शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

सम्पन्नता की संजीवनी : मुख्यमन्त्री महिला रोज़गार योजना Mukhyamantri Mahila Rozgar Yojana

-शीतांशु कुमार सहाय 

"नया वक़्त है नया ज़माना,

मिलकर ग़रीबी को दूर भगाना।

बढ़ती जाएंगी महिलाएँ जब,

विकसित होगा भारत अपना तब।"

      बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती अप्सरा का उक्त कथन हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा घोषित 'मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना' पर पूरी तरह से चरितार्थ होता है। महिला सशक्तीकरण की राह में यह योजना वास्तव में ज़मीनी स्तर पर मील का पत्थर साबित होगा। भारत के सभी राज्यों में यह पहली योजना है जो बिहार के सभी परिवार को लाभान्वित करेगी। यह योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'हर घर महिला उद्यमी' के स्वप्न को साकार करेगी। इस से न केवल प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी; बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। इस तरह बिहार की उद्यमी महिलाएँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'विकसित भारत' के संकल्प को पूरा करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम हो पायेंगी।

●  योजना का उद्देश्य : 

      महिलाओं के उत्थान के लिए निरन्तर प्रयासरत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्थनता का समूल नष्ट करने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया है। इस का लाभ प्रत्येक परिवार तक पहुँचाने को सरकार संकल्पित भाव से कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना के उद्देश्य के सन्दर्भ में बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती अप्सरा कहती हैं कि घरेलू जिम्मेदारियों के निर्वहन के बाद महिलाओं के पास दोपहर में घण्टों समय बचता है। इस समय का उपयोग कर महिलाएँ सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता से परिवार की आमदनी बढ़ा सकती हैं। श्रीमती अप्सरा ने व्यावहारिक रूप से बताया कि अक्सर पारिवारिक या घरेलू विवाद दोपहर के समय में होते हैं। जब महिलाएँ दोपहर के समय का अर्थोपार्जन में सदुपयोग करने लगेंगी तो पारिवारिक कलह में भी कमी आयेगी और महिला आयोग पर बढ़ते घरेलू विवाद के बोझ घटेंगे। प्रत्येक परिवार की एक महिला को उद्यमी या व्यवसायी बनाने का उद्देश्य भी यह योजना पूरी करेगी। श्रीमती अप्सरा कहती हैं कि यह योजना निश्चय ही 'सम्पन्नता की संजीवनी' साबित होगी।

कितनी आर्थिक सहायता :

      इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक परिवार की एक महिला को शुरुआत में दस हजार रुपये की राशि बैंक खाते में प्रदान की जायेगी। इस राशि से उद्योग या व्यवसाय आरम्भ करना है। कुछ महीनों बाद उद्योग या व्यवसाय की स्थिति का आकलन करने के बाद आवश्यकता के अनुसार दो लाख रुपये तक अतिरिक्त सहायता राशि प्रदान की जायेगी।

कार्यकारी एजेन्सी : 

      मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना को राज्य का ग्रामीण विकास कार्यान्वित कर रहा है। इस विभाग के अधीन कार्यरत 'बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) ही इस योजना को संचालित करने के लिए अधिकृत एजेन्सी है। गाँवों में जीविका के अन्तर्गत संचालित महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएँ इस योजना का लाभ ले सकती हैं। जो महिलाएँ समूह से नहीं जुड़ी हैं, उन्हें समूह से जुड़ने के बाद ही आवेदन करना होगा। 

      शहरों की महिलाओं को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। शहरी महिलाएँ भी जीविका समूह से जुड़कर इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकती हैं। शहरों में योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग की सहायता ली जा रही है। 

योजना में परिवार की परिभाषा :

      मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना का फायदा हर परिवार तक पहुँचाने को सरकार संकल्पित भाव से कार्य कर रही है। इस योजना में पति, पत्नी और उन के अविवाहित बच्चों को परिवार माना जायेगा। यदि 18 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित लड़की की माँ और पिता दोनों का देहान्त हो गया है तो उसे एकल परिवार माना जायेगा। ऐसी लड़की इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकती है। 

पात्रता की शर्तें :

      इस योजना के तहत लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गयी हैं।  आवेदिका की आयु कम-से-कम 18 और अधिकतम 60 वर्ष होनी चाहिए। आवेदिका या उस का पति आयकर न देता हो तभी इस योजना का लाभ मिलेगा। साथ ही आवेदिका या उस का पति नियमित या संविदा पर सरकारी नौकरी न करता हो। आवेदिका का एक बैंक खाता हो जो आधार से जुड़ा हो।

आवश्यक दस्तावेज :

      इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए एक नियमित संचालित बैंक खाता हो जो आधार से जुड़ा होना चाहिए। साथ ही आधार कार्ड, आवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता के अनुसार ज़रूरत पड़ेगी।

      परिवार की आय बढ़ाने, बिहार को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने और विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना से महिलाओं को अवश्य जुड़ना चाहिए। 

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