पार्वती का सुंदर और कमनीय शरीर है और दूसरी ओर शिव का कठोर बदन। दोनों आधा-आधा। सामान्य जन को यह एक बेमेल परिकल्पना लग सकती है लेकिन क्या सचमुच यह बेमेल है? असल में दुनिया की कोई भी शक्ति सार्वभौम (universal) को बदल नहीं सकती, हमारे मानने-न-मानने का कोई अर्थ नहीं। यह सार्वभौमिकता ही प्रकृति है, कुदरत है, ईश्वर है, शिव और शक्ति है, जिनसे ब्रह्माण्ड गतिशील है, पृथ्वी और सूर्यादि नियत हैं। भारतीय कला का यह प्रतीक स्त्री-पुरुष के अद्वैत का सूचक है। इस मूर्ति में आधा शरीर पुरुष अर्थात 'रुद्र' (शिव) का है और आधा स्त्री अर्थात 'उमा' (सती, पार्वती) का है। दोनों अर्द्ध शरीर एक ही देह में सम्मिलित हैं। उनके नाम 'गौरीशंकर', 'उमामहेश्वर' और 'पार्वती परमेश्वर' हैं। दोनों के मध्य काम संयोजक भाव है। नर (पुरुष) और नारी (प्रकृति) के बीच का संबंध अन्योन्याश्रित है। पुरुष के बिना प्रकृति अनाथ है, प्रकृति के बिना पुरुष क्रिया रहित है। सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो स्त्री में पुरुष भाव और पुरुष में स्त्री भाव रहता है और वह आवश्यक भी है। ब्रह्मा की प्रार्थना से स्त्रीपुरुषात्मक मिथुन सृष्टि का निर्माण करने के लिए दोनों विभक्त हुए। शिव जब शक्तियुक्त होता है, तो वह समर्थ होता है। शक्ति के अभाव में शिव 'शव' के समान है। अर्द्धनारीश्वर की कल्पना भारत की अति विकसित बुद्धि का परिणाम है।

वैद्यनाथधाम में महाशिवरात्रि व पंचशूल की पूजा/MAHASHIVRATRI AT VAIDYANATHDHAM & PANCHOOL PUJA- 2013

शीतांशु कुमार सहाय/SHEETANSHU KUMAR SAHAY

Mahashivratri on 10 March 2013

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग शामिल है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दीखता है मगर वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं। कहा जाता है कि रावण पंचशूल से ही अपने राज्य लंका की सुरक्षा करता था। चूंकि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को लंका ले जाने के लिए कैलाश से रावण ही लेकर आया था पर विणाता को कुछ और ही मंजूर था। ज्योतिर्लिंग ले जाने की शर्त्त यह थी कि बीच में इसे कहीं नहीं रखना है मगर देव योग से रावण को लघुशंका का तीव्र वेग असहनशील हो गया और वह ज्योतिर्लिंग को भगवान के बदले हुए चरवाहे के रूप को ज्योतिर्लिंग देकर लघुशंका करने लगा। वह चरवाहा ज्योतिर्लिंग को जमीन पर रख दिया। इस तरह चरवाहे के नाम वैद्यनाथ पर वैद्यनाथधाम का निर्माण हुआ।

यहाँ प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि से 2 दिनों पूर्व बाबा मंदिर, माँ पार्वती व लक्ष्मी-नारायण के मंदिरों से पंचशूल उतारे जाते हैं। इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। जैसा कि नीचे के चित्रों में आपको दिखाई पड़ेगा। वैद्यनाथधाम परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के शीर्ष पर स्थित पंचशूलों को महाशिवरात्रि के कुछ दिनों पूर्व ही उतार लिया जाता है। सभी पंचशूलों को नीचे लाकर महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है और तब सभी पंचशूलों को मंदिरों पर यथा स्थान स्थापित कर दिया जाता है। इस दौरान बाबा व पार्वती मंदिरों के गठबंधन को हटा दिया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन नया गठबंधन किया जाता है। गठबंधन के लाल पवित्र कपड़े को प्राप्त करने के लिए भी भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। महाशिवरात्रि के दौरान बहुत-से श्रद्धालु सुल्तानगंज से कांवर में गंगाजल भरकर 105 किलोमीटर पैदल चलकर और ‘बोल बम’ का जयघोष करते हुए वैद्यनाथधाम पहुंचते हैं। BY SHEETANSHU KUMAR SAHAY












शनिवार, 2 मार्च 2013

खुद 5 फीट की बाल 6.7 फीट के/11 सालों से बाल नहीं काटे

उनके लंबे बालों को खरीदने वालों की भी कमी नहीं है। यहां तक कि कई लोग 2000 डॉलर तक में उनके बाल खरीदने के लिए तैयार हैं। चीन के घांसी प्रांत के गुइगेंग गांव में 44 साल की सेन यिंगुएन अपने लंबे बालों को लेकर चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। यिंगुएन के बाल काफी घने और लंबे है। खुद यिंगुएन महज पांच फीट की है और उसके बाल 6.7 फीट है यानी यिंगुएन के बाल उसकी लंबाई से भी ज्यादा हैं। मजे की बात है कि जब यिंगुएन को कंघी करनी होती है तो उसे किसी स्टूल पर चढ़ना पड़ता है। यिंगुएन को अपने बाल इतने प्यारे हैं कि उन्होंने पिछले 11 सालों से बाल नहीं काटे हैं। यिंगुएन कहती है कि उन्हें अपने बालों से बहुत ज्यादा प्यार है और ‌वो किसी भी सूरत में उन्हें काट नहीं सकती। वो काफी जतन से अपने बालों की देखभाल करती है। वो हर चार दिन में बाल धोती है और फिर एक स्टूल पर चढ़कर बालों में कंघी करती है। कंघी करने पर जो बाल गिरते हैं, यिंगुएन उन्हें भी सहेज कर रख लेती हैं। एक साल में यिंगुएन के सिर से करीब 50 ग्राम बाल झड़ते हैं। यिंगुएन साल 2005 से अपन झड़ने वाले बालों को एकत्र कर रही है। अपने बालों को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने के लिए यिंगुएन बालों को बीयर और अच्छी किस्म के शैंपू से धोती है। यिंगुएन का मानना है कि बीयर से बालों की चमक बढ़ जाती है और स्मूदनेस कायम रहती हैं। यिंगुएन कहती हैं कि उनके लंबे बालों को खरीदने वालों की भी कमी नहीं है। यहां तक कि कई लोग 2000 डॉलर तक में उनके बाल खरीदने के लिए तैयार हैं लेकिन वो अपने बाल किसी भी कीमत पर नहीं बेचेंगी। अभी तक यिंगुएन का एक भी बाल सुनहरा नहीं हुआ है। सभी बाल काले हैं। यिंगुएन का कहना है कि जिस दिन एक भी बाल सुनहरा हुआ, वो अपने बाल डाइ करके सफेद कर लेंगी।

बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

कार्यस्थल पर महिलाओं को प्रताड़ना से बचाने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी

महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन सहित विभिन्न प्रकार की प्रताड़ना से संरक्षण प्रदान करने और उन्हें तनावमुक्त माहौल प्रदान करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार 26 फरवरी 2013 को संसद की मंजूरी मिल गयी। विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि शिकायतों की 90 दिनों की समयसीमा के अंदर जांच करनी होगी और प्रावधानों का उल्लंघन करने पर नियोक्तों को 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। दफ्तरों से लेकर मजदूरी और खेत-खलिहानों में काम करने वाली महिलाएं भी अब महफूज रह सकेंगी। विधेयक के दायरे में घरों में काम करने वाली सहायिकाओं को भी शामिल किया गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य संगठित एवं असंगठित दोनों क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल प्रदान करना है। तीरथ ने कहा कि 1997 के विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक में स्थायी समिति के सुझावों पर गौर किया गया है और राज्यों के साथ विचार-विमर्श किया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि एवं घरेलू कार्य में लगी महिलाओं को भी इस विधेयक के दायरे में लाया गया है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने महिलाओं को कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) विधेयक 2012 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

रेल बजट करेगा आपकी जेब खाली / RAIL BUDGET 2013



सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र में एक और रेल कोच फैक्ट्री का प्रस्ताव। इस बजट में रेल मंत्री पवन बंसल ने साफ-सफाई और खान-पान पर विशेष जोर दिया है। वहीं, रेल मंत्री ने 67 नई एक्सप्रेस ट्रेनें और 27 पैसेंजर ट्रेने शुरू करने की घोषणा की है। साथ ही, 58 ट्रेनों के फेरों में भी इजाफा किया गया है। इसके अलावा आम आदमी के लिए तत्काल टिकट बुकिंग, ई-टिकट बुकिंग, रेल टिकट के लिए आधार कार्ड, एसएमएस से आरक्षण स्टेट्स सुविधा, और मुफ्त वाई-फाई सुविधा जैसी कई घोषणाएं की गई है।


यात्रियों के लिए सौगात-
1. तत्काल टिकट चार्ज बढ़ाया गया।
2. हर टिकट में फ्यूल एडजस्टमेंट चार्ज होगा। इससे ईंधन के दाम बढ़ने पर किराया बढ़ाया जाएगा और जब दाम घटेगा तो किराया घटाया जाएगा। फ्यूयल एडजस्टमेंट चार्ज को साल में दो बार तय किया जाएगा।
3. 67 नई एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी।
4. 27 यात्री गाड़ियों का ऐलान।
5.  5 नई मेमो गाड़ियां।
6. शहरों में रेल नीर बॉटलिंग प्रोजेक्ट।
7. मालभाड़ा हुआ महंगा, महंगाई पर पड़ेगा असर।
8. 450 किलोमीटर की छोटी लाइन को बड़ी लाइन में तब्दील करने का प्रस्ताव।
9. दोहरीकरण लक्ष्य बढ़ाकर 750 किलोमीटर किया गया।
10. 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली सेल्फ प्रोपेल्ड दुर्घटना राहत गाड़ियों का प्रस्ताव।
11. मुंबई में 72, कोलकाता में 18 नई गाड़ियां।
12. मुंबई लोकल में एसी डिब्बे लगाए जाएंगे।
13. महिलाओं की सुरक्षा पर खास जोर। आरपीएफ की 4 टुकडियां खास इसी के लिए बनाई गयीं।
14. लेडी स्पेशल गाडियों के साथ लेडी आरपीएफ को लगाने का प्रस्ताव।
15.  मुफ्त वाई-फाई सेवा का प्रस्ताव।
16. 23 घंटे होगी इंटरनेट बुकिंग
17. 12.30 से रात 11.30 बजे तक होगी बुकिंग।
18. एसएमएस अलर्ट सुविधा हर ट्रेन के लिए।
19. मोबाइल से भी होगा ई-टिकट बुक।
20. रिजर्व टिकट पर आई कार्ड जरूरी।
21. नई दिल्ली और पटना में यात्री लाउंज।
22. 400 स्टेशनों पर बुजुर्गों के लिए लिफ्ट।
23. रेलवे में मिलेंगी सवा लाख नौकरियां।
24. खाने की क्वालिटी जांचने का सिस्टम बनेगा।
25. स्वतंत्रता सेनानियों का 3 साल में होगा पास रिन्यू।
26. कई गाड़ियों में मुफ्त वाई-फाई सिस्टम।
27. मोबाइल से ई-टिकट बुक करने का प्रस्ताव।
28. अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर को रेल नेटवर्क में शामिल किया जा रहा है।
29. आजादी एक्सप्रेस के नाम से शैक्षिक-सस्ती गाड़ी चलाने का प्रस्ताव।
30. आरपीएफ के कर्मचारियों पर विशेष ध्यान। महिला आरपीएफ कर्मचारियों के लिए होस्टल की व्यवस्था।
31. राजीव गांधी खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार जीतने वालों को रेलवे फर्स्ट क्लास और सेकंड एसी का पास मिलेगा।
32. खिलाड़ियों को राजधानी में सफर करने के लिए दिए गए पास दुरंतो में भी लागू होंगे।
33. वीरता पुरस्कारों से नवाजे गए लोगों के लिए भी एसी पास की घोषणा।
34. स्वतंत्रता सेनानियों के लिए खास प्रावधान। अब उन्हें हर एक साल की जगह तीन साल में पास रिन्यू कराना होगा।
35. मनरेगा को पहली बार रेलवे से जोड़ा गया।
36.  नागपुर, ललितपुर, अहमदाबाद सहित 6 जगह रेल नीर बॉटलिंग प्लांट लगाने का प्रस्ताव।
37. कुल 31846 लेवल क्रॉसिंग हैं, जिनमें से 13530 पर कोई व्यक्ति नहीं होता है। इस संबंध में सुरक्षा के लिए 37 हजार करोड़ का प्रावधान।
38. रेल दुर्घटना रोकने के लिए ट्रेन प्रोटेक्टिंग प्रणाली को लागू करने का प्रावधान।
39. आग लगने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष प्रणाली को गाड़ी में लगाया जाएगा।
40. 10 वर्षों के लिए रेलवे सेफ्टी सिस्टम बनाया जाएगा, ताकि रेलवे सुरक्षा पर जोर दे सकें।
41. सिग्नल प्रणाली को उन्नत करने के लिए स्पेशल प्रबंध।
42. साफ-सफाई और यात्री सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध।
43.. दिल्ली-एनसीआर में स्टेशनों पर खास ध्यान दिया जाएगा।
44. शताब्दी-राजधानी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस तरह का 1 कोच कई बड़ी गाड़ियों में लगाने का प्रस्ताव।
45. वरिष्ठ नागरिकों के लिए 189 एक्सीलेटर और 400 लिफ्ट लगाए जाएंगे।
46. विकलांग लोगों के लिए बैट्री से चलने वाली व्हील चेयर का प्रस्ताव।
47. आधार योजना का रेलवे इस्तेमाल करेगी। टिकट बुकिंग के साथ-साथ रेल कर्मचारियों की सैलरी-पेंशन आधार स्कीम से जोड़ी जाएगी।
48. एसएमएस अलर्ट योजना के दायरे को बढ़ाया जाएगा। आरक्षण की स्थिति यात्रियों तक एसएमएस से पहुंचेगी।
49. नई टिकटिंग प्रणाली का प्रस्ताव। इससे कई गुना ज्यादा टिकट जारी कर पाएंगे।
50. नेक्स्ट जनरेशन ई-टिकट प्रणाली शुरू करेंगे। इससे धोखाधड़ी में कमी आएगी।
51. यात्रियों को यात्रा के दौरान आई-कार्ड रखना अनिवार्य होगा।
52. आजादी एक्सप्रेस के नाम से शैक्षिक-सस्ती गाड़ी चलाने का प्रस्ताव।
53. पीपीपी के जरिए 1 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य 12वीं पंचवर्षीय योजना में।
54. रेल स्टेशन विकास प्राधिकरण के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव।
55. 9000 करोड़ रुपये बंदरगाहों को नेटवर्क से जोड़ने के लिए प्रस्तावित।
56. राज्य सरकारों के साथ मिलकर फुटओवर ब्रिज बनाने का विचार।
57. सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र में एक और रेल कोच फैक्ट्री का प्रस्ताव।
58. सोनीपत में कोच मैन्युफैक्चरिंग इकाई निर्माण का प्रस्ताव।
59. पालाकाड केरल में नई कोच फैक्ट्री लगाने का प्रस्ताव।
60. रेलवे में 1.5 लाख खाली पदों को भरने के लिए 60 शहरों में एग्जाम लिए जाएंगे।
61. रेलवे स्टाफ क्वाटर् को बनाने के लिए 300 करोड़ रुपये का आबंटन।

कितना बढ़ा ट्रेन रिजर्वेशन--
सेकंड क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 15 रुपये : इस रेल बजट में कोई परिवर्तन नहीं।
स्लीपर क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 20 रुपये : इस रेल बजट में कोई परिवर्तन नहीं।
एसी चेयर कार का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 40 रुपये किया गया।
एसी 3 इकोनॉमी का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 40 रुपये किया गया। एसी 3 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 40 रुपये किया गया।
फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 50 रुपये किया गया।
एसी 2 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 25 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 50 रुपये किया गया।
एसी फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 35 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 60 रुपये किया गया।
एक्जीक्यूटिव क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 35 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 60 रुपये किया गया।

कितना बढ़ा सुपरफास्ट चार्ज--
सेकंड क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 10 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 15 रुपये किया गया।
स्लीपर क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 20 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 30 रुपये किया गया।
एसी चेयर कार का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 35 रुपये किया गया।
एसी 3 इकॉनोमी का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
एसी 3 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
एसी 2 टियर का रिजर्वेशन चार्ज 30 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 45 रुपये किया गया।
एसी फर्स्ट क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 50 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 75 रुपये किया गया।
एक्जीक्यूटिव क्लास का रिजर्वेशन चार्ज 50 रुपये : इस रेल बजट में बढ़ाकर 75 रुपये किया गया।

कितना बढ़ा तत्काल टिकट चार्ज--
रिजर्व सेकंड क्लास का तत्काल चार्ज 10 रुपये : इस रेल बजट में कोई परिवर्तन नहीं।
स्लीपर क्लास का तत्काल चार्ज 75 रुपये : इस रेल बजट में 90 रुपये से 175 रुपये तक।
एक्जीक्यूटिव क्लास का तत्काल चार्ज 200 रुपये : इस रेल बजट में 300 से 400 रुपये तक।
एसी चेयर कार का तत्काल चार्ज 75 रुपये : इस रेल बजट में 100 से 150 रुपये तक।
एसी 3 टियर का तत्काल चार्ज 200 रुपये : इस रेल बजट में 250 से 300 रुपये तक।
एसी 2 टियर का तत्काल चार्ज 200 रुपये : इस रेल बजट में 300 से 400 रुपये तक।

महंगा होगा टिकट रद्द करना--
वेटिंग और आरएसी टिकट कैंसिलेशन
क्लास                      पहले        अब        बढ़े
सेकेंड क्लास             10          15          05
स्लीपर                      20          30         10
सभी एसी क्लास       20          30         10


कंफर्म टिकट कैंसिलेशन--
क्लास                            पहले        अब        बढ़े
सेकेंड क्लास                   20          30          10
स्लीपर                           40          60          20
एसी चेयरकार, एसी-3    60          90          30
फर्स्ट क्लास                   60        100        40
एसी-2                           60        100        40
एसी-फर्स्ट                     70        120        50


रेल मंत्री पवन बंसल ने रेल बजट में 67 नई एक्सप्रेस गाड़ियों का तोहफा दिया--
1. अहमदाबाद-जोधपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया समदड़ी, भिलड़ी
2. अजनी (नागपुर)-लोकमान्य तिलक (टी) एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया हिंगोली
3. अमृतसर-लालकुआं एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया चंडीगढ़
4. बांद्रा टर्मिनस-रामनगर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया नागदा, मथुरा, कानपुर, लखनऊ, रामपुर
5. बांद्रा टर्मिनस-जैसलमेर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मारवाड़, जोधपुर
6. बांद्रा टर्मिनस-हिसार एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया अहमदाबाद, पालनपुर, मारवाड़, जोधपुर, डेगाना
7. बांद्रा टर्मिनस-हरिद्वार एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया वलसाड
8. बेंगलुरु-मंगुलुरु एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
9. बठिंडा-जम्मू तवी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया पिटयाला, राजपुरा
10. भुवनेश्वर-हज़रत निजामुद्दीन एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया संबलपुर
11. बीकानेर-चेन्नै एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया जयपुर, सवाईमाधोपुर, नागदा, भोपाल, नागपुर
12. चंडीगढ़-अमृतसर इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली), लुधियाना
13. चेन्नै-करईकुडी एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
14. चेन्नै-पलनी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया जोलारपेट्टै, सेलम, करूर, नामक्कल
15. चेन्नै एग्मोर-तंजावूर एक्सप्रेस (दैनिक) वाया जिवलुपुरम, मइलादुतुरै
16. चेन्नै-नागरसोल (साई नगर शिरडी के लिए) एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया रेणिगुंटा, धोने, काचेगुडा
17. चेन्नै-वेलनकन्नी लिंक एक्सप्रेस (दैनिक) वाया विलुपुरम, मइलादुतुरै, तिरूवरूर
18. कोयंबटूर-मन्नारगुडी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया तिरूचिरापल्ली, तंजावूर, निदामंगलम
19. कोयंबटूर-रामेश्वरम एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
20. दिल्ली-फिरोज़पुर इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया बठिंडा
21. दिल्ली सराय रोहिल्ला-सीकर एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) आमान परिवर्तन के बाद
22. दिल्ली-होशियारपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
23. दुर्ग-जयपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
24. गांधीधाम-विशाखापटनम एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया अहमदाबाद, वर्धा, बल्लारशाह, विजयवाड़ा
25. हज़रत निजामुद्दीन-मुंबई एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया भोपाल, खंडवा, भुसावल
26. हावड़ा-चेन्नै एसी एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) वाया भिक, दुव्वादा, गुडूर
27. हावड़ा-न्यू जलपाईगुडी एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मालदा टाऊन
28. हुबली-मुंबई एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
29. इंदौर-चंडीगढ़ एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया देवास, उज्जैन, गुना, ग्वालियर, हज़रत निजामुद्दीन
30. जबलपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया नागपुर, धमार्वरम
31. जयपुर-लखनऊ एक्सप्रेस (सप्ताह में तीन दिन) वाया बांदीकुई, मथुरा, कानपुर
32. जयपुर-अलवर एक्सप्रेस (दैनिक)
33. जोधपुर-जयपुर एक्सप्रेस (दैनिक) वाया फुलेरा
34. जोधपुर-कामाख्या (गुवाहाटी) एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया डेगाना, रतनगढ़
35. काकीनाडा-मुंबई एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन)
36. कालका-साई नगर शिरडी एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) वाया हज़रत निजामुद्दीन, भोपाल, इटारसी
37. कामाख्या (गुवाहाटी)-आनंद विहार एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया किटहार, बरौनी, सीतापुर कैण्ट, मुरादाबाद
38. कामाख्या (गुवाहाटी)-बेंगलूरू एसी एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
39. कानपुर-आनंद विहार एकसप्रेस (साप्ताहिक) वाया फरूर्ख़ाबाद
40. कटिहार-हावड़ा एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मालदा टाऊन
41. कटरा-कालका एक्सप्रेस (सप्ताह में दो दिन) वाया मोरिन्डा
42. कोलकाता-आगरा एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया अमेठी, राय-बरेली, मथुरा
43. कोलकाता-सीतामढ़ी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया झाझा, बरौनी, दरभंगा
44. कोटा-जम्मू तवी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया मथुरा, पलवल
45. कुनूर्ल टाऊन-सिंकदराबाद एक्सप्रेस (दैनिक)
46. लोकमान्य तिलक (टी)-कोचुवेली एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
47. लखनऊ-वाराणसी एक्सप्रेस (सप्ताह में 6 दिन) वाया राय-बरेली
48. मडगांव-मंगलोर इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया उडुपी, करवार
49. मंगलोर-काचेगुडा एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया धोने, गूत्ती, रेणिगुंटा, कोयंबतूर
50. मऊ-आनंद विहार एक्सप्रेस (सप्ताह में 2 दिन)
51. मुंबई-सोलापूर एक्सप्रेस (सप्ताह में 6 दिन) वाया पुणे
52. नागरकोइल-बेंगलूरू एक्सप्रेस (दैनिक) वाया मदुरै, तिरूचिरापल्ली
53. नई दिल्ली-कटरा एसी एक्सप्रेस (सप्ताह में 6 दिन)
54. निजामाबाद-लोकमान्य तिलक (टी) एक्सेप्रेस (साप्ताहिक)
55. पटना-सासाराम इंटरिसटी एक्सप्रेस (दैनिक) वाया आरा
56. पाटलीपुत्र (पटना)-बेंगलुरु एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया छिवकी
57. पुडुचेरी-कन्याकुमारी एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया विल्लुपुरम, मइलादुतुरै, तिरूचिरापल्ली
58. पुरी-साई नगर शिरडी एक्सप्रेस (साप्ताहक) वाया संबलपुर, टिटलागढ़, रायपुर, नागपुर, भुसावल
59. पुरी-अजमेर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया आबू-रोड
60. राधिकापुर-आनंद विहार लिंक एक्सप्रेस (दैनिक)
61. राजेन्निगर टर्मिनस (पटना)-न्यू तिनसुकिया एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया कटिहार, गुवाहाटी
62. तिरूपति-पुडुचेरी एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
63. तिरूपति-भुवनेश्वर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया विशाखापटनम
64. उना/नंगल डैम-हजूर साहेब नांदेड़ एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया आनंदपुर साहिब, मोरिंडा, चंडीगढ़, अंबाला
65. विशाखापटनम-जोधपुर एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया टिटलागढ़, रायपुर
66. विशाखापटनम-कोल्लम एक्सप्रेस (साप्ताहिक)
67. यशवंतपुर-लखनऊ एक्सप्रेस (साप्ताहिक) वाया राय-बरेली, प्रतापगढ़


सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

आँसू जब बहने लगते हैं...

आँसू जब बहने लगते हैं तो रूकने का नाम नहीं लेते। अक्सर ऐसा ही होता है। जब कोई मनाने वाला न हो, कोई चुप कराने वाला भी न आए तो आँसू को चुपचाप पी लेने को ही विवश होना पड़ता है- कभी प्यासे की तरह तो कभी परिन्दे की तरह!

सौन्दर्य प्रकृति-प्रदत्त वस्तु है

सौन्दर्य की कोई एक परिभाषा नहीं दी जा सकती। यह तो प्रकृति-प्रदत्त वस्तु है। कोई सुन्दर चित्र बनाने वाला चित्रकार भी बनाने से पहले यह नहीं बता सकता कि बनने वाला चित्र कितना सुन्दर होगा, सुन्दर होगा भी या कुरूप हो जाएगा। अब आप ही बता सकते हैं कि यह चित्र सुन्दर है या नहीं।