एलिफ़ास मैक्सिमस इंडिकस एशियाई हाथी की चार उपजातियों में से एक भारतीय हाथी है। यह अधिकतम मात्रा में भारत में मिलता है। यह उपप्रजाति बांग्लादेश, पाकिस्तान ,भूटान, कंबोडिया, चीन, लाओस, मलेशियाई प्रायद्वीप, बर्मा/म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड और वियतनाम में भी पाया जाता है। एशियाई हाथी की तीन अन्य उपजातियाँ हैं सुमात्राई हाथी (एलिफ़ास मैक्सिमस सुमात्रानुस), श्रीलंकाई हाथी (एलिफ़ास मैक्सिमस मैक्सिमस) और बोर्नियो का हाथी (एलिफ़ास मैक्सिमस बोर्निएंसिस)। भारतीय हाथी झाड़ीदार जंगलों के पास रहते हैं, पर इनकी रिहायिश अन्य जगहों पर भी हो सकती है। ये स्वभाव से खानाबदोशी होते हैं और एक स्थान पर कुछ दिनों से ज़्यादा नहीं रहते हैं। ये जंगलों में रह सकते हैं पर खुले स्थान व घास वाली जगहों पर जाना पसंद करते हैं। भारतीय हाथी लंबाई में 6.4 मीटर (21 फ़ुट) तक पहुँच सकता है; यह थाईलैंड के एशियाई हाथी से लंबा व पतला होता है। सबसे लंबा ज्ञात भारतीय हाथी 26 फ़ुट (7.88 मी) का था, पीठ के मेहराब के स्थान पर इसकी ऊँचाई 11 फुट (3.4 मी.), 9 इंच (3.61 मी) थी और इसका वज़न 8 टन (17935 पौंड) था। भारतीय हाथी अफ़्रीकी हाथियों जैसे ही दिखते हैं पर उनके कान छोटे होते हैं और दाँत छोटे होते हैं। थलचरों में सबसे बड़ा जीव हाथी जंगल का शानदार जानवर है। हाथी दुनिया की सबसे बुद्धिमान प्रजातियों में से एक हैं। हाथी का मस्तिष्क किसी भी स्थलीय जानवर की तुलना में बड़ा होता है। हाथी का मस्तिष्क 5 किलोग्राम से अधिक वज़न का होता है।
सोमवार, 28 जनवरी 2013
रविवार, 27 जनवरी 2013
गणतंत्र दिवस 2013 के समारोह के मुख्य अतिथि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक
भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उनकी पत्नी जेत्सुन पेमा
2013 के 64वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक मुख्य अतिथि थे। इससे पहले 2005 में भूटान नरेश जिग्मे सिन्गे वांग्चुक गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। 2013 में उनके बेटे जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में नजर आए। नई दिल्ली में इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस के समारोह के दौरान हर किसी की नजर भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उनकी पत्नी जेत्सुन पेमा पर थी। दोनों की उपस्थिति ने समारोह को खास बना दिया। वांगचुक गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे। भूटान नरेश अपनी पत्नी रानी जेत्सुन पेमा के साथ आठ दिनों के भारत दौरे पर हैं। दोनों ने राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर फूल चढ़ाए। इससे पहले भूटान नरेश को 25 जनवरी, शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में सेरेमोनियल रिसेप्शन दिया गया। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भूटान नरेश का स्वागत किया। इसके बाद नरेश वांगचुक ने गार्ड ऑफ ऑनर लिया और सांसदों से मुलाकात भी की। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक रानी जेटसन पेमा के साथ पहले भी भारत आ चुके हैं। भारत भ्रमण के दौरान वह जोधपुर गए थे। जोधपुर पैलेस में पूर्व राजपरिवार ने उनकी अगवानी की थी। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की वर्ष 2011 में ही भारत से पढ़ाई करने वाली जेस्टर पेमा से शादी हुई है। 21 वर्षीया पेमा पायलट की बेटी हैं। वहीं पेमा पश्चिम बंगाल और हिमाचल में शिक्षा हासिल की हैं। वांगचुंग ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी से तालीम हासिल किए हैं। नरेश उस वक्त पेमा को अपना दिल दे बैठे थे जब वह 17 साल के थे। ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई कर चुके वांगचुक (31) की पत्नी उनसे 10 साल छोटी हैं। वे अभी लंदन के रेजेंट्स कॉलेज से पढ़ाई कर रही हैं।
2013 के 64वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक मुख्य अतिथि थे। इससे पहले 2005 में भूटान नरेश जिग्मे सिन्गे वांग्चुक गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। 2013 में उनके बेटे जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में नजर आए। नई दिल्ली में इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस के समारोह के दौरान हर किसी की नजर भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उनकी पत्नी जेत्सुन पेमा पर थी। दोनों की उपस्थिति ने समारोह को खास बना दिया। वांगचुक गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे। भूटान नरेश अपनी पत्नी रानी जेत्सुन पेमा के साथ आठ दिनों के भारत दौरे पर हैं। दोनों ने राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर फूल चढ़ाए। इससे पहले भूटान नरेश को 25 जनवरी, शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में सेरेमोनियल रिसेप्शन दिया गया। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भूटान नरेश का स्वागत किया। इसके बाद नरेश वांगचुक ने गार्ड ऑफ ऑनर लिया और सांसदों से मुलाकात भी की। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक रानी जेटसन पेमा के साथ पहले भी भारत आ चुके हैं। भारत भ्रमण के दौरान वह जोधपुर गए थे। जोधपुर पैलेस में पूर्व राजपरिवार ने उनकी अगवानी की थी। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की वर्ष 2011 में ही भारत से पढ़ाई करने वाली जेस्टर पेमा से शादी हुई है। 21 वर्षीया पेमा पायलट की बेटी हैं। वहीं पेमा पश्चिम बंगाल और हिमाचल में शिक्षा हासिल की हैं। वांगचुंग ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी से तालीम हासिल किए हैं। नरेश उस वक्त पेमा को अपना दिल दे बैठे थे जब वह 17 साल के थे। ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई कर चुके वांगचुक (31) की पत्नी उनसे 10 साल छोटी हैं। वे अभी लंदन के रेजेंट्स कॉलेज से पढ़ाई कर रही हैं।
हर नागरिक को किसी भी दिन तिरंगा फहराने की इजाजत है
2001 में उद्योगपति नवीन जिंदल ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नागरिकों को आम दिनों में भी झंडा फहराने का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने नवीन के पक्ष में ऑर्डर दिया और सरकार से कहा कि वह इस मामले को देखे। केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 2002 को झंडा फहराने के नियमों में बदलाव किया और इस तरह हर नागरिक को किसी भी दिन झंडा फहराने की इजाजत मिल गई। बिलासपुर हाई कोर्ट ने अगस्त 2010 में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि रात को तिरंगा नहीं उतारे जाने को ' प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नेशनल ऑनर ऐक्ट-1971' का उल्लंघन नहीं माना जा सकता यानी अगर कोई रात को तिरंगा उतारकर नहीं रखता है तो वह कोई नियम नहीं तोड़ रहा है। तिरंगा फहराने को लेकर और भी कई नियम-कायदे हैं---
1.) आजादी से ठीक पहले 22 जुलाई, 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके साइज और रंग आदि तय हैं।
2.) ' फ्लैग कोड ऑफ इंडिया ' के तहत झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाएगा।
3.) उसे कभी पानी में नहीं डुबोया जाएगा और किसी भी तरह नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। यह नियम भारतीय संविधान के लिए भी लागू होता है।
4.) ' प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नेशनल ऑनर ऐक्ट-1971 ' की धारा-2 के मुताबिक, फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करनेवालों के खिलाफ सख्त कानून हैं।
5.) अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपड़ा बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के
6.) तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहन लेना भी गलत है।
7.) अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपड़ा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है।
8.) तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
9.) सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है।
10.) फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने ' इंडियन फ्लैग कोड ' में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा।
गुरुवार, 24 जनवरी 2013
देशभक्त मुसलमान मेरी फिल्म 'विश्वरूपम' को देखकर गर्व महसूस करेगा : कमल हासन
Vishwaroopam is a Tamil Movie, Directed by Kamal Haasan. Starring Kamal Haasan, Pooja Kumar, Rahul Bose, Andrea Jeremiah, Jaideep Ahlawat, Samrat Chakrabarti, Zarina Wahab and Others.
देशभक्त मुसलमान मेरी फिल्म 'विश्वरूपम' को देखकर गर्व महसूस करेगा : कमल हासन
कमल हासन ने कहा, 'विश्वरूपम' पर प्रतिबंध 'सांस्कृतिक आतंकवाद' है। अभिनेता एवं निर्देशक कमल हासन ने मुस्लिम संगठनों के विरोध के बाद उनकी फिल्म 'विश्वरूपम' के प्रदर्शन पर तमिलनाडु सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कमल हासन ने एक बयान में कहा, अपना राजनीतिक कद बढ़ाने की फिराक में लगे छोटे संगठनों ने निर्ममता से मेरा उपयोग एक जरिये के रूप में किया है। जब आप स्वयं से कुछ हासिल नहीं कर पाते, तब स्वयं को लोगों की नजर में लाने के लिए किसी हस्ती को निशाना बनाना एक बड़ा तरीका बन जाता है। यह बार-बार हो रहा है। कोई भी तटस्थ एवं देशभक्त मुसलमान मेरी फिल्म को देखकर गर्व महसूस करेगा। यह इसी उद्देश्य के लिए बनाई गई है।
हाल ही में मुस्लिम प्रतिनिधियों को इस फिल्म का विशेष प्रदर्शन कर चुके अभिनेता ने कहा कि अपनी फिल्म के पक्ष में स्वर सुनकर उन्हें बहुत अच्छा लगा था, लेकिन जिस तरह से इसे मुसलमान भाइयों के खिलाफ बताया जा रहा है, उससे उन्हें बहुत दुख है। उन्होंने कहा, एक समुदाय को नीचा दिखाने के इन आरोपों से न केवल मुझे दुख हुआ है, बल्कि मेरी संवेदनाएं अपमानित हुई है। अब मैं कानून एवं तर्क का सहारा लूंगा। इस तरह के सांस्कृतिक आतंकवाद को अवश्य ही रोकना पड़ेगा।
गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुधवार रात सभी जिला प्रशासनों को करीब दो सप्ताह तक के लिए इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का निर्देश दिया। कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बाद यह प्रतिबंध लगाया गया। इन संगठनों ने फिल्म में मुसलमानों को नकारात्मक ढंग से पेश करने का आरोप लगाया हैं। फिल्म इसी शुक्रवार को रिलीज होनी थी। हासन बड़े बजट वाली अपनी इस फिल्म को थियेटरों में रिलीज करने से पहले डीटीएच पर रिलीज करने के अपने फैसले से पहले ही विवाद खड़ा कर चुके हैं। सिनेमाघर मालिक उनके इस फैसले के खिलाफ एकजुट हो गए थे।
कमल हासन ने कहा है कि उनकी फिल्म में किसी जाति-समुदाय को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं की गयी है। यह केवल मेरी फिल्म को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। फिल्म मे कमल हासन, पूजा कुमार, राहुल बोस जैसे लोगों ने अभिनय किया है। फिल्म के निर्माता-निर्देशक और लेखक कमल हासन ही है। यह कमल की अब तक की सबसे महंगी फिल्म है।
रविवार, 20 जनवरी 2013
अभ्युदय {advancement} / शीतांशु व अभ्युदय
पिता शीतांशु व पुत्र अभ्युदय
अभ्युदय का अर्थ 'सांसारिक सौख्य तथा समृद्धि की प्राप्ति'। महर्षि कणाद ने धर्म की परिभाषा में अभ्युदय की सिद्धि को भी परिगणित किया है-- यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धि: स: धर्म: (वैशेषिक सूत्र १।१।२।)। भारतीय धर्म की उदार भावना के अनुसार धर्म केवल मोक्ष की सिद्धि का ही उपाय नहीं, प्रत्युत ऐहिक सुख तथा उन्नति का भी साधन है। अभ्युदय का अर्थ है पूर्ण उदय। अभि उपसर्ग लगाने से उदय के बाहरी व सर्वतोमूखी होने का अर्थ निकलता है। अभि तथा उदय, अभ्युदय अर्थात पूर्ण भौतिक विकास। पूर्ण में संवेदना भी आती है। अतः, यह बाहरी विकास भी जैसा कि आधुनिक जीवन में हम देखते है, केवल मानव का एकांगी विकास नहीं है। ना ही यह केवल आर्थिक विकास है। अभ्युदय वास्तविक विकास का नाम है। दिखावे का नहीं।
गुरुवार, 17 जनवरी 2013
बुधवार, 16 जनवरी 2013
जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स यानी गार पर एक नज़र
पार्थसारथी शोम
जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स यानी गार को साल 2016 तक के लिए टाल दिया गया. वर्ष 2012 में यह उस वक्त सुर्खियों में आया, जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसे लागू करने संबंधी घोषणा की थी. हालांकि, इस घोषणा के बाद उठे विवादों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया और पार्थसारथी शोम की अगुवाई में एक समिति गठित की गयी. सरकार ने समिति की प्रमुख सिफारिशों को मानते हुए इसे अप्रैल, 2014 से लागू करने का फैसला किया था. अब सरकार ने इसे दो साल के लिए टाल दिया है और यह अप्रैल, 2016 से प्रभावी होगा. गार क्या है, क्यों है, इसे लेकर विवाद और शोम समिति ने क्या सिफारिशें की थीं, इन्हीं सवालों के जवाब के बीच ले जाता आज का नॉलेज..
पार्थसारथी शोम समिति की सिफारिशें----
1. शोम समिति ने विवादास्पद कर प्रावधान को तीन साल तक टालने के लिए सिफारिश की थी.
2. समिति ने प्रावधानों का उपयोग मॉरिशस में कंपनियों के वजूद की विश्वसनीयता की जांच करने के लिए नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया था.
3. समिति ने सिफारिश की कि गार को तभी लागू किया जाना चाहिए, यदि कर लाभ की मौद्रिक सीमा 3 करोड. रु पये या इससे अधिक हो.
4. गार को लागू करने के लिए समिति ने नकारात्मक सूची यानी निगेटिव लिस्ट की भी सिफारिश की थी. नकारात्मक सूची में लाभांश की अदायगी या कंपनी द्वारा दोबारा शेयरों की खरीद, अन्य शाखा या सहायक कंपनी की स्थापना, सेज या अन्य क्षेत्र में इकाई की स्थापना को शामिल किया जा सकता है.
5. कंपनियों के अंत:समूह लेन-देन पर गार लागू नहीं किया जाये. समिति के मुताबिक, इससे एक व्यक्ति को टैक्स लाभ हो सकता है, लेकिन इससे कुल टैक्स राजस्व पर कोई असर नहीं पडे.गा.
6. समिति ने आयकर कानून में संशोधन कर उसमें व्यावयासिक पूंजी (कर्मशियल सब्स्टन्स) को शमिल करने की भी सिफारिश की थी.
एक नज़र गार पर----
1. 1961 के आयकर अधिनियम के तहत वित्त अधिनियम-2012 में बदलाव किया गया था.
2. 2012 के जुलाई में प्रधानमंत्री ने गार पर पार्थसारथी शोम की एक समिति गठित की थी.
3. 01 सितंबर 2012 को शोम समिति ने विभित्र सिफारिशों के साथ रिपोर्ट पेशकी.
4. 2016-17 तक के लिए गार को स्थगित करने की सिफारिश समिति ने की थी.
अप्रैल 2016 से नये प्रावधानों के तहत किस तरह होगा प्रभावी----
1. कर चोरी के मामले को दर्ज करने से पहले देनी होगी विदेशी निवेशकों को नोटिस, सफाई का मौका भी मिलेगा.
2. गार के तहत कार्रवाई की अनुमति के लिए तीन सदस्यीय समिति बनेगी. हाइकोर्ट के अध्यक्ष इस समिति के अध्यक्ष होंगे.
3. एक ही आय पर दोबारा कर नहीं लगाया जायेगा.
4. 30 अगस्त, 2010 से पहले के मामलों पर गार नहीं लगेगा.
5. इसके दायरे में प्रवासी भारतीय नहीं आयेंगे.
लोकतंत्र में अमूमन हर फैसले की सियासी वजह होती है. सियासत का मुख्य एजेंडा होता है वोट बैंक. वोट बैंक की इसी राजनीति के कारण बडी-से-बडी नीतियों और योजनाओं को परवान चढ.ते देखा गया. सरकारों को महत्वपूर्ण नीतियों से कदम पीछे तक खींचना पड.ा. सब्सिडी के लिए कैश फॉर ट्रांसफर योजना से लेकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तक इसकी नजीर बनी है. अब इस कड.ी में सरकार की एक नयी नीति भी जुड. गयी है. यह है गार यानी जनरल एंटी अवॉयइडेंस रूल्स.
सरकार ने जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स (गार) को साल 2016 तक के लिए टाल दिया है. वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि गार के प्रावधान पहली अप्रैल 2016 से लागू होंगे. ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार के इस कदम के पीछे आर्थिक से अधिक राजनीतिक कारण जिम्मेदार हैं. इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो अगले साल लोकसभा चुनाव. ऐसे में सरकार का अब पहला काम देश की अर्थव्यवस्था को सुनहरी तसवीर देना और महंगाई पर नियंत्रण करना है. आर्थिक विकास दर बढ.ाने, शेयर मार्केट में तेजी लाने और औद्योगिक विकास दर बढ.ाने के साथ महंगाई पर लगाम कसने के लिए उसे निवेश की जरूरत है.
क्या है गार का प्रावधान----
गार एक ऐसा कानून है, जिसके जरिए सरकार विदेशी निवेशकों पर नजर रख सकती है. उन्हें टैक्स चोरी से रोक सकती है. किसी संधि का गलत फायदा उठाने वाली कंपनियों पर नकेल कस सकती है. यदि कुछ गड.बड.ी पायी जाती है, तो उन कंपनियों का पिछला लेखा-चिट्ठा खोलकर उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. विदेशी निवेशकों को इन प्रावधानों पर ही सबसे अधिक ऐतराज है. उनका कहना है कि वे इन प्रावधानों के खिलाफ हैं. वे कंपनियों का पुराना लेखा-चिट्ठा खोलकर देखने और कुछ गड.बड.ी पाये जाने पर पुराने तारीख से टैक्स वसूलने के भी विरोधी हैं. गौरतलब है कि आयकर अधिनियम, 1961 के तहत वित्त अधिनियम, 2012 में सामान्य कर-परिवर्तन रोधी नियम (गार) के प्रावधानों को शामिल किया गया था.
कौन होगा इससे प्रभावित----
गार के लागू होने के बाद इसका प्रावधान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सभी को प्रभावित करेगा. विदेशी निवेशक मॉरिशस जैसे देशों के माध्यम से देश में निवेश करते हैं. इन देशों में कर संबंधी कई तरह के छूट के प्रावधान हैं. यदि निवेशक द्विपक्षीय कर संधि का फायदा उठाते हैं, तो इसके बावजूद गार के प्रयोग में आने के बाद वे कर के दायरे में आयेंगे. सरकार के मुताबिक, भारत में हर किसी को अपनी आमदनी पर टैक्स देना पड.ता है. ऐसे में विदेशी कंपनियों को छूट नहीं दी जा सकती. वह भी तब जब ज्यादातर विदेशों से आने वाला धन उन भारतीयों का है, जो विदेशों में काले धन के रूप में है.
यह काला धन उन टैक्स हैवेन देशों में रखा गया है, जिनसे भारत की दोहरा कराधान संधि है. गार के लागू होने के बाद दोहरा कराधान संधि के तहत निवेश करने वाले निवेशक भी कर के दायरे में आ जाएंगे.
दायरे में आम आदमी भी----
इसके दायरे में सिर्फ बडी कंपनियां या कर संधि का लाभ उठाने वाले निवेशक ही नहीं आयेंगे, बल्कि आम आदमी पर भी इसका असर पडे.गा. मसलन, यदि कर अधिकारियों को यह लगता है कि किसी कर्मचारियों का वेतन सिर्फ इसलिए कम रखा गया है, ताकि इनसे करों से बचने का उपाय किया जा सके, तो उन्हें वेतनों को फिर से नया रूप देकर कर तय करना होगा.
इसके अलावा, यदि किसी परिवार में कोई अपने पति या पत्नी से कर्ज लिया है, जिसके लिए आप ब्याज दे रहे हैं तो आयकर विभाग यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि आपने एक परिवार के सदस्य से कर्ज केवल ब्याज भुगतान पर कर कटौती के लिए लिया है. दूसरी तरफ पति या पत्नी अर्जित ब्याज पर यदि कम कर दे रहा है, तो इसे गार का उल्लंघन माना जायेगा.
गार के इन प्रावधानों को 2012 से ही लागू किया जाना था, लेकिन कई स्तरों पर इसके विरोध के कारण पहले एक साल के लिए टाल दिया गया. उसके बाद सरकार ने इस मसले पर शोम समिति गठित की, जिसने एक सितंबर, 2012 को अपनी रिपोर्ट पेशकी. सरकार ने शोम समिति की सभी नहीं, लेकिन प्रमुख सिफारिशों को कुछ बदलावों के साथ स्वीकार किया.
क्या है मुख्य मकसद----
गार नियमों को लाने का मकसद विदेशी निवेशकों को ऐसे रास्ते अपनाने से रोकना है, जिनका मुख्य लक्ष्य केवल कर लाभ प्राप्त करना हो. सरकार ऐसे रास्ते को कर से बचने का एक अमान्य रास्ता मानेगी और उसकी अनुमति नहीं दी जायेगी.
यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों पर वैसे कर समझौते लागू नहीं होंगे, जो आयकर अधिनियम की धारा 90 और 90ए के तहत आते हैं. गौरतलब है कि आयकर की धारा 90 और 90ए के तहत दोहरे कराधान से बचने का समझौता विभित्र देशों के साथ किया जाता है. इसमें कंपनियों को दोहरे कराधान से बचने की व्यवस्था है.
गार की आलोचना----
जानकारों के मुताबिक, आयकर विभाग के अधिकारी इसका उपयोग निवेशकों को परेशान करने के लिए कर सकते हैं. इसके अलावा नये नियम लागू होने के बाद अधिकारियों के प्रशिक्षण की कमी के कारण इसे लागू करने में भी चुनौतियां आ सकती हैं. इसके अलावा करों के मूल्यांकन के तरीके में बदलाव का भी निवेशकों और बाजार के जानकारों ने विरोध किया था.(prabhat khabar)
मंगलवार, 15 जनवरी 2013
ये 10 खाद्य सामग्री रात में सोने से पहले न खाएं
आइसक्रीम
सोने से पहले आइसक्रीम न खाएं। आइसक्रीम में फैट और शुगर की मात्रा ज्यादा होती है जो शरीर में जाकर एकदम से हिट करती है और ऊर्जा का संचार होने लगता है, इस वजह से नींद का गायब होना स्वाभाविक है
टॉफी/ कैंडी
टॉफी में भी शुगर होती है इसी वजह से यह बॉडी को एनर्जी देती है। यह एनर्जी बहुत ज्यादा नहीं होती लेकिन नींद में खलल डालने के लिए काफी है।
लहसुन
लहसुन एक गर्म तासीर वाला हर्ब होता है जिसे खाने के शरीर में गर्मी यानि रक्त का संचार अच्छे से होता है, वहीं इसे खाकर तुरन्त लेट जाने पर पेट में गैस्ट्रिक प्रॉब्लम भी हो सकती है। ऐसे में इसे रात के भोजन में न खाना ही बेहतर ऑप्शन है।
रेड मीट
रेड मीट, आपके शरीर में दिनभर के पोषक तत्वों की कमी को पूरा कर सकता है लेकिन यह काफी प्रोटीन और फैट वाला खाद्य पदार्थ होता है जिसे पचाने में शरीर को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं रेड मीट की एनर्जी भी बॉडी को हीट करती है, ऐसे में नींद की प्रक्रिया में खलल आना स्वाभाविक है।
शराब
रात में शराब पीने की आदत बहुत लोगों की होती है, उन्हे ऐसा लगता है इससे उन्हे अच्छी नींद आती है, लेकिन यह गलत है। शराब पीने से उनकी नींद आने की नैचुरल प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ता है। शराब पीकर सोने पर आपको वह सुबह उठकर सामान्य दिनों जैसी स्फूर्ति और ताजगी नहीं मिलती है। वहीं कई बार शराब के नशे में होश नहीं रहता है जिसे लोग बढि़या नींद समझ बैठते हैं।
डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट में कैफीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो आपके शरीर को एकदम से बूस्ट अप कर देती हैं। वहीं कई बार डार्क चॉकलेट में थियोब्रोमाइन भी मिला होता है जो दिल को तेजी से धड़काने का काम और शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है, ऐसे में सोना थोड़ा मुश्किल होता है।
भारी भोजन
भारी भोजन न लें सोने से पहले, अगर आप वेज फूड भी खाते हैं तो हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएं। जैसे- गेंहू के आटा के फुल्के, खिचड़ी। ज्यादा भारी भोजन करने से आपको ही पेट सम्बन्धित समस्याएं हो सकती हैं।
पिज्जा
पिज्जा, फास्ट फूड है जिसे खा तो आप बढ़े मजे से लेते है लेकिन आपके पेट को उसे पचाने में बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। इसमें पड़ने वाला टुमैटो सॉस, एसिड से भरा हुआ होता है जो पेट में गैस की समस्या भी पैदा कर सकता है।
पास्ता
पास्ता भी फास्ट फूड है, जो मैदा का बना होता है। मैदा अनाज का पिसा का बहुत महीन रूप होती है जो पचने में ज्यादा समय लेती है। साथ ही इसे बनाने में यूज होने वाले सॉस और अन्य सामग्री भी बॉडी को रिलेक्स नहीं होने देती।
आजवाइन
आजवाइन से बना भोजन आपको सुनकर आश्चर्य होगा, लेकिन आजवाइन को रात के खाने में खाने से परहेज करें। आजवाइन एक प्रकार का प्राकृतिक मसाला है जिससे पेशाब बहुत ज्यादा आती है। यह काफी गर्म होती है जिसे कारण लोगों को ज्यादा पानी पीना पड़ता है। बार - बार पानी पीना और फिर पेशाब जाने से आपकी नींद में खलल आ सकता है।
कुंभ मेला, इलाहाबाद 2013 : पहले शाही स्नान (14 January 2013) की तस्वीर / Pictures of First Shahi Snana
नागा साधु : कुंभ मेला, इलाहाबाद 2013
संगम में शाही स्नान के दौरान नागा साधु : कुंभ मेला, इलाहाबाद 2013
संगम में शाही स्नान के दौरान गंगाजल चढ़ाता साधु : कुंभ, इलाहाबाद 2013
कुंभनगर (इलाहाबाद)। गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम पर सोमवार (14 January 2013) को मकर संक्रांति से आस्था का महापर्व महाकुंभ मेला शुरू हुआ। मेला पुलिस के अनुसार, पहले शाही स्नान पर एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने पवित्र संगम पर स्नान किया। धरती के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम में सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा अटल अखाड़े के साथ शाही स्नान के लिए आगे बढ़ा। अगुवाई नागा साधु कर रहे थे। हाथों में थे त्रिशूल, तलवारें और अन्य हथियार। शाही सवारी में महामंडलेश्वर हाथियों और बड़े साधु रथ तथा घोड़े पर सवार थे। इनके बाद निरंजनी, आनंद, जूना, आवाहन, अग्नि, निर्वाणी, दिगंबर, निर्मोही अखाड़ों ने पारंपरिक रीति-रिवाज से शाही स्नान किया। साधुओं की संख्या के हिसाब से इन्हें 30 मिनट से एक घंटे तक का समय दिया गया था।
शाही स्नान सुबह सवा छह बजे महानिर्वाणी और अटल अखाड़े से शुरू हुआ। उसके बाद निरंजनी के साथ आनंद, फिर जूना, आहवान और अग्नि अखाड़े ने 8 बजे से 8.40 बजे तक स्नान किया। इसके बाद दो घंटे तक संगम तट खाली रहा। 10.40 बजे वैष्णव के निर्वाणी, दिगंबर और निर्मोही ने क्रमश: 12.20 बजे तक संगम में डुबकी लगाई। उदासीन का नया पंचायती, बड़ा पंचायती और निर्मल अखाड़े ने सबसे बाद स्नान किया।
जूना अखाड़े---- पहले शाही स्नान में जूना अखाड़े का जलवा दिखा। 50 हजार संन्यासी, 15 हजार नागा और 50 रथों पर सवार महामंडलेश्वर अखाड़े की शोभा बढ़ा रहे हैं। शाही स्नान आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के नेतृत्व में निकला। कुल 161 महामंडलेश्वर में से 50 ही उपस्थित रहे।
अग्नि अखाड़ा---- 7000 साधु महामंडलेश्वर रसानंद और कृष्णानंद के नेतृत्व में चले। इष्ट देवी माता गायत्री आगे थीं। सात रथ थे।
निरंजनी अखाड़ा---- जुलूस में 40 महामंडलेश्वर रथों पर सवार हुए। इसमें 20 हजार साधु-संत शामिल हुए। तीन हजार नागा जुलूस में थे।
बड़ा उदासीन---- शाही स्नान में पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन को एक घंटे का समय शाही स्नान के लिए मिला है। 30 महामंडलेश्वर स्नान करने के लिए पहुंच गए हैं। दस हजार भक्त हैं।
आह्वान अखाड़ा---- आचार्य महामंडलेश्वर शिवेन्द्र पुरी के नेतृत्व में स्नान हुआ। अखाड़े के सचिव महंत सत्य गिरी एवं महंत नील कंठ ने बताया कि शाही स्नान में सात हजार नागा संन्यासी हैं। महामंडलेश्वर कृष्णानंद पुरी, कृष्णानंद गिरि, प्रज्ञानंद गिरि, ब्राह्मणपुरी, कल्याणानंद गिरि भी थे। (d.bhaskar से)
बुधवार, 9 जनवरी 2013
पनीर (चीज) और मांस से शुक्राणुओं पर असर
दुनिया के कई देश आबादी की दर में लगातार आ रही गिरावट से परेशान हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इसके पीछे चीज और मांस खाने की आदत भी जिम्मेदार हो सकती है.
चीज और मांस में मौजूद संतृप्त वसा इंसानों का वजन बढ़ाने के साथ ही उनमें शुक्राणुओं की कमी का भी कारण बनती है. डेनमार्क के रिसर्चरों ने काफी खोजबीन करने के बाद यह पता लगाया है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में छपी इस रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि संतृप्त वसा खाने वाले डेनमार्क के युवाओं में शुक्राणुओं का गाढ़ापन 38 प्रतिशत कम होता है और साथ ही कम वसा खाने वालों की तुलना में उनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या भी करीब 41 प्रतिशत कम होती है. रिसर्च में शामिल प्रमुख वैज्ञानिक टीना जेन्सन ने कहा, "हम ये नहीं कह सकते कि यह आकस्मिक असर है लेकिन मझे लगता है कि दूसरे रिसर्च से भी पता चला है कि भोजन में संतृप्त वसा का संबंध दूसरी समस्याओं और शुक्राणुओं की संख्या से है."
यह पहला रिसर्च नहीं था जिसमें भोजन और जीवनशैली से जुड़ी दूसरे कारकों का शुक्राणुओं और उनकी संख्या पर असर का पता लगाने की कोशिश की गई. 2011 में ब्राजील के रिसर्चरों ने पता लगया था कि खाने में अन्न की मात्रा ज्यादा होने से शुक्राणुओं का गाढ़ापन और गतिशीलता बढ़ती है. इसके अलावा फलों का संबंध भी शुक्राणुओं में गति और तेजी के बढ़ने से है. ब्राजील में और इस तरह के दूसरे रिसर्चों में ऐसे आंकड़ों का विश्लेषण किया गया जो पिता बनने के लिए इलाज करा रहे पुरुषों से जुड़े थे. ऐसे में यह माना जाता है कि इन आंकड़ों का दायरा सीमित था और इन्हें सभी पुरुषों के लिए नहीं माना जा सकता.
जेन्सन और उनके सहयोगियों ने अपने रिसर्च के लिए डेनमार्क के 701 युवाओं का सर्वे किया जिनकी उम्र 20 साल के करीब थी. इसके अलावा उन्होंने सेना में 2008 से 2010 के बीच हुए चेकअप का भी ब्यौरा लिया. सर्वे में शामिल लोगों से पिछले तीन महीने में खाए भोजन के बारे में पूछकर उनके वीर्य का नमूना जमा किये गए. इसके बाद रिसर्चरों ने नतीजों को चार समूहों में बांट दिया. इन समूहों में देखा गया कि किस पुरुष को कितनी ऊर्जा संतृप्त वसा से मिली और फिर हरेक समूह के पुरुषों में पैदा हुए शुक्राणुओं के संख्या की तुलना की गई.
जिन पुरुषों ने अपनी ऊर्जा का 11.2 प्रतिशत से कम संतृप्त वसा से हासिल किया था उनके वीर्य में शुक्राणुओं का गाढ़ापन 5 करोड़ प्रति मिलीलीटर था और कुल शुक्राणुओं की संख्या करीब 16.3 करोड़ थी. इसी तरह 15 प्रतिशत से ज्यादा संतृप्त वसा खाने वालों में यह आंकड़े 4.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर और कुल शुक्राणुओं की संख्या 12.8 करोड़ थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 1.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर से ऊपर शुक्राणुओं संख्या को सामान्य माना जाता है. रिसर्च में शामिल लोगों में कम वसा खाने वाले 13 प्रतिशत और ज्यादा वसा खाने वालों में 18 प्रतिशत लोगों में शुक्राणुओं का स्तर सामान्य से कम था.
रिसर्च में यह पता नहीं चल सका कि क्या जीवनशैली से जुड़ी दूसरी चीजों का भी इससे कोई संबंध है. फिर भी जेन्सन और उनकी टीम की खोज कुछ हद तक यह जरूर बता सकती है कि दुनिया भर में शुक्राणुओं की संख्या क्यों कम हो रही है. पिछले साल फ्रांसीसी रिसर्चरों ने पता लगाया कि फ्रांस में औसतन 35 साल के पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या 1989 के 7.4 करोड़ प्रति मिलीलीटर से घट कर 2005 में 5 करोड़ प्रति मिलीलीटर तक पहुंच गई है. जेन्सन का कहना है, "मेरे ख्याल से मोटापा एक वजह है लेकिन यह (संतृप्त वसा) भी एक संभावित व्याख्या हो सकती है."
जेन्सन का कहना है कि अब अगला कदम यह पता लगाना होगा कि संतृप्त वसा शुक्राणुओं की संख्या पर कैसे असर डालती है और साथ ही यह भी देखना होगा कि क्या इसे कम करने से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है.(dw.de/ सौजन्य- डॉयचे वेले, जर्मन रेडियो)
चीज और मांस में मौजूद संतृप्त वसा इंसानों का वजन बढ़ाने के साथ ही उनमें शुक्राणुओं की कमी का भी कारण बनती है. डेनमार्क के रिसर्चरों ने काफी खोजबीन करने के बाद यह पता लगाया है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में छपी इस रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि संतृप्त वसा खाने वाले डेनमार्क के युवाओं में शुक्राणुओं का गाढ़ापन 38 प्रतिशत कम होता है और साथ ही कम वसा खाने वालों की तुलना में उनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या भी करीब 41 प्रतिशत कम होती है. रिसर्च में शामिल प्रमुख वैज्ञानिक टीना जेन्सन ने कहा, "हम ये नहीं कह सकते कि यह आकस्मिक असर है लेकिन मझे लगता है कि दूसरे रिसर्च से भी पता चला है कि भोजन में संतृप्त वसा का संबंध दूसरी समस्याओं और शुक्राणुओं की संख्या से है."
यह पहला रिसर्च नहीं था जिसमें भोजन और जीवनशैली से जुड़ी दूसरे कारकों का शुक्राणुओं और उनकी संख्या पर असर का पता लगाने की कोशिश की गई. 2011 में ब्राजील के रिसर्चरों ने पता लगया था कि खाने में अन्न की मात्रा ज्यादा होने से शुक्राणुओं का गाढ़ापन और गतिशीलता बढ़ती है. इसके अलावा फलों का संबंध भी शुक्राणुओं में गति और तेजी के बढ़ने से है. ब्राजील में और इस तरह के दूसरे रिसर्चों में ऐसे आंकड़ों का विश्लेषण किया गया जो पिता बनने के लिए इलाज करा रहे पुरुषों से जुड़े थे. ऐसे में यह माना जाता है कि इन आंकड़ों का दायरा सीमित था और इन्हें सभी पुरुषों के लिए नहीं माना जा सकता.
जेन्सन और उनके सहयोगियों ने अपने रिसर्च के लिए डेनमार्क के 701 युवाओं का सर्वे किया जिनकी उम्र 20 साल के करीब थी. इसके अलावा उन्होंने सेना में 2008 से 2010 के बीच हुए चेकअप का भी ब्यौरा लिया. सर्वे में शामिल लोगों से पिछले तीन महीने में खाए भोजन के बारे में पूछकर उनके वीर्य का नमूना जमा किये गए. इसके बाद रिसर्चरों ने नतीजों को चार समूहों में बांट दिया. इन समूहों में देखा गया कि किस पुरुष को कितनी ऊर्जा संतृप्त वसा से मिली और फिर हरेक समूह के पुरुषों में पैदा हुए शुक्राणुओं के संख्या की तुलना की गई.
जिन पुरुषों ने अपनी ऊर्जा का 11.2 प्रतिशत से कम संतृप्त वसा से हासिल किया था उनके वीर्य में शुक्राणुओं का गाढ़ापन 5 करोड़ प्रति मिलीलीटर था और कुल शुक्राणुओं की संख्या करीब 16.3 करोड़ थी. इसी तरह 15 प्रतिशत से ज्यादा संतृप्त वसा खाने वालों में यह आंकड़े 4.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर और कुल शुक्राणुओं की संख्या 12.8 करोड़ थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 1.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर से ऊपर शुक्राणुओं संख्या को सामान्य माना जाता है. रिसर्च में शामिल लोगों में कम वसा खाने वाले 13 प्रतिशत और ज्यादा वसा खाने वालों में 18 प्रतिशत लोगों में शुक्राणुओं का स्तर सामान्य से कम था.
रिसर्च में यह पता नहीं चल सका कि क्या जीवनशैली से जुड़ी दूसरी चीजों का भी इससे कोई संबंध है. फिर भी जेन्सन और उनकी टीम की खोज कुछ हद तक यह जरूर बता सकती है कि दुनिया भर में शुक्राणुओं की संख्या क्यों कम हो रही है. पिछले साल फ्रांसीसी रिसर्चरों ने पता लगाया कि फ्रांस में औसतन 35 साल के पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या 1989 के 7.4 करोड़ प्रति मिलीलीटर से घट कर 2005 में 5 करोड़ प्रति मिलीलीटर तक पहुंच गई है. जेन्सन का कहना है, "मेरे ख्याल से मोटापा एक वजह है लेकिन यह (संतृप्त वसा) भी एक संभावित व्याख्या हो सकती है."
जेन्सन का कहना है कि अब अगला कदम यह पता लगाना होगा कि संतृप्त वसा शुक्राणुओं की संख्या पर कैसे असर डालती है और साथ ही यह भी देखना होगा कि क्या इसे कम करने से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है.(dw.de/ सौजन्य- डॉयचे वेले, जर्मन रेडियो)
पनीर (चीज) और मांस से शुक्राणुओं पर असर
दुनिया के कई देश आबादी की दर में लगातार आ रही गिरावट से परेशान हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इसके पीछे चीज और मांस खाने की आदत भी जिम्मेदार हो सकती है.
चीज और मांस में मौजूद संतृप्त वसा इंसानों का वजन बढ़ाने के साथ ही उनमें शुक्राणुओं की कमी का भी कारण बनती है. डेनमार्क के रिसर्चरों ने काफी खोजबीन करने के बाद यह पता लगाया है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रीशन में छपी इस रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि संतृप्त वसा खाने वाले डेनमार्क के युवाओं में शुक्राणुओं का गाढ़ापन 38 प्रतिशत कम होता है और साथ ही कम वसा खाने वालों की तुलना में उनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या भी करीब 41 प्रतिशत कम होती है. रिसर्च में शामिल प्रमुख वैज्ञानिक टीना जेन्सन ने कहा, "हम ये नहीं कह सकते कि यह आकस्मिक असर है लेकिन मझे लगता है कि दूसरे रिसर्च से भी पता चला है कि भोजन में संतृप्त वसा का संबंध दूसरी समस्याओं और शुक्राणुओं की संख्या से है."
यह पहला रिसर्च नहीं था जिसमें भोजन और जीवनशैली से जुड़ी दूसरे कारकों का शुक्राणुओं और उनकी संख्या पर असर का पता लगाने की कोशिश की गई. 2011 में ब्राजील के रिसर्चरों ने पता लगया था कि खाने में अन्न की मात्रा ज्यादा होने से शुक्राणुओं का गाढ़ापन और गतिशीलता बढ़ती है. इसके अलावा फलों का संबंध भी शुक्राणुओं में गति और तेजी के बढ़ने से है. ब्राजील में और इस तरह के दूसरे रिसर्चों में ऐसे आंकड़ों का विश्लेषण किया गया जो पिता बनने के लिए इलाज करा रहे पुरुषों से जुड़े थे. ऐसे में यह माना जाता है कि इन आंकड़ों का दायरा सीमित था और इन्हें सभी पुरुषों के लिए नहीं माना जा सकता.
जेन्सन और उनके सहयोगियों ने अपने रिसर्च के लिए डेनमार्क के 701 युवाओं का सर्वे किया जिनकी उम्र 20 साल के करीब थी. इसके अलावा उन्होंने सेना में 2008 से 2010 के बीच हुए चेकअप का भी ब्यौरा लिया. सर्वे में शामिल लोगों से पिछले तीन महीने में खाए भोजन के बारे में पूछकर उनके वीर्य का नमूना जमा किये गए. इसके बाद रिसर्चरों ने नतीजों को चार समूहों में बांट दिया. इन समूहों में देखा गया कि किस पुरुष को कितनी ऊर्जा संतृप्त वसा से मिली और फिर हरेक समूह के पुरुषों में पैदा हुए शुक्राणुओं के संख्या की तुलना की गई.
जिन पुरुषों ने अपनी ऊर्जा का 11.2 प्रतिशत से कम संतृप्त वसा से हासिल किया था उनके वीर्य में शुक्राणुओं का गाढ़ापन 5 करोड़ प्रति मिलीलीटर था और कुल शुक्राणुओं की संख्या करीब 16.3 करोड़ थी. इसी तरह 15 प्रतिशत से ज्यादा संतृप्त वसा खाने वालों में यह आंकड़े 4.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर और कुल शुक्राणुओं की संख्या 12.8 करोड़ थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 1.5 करोड़ प्रति मिलीलीटर से ऊपर शुक्राणुओं संख्या को सामान्य माना जाता है. रिसर्च में शामिल लोगों में कम वसा खाने वाले 13 प्रतिशत और ज्यादा वसा खाने वालों में 18 प्रतिशत लोगों में शुक्राणुओं का स्तर सामान्य से कम था.
रिसर्च में यह पता नहीं चल सका कि क्या जीवनशैली से जुड़ी दूसरी चीजों का भी इससे कोई संबंध है. फिर भी जेन्सन और उनकी टीम की खोज कुछ हद तक यह जरूर बता सकती है कि दुनिया भर में शुक्राणुओं की संख्या क्यों कम हो रही है. पिछले साल फ्रांसीसी रिसर्चरों ने पता लगाया कि फ्रांस में औसतन 35 साल के पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या 1989 के 7.4 करोड़ प्रति मिलीलीटर से घट कर 2005 में 5 करोड़ प्रति मिलीलीटर तक पहुंच गई है. जेन्सन का कहना है, "मेरे ख्याल से मोटापा एक वजह है लेकिन यह (संतृप्त वसा) भी एक संभावित व्याख्या हो सकती है."
जेन्सन का कहना है कि अब अगला कदम यह पता लगाना होगा कि संतृप्त वसा शुक्राणुओं की संख्या पर कैसे असर डालती है और साथ ही यह भी देखना होगा कि क्या इसे कम करने से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है.(dw.de/ सौजन्य- डॉयचे वेले, जर्मन रेडियो)
मंगलवार, 8 जनवरी 2013
आठ प्रकार की अहंकार की ग्रंथि / EIGHT TYPES OF KNOTS OF EGO
आठ प्रकार की अहंकार की ग्रंथि :
1- बल का अहंकार
2- रुप का अहंकार
3- विद्या का अहंकार
4- धन का अहंकार
5- प्रतिष्ठा का अहंकार
6- कुल का अहंकार
7- त्याग का अहंकार
8- वर्ण का अहंकार
EIGHT TYPES OF KNOTS OF EGO :
1- ego of power
2- ego of beauty
3- ego of knowledge
4- ego of money
5- ego of fame
6- ego of family, descent
7- ego of renunciation
8- ego of caste and colour
-MORARI BAPU
1- बल का अहंकार
2- रुप का अहंकार
3- विद्या का अहंकार
4- धन का अहंकार
5- प्रतिष्ठा का अहंकार
6- कुल का अहंकार
7- त्याग का अहंकार
8- वर्ण का अहंकार
EIGHT TYPES OF KNOTS OF EGO :
1- ego of power
2- ego of beauty
3- ego of knowledge
4- ego of money
5- ego of fame
6- ego of family, descent
7- ego of renunciation
8- ego of caste and colour
-MORARI BAPU
शनिवार, 5 जनवरी 2013
झारखंड में आर्थिक स्वावलम्बन का आधार बनी माडर्न डेयरी योजना
झारखंड राज्य सरकार द्वारा संचालित डेयरी विकास योजना ने कई लोगों का जीवन कायाकल्प कर दिया है। इस योजना के कई किसान और ग्रामीण जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं और दूसरों को भी रोजगार का अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। कई लोग इसे पूर्णरुपेण रोजगार के रूप में अपना लिया है। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं उमेश कुमार, जो रोहिणी रोड तनकोलिया पो. जसीडीह, देवघर, झारखंड के रहने वाले हैं।
उमेश कुमार ने आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सिर्फ इंटर तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कुछ व्यवसाय करने की सोचा। इस बीच 2009 में उनका सम्पर्क जिला डेयरी विकास देवघर के अधिकारी से हुआ। जहां इस योजना की पूरी जानकारी प्राप्त की। इसके बाद डेयरी विकास योजना के तहत संचालित माडर्न डेयरी यूनिट का लाभ लिया। इसके अंतर्गत 2009 में 100 संकर नस्ल गाय के साथ माडर्न डेयरी यूनिट जसीडीह तनकोलिया में स्थापित किया। इसके लिए सरकार 54 लाख 50 हजार का लोन 20 प्रतिशत की सबसिडी पर मिला। कुछ दिनों के अंदर उन्हें 900-1000 लीटर दूध आने लगा, जिससे 50 हजार रुपए शुध्द मुनाफा होने लगा। आज उमेश कुमार के पास 150 गाये है जिससे 12 सौ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। माडर्न डेयरी यूनिट से सिर्फ उमेश को लाभ नहीं हो रहा है बल्कि इससे आसपास के 100 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।
इस डेयरी से आज उमेश कुमार को प्रतिमाह एक से डेढ़ लाख रुपए मुनाफा प्राप्त हो रहा है। उमेश कुमार ने बताया कि सरकारी योजना का लाभ उठाकर ही इस मुकाम तक पहुंचने में सफलता मिली है। उनकी सफलता में योजना का बहुत बड़ा योगदान है। इतनी अधिक पूंजी प्राप्त करना मुश्किल था जिसे योजना ने उपलब्ध कराया। साथ ही 20 प्रतिशत की सबसिडी भी मिला। आज वह सारे कर्ज वापस दिया है। आर्थिक रूप से भी काफी सशक्त हुए हैं। सफलतापूर्वक माडर्न डेयरी का संचालन के बाद उमेश फिर योजना के तहत पांच हजार लीटर की दक्षता वाला मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट खोलने के लिए एक करोड़ 20 लाख का ऋण लिया है। इसमें 25 प्रतिशत सबसिडी मिलेगा। इस प्लांट का उद्धाटन वसंत पंचमी को किया जाएगा।
उमेश कुमार ने बताया कि इस प्लांट से 40-45 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। काफी दुग्ध उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। इस प्लांट में दूध, दही, लस्सी, पनीर आदि का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए प्रतिदिन बाहर से तीन-चार हजार लीटर दूध की आवश्यकता होगी। जिसका सीधा लाभ आसपास के दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा। उमेश ने बताया कि उन्हें ज्यादा पढ़ाई नहीं करने का मलाल नहीं है। डेयरी विकास योजना ने उन्हें आर्थिक रुपए सशक्त बनाया है। इससे वे खुश हैं। इसे आज उन्होंने पूरी तरह से रोजगार के रूप में अपना लिया है। आगे इसे वह अपने क्षेत्र में और विस्तार रूप देना चाहते हैं। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 2011 में और राज्य स्तर पर 2012 में सम्मानित किया जा चुका है।(ranchiexpress.com)
शुक्रवार, 4 जनवरी 2013
पटना उच्च न्यायालय के आदेश से सकते में बिहार के अखबार
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पूरे बिहार में नववर्ष 2013 में दैनिक हिन्दी अखबारों की काली करतूतों के और भी उजागर होने की प्रबल संभावना बन गई हैं। पटना उच्च न्यायालय की याचिका संख्या क्रमशः क्रिमिनल मिससेलेनियस नं0-2951 ।2012 और क्रिमिनल मिससेलेनियस नं0-1676 3।2012 में न्यायमूर्ति माननीय अंजना प्रकाश के 17 दिसंबर के आदेश आ जाने के बाद बिहार पुलिस, खासकर बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई, अब राज्य के 37 जिलों में पटना की निबंधन संख्या की आड़ में अवैध ढंग से मुद्रित, प्रकाशित और वितरित होने वाले हिन्दी दैनिक अखबार क्रमशः दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक प्रभात खबर और पटना से ही अवैध ढंग से मुद्रित, प्रकाशित और वितरित उर्दू और अंग्रेजी दैनिकों के प्रबंधन और संपादकीय विभाग के प्रमुख, अवैध प्रकाशन और वितरण में सहयोग करनेवाली जिला स्तरीय पत्र-वितरण करनेवाली एजेंसियों के साथ-साथ अवैध प्रकाशन में समाचार आपूर्ति करनेवाली न्यूज एजेंसियों केप्रबंधन और संपादकों को किसी भी वक्त जांच के दायरे में ले सकती है, अवैध प्रकाशित अखबारों को जब्त कर सकती है और अवैध प्रकाशन से जुड़े किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी कर सकती है। बिहार के जिलों-जिलों के लिए अवैध ढंग से मुद्रित, प्रकाशित और वितरित होने वाले दैनिक अखबारों के फर्जीवाड़ा के मामलों में जिलों-जिलों के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक भी अपने-अपने स्तर से फर्जी अखबारों के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कानूनी काररवाई करने के लिए अब कानूनी रूप मेंपूरी तरह स्वतंत्र और सक्षम हैं। न्यायमूर्ति माननीय अंजना प्रकाश का आखिर आदेश क्या है? न्यायमूर्ति माननीय अंजना प्रकाश ने अपने 17 दिसंबर के आदेश मेंमुंगेर कोतवाली कांड संख्या-445।2011 में पुलिस अनुसंधान में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया और दैनिक हिन्दुस्तान के 200 करोड़ के सरकारी विज्ञापन फर्जीवाड़ा में पुलिस अनुसंधान तीन महीनों में पूरा करने का आदेश जारी कर दिया। न्यायमूर्ति अंजना प्रकाशन ने अपने आदेश में पैरा 12 में मुंगेर के जिलाधिकारी कुलदीप नारायण की जांच-रिपोर्ट को हू-बहू उद्धृत भी किया है जिसने बिहार के पटना छोड़कर 37 जिलों में हिन्दी अखबारोंके अवैध प्रकाशन की पोल खोल दी है।
स्मरणीय है कि अवैध प्रकाशन के जरिए ही अखबार के मालिक और संपादक करोड़ों और अरबों रूपयों में सरकारी विज्ञापन का फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। जांच और गिरफ्तारी के दायरेमें अखबार क निदेशक, संपादक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रसार व्यवस्थापक, विज्ञापन प्रबंधक भी आते हैं। आखिर मुंगेर जिलाधिकारी की रिपोर्ट में क्या है? मुंगेर के जिलाधिकारी ने पटना उच्च न्यायालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में लिखा है--- ‘‘मैंने आज दैनिक हिन्दुस्तान के भागलपुर,मुंगेर और लखीसराय संस्करणों की प्रतियां प्राप्त कीं और पाया कि तीनों संस्करणों में समाचार भिन्न-भिन्न हैं, सरकारी विज्ञापन भी भिन्न-भिन्न हैं परन्तु तीनों संस्करणों के संपादक,मुद्रक,प्रकाशक,फोन नं. और आर.एन.आई. नं. एक ही हैं।'' पटना उच्च न्यायालय को भेजे अपनी रिपोर्ट में मुंगेर के जिलाधिकारी कुलदीप नारायण ने आगे लिखा है--- ''चूंकि तीनों संस्करणों में समाचार सामग्री भिन्न-भिन्न हैं,तीनों संस्करणों को अलग-अलग अखबार माना जायेगा और तीनों संस्करणों को अलग-अलग आर.एन.आई. नं. लेनी चाहिए।''
अभी भी अवैध ढंग से मुद्रित, प्रकाशित और वितरित हो रहा हैः---
दैनिक हिन्दुस्तान को अभी हाल में प्रेस रजिस्ट्रार, नई दिल्ली से भागलपुर प्रेस से मुद्रित और प्रकाशित करने की अनुमति मिली है। परन्तु, अखबार के मालिक और संपादक अवैध ढंग से मुंगेर,लखीसराय, जमुई, शेखपुरा, खगडि़या, बेगूसराय और अन्य जिलों के लिए अलग-अलग संस्करण मुद्रित,प्रकाशित और वितरित ढंका की चोंट पर कर रहे हैं। दैनिक हिन्दुस्तान के भागलपुर संस्करण का वर्तमान में रजिस्ट्र्शन नं0- आर.एन.आई.-बी.आई.एच.एच.आई.एन.2011।41407 है।
दैनिक प्रभात खबर को प्रेस रजिस्ट्रार, नई दिल्ली ने भागलपुर प्रेस से अखबार प्रकाशित करने की अनुमति दी है और इस अखबार का रजिस्ट्र्शन नम्बर -आर.एन.आई. -2011।37188 है। परन्तु, दैनिक प्रभात खबर भी भागलपुर के रजिसट्र्शन नम्बर की आड़में मुंगेर, लखीसराय,जमुई, शेखपुरा, खगडि़या,बेगूसराय और अन्य जिलों के लिए अलग-अलग अवैध संस्करण मुद्रित,प्रकाशित और वितरित कर रहा है जो कानूनी अपराध है।
प्रेस रजिस्ट्रार, नई दिल्ली ने दैनिक जागरण को पटना स्थित प्रेस से अखबार को प्रकाशित करने की इजाजत दी है। परन्तु, दैनिक जागरण प्रबंघन नेपटना के रजिस्ट्र्शन नम्बर की आड़ में भागलपुर ,मुंगेर,लखीसराय, जमुई, शेखपुरा, खगडि़या, बेगूसराय और अन्य जिलों के लिए अवैध ढंग से वर्षों तक अलग-अलग जिलाबार संस्करणों का प्रकाशन किया और सरकारी विज्ञापन की लूट मचाई। अभी दैनिक जागरण भागलपुर, मुंगेर,खगडि़या ,जमुई, लखीसराय, बेगूसराय और अन्य संस्करणों में निबंधन संख्या के स्थान पर 'आवेदित' छाप रहा है।परन्तु, बिहार और केन्द्र सरकार बिना निबंधन के छपने वाले दैनिक जागरण अखबार को सरकारी विज्ञापन अब भी प्रकाशन हेतु भेज रही है। यह अपने-आप मेंसूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के पदाधिकारियों का चमत्कारोंमें चमत्कार है। सरकारी विज्ञापन की लूट की संस्कृति का यह जीता जागता उदाहरण है। पटना से प्रकाशित कई उर्दू और अंग्रेजी दैनिकों को कोलकत्ता से अखबार प्रकाशित करने की अनुमति है। परन्तु पटना स्थित प्रेस से अवैध ढंग सेमुद्रित और प्रकाशित कर प्रबंधन कथित अंग्रेजी और उर्दूदैनिकों को पूरे बिहार में वितरित कर रहा है।उर्दू और अंग्रेजी अखबार भी अवैध ढंग से सरकारी विज्ञापन प्राप्त कर रहे हैं। सभी अखबारों के संस्करणों के अवैध ढंग से प्रकाशित करने के पीछे अवैध ढंग से केन्द्र और राज्य सरकारों का सरकारी विज्ञापन प्राप्त करना ही मात्र लक्ष्य है ।मजे की बात है कि सभी अखबारों का प्रबंधन और संपादकीय विभाग के प्रमुख आर्थिक भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त हैं और उल्टेसत्ता और विपक्ष के नेताओं, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर आंखें तरेरने में पीछे नहीं रहते हैं। (www.raznama.com)
गुरुवार, 3 जनवरी 2013
प्यार की कहानी चाहिए / आदमी को प्यार दो.../ - नीरज
सच्चे प्यार की ताकत : लालू प्रसाद और राबड़ी देवी
प्यार की कहानी चाहिए
- नीरज
आदमी को आदमी बनाने के लिए
जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए
और कहने के लिए कहानी प्यार की
स्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए।
जो भी कुछ लुटा रहे हो तुम यहाँ
वो ही बस तुम्हारे साथ जाएगा,
जो छुपाके रखा है तिजोरी में
वो तो धन न कोई काम आएगा,
सोने का ये रंग छूट जाना है
हर किसी का संग छूट जाना है
आखिरी सफर के इंतजाम के लिए
जेब भी कफन में इक लगानी चाहिए।
आदमी को आदमी बनाने के लिए
जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए
रागिनी है एक प्यार की
जिंदगी कि जिसका नाम है
गाके गर कटे तो है सुबह
रोके गर कटे तो शाम है
शब्द और ज्ञान व्यर्थ है
पूजा-पाठ ध्यान व्यर्थ है
आँसुओं को गीतों में बदलने के लिए,
लौ किसी यार से लगानी चाहिए
आदमी को आदमी बनाने के लिए
जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए
जो दु:खों में मुस्कुरा दिया
वो तो इक गुलाब बन गया
दूसरों के हक में जो मिटा
प्यार की किताब बन गया,
आग और अँगारा भूल जा
तेग और दुधारा भूल जा
दर्द को मशाल में बदलने के लिए
अपनी सब जवानी खुद जलानी चाहिए।
आदमी को आदमी बनाने के लिए
जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए
दर्द गर किसी का तेरे पास है
वो खुदा तेरे बहुत करीब है
प्यार का जो रस नहीं है आँखों में
कैसा हो अमीर तू गरीब है
खाता और बही तो रे बहाना है
चैक और सही तो रे बहाना है
सच्ची साख मंडी में कमाने के लिए
दिल की कोई हुंडी भी भुनानी चाहिए।
(साहित्य के उज्जवल नक्षत्र नीरज का नाम सुनते ही सामने एक ऐसा शख्स उभरता है:जो स्वयं डूबकर कविताएँ लिखता हैं और पाठक को भी डूबा देने की क्षमता रखता है। जब नीरज मंच पर होते हैं तब उनकी नशीली कविता और लरजती आवाज श्रोता वर्ग को दीवाना बना देती है। हिंदी के सुप्रसिद्घ गीतकार गोपालदास नीरज मानते हैं कि कवि मंच अब पहले जैसा कवि मंच नहीं रह गया बल्कि कपि (बंदर) मंच बन गया है। उनका कहना है कि फिल्मों में भी गीत और गीतकार के सुनहरे दिन बीत गए हैं।)
आदमी को प्यार दो...
- नीरज
सूनी-सूनी ज़िंदगी की राह है,
भटकी-भटकी हर नज़र-निगाह है,
राह को सँवार दो,
निगाह को निखार दो,
आदमी हो तुम कि उठा आदमी को प्यार दो,
दुलार दो।
रोते हुए आँसुओं की आरती उतार दो।
तुम हो एक फूल कल जो धूल बनके जाएगा,
आज है हवा में कल ज़मीन पर ही आएगा,
चलते व़क्त बाग़ बहुत रोएगा-रुलाएगा,
ख़ाक के सिवा मगर न कुछ भी हाथ आएगा,
ज़िंदगी की ख़ाक लिए हाथ में,
बुझते-बुझते सपने लिए साथ में,
रुक रहा हो जो उसे बयार दो,
चल रहा हो उसका पथ बुहार दो।
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो।
ज़िंदगी यह क्या है- बस सुबह का एक नाम है,
पीछे जिसके रात है और आगे जिसके शाम है,
एक ओर छाँह सघन, एक ओर घाम है,
जलना-बुझना, बुझना-जलना सिर्फ़ जिसका काम है,
न कोई रोक-थाम है,
ख़ौफनाक-ग़ारो-बियाबान में,
मरघटों के मुरदा सुनसान में,
बुझ रहा हो जो उसे अंगार दो,
जल रहा हो जो उसे उभार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो।
ज़िंदगी की आँखों पर मौत का ख़ुमार है,
और प्राण को किसी पिया का इंतज़ार है,
मन की मनचली कली तो चाहती बहार है,
किंतु तन की डाली को पतझर से प्यार है,
क़रार है,
पतझर के पीले-पीले वेश में,
आँधियों के काले-काले देश में,
खिल रहा हो जो उसे सिंगार दो,
झर रहा हो जो उसे बहार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो।
प्राण एक गायक है, दर्द एक तराना है,
जन्म एक तारा है जो मौत को बजाता है,
स्वर ही रे! जीवन है, साँस तो बहाना है,
प्यार की एक गीत है जो बार-बार गाना है,
सबको दुहराना है,
साँस के सिसक रहे सितार पर
आँसुओं के गीले-गीले तार पर,
चुप हो जो उसे ज़रा पुकार दो,
गा रहा हो जो उसे मल्हार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो।
एक चाँद के बग़ैर सारी रात स्याह है,
एक फूल के बिना चमन सभी तबाह है,
ज़िंदगी तो ख़ुद ही एक आह है कराह है,
प्यार भी न जो मिले तो जीना फिर गुनाह है,
धूल के पवित्र नेत्र-नीर से,
आदमी के दर्द, दाह, पीर से,
जो घृणा करे उसे बिसार दो,
प्यार करे उस पै दिल निसार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो।
रोते हुए आँसुओं की आरती उतार दो॥
बुधवार, 2 जनवरी 2013
How to Reach Allahabad kumbh Mela 2013 / महाकुम्भ मेला 2013
The next Kumbh Mela will be held in Allahabad in the year 2013,
from 27th January to 25th February. Allahabad, also known by the ancient name
of Prayag, is the second oldest city in India and is revered as one of the most
holy places for the Hindus. The amalgamation of three great rivers of India -
Ganga, Yamuna, and the mythological Saraswati, happens here; and the point
where these three meet is known as Sangam. Being an important religious,
educational, and administrative center of India, Allahabad is well connected to
all the major cities of India via Air, Rail, and Road. If you are looking
forward to being a part of this grand gathering of millions of living souls,
then brief information on how to reach Allahabad for the Kumbh Mela 2013 is
given below.
Travelling to Allahabad By Road
As Allahabad is located in the
heartland of the great Indian plains, the road density is quite high in these
parts and is well connected to rest of the country via National and State
Highways. NH2 links Delhi-Kolkata passes from Allahabad while NH27 starts from
Allahabad and ends at Mangawan in Madhya Pradesh, NH76 links Allahabad in Uttar
Pradesh with Pindwara in Rajasthan, NH96 connects to NH28 in Faizabad and brings
together two major centers of Hindu Pilgrimage - Allahabad and Ayodhya. The
three bus stands of Allahabad cater to different routes of the country through
interstate bus services. Local transportation like tourist taxis, cabs, auto
rickshaws, and local buses are also available that connects you to various
parts of Allahabad and some neighboring cities.
Distance from Major Cities of
India
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Agra 431 KM
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Kanpur 191 KM
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Ayodhya 156 KM
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Mumbai 1162 KM
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Lucknow 183 KM
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Kolkata 732 KM
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Chennai 1385 KM
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Patna 330 KM
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Trivandrum 1954 KM
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Delhi 582 KM
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Udaipur 829 KM
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Varanasi 112 KM
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Jaipur 628 KM
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Gorakhpur 212 KM
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Mathura 476 KM
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Haridwar 621 KM
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Chitrakoot 104 KM
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Vindhyachal 71 KM
By Air
The Allahabad Domestic Airport,
also known as Bamrauli Air Force Base, is 12 Km from Allahabad and though it is
operational for domestic flights, it serves only a limited number of cities in
India. Other two nearest airports from Allahabad are Lal Bahadur Shastri
Airport in Varanasi (150 Km) and Amausi International Airport in Lucknow (200
Km). Both these airports are well connected to rest of the major cities of
India. Daily flights from major airlines like Air India, Air India Express,
GoAir, IndiGo, Jet Airways, Kingfisher Airlines, and Spice Jet are available.
Local cabs and Interstate buses can be boarded from near the airports to reach
Allahabad.
By Rail
Being the headquarters of the
North Central Railway Zone in India, Allahabad has eight railway stations
within its city limits, all of which are well connected to many of the major
cities of India namely - Delhi, Mumbai, Bangalore, Chennai, Hyderabad, Kolkata,
Bhopal, Gwalior, Jaipur etc. Cabs, Auto Rickshaws, and City buses are available
near all the railway stations to reach your onward destination.
Accommodation
Deluxe Hotels, Budget Hotels,
Heritage Hotels, Guesthouses, Dharamshalas, and Camps; Allahabad offers all
kinds of accommodations in different locations, allowing you to choose one as
per your comfort. You can book Allahabad Hotels online through Online Hotels in
India.
Welcome to Kumbh Mela 2013 / महाकुम्भ मेला 2013
The Kumbh Mela, believed to be the largest religious gathering on earth is held every 12 years on the banks of the 'Sangam'- the confluence of the holy rivers Ganga, Yamuna and the mythical Saraswati. The Mela alternates between Nasik, Allahabad, Ujjain and Haridwar every three years. The one celebrated at the Holy Sangam in Allahabad is the largest and holiest of them.
हरिद्वार में पूर्ण कुम्भ--- गुरु कुम्भ राशि में और सूर्य मेष राशि में आने पर हरिद्वार में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
प्रयाग में पूर्ण कुम्भ--- मेष राशि में गुरु व मकर में सूर्य होने पर प्रयाग में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
उज्जैन में पूर्ण कुम्भ--- सिंह राशि में गुरु, मेष में सूर्य व तुला में चन्द्र होने पर उज्जैन में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
नासिक में पूर्ण कुम्भ--- कर्क राशि में गुरु, कर्क राशि में सूर्य, चन्द्र के योग होने पर नासिक में पूर्ण कुम्भ होता है।
पूर्ण कुम्भ या महाकुम्भ / महाकुम्भ मेला 2013 की महत्वपूर्ण तिथियाँ
कुम्भ महापर्व अमृतयमी ब्रह्माण्डीय पर्यावरण अर्थात् अमृतमयी प्राण ऊर्जा का एक उदाहरण है जो ग्रह और नक्षत्र के योग से बनता है। गुरु ग्रह 12 वर्ष बाद कुम्भ राशि पर आता है।
हरिद्वार में पूर्ण कुम्भ--- गुरु कुम्भ राशि में और सूर्य मेष राशि में आने पर हरिद्वार में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
प्रयाग में पूर्ण कुम्भ--- मेष राशि में गुरु व मकर में सूर्य होने पर प्रयाग में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
उज्जैन में पूर्ण कुम्भ--- सिंह राशि में गुरु, मेष में सूर्य व तुला में चन्द्र होने पर उज्जैन में पूर्ण कुम्भ पर्व होता है।
नासिक में पूर्ण कुम्भ--- कर्क राशि में गुरु, कर्क राशि में सूर्य, चन्द्र के योग होने पर नासिक में पूर्ण कुम्भ होता है।
उक्त ग्रह योग समस्त स्थानों पर एक समान होते हैं लेकिन हमारे प्राचीन ऋषियों ने पर्यावरण का अध्ययन करके सामान्य जन को इसका लाभ पहुंचाने की दृष्टि से 4 ऐसे स्थान का चयन किया, आध्यात्मिक दृष्टि से पवित्र और प्राकृतिक रूप से वहां शुद्ध जल नदी सदृश उपलब्ध रहता है। इस जल में स्नान करना अमृतमयी बताया गया है। वस्तुतः प्राचीन काल में वर्तमान काल की तरह शुद्ध जल प्राप्त करने की सुविधाएं प्राप्त नहीं थी। शुद्ध जल से स्नान के लिए पूर्णतः नदियों पर ही आश्रित रहना पड़ता था। आजकल तो शुद्ध जल घर पर ही उपलब्ध हो जाता है। अतः शुद्ध जल को खुले एवं बड़े पात्रों में रात्रि में खुले आकाश में कुम्भ काल में रख दिया जाए तो उस जल में भी लगभग वहीं गुण आ जाते हैं जो इन स्थानों में उन कालों में आते थे। ऐसे व्यक्ति जो कुम्भ पर्व काल में हरिद्वार आदि स्थानों पर नहीं जा पाते वे कुम्भ पर्वकाल के अमृतमयी पर्यावरण का अत्यधिक लाभ घर रहकर ही उठा सकते हैं। लेकिन अधिक लाभ जोकि स्थान विशेष की विशिष्ट ऊर्जा के कारण उक्त स्थान पर जाने पर ही प्राप्त होता है।
महाकुम्भ मेला 2013 की महत्वपूर्ण तिथियाँ
27 (रविवार) जनवरी - पौष पूर्णिमा
6 फरवरी (बुधवार) एकादशी स्नान
10 फरवरी (रविवार) मउनी अमावस्या स्नान (मुख्य स्नान दिवस)
15 फरवरी (शुक्रवार) बसंत पंचमी स्नान
17 फरवरी (रविवार) रथ सप्तमी स्नान
18 फरवरी (सोमवार) भीष्म अष्टमी स्नान
25 फरवरी (सोमवार) माघी पूर्णिमा स्नान
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