बुधवार, 27 नवंबर 2013

विवाह के चौथे वर्षगाँठ पर बाबा वैद्यनाथ को जलार्पण व सोलह संस्कार पर चर्चा On the Fourth Anniversary of Marriage, Offering Holy Water to Baba Vaidyanath & Discussing Sixteen Sacraments



-शीतांशु कुमार सहाय
      मेरे त्रयोदश संस्कार विवाह के चार वर्ष हो गये। २७ नवम्बर २००९ की रात को मैंने रीना का पाणि ग्रहण किया था। विवाह के चौथे सालगिरह पर मैं पत्नी व पुत्र अभ्युदय के साथ झारखण्ड के देवघर स्थित वैद्यनाथ मन्दिर में बाबा वैद्यनाथ को जलार्पण करने गया। भीड़ काफी कम थी। अतः हमलोग बाबा का स्पर्श पूजन भी कर पाये। उन की कृपा और आप तमाम मित्रों के प्यार के साथ!

सोलह संस्कार 

      अब थोड़ी बात कर लेते हैं १६ संस्कारों की। गौतम स्मृति में चालीस प्रकार के संस्कारों का उल्लेख है। महर्षि अंगिरा ने इन का अंतर्भाव पच्चीस संस्कारों में किया। व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन हुआ है। हमारे धर्मशास्त्रों में भी मुख्य रूप से सोलह संस्कारों की व्याख्या की गयी है। महर्षि वेदव्यास के अनुसार मनुष्य के सृजन से विसर्जन तक (जन्म से लेकर मृत्यु तक) पवित्र १६ संस्कार संपन्न किये जाते हैं :-
१. गर्भाधान   
२. पुंसवन   
३. सीमन्तोन्नयन   
४. जातकर्म   
५. नामकरण   
६. निष्क्रमण  
७. अन्नप्राशन   
८. चूड़ाकरण   
९. कर्णवेध   
१०. उपनयन   
११. केशान्त   
१२. समावर्तन   
१३. विवाह   
१४. वाणप्रस्थ   
१५. परिव्राज्य या संन्यास   
१६. पितृमेध या अन्त्यकर्म।

विवाह संस्कार 

      विवाह संस्कार हिन्दू धर्म संस्कारों में 'त्रयोदश संस्कार' है। विवाह= वि+वाह, अत: इस का शाब्दिक अर्थ है--- विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना। पाणिग्रहण संस्कार को विवाह के नाम से जाना जाता है। विद्याध्ययन के पश्चात विवाह करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश करना होता है। विवाह संस्कार पितृ ऋण से उऋण होने के लिए किया जाता है। दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं।

पूर्णता का प्रतीक है विवाह 

      स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएँ और कुछ अपूर्णताएँ दे रखी हैं। पाणिग्रहण से एक-दूसरे की अपूर्णताओं की अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं। इससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है। विवाह मानव जीवन की एक आवश्यकता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार होता है जिसे विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है पर हिंदू विवाह पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। अग्नि के सात फेरे लेकर और ध्रुवतारा को साक्षी मानकर दो तन, मन और आत्मा एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। हिंदू विवाह में पति-पत्नी के बीच शारीरिक सम्बंध से अधिक आत्मिक सम्बंध होता है, इस सम्बंध को अत्यंत पवित्र माना गया है।

विवाह में वासना की प्रधानता हानिकारक 

      आज विवाह वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं। रंग-रूप के आकर्षण को स्त्री और पुरुष के चुनाव में प्रधानता दी जाने लगी है, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। दाम्पत्य-जीवन शरीर प्रधान रहने से एक प्रकार के वैध-व्यभिचार का ही रूप धारण कर लेगा। शारीरिक आकर्षण का अवसर सामने आने पर विवाह जल्दी-जल्दी टूटते-बनते रहेंगे। अभी स्त्री का चुनाव शारीरिक आकर्षण को ध्यान में रखकर किये जाने की प्रथा चली है। बढ़ती हुई इस प्रवृत्ति को रोकना चाहिए और सद्गुणों तथा सद्भावनाओं को ही विवाह का आधार बने रहने देना चाहिए।

शनिवार, 23 नवंबर 2013

तरुण तेजपाल की नैतिकता : शिखर की ढलान


तहलका पत्रिका के संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और बहुत संभव है कि उनकी गिरफ्तारी भी जल्द हो जाए, लेकिन एक युवा पत्रकार के यौन उत्पीड़न के मामले में उनके संस्थान का रवैया हैरान करने वाला रहा है। इस प्रकरण ने 12 वर्ष पूर्व तहलका के ऑपेरशन वेस्टलैंड के जरिये रक्षा सौदों में दलाली का मामला उजागर करने वाले तेजपाल का एक अलग ही चेहरा सामने लाया है। यह मामला सिर्फ दो व्यक्तियों के बीच का नहीं है, बल्कि कार्यस्थल में मालिक और उसकी मातहत के बीच का भी है। तेजपाल ने छह महीने के लिए खुद को तहलका से अलग करने की सजा मुकर्रर की, उससे ही साफ है कि वह खुद और उनकी पत्रिका का प्रबंधन इस मामले को कितने हल्के में ले रहा था। वरना तहलका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी बलात्कार के मामलों में खासी मुखर रही हैं। सवाल है कि विशाखा बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए जो निर्देश दिए हैं, तहलका ने उनका पालन क्यों नहीं किया? क्या कानून और नैतिकता के मानदंड सिर्फ दूसरों के लिए हैं? यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि उच्च स्तर की नैतिकता का दावा करने वालों और लीक से अलग हटकर काम करने वालों का जीवन भी पारदर्शी होना चाहिए। जब ऐसे प्रतीक ध्वस्त होते हैं तो आम लोगों का विश्वास भी दरकने लगता है।
यह संयोग है कि तरुण तेजपाल मानवीय कमजोरियों और नैतिकता के उसी कठघरे में खड़े हैं, जिसे उन्होंने अपनी चर्चित किताब अल्केमी ऑफ डिजायर (हिंदी में 'शिखर की ढलान' नाम से प्रकाशित) के केंद्र में रखा था।

मंगलवार, 19 नवंबर 2013

एसयूसीआई के इस प्रदर्शन को समझें



प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय

कुछ बातें कहने की नहीं, समझने की होती है। सोमवार 18 नवम्बर 2013 को झारखंड की राजधानी राँची में एसयूसीआई के समर्थकों ने प्रदर्शन किया। चित्र को देखकर आप समझिये कि किसका और क्यों विरोध किया जा रहा है।

रविवार, 17 नवंबर 2013

जनप्रतिनिधियों, सांसदों और विधायकों का प्रवेश वर्जित है इस पुल पर




-काँग्रेस, भाजपा व जदयू ने ठगा  दरभंगा के बहादुरपुर के कमलपुर-ब्रह्मोत्तर घाट के लोगों को 



बिहार में जिला दरभंगा के बहादुरपुर के कमलपुर-ब्रह्मोत्तर घाट के लोगों को अपने गांव के लिए कमला नदी पर एक पुल की जरूरत थी। लोगों ने इसके लिए बहुत अर्जियां दीं, बहुत बार चुने हुए नेताओं को अपनी समस्या बताई, लेकिन न तो जनप्रतिनिधियों के कान पर जूं रेंगी और न ही प्रशासन ने इसकी बात सुनी। इसके बाद गांव के लोगों ने मिलकर खुद ही एक पुल बना लिया और उसके एंट्री प्वाइंट पर एक बैनर टांग दिया। बैनर पर लिखा है-- ''सेतु पर जनप्रतिनिधि, सांसद और विधायकों का प्रवेश वर्जित। निवेदक- ग्रामवासी, कमलपुर-ब्रह्मोत्तर।''
बिहार की नीतीश सरकार ने अपने पिछले 8 साल में इसे लेकर खूब ढोल पीटा है कि उन्होंने बिहार के बहुत से दूर-दराज के गांवों को पुल देकर दुनिया से जोड़ा है। बिहार स्टेट ब्रिज कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का दावा है कि बिहार में विभिन्न स्कीमों के जरिए 3878 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इतने पैसे खर्च होने के बाद भी यदि जिला दरभंगा के कमलपुर-ब्रह्मोत्तर घाट के लोगों को पुल नसीब नहीं हुआ तो इसे क्या कहा जाए?
बांस जोड़कर पुल बना---
बहादुरपुर में पड़ने वाले कमलपुर-ब्रह्मोत्तर घाट के लोगों ने बांस जोड़-जोड़कर एक पुल बनाया है। इस केवल पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल को आने-जाने की अनुमति है। बड़े वाहनों का बोझ यह पुल सहन नहीं कर पाएगा, इसलिए उनकी एंट्री नहीं है। ऐसे में लोगों के पास शहर से जुड़ने के लिए एक पुल है लेकिन भारी सामान को लाने ले जाने की किल्लत बरकरार है। इस पुल को बनाने की पहल की बालब्रह्मचारी बाबा लक्ष्मण दास ने। उनके साथ गांव के ही कुछ और लोग जुड़े। गांव से चंदा जुटाया गया और इसी साल सितंबर में बना दिया गया बांस का एक पुल। बाबा लक्ष्मण दास का कहना है कि यहां जन‍प्रनिधियों के प्रवेश को वर्जित किया गया है। जब तक यहां कंक्रीट का पुल‍ नहीं बन जाता, वे किसी भी नेता को गांव में घुसने नहीं देंगे। यही नहीं, लोगों का कहना है कि वे आने वाले सभी तरह के चुनावों का भी बहिष्कार करेंगे।
1985 में रखा गया था नींव का पत्थर---
गांव के लोगों का यह कदम एकाएक उठाया गया नहीं है। 1985 से लेकर अब तक पुल नहीं बन पाने के बाद गांव के लोगों ने ऐसा फैसला लिया। जी हां, इस पुल की नींव का पत्थर 1985 में तब के कांग्रेसी एमएलसी हरीशचंद्र झा ने रखा था। साल-दर-साल समय गुजरता गया पर नींव के पत्थर के ऊपर ईंट नहीं रखी गई। इसके बाद गांव के लोगों ने बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद के सामने अपील की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। फिर, लोग जेडीयू के बहादुरपुर के विधायक मदन साहनी के पास गए और निराश होकर लौटे।


झारखंड की दूसरी महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं न्यायमूर्ति आर. बानुमति


प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
झारखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. बानुमति को रांची में शनिवार 16 नवम्बर 2013 को शपथ दिलायी गयी। वह राज्य की 9वीं और दूसरी महिला मुख्य न्यायाधीश हैं। झारखंड के राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद ने राजभवन के बिरसा मंडप में न्यायमूर्ति आर. बानुमति को पद की शपथ दिलायी। शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर मुख्यमंत्र्ाी हेमंत सोरेन, विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता, मंत्र्ाी अन्नपूर्णा देवी, काँग्रेस सांसद सुबोधकांत सहाय के अलावा झारखंड उच्च न्यायालय के अधिकांश न्यायाधीशगण, न्यायिक पदाधिकारी और पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे। इससे पहले मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. बानुमति की नियुक्ति से संबंधित राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी वारंट को पढ़कर सुनाया। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश टाटिया 3 अगस्त 2013 को सेवानिवृत्त हो गये थे। उनकी जगह न्यायमूर्ति डीएन पटेल कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम देख रहे थे। न्यायमूर्ति आर. बानुमति को वर्ष 2003 में मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद की शपथ दिलायी गयी थी।
यहाँ चित्रों में देखिये झारखंड उच्च न्यायालय की नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. बानुमति को--















भारत के दैनिक समाचार पत्रों में छाये रहे सचिन रमेश तेन्दुलकर व सीएनआर राव

प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
शनिवार 16 नवम्बर 2013 को महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन रमेश तेंदुलकर ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर अपना 200वां टेस्ट खेलकर क्रिकेट से संन्यास लिया। वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन टीम इंडिया की जीत के साथ ही वह लम्हा आ गया जब करोड़ो फैन्स ने अपने महानायक को भारी मन से विदाई दी। इस लम्हे पर सचिन खुद भी जज्बाती हो गए और अपने आंसुओं को नहीं नहीं रोक पाए। क्रिकेट से संन्यास के कुछ देर बाद भारत सरकार ने नियमों में बदलाव कर सचिन को भारत रत्न से नवाजने का फैसला किया। भारत सरकार के इस फैसले पर ख़ुशी कि लहर दौड़ गई। देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न पाने वाले सचिन देश के पहले खिलाड़ी हैं। 24 साल के दौरान क्रिकेट में तेंदुलकर की महान उपलब्धियों के लिए भारत रत्न दिए जाने की घोषणा सरकार ने की है। प्रधानमंत्री कार्यालय से इस आशय के जारी आदेश के मुताबिक, सचिन तेंदुलकर के साथ मशहूर वैज्ञानिक प्रो. सीएनआर राव को भारत रत्न दिया जाएगा। 26 जनवरी 2014 को सचिन व प्रो.राव को ये सम्मान मिलेगा। प्रो.सीएनआर राव एक मशहूर वैज्ञानिक हैं और उनकी पहचान ठोस पदार्थ और पदार्थ रसायन में एक विशेषज्ञ के रूप में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रो. राव के 1400 रिसर्च पेपर और 45 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। सचिन ने भारत रत्न अपनी मां को समर्पित किया है। पिछले कई सालों से सचिन के लिए देश के सबसे बड़े सम्मान देने की मांग चल रही थी लेकिन सरकार इस पर फैसला नहीं ले पा रही थी। पिछले कुछ दिनों से सचिन की दीवानगी देखते ही बन रही थी। इसी का सम्मान करते हुए सरकार ने ये ऐलान किया!  सचिन ने भारत के खेल दूत के रूप में दुनिया में भारतीय अस्मिता को ऊँचा उठाया।

यहाँ चित्रों में देखिये कि भारत के किस दैनिक समाचार पत्र ने अपने 17 नवम्बर 2013 के अंक में सचिन रमेश तेंदुलकर व सीएनआर राव को किस प्रकार कवरेज दिया--











राष्ट्रीय सहारा


शनिवार, 16 नवंबर 2013

देश के 2 रत्नों सचिन तेंदुलकर व सीएनआर राव को भारत रत्न



-शीतांशु कुमार सहाय
आज शनिवार 16 नवम्बर 2013 को महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन रमेश तेंदुलकर ने वानखेड़े स्टेडियम पर अपना 200वां टेस्ट खेलकर क्रिकेट से संन्यास लिया है। क्रिकेट से संन्यास के बाद भारत सरकार ने नियमों में बदलाव कर सचिन को भारत रत्न से नवाजने का फैसला किया है। भारत सरकार के इस फैसले पर ख़ुशी कि लहर दौड़ गई। देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न पाने वाले सचिन देश के पहले खिलाड़ी हैं। 24 साल के दौरान क्रिकेट में तेंदुलकर की महान उपलब्धियों के लिए भारत रत्न दिए जाने की घोषणा सरकार ने की है। प्रधानमंत्री कार्यालय से इस आशय के जारी आदेश के मुताबिक, सचिन तेंदुलकर के साथ मशहूर वैज्ञानिक प्रो. सीएनआर राव को भारत रत्न दिया जाएगा। 26 जनवरी 2014 को सचिन व प्रो.राव को ये सम्मान मिलेगा। सचिन ने भारत रत्न अपनी मां को समर्पित किया है। पिछले कई सालों से सचिन के लिए देश के सबसे बड़े सम्मान देने की मांग चल रही थी लेकिन सरकार इस पर फैसला नहीं ले पा रही थी। पिछले कुछ दिनों से सचिन की दीवानगी देखते ही बन रही थी। इसी का सम्मान करते हुए सरकार ने ये ऐलान किया!  सचिन ने भारत के खेल दूत के रूप में दुनिया में भारतीय अस्मिता को ऊँचा उठाया।

मशहूर गायिका लता मंगेशकर से भारत रत्न वापसी की मांग करने वाली काँग्रेस क्या कभी सचिन तेन्दुलकर से भी भारत रत्न देने के बाद वापस लेने की माँग रखेगी?
1400 रिसर्च पेपर और 45 किताबें---
प्रो.सीएनआर राव एक मशहूर वैज्ञानिक हैं और उनकी पहचान ठोस पदार्थ और पदार्थ रसायन में एक विशेषज्ञ के रूप में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रो. राव के 1400 रिसर्च पेपर और 45 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भी भारत रत्न देने कि मांग---

भाजपा ने सचिन को भारत रत्न देने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भी भारत रत्न देने कि मांग की।

मंगलवार, 12 नवंबर 2013

हर शिकायत की दर्ज करनी होगी एफआईआर : सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की अध्‍यक्षता वाली 5 सदस्‍यीय संवैधानिक पीठ ने कहा है कि संगीन अपराधों में एफआईआर दर्ज करने के लिए के लिए पुलिस अधिकारी को मामले की शुरुआती जांच करने की जरुरत नहीं है। संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा न्यायाधीश बीएस चौहान, न्यायाधीश रंजन पी देसाई, न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश एसए बोब्दे भी शामिल थे। संवैधानिक पीठ ने कहा कि एफआईआर को लेकर कानून में कोई अस्पष्टता नहीं है और कानून की मंशा संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य एफआईआर दर्ज कराने की है। सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर पर बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा है----

1. संगीन अपराधों के मामले में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य है। 
2. अगर पुलिस अधिकारी के पास कोई शिकायत आती है और मामला संज्ञेय अपराध से जुड़ा तो बिना शुरुआती जांच के ही एफआईआर दर्ज करना होगा।  
3. पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से बच नहीं सकते और संज्ञेय मामले की शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। 
4. मामलों की शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और जिम्‍मेदार पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 
5. एफआईआर दर्ज करने के एक हफ्ते के भीतर पुलिस अधिकारी को जांच पूरी करनी होगी। कोई भी पुलिस कर्मी ज्‍यादा समय तक मामले की जांच को नहीं लटका सकता है।
6. कई बार ऐसा लगता है कि शिकायत में लगाए गए आरोप झूठे हैं। ऐसे मामले में गिरफ्तारी भले ही न हो, लेकिन एफआईआर दर्ज करना जरूरी है।  

संवैधानिक पीठ ने तीन जजों की बेंच द्बारा मामले को बड़ी बेंच के पास भेजे जाने के बाद यह फैसला दिया गया है। तीन जजों की पीठ ने इस आधार पर मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा था कि इस मुद्दे पर विरोधाभासी फैसले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल में कई फैसलों के दौरान ये बात कही है। उन्‍होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार पुलिस किसी भी व्‍यक्ति की एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती है लेकिन फिर भी पुलिस मामला दर्ज करने से इनकार कर देती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से पुलिस के रवैये में कुछ सुधार होगा क्‍योंकि जो पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है।

रविवार, 10 नवंबर 2013

गोवा में नरेन्द्र मोदी, राहुल गाँधी व मनमोहन सिंह पर गुस्साये चिदम्बरम



प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 10 नवम्बर 2013 (रविवार) को स्वीकार किया कि नरेंद्र मोदी को कांग्रेस पार्टी चुनौती देने वाले नेता के तौर पर देखती है। चिदंबरम ने गोवा गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित थिंकफेस्ट समारोह में एक परिचर्चा के दौरान कहा कि राजनीतिक दल के तौर पर हम मानते हैं कि मोदी चुनौती पैदा करने वाले हैं। हम उनकी अनदेखी नहीं कर सकते। वह मुख्य विपक्षी दल के उम्मीदवार हैं। हमें उन्हें ध्यान में रखना होगा। उन्‍होंने कहा कि वह मोदी की विचारधारा, सोच और जनसभाओं में उनके द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली भाषा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक नरेंद्र मोदी बहुत ही अस्पष्ट हैं। अभी तक उन्होंने किसी बड़े मुद्दे पर बात नहीं रखी है। उन्होंने केवल चुनावी वायदे किए हैं। हालांकि केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि एक व्यक्ति के तौर पर वह मोदी की विचारधारा, सोच और जनसभाओं में उनके द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली भाषा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक वह (मोदी) बहुत ही अस्पष्ट हैं। अभी तक उन्होंने किसी बड़े मुद्दे पर बात नहीं रखी है। उन्होंने केवल चुनावी वायदे किये हैं।
कांग्रेस सत्ता में आती है तो राहुल गांधी को पार्टी और सरकार का नेतृत्व---
चिदंबरम के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को लगता है कि यदि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सत्ता में आती है तो राहुल गांधी को पार्टी और सरकार का नेतृत्व मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता ऐसा सोचते हुए लग रहे हैं कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो राहुल गांधी को पार्टी और सरकार का नेता बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक मेरी निजी राय है तो मुझे लगता है कि अब कमान युवा पीढ़ी के हाथ में सौंपने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा कि देश में अनेक युवक और युवतियां हैं जो सरकार में भूमिका निभा सकते हैं और सुशासन प्रदान कर सकते हैं।
राहुल गांधी ने किसी बड़े मुद्दे पर बात नहीं रखी है---
चिदंबरम ने गोवा में आयोजित थिंकफेस्ट समारोह में एक परिचर्चा के दौरान कहा कि राहुल गांधी अनेक जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं, लेकिन यदि मैं उन्हें सलाह देता तो उन्हें रैलियों में अनेक बड़े मुद्दों पर अपनी राय रखने का सुझाव देता।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपेक्षा से कम बोलते हैं---
जब चिदंबरम से पूछा गया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के नेता बड़े मुद्दों पर विचार क्यों नहीं रख रहे तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्रोताओं को संबोधित करते हैं और संवाददाता सम्मेलनों में बोलते हैं। हालांकि जितनी मैं उनसे अपेक्षा रखता हूं, उतना नहीं। चिदंबरम ने कहा कि वह क्या बोलते हैं, आप उससे सहमत या असहमत हो सकते हैं, लेकिन वह बोलते जरूर हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गांव आज पाकिस्‍तान में है, यह भूगोल किसने बदला : नरेंद्र मोदी

प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
10 नवम्बर 2013 को गुजरात के खेड़ा जिले में मुस्लिम ट्रस्‍ट के अस्‍पताल 'रिलायबल मल्‍टी स्‍पेशिलिटी हॉस्पिटल' के उद्धाटन के मौके पर मोदी ने मनमोहन सिंह के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि एक परिवार की भक्ति में लीन कांग्रेस ने भारत के इतिहास को खोखला कर दिया है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी ने 10 नवम्बर 2013 (रविवार) को गुजरात के खेड़ा जिले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। मोदी ने कहा- प्रधानमंत्रीजी ! जिस गांव में आपका जन्‍म हुआ था, कभी वह हिंदुस्‍तान था, लेकिन आज वह हिंदुस्‍तान में नहीं है। यह भूगोल किसने बदला, देश का बंटवारा किसने कराया ? चीन सैकड़ों किलोमीटर तक हमारी सीमा में घुस आया है और आप चुप हैं, यह भूगोल किसने बदला ? प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 9 नवम्बर 2013 को को भाजपा पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
कांग्रेस इतिहास के साथ खिलवाड़ कर रही है---
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार ने कहा कि कांग्रेस देश का भूगोल बदल रही है और इतिहास के साथ खिलवाड़ कर रही है।
दूसरों की सेवा करना गुजरात के डीएनए में---
अस्‍पताल के उद्धाटन के मौके पर मोदी ने कहा कि आज गुजरात को बदनाम करने की साजिश हो रही है, लेकिन गुजरात दान के क्षेत्र में सबसे आगे है। फिर चाहे वह रक्‍तदान की बात हो या अंग दान, इन सभी सेवा के कार्यों में गुजरात देश में सबसे आगे है। दूसरों की सेवा करना गुजरात के डीएनए में है। उन्‍होंने कहा कि आज दुनियाभर में हेल्‍थ इंश्‍योरेंस की बात हो रही है, लेकिन हम हेल्‍थ एश्‍योरेंस की बात करते हैं। मोदी ने कहा कि हमने गुजरात में स्‍वच्‍छ पानी, स्‍वच्‍छ हवा और आधुनिक मेडिकल सुविधाएं उपलब्‍ध कराई हैं। देश में सबके लिए सस्‍ता इलाज होना चाहिए। मोदी ने कहा कि गुजरात में लंबे समय से कोई महामारी नहीं हुई है।
नेहरू-इंदिरा को जीवित रहते और पटेल को मृत्‍यु के 45 बाद भारत रत्‍न--- 
सरदार पटेल को उनकी मृत्‍यु के 45 बाद भारत रत्‍न दिया गया। डॉक्‍टर बाबा साहेब अंबेडकर को उनके निधन के 35 साल बाद भारत रत्‍न दिया गया जबकि जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी को उनके जीवित रहते ही भारत रत्‍न दिया गया। राजीव गांधी को उनकी मौत के तुंरत बाद भारत रत्‍न दिया गया और डॉक्‍टर अबुल कलाम आजाद को याद तक नहीं किया जाता।  मोदी ने कांग्रेस से पूछा कि 1857 की क्रांति को आज भी किताबों में बगावत क्‍यों कहा जाता है।
महात्मा गांधी के दांडी मार्च का मार्ग बदलवाने का आरोप---
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार मोदी ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी के दांडी मार्च का मार्ग बदलवाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा,'महात्मा गांधी ने 1930 में साबरमती आश्रम से दांडी तक की यात्रा की थी। पीएम ने साबरमती से दांडी के मार्ग को हेरिटेज रोड बनाने की घोषणा की थी। पैसा देने का ऐलान किया था, लेकिन पैसा नहीं मिला। छह महीने पहले केंद्र सरकार ने चिट्ठी भेजी कि गांधी जिस रास्ते से चले थे, उसे हेरिटेज बनाने के बजाय रास्ते को 30 किलोमीटर थोड़ा दूसरे तरफ ले जाएं तो सुविधा रहेगी। महात्मा गांधी की दांडी यात्रा का भूगोल कौन बदल रहा है? आपने गांधी को छोड़ दिया और अब गांधी के मार्ग को भी बदल रहे हो। भूगोल आप बदल रहे हैं और छत्तीसगढ़ में जाकर भूगोल और इतिहास का पाठ पढ़ा रहे हैं।'
1857 का स्वतंत्रता संग्राम को बगावत कहा जा रहा है---
मोदी ने सरकार पर गांधी परिवार के लिए देश के इतिहास को बदलने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, '1857 का स्वतंत्रता संग्राम हिंदू-मुस्लिमों ने साथ मिलकर लड़ा था। यह आपकी सरकार है कि आप उसे स्वतंत्रता संग्राम कहने को तैयार नहीं है। पाठ्य पुस्तकों में उसे बगावत कहा जा रहा है। यह इतिहास के साथ खिलवाड़ है।'
अंडमान-निकोबार के शहीदों की उपेक्षा---
नरेंद्र मोदी ने सरकार पर अंडमान-निकोबार में जेल काटने वाले देशभक्तों की उपेक्षा का आरोप भी लगाया। मोदी ने कहा,'अंडमान-निकोबार में जेल काटने वाले देशभक्तों को एक आदमी की वजह से नई पीढ़ी तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा है। आपकी सरकार के मंत्री अंडमान-निकोबार गए और वहां शहीदों के नाम का बोर्ड उखाड़ कर फेंक दिया। देश के लिए मरने वालों के साथ यह आपकी सरकार का व्यवहार है।'
बड़ी-बड़ी बातों को कोई स्वीकार नहीं करता---
नरेंद्र मोदी ने मनमोहन के भाषण में 'ऊंचे-ऊंचे मंचों से ऊंची-ऊंची बातें करने से सफलता नहीं मिलती' वाली बात पर भी निशाना साधा। मोदी ने कहा 'प्रधानमंत्री जी मैं आपकी इस बात से 100 पर्सेंट सहमत हूं। ऊंचे-ऊंचे मंच से बातें करने पर सफलता नहीं मिलती। इसका सबूत है 2012 का गुजरात का चुनाव। बड़ी-बड़ी बातें करने वालों को जनता ने घर भेज दिया और जो जमीन से जुड़ी बातें करने वाले थे, उन्हें तीसरी बार सत्ता पर बिठा दिया। बड़ी-बड़ी बातों को कोई स्वीकार नहीं करता है।'
श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल-बाल-पाल, अबुल की उपेक्षा---
नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस सरकारों पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की उपेक्षा का आरोप लगाया। मोदी ने कहा कि मुखर्जी की अस्थियां 1930 में उनके निधन के बाद 73 साल तक जीनिवा में पड़ी रहीं। 2003 में मैं जीनिवा गया और मुखर्जी की अस्थियों को लेकर आया और कच्छ के उनके गांव ले गया।' मोदी ने कांग्रेस पर लाल-बाल-पाल, अबुल कलाम आजाद को भी भुलाने का आरोप लगाया।

मोदी ने गुजरात के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बीच अंतर नहीं समझ पाए। गुजरात के खेड़ा जिले में एक कार्यक्रम के दौरान मोदी ने कहा, 'श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक क्रांतिकारी थे। लंदन में 1930 में उनका निधन हो गया। लेकिन कांग्रेस ने कभी उनकी अस्थियां भारत लाने की कोशिश नहीं की।' हालांकि, अपने भाषण के अंत में मोदी ने याद दिलाए जाने के बाद अपनी बात में सुधार कर लिया कि वे श्यामजी कृष्ण वर्मा के बारे में सोच रहे थे न कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में। इससे बीजेपी की चिंता बढ़ गई है कि अगर मोदी ने अपनी शैली में सुधार नहीं किया तो उनकी गंभीरता सवालों के घेरे में आ सकती है। मोदी की ताज़ा गलती पर बीजेपी की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा, 'श्यामा प्रसाद मुखर्जी और श्यामजी वर्मा के मामले में जुबान फिसल गई, जिसे सुधार लिया गया गया। लेकिन सुधार की बात मीडिया ने नजरअंदाज कर दी।'




शनिवार, 2 नवंबर 2013

आयी दीपावली : जलाइये प्यार का दीया





-शीतांशु कुमार सहाय
दिन गिनते-गिनते फिर बीत ही गये 365 दिन।  उड़ान की बात तो दूर, सोच ने पर फड़फड़ाये भी नहीं और पुनः आ गयी दीपावली। क्या-क्या सोचा था मगर कुछ हुआ नहीं! कुछ हुए भी तो आधे-अधूरे! कुछ तो सोच की परिधि से बाहर आ भी न सके! कुछ हसरतें तो सोच की धरातल पर भी नहीं आये! यदि आपके साथ ऐसा हुआ है तो यकीन मानिये कि आपके हाथ से सफलताएँ लगातार फिसल रही हैं। जब असफलताएँ हाथ लगती रहेंगी तो तमाम पर्व-त्योहारों का मजा आता नहीं, मजा किरकिरा हो जाता है। किरकिराते मजे का समूल बदलने की शक्ति वास्तव में मनुष्य के हाथों में है। बस, करना यही है कि दिल से प्यार का एक दीया जलाना है। इसके उजियारे में उन हसरतों के सिलसिले को सजाना है; ताकि उस फेहरिश्त पर नजर पड़ते ही याद ताजा हो जाये। ऐसा करने से तमाम हसरतें नतीजे के मुकाम तक अवश्य ही पहुँचेंगी।

दीपावली कब से और क्यों मनायी जाती है, इस बिन्दु पर मतैक्य नहीं है। उस मतभिन्नता में पड़ने के बदले कीजिये वही जो आपको अच्छा लगता है। जरूरी नहीं कि जो एक को पसन्द है वही दूसरे को भी पसन्द हो। लिहाजा अपनाइये वही जिससे औरों को हानि न हो। निश्चय ही वही कार्य सराहनीय है जिसे समाज भी सराहे, जिससे किसी का दिल न दुखाये। पर, अफसोस यही है कि इन दिनों वही ज्यादा हो रहा है जिसे अधिकतर लोग पसन्द नहीं करते हैं। समाज के कथित अगुआ व्यक्ति उन कार्यों को अंजाम दे रहे हैं जो हर किनारे से आलोचित होते हैं, निन्दित होते हैं। यहाँ किसी का नाम लेना उचित नहीं है। पर, इतना तो कहना ही पड़ेगा कि लोकतन्त्र में तन्त्र से जुड़े अधिकतर लोग वही कर रहे हैं जो लोक यानी जनता को पसन्द नहीं, उनके कार्यों से लोकोपकार कम, लोकापकार अधिक हो रहा है। हम यहाँ तन्त्र से नहीं, लोक से मुखातिब हैं कि करें वही जो लोकोपकारी हो। चूँकि वर्तमान दौर पूर्णतः व्यावसायिक है, लिहाजा हर क्षेत्र को व्यवसाय से जोड़कर देखा जाता है। इस व्यावसायिक नजरिये का अपवाद पर्व-त्योहार भी नहीं हैं। दीपावली को भी व्यवसायियों ने अपने हित में उपयोग किया है, परम्परा में व्यावसायिकता को जोड़ दिया है। तभी तो दीपावली के पावन अवसर पर पटाखे छोड़ने की प्रदूषणयुक्त परम्परा को शामिल किया है। यदि समुद्र मन्थन में लक्ष्मी प्रकट हुईं तो दीप जलाकर देवों द्वारा उनके स्वागत की बातें ग्रन्थों में मिलती हैं मगर पटाखे छोड़ने की कला का प्रदर्शन देवताओं ने नहीं किया था। अगर भगवान राम से दीपावली को जोड़ें तो उनके वनवास से लौटने पर अयोध्यावासियों के दीपोत्सव के बीच कहीं विस्फोट की बातों का जिक्र नहीं मिलता। तेज पटाखों को छोड़ने से पूर्व आस-पड़ोस के किसी हृदय रोगी या किसी अन्य बीमार की राय ले लें। इसी तरह कम आवाज वाले पटाखों में आग लगाने से पूर्व किसी बच्चे से पूछें। दोनों स्थितियों में पता यही चलता है कि आपका व्यवहार उनके लिए क्षतिकारक है।

दरअसल, दीपावली को कई नजरिये से देखा जाता है। सबके नजरिये पृथक हो सकते हैं। यदि जेब गर्म हो तो वर्ष में एक दिन नहीं पूरे वर्ष की हर रात दीपावली व हर दिन होली ही है। पर, उस देश में जहाँ की एक-चौथाई आबादी को दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पाता, वहाँ रुपये में आग लगाना उन दुखियों का मखौल उड़ाना ही तो है। जरूरी नहीं कि 100 दीये ही जलाएँ, एक ही दीया जलाइये, पूरे मन से, दिल से और पूरे वर्ष वैसों के साथ प्यार का दीया जलाइये जो आपके खर्च की सीमा का कभी अन्दाज भी नहीं लगा पाते। प्यार का एक दीया केवल घर को ही नहीं, समाज को रौशन करेगा!

दर्द बांटने पटना आया हूं: नरेंद्र मोदी: AAJ TAK: Video/ प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय

दर्द बांटने पटना आया हूं: नरेंद्र मोदी: AAJ TAK: Video
प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय