लगातार कांग्रेस के नेताओं के बयान आ रहे हैं कि बाबा रामदेव बिजनसमैन हैं। कांग्रेस के एक बयान पुरुष दिग्विजय सिंह ने असभ्यतापूर्ण लहजे में रामदेव के खिलाफ बयान देकर एकबार फिर अपनी असभ्यता का परिचय दिया। अगर रामदेव व्यवसायी हैं तो कांग्रेसी महात्मा गाँधी को भी व्यवसायी ही कहेंगे। विदित हो कि गाँधीजी खादी स्टोर के माध्यम से स्पदेशी वस्तुएं बेचा करते थे और दूसरों को भी इसें लिये प्रेरित किया करते थे।
बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने देश में स्वदेशी और अच्छे उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूरे भारत में स्वदेशी स्टोर खोलने और इनके माध्यम से देश में सस्ते मूल्य पर शुद्ध उपभोक्ता सामग्रियों को उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। रामदेव के इस कदम से बाजार में लूट मचा रही उपभोक्ता सामग्रियों वाली कंपनियों में खलबली मच गई है। खलबली इसलिये कि बाबा ने पहले ही कई अच्छे उत्पाद बिना किसी विज्ञापन के पहले ही सफलतापूर्वक बाज़ार में ला चुके हैं।
आजकल कांग्रेस के लोग बाबा रामदेव को न जाने क्या-क्या शब्दावली से नवाज रहे हैं। ऐसे कांग्रेसी महात्मा गाँधी के बारे में क्या कहेंगे? महात्मा गाँधी ने भी स्वदेशी परिकल्पना पर काम किया था और खादी एवं ग्रामोद्योग के माध्यम से देशभर में खादी स्टोर खोले थे जहां पर हर तरह की जरूरी वस्तुएं आज भी बिकती हैं। कुछ मीडिया के सुर भी कांग्रेसी टाईप के ही दीख रहे हैं। ...तो क्या मीडिया और कांग्रेसी महात्मा गाँधी को भी व्यापारी कहेगी? महात्मा गाँधी नवजीवन प्रेस के माध्यम से किताबें छापकर बेचा करते थे तो क्या कांग्रेस उन्हें व्यापारी कहेगी?
बाबा रामदेव की परिकल्पना के बारे में बाबा के मीडिया सलाहकार वेद प्रताप वैदिक के अनुसार, बाबा पूरे देश में कुटीर उद्योग के माध्यम से सहकारिता के तर्ज पर लोगों से चीजें बनवाएंगे और उन लोगों को बेचने के लिये अपने स्टोर पर उनको जगह भी देंगे। इससे देश में रोजगार बढ़ेगा। बेरोजगारों को पतंजलि ट्रस्ट ने बड़े पैमाने पर रोजगार दिया है।
इस संदर्भ में कुछ सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब कांग्रेसियों को देने ही चाहिये। क्या बाबा रामदेव का अपना कोई परिवार है जिसके लिए वे पैसा कमाने की सोच रहे हैं? रामदेव ने जो अपने पैसे से दो सौ करोड़ में पतंजलि विश्वविद्यालय और तीन सौ करोड़ की लागत से आवासीय सुविधायुक्त विश्व का सबसे बड़ा योग केन्द्र बनवाया है उसमें सरकार ने कोई सहयोग दिया है?
नियमानुसार किसी भी ट्रस्ट का पदेन सहअध्यक्ष उस जिले का जिलाधिकारी होता है जिस जिले में ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन होता है। पतंजलि ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिद्वार के जिलाधिकारी हैं जिनके हस्ताक्षर के बिना बाबा एक रूपये भी खर्च नहीं कर सकते। इसके अलावा बाबा के सभी ट्रस्टों के आय और व्यय का आॅडिट सरकार करवाती है। ... तो फिर ट्रस्ट की आय और व्यय के संबंध में कांग्रेसी उल्टी-सीधी बात करके जनता को भ्रमित क्यों करते हैं?
एक सच्चाई जानिये कि सोनिया गाँधी राजीव गाँधी स्मारक ट्रस्ट की मुखिया हैं। इस ट्रस्ट के पास भारत में बीस हज़ार एकड़ जमीन है। राजीव गांधी का स्मारक वीरभूमि, इंदिरा गांधी का स्मारक शक्तिस्थल, जवाहरलाल नेहरू का स्मारक शांतिवन और तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर मं बना राजीव गाँधी के मृत्यु स्थल का स्मारक इस ट्रस्ट की जागीर है। ये कुल आठ हज़ार एकड़ में हैं जिनकी कीमत आज कई लाख अरब रूपये है।
इस ट्रस्ट का आजतक कोई आडिट नहीं हुआ है, क्योंकि इसका रजिस्ट्रेशन एक चैरिटी ट्रस्ट के रूप में हुआ है जो सिर्फ इस नेहरू खानदान के लिए चैरिटी करता है। राजीव गाँधी फाउंडेशन की भी मुखिया सोनिया गाँधी हैं। ये भी एक चैरिटी ट्रस्ट है इसको 2006 में मनमोहन सरकार ने दो सौ करोड़ रूपये दिये थे जिस पर संसद में काफी हंगामा हुआ, क्योंकि कोई भी सरकार किसी निजी ट्रस्ट को इसका कभी आॅडिट न हुआ हो उसको सरकार पैसे नहीं दे सकती। बाद में मनमोहन सरकार ने पैसा वापस ले लिया था। इस ट्रस्ट को बिना किसी नियम-कायदे के राजस्थान सरकार ने गुणगांव और फरीदाबाद में दो सौ एकड़ जमीन सिर्फ एक रूपये में दिया है। महाराष्टÑ सरकार ने मुंबई में कोहिनूर मिल की दो एकड़ और पुणे में चालीस एकड़ जमीन मुफ्त में इस ट्रस्ट को दिया है। इन मामले पर कांग्रेसी क्यों नहीं कुछ बोलते?
क्या इस देश में पैसा कमाना फिर उस पैसे को किसी अच्छे काम में लगाना अपराध है? आज कांग्रेस के नेता और खासकर दिग्विजय सिंह लोगो को संन्यासी की परिभाषा बताते हैं तो फिर वे सतपाल महाराज के बारे में कुछ क्यों नहीं बोल पा रहे हैं? सतपाल महाराज के तीन मेडिकल कॉलेज चार फिजियोथेरेपी कॉलेज और कई दूसरे कॉलेज हैं। ये कांग्रेस के बड़े नेता हैं और केन्द्र में रेल राज्यमंत्री भी रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सतपाल ने कांग्रेस का खूब प्रचार किया है। ...तो ये कौन से संन्यासी हैं? इन्होंने तो आजतक आम आदमी के लिए कुछ नहीं किया? असल में कांग्रेस पिछले दो सालों से बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के पीछे अपनी पूरी जाँच एजेंसियों से सब कुछ जाँच करवा लिया और अवैध कुछ भी नहीं मिला, इसलिए अब कांग्रेस अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है। मीडिया में बाबा की आलोचना के पीछे बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ और कांग्रेस दोनों की मिलीभगत है, क्योकि रामदेव से दोनों बहुत डरती हैं। इसका नमूना लोगों ने तब देख लिया जब राहुल गाँधी से एक प्रत्रकार ने कालेधन पर सवाल पूछ लिया तो उन्हें बाबा रामदेव दीखने लगे। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से बाबा ने कांग्रेस के खिलाफ जमकर प्रचार किया। इससे कांग्रेस की हालत बहुत खराब हुई है।
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