रविवार, 30 नवंबर 2014

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्मार्ट पुलिस / SMART POLICE CONCEPT BY PRIME MINISTER NARENDRA MODI

सभा को सम्बोधित करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

शीतांशु कुमार सहाय।

SMART POLICE (स्मार्ट पुलिस)---

S- Strict और Sensitive--- कठोर लेकिन संवेदनशील
M- Moral और Mobility--- आधुनिक एवं सचल 
A- Alert और Accountable--- सतर्क और जवाबदेह
R- Reliable और Responsible--- विश्वसनीय एवं प्रतिक्रियावादी 
T- Tech savvy और Trained--- प्रौद्योगिकी का जानकार और दक्ष 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुवाहाटी में सुरक्षा पर अहम बैठक में पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और खुफिया विभागों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए कहा कि स्मार्ट पुलिस बेड़े का कॉन्सेप्ट मेरे दिमाग में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि SMART पुलिस के लिए हमें पांच बिंदुओं पर आगे बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री ने स्मार्ट (SMART एसएमएआरटी)  पुलिस की व्याख्या करते हुए कहा कि S का मतलब है Strict और Sensitive, M- Moral और Mobility भी हो, A-Alert हो, Accountable भी हो, R- Reliable हो, Responsible भी हो, T- Tech savvy हो और Trained भी हो। उन्होंने कहा कि पुलिस बल को बेहतर पुलिसिंग सुनिश्चित करने के लिए इन मूल्यों को समाहित करना चाहिए, जिससे उसे अपनी छवि और कार्य संस्कति में सुधार लाने में मदद मिलेगी। इस बार दिल्ली से इतर गुवाहाटी में इस बैठक का आयोजन इसलिए किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम चाहेंगे कि दिल्ली के बाहर ऐसे कार्यक्रम आयोजित हों। यह एक बदलाव है।
-शस्त्र भी हो, शस्त्रधारी भी हो
प्रधानमंत्री ने कहा कि शस्त्र भी हो, शस्त्रधारी भी हो लेकिन राष्ट्र की रक्षा के लिए उत्तम गुप्तचर व्यवस्था जरूरी है। चाणक्य के समय से पढ़ते आए हैं कि शस्त्र से ज्यादा शस्त्रधारी की सामर्थ्य पर निर्भर करता है। राष्ट्र रक्षा गुप्तचर व्यवस्था से भी चलती है। सर्वाधिक अहम इकाई ही रक्षा तंत्र है। व्यवस्था में प्राण होना जरूरी है।
-शहीद पुलिसकर्मी पर हो ई-बुक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब तक 33 हजार पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं, उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। समाज में उन बलिदानों के प्रति सम्मान बढ़ना चाहिए लेकिन उसके प्रति उदासीनता है। हम चाहते हैं कि ये बलिदान हमारी प्रेरणा की वजह बनें। शहीद के अंतिम संस्कार तक का अंक प्रोटोकॉल बनना चाहिए। हर पुलिस ट्रेनिंग में एक किताब उस राज्य के शहीदों पर हो सकता है क्या, जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी जुड़ता जाएगा। क्या हम ये तय कर सकते हैं कि इन तमाम बलिदानों पर एक ई-बुक हो। प्रकरण छोटा होगा, लेकिन प्रेरणा अपरंपार होगी। मोदी ने कहा, ‘‘इसके अलावा, प्रत्येक राज्य में एक पुलिस अकादमी हो जहां नए रंगरूटों को प्रशिक्षण दिया जाए और उनके पाठ्यक्रम में, दायित्व निर्वाह के दौरान मारे गए पुलिस कर्मियों का जीवनवृतांत शामिल किया जाना अनिवार्य होना चाहिए।’’
उत्कृष्ट कार्य करनेवाले आरक्षी अधिकारी को पुरस्कृत करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, साथ में हैं गृह मंत्री राजनाथ सिंह

-पुलिस कल्याण
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस कल्याण एक और मुद्दा है जिसे महत्व दिए जाने की जरूरत है। पुलिस कल्याण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस बेड़े की जिंदगी सबसे ज्यादा तनाव भरी है, वे अपनी जिंदगी दांव पर लगाते हैं, उनके परिवार में सुख-शांति जरूरी है, वरना परिवार की बेचैनी उन्हें परेशान करेगी। सरकार का दायित्व है पुलिस वेलफेयर का। हम उसे वैज्ञानिक तरीके से विकसित करना चाहते हैं।
-फिल्मों में पुलिस की छवि ठीक नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र ने कहा कि अधिकांश फिल्मों में पुलिस की छवि ठीक नहीं दिखाई जाती है, यह अच्छी बात नहीं है। हमें इसे बदलना चाहिए। फिल्मकारों को समझाना चाहिए। लोगों की सोच बदली जा सकती है। पुलिस से जुड़ी नेगेटिव खबरें तो रहती हैं, लेकिन अच्छी चीजों का जिक्र नहीं होता।
-हर थाने की वेबसाइट हो
हर थाने की अपनी वेबसाइट होनी चाहिए, जिसमें उस इलाके में अपने द्वारा किए गए अच्छे कामों का जिक्र हो।

सोमवार, 24 नवंबर 2014

प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय (नालन्दा महाविहार) और इसकी मुहर / Ancient Nalanda University (Nalanda Mahavihar) and its Seal

इस मुहर की पहली पंक्ति में ‘श्री नालन्दा महा विहार’ लिखा हुआ है।


-शीतांशु कुमार सहाय
नालंदा विश्वविद्यालय विश्व का प्रथम पूर्णतः आवासीय विश्वविद्यालय था। विकसित स्थिति में इसमें विद्यार्थियों की संख्या करीब 10,000 एवं अध्यापकों की संख्या 2000 थी। सातवीं शती में जब ह्वेनसाङ आया था, उस समय 10,000 विद्यार्थी और 1510 आचार्य (अध्यापक) नालंदा विश्वविद्यालय में थे। इस विश्वविद्यालय में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फारस तथा तुर्की से भी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इस विश्वविद्यालय को 9वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमार गुप्त प्रथम ने 413 में की थी। 413 से 1193 यानी 780 साल तक पढ़ाई हुई। तब बौद्ध धर्म, दर्शन, चिकित्सा गणित, वास्तु, धातु और अंतरिक्ष विज्ञान की कक्षाएं थीं। इस विश्वविद्यालय को कुमार गुप्त के उत्तराधिकारियों का पूरा सहयोग मिला। गुप्त वंश के पतन के बाद भी आनेवाले सभी शासक वंशों ने इसकी समृद्धि में अपना योगदान जारी रखा। इसे महान सम्राट हर्षवर्द्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला। स्थानीय शासकों तथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही इसे अनेक विदेशी शासकों से भी अनुदान मिला। इस विश्वविद्यालय में 12वीं शताब्दी में करीब तीन हजार विद्यार्थी अध्ययन करते थे। नालंदा विश्वविद्यालय व्याकरण, तर्कशास्त्र, मानव शरीर रचना विज्ञान, शब्द ज्ञान, चित्रकला सहित अनेक विधाओं का अंतर्राष्ट्रीय केंद्र था। इतिहासकारों के मुताबिक, इस विश्वविद्यालय के सबसे प्रतिभाशाली भिक्षु दीपांकर को माना जाता है जिन्होंने करीब 200 पुस्तकों की रचना की थी। इस पर पहला आघात हुण शासक मिहिरकुल द्वारा किया गया। 1193 में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इसे जलाकर इसके अस्तित्व को पूर्णतः नष्ट कर दिया। 2006 में इसके पुनर्निर्माण की योजना बनी थी। 821 साल बाद फिर से नालंदा विश्वविद्यालय में इसी साल (2014) से दोबारा पढ़ाई शुरू हो चुकी है। प्राचीन विश्वविद्यालय के पास ही नए तरीके से नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। कक्षाएं अभी राजगीर में किराए के कन्वेंशन सेंटर में चल रही हैं। लगभग 242 एकड़ में नए विश्वविद्यालय के स्थायी भवन का काम चल रहा है जो 2021 तक पूरा होगा।

सोमवार, 17 नवंबर 2014

देवरहा बाबा का मंत्र / MANTRA BY DEORAHA BABA


     देवरहा बाबा परम् रामभक्त थे, देवरहा बाबा के मुख में सदा राम नाम का वास था, वो भक्तो को राम मंत्र की दीक्षा दिया करते थे। वो सदा सरयू के किनारे रहा करते थे। उनका कहना था---

"एक लकड़ी ह्रदय को मानो दूसर राम नाम पहिचानो
राम नाम नित उर पे मारो ब्रह्म दिखे संशय न जानो।''

     देवरहा बाबा जनसेवा तथा गोसेवा को सर्वोपरि-धर्म मानते थे तथा प्रत्येक दर्शनार्थी को लोगों की सेवा, गोमाता की रक्षा करने तथा भगवान की भक्ति में रत रहने की प्रेरणा देते थे। देवरहा बाबा श्री राम और श्री कृष्ण को एक मानते थे और भक्तो को कष्ट से मुक्ति के लिए कृष्ण मंत्र भी देते थे---

"ऊँ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणत: क्लेशनाशाय, गोविन्दाय नमो नम:।''

     बाबा कहते थे- "जीवन को पवित्र बनाए बिना, ईमानदारी, सात्विकता-सरसता के बिना भगवान की कृपा प्राप्त नहीं होती। अत: सबसे पहले अपने जीवन को शुद्ध-पवित्र बनाने का संकल्प लो। वे प्राय: गंगा या यमुना तट पर बनी घास-फूस की मचान पर रहकर साधना किया करते थे। दर्शनार्थ आने वाले भक्तजनों को वे सद्मार्ग पर चलते हुए अपना मानव जीवन सफल करने का आशीर्वाद देते थे। वे कहते, "इस भारतभूमि की दिव्यता का यह प्रमाण है कि इसमें भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण ने अवतार लिया है। यह देवभूमि है, इसकी सेवा, रक्षा तथा संवर्द्धन करना प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है।"  प्रयागराज में सन् १९८९ में महाकुंभ के पावन पर्व पर विश्व हिन्दू परिषद् के मंच से बाबा ने अपना पावन संदेश देते हुए कहा था- "दिव्यभूमि भारत की समृद्धि गोरक्षा, गोसेवा के बिना संभव नहीं होगी। गोहत्या का कलंक मिटाना अत्यावश्यक है।"

गुरुवार, 6 नवंबर 2014

सर्वेक्षण का सच : किशोर-किशोरियों के बहके कदम True of The Survey : Step Errant Teenagers



-शीतांशु कुमार सहाय
संस्कृतियों का देश है भारत। यह अपनी समृद्ध और पारंपरिक संस्कृति के कारण ही विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति में उम्र के हिसाब से नियम-कायदे बने हुए हैं। पर, अब उन तमाम कायदों को नयी पीढ़ी मानने को तैयार नहीं। विभिन्न संगठनों के सर्वेक्षणों में यह तथ्य सामने आया है कि भारत के किशोर व किशोरियों के चाल एकदम बिगड़ते जा रहे हैं। किशोर उम्र 12 से 18 वर्ष को मानी जाती है जो बेहतर जीवन की नींव का समय होता है। पर, इसी उम्र में लड़के-लड़कियों के पैर बहक रहे हैं, जो अत्यन्त ही घातक कल का सूचक है। भारत में एक समय था जब बच्‍चे 13 वर्ष की आयु में कदम रखते थे, तब उन्‍हें अखबार दिया जाता था, ताकि वो हर रोज़ संपादकीय पढ़ सकें। पिता खुद पुस्‍तकालय जाकर अपने बच्‍चों को सदस्‍यता दिलाते थे, जाकि उनका बच्‍चा अच्‍छी-अच्‍छी किताबें पढ़ सके। जो आगे पढ़ना नहीं जानते थे, उन्‍हें ट्रेनिंग कोर्स कराये जाते थे, ताकि वो आगे चलकर बेरोजगार न रहें। तब टीनेजर को कुछ ऐसे परिभाषित किया जाता था कि आंखों के सामने भविष्‍य के लिये गंभीर बच्‍चे की तस्‍वीर बन जाती थी। आज टीनेजर की परिभाषा पूरी तरह बदल चुकी है। नई परिभाषा कुछ यह है- 13 से 19 साल की आयु जिसमें बच्‍चे पढ़ाई करते हैं, इधर-उधर से पैसा कमाने की होड़ में लगे रहते हैं, चैटिंग, इंटरनेट ब्राउजिंग, एसएमएस, ट्विटर, फेसबुक, धूम्रपान, शराब, सेक्‍स और बहुत कुछ जिसके लिये ये भविष्‍य का इंतजार नहीं कर सकते। इन सब में जो सबसे गंभीर है, वो है इनका सेक्‍सुअली ऐक्टिव होना। यहाँ जानते हैं सर्वेक्षणों के सच!

1.) 100 में 25 लड़कियां सेक्‍सुअली एक्टिव--- भारतीय पीडिएट्रीशन एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार बड़े शहरों के बड़े स्‍कूलों में 100 में से 25 टीनेज लड़कियां सेक्‍सुअली एक्टिव रहती हैं। 10 प्रतिशत लड़के स्‍कूल में कम-से-कम एक बार कंडोम लेकर आये।
2.) पढ़ाई के अलावा खर्च होते हैं 10 घंटे--- भारतीय पीडिएट्रीशन एसोसिएशन के सर्वेक्षण के अनुसार भारत के टीनेजर्स दिन भर में 10 घंटे पढ़ाई के अलावा किसी अन्‍य चीजों में खर्च करते हैं। ये 10 घंटे इस प्रकार हैं- दो घंटे सोशल नेटवर्किंग साइट, 1.5 घंटे मोबाइल फोन पर बतियाने में, 2.5 घंटे टीवी पर, 1.5 घंटे कंप्‍यूटर गेम्‍स में, 3.5 घंटे अन्‍य कामकाज जैसे घर में किसी से बतियाने, भोजन करने व अन्‍य कार्यों में अपना समय देते हैं।
3.) 13 साल की उम्र से पहले पोर्न फिल्‍में--- इंडिया टुडे के सर्वेक्षण के अनुसार 5 में से एक टीनेजर 13 साल की उम्र से पहले पोर्न फिल्‍में, तस्‍वीरें या वीडियो देख चुके होते हैं। 15 प्रतिशत बच्‍चे स्‍कूल के टॉयलेट में यौन गतिविधियों को अंजाम देते हैं। 95 प्रतिशत टीनेजर्स शादी से पहले सेक्‍स को सही मानते हैं।
4.) 3 साल की उम्र में जानते हैं कंडोम व पिल्‍स--- इंडिया टुडे के सर्वे के अनुसार 98 प्रतिशत बच्‍चे 13 साल की उम्र तक यह जानते थे कि कंडोम क्‍या होता है और गर्भनिरोधक पिल्‍स का इस्‍तेमाल क्‍यों किया जाता है।
5.) स्‍मोकिंग का चलन--- ऐक्‍शन एड के सर्वेक्षण के अनुसार शहरी क्षेत्रों में टीनेजर्स में स्‍मोकिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। सर्वे के अनुसार भारत में धूम्रपान करने वाले टीनेजर्स 7 से 10 सिगरेट एक दिन में पी जाते हैं। स्‍मोकिंग करने वाले पांच में से एक टीनेजर 13 से 15 सिगरेट एक दिन में पी जाता है।
6.) उड़ान द्वारा किया गया सर्वे--- फिल्‍म उड़ान जो टीनेजर्स पर आधारित फिल्‍म है, उसे बनाने से पहले प्रोडक्‍शन कंपनी ने सर्वेमंकी और फेसबुक के माध्‍यम से ऑनलाइन सर्वे करवाया। यह सर्वे दिल्‍ली, मुंबई, अहमदाबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, चेन्‍नई, हैदराबाद और कोलकाता के 1000 से ज्‍यादा इंटरनेट यूजर्स पर किया गया। इस सर्वे में चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आये।
7.) अपनी समस्‍या को अपने माता-पिता से बताने में डर--- 3 में से एक बच्‍चा आज भी अपनी समस्‍या को अपने माता-पिता से बताने में डरता है। इस कारण वह तनाव में रहता है। तीन में से एक छात्र है, जो अपनी स्‍ट्रीम बदलना चाहते हैं। 10 में से एक टीनेजर अपने पिता से ज्‍यादा करीब है।
8.) ऑपोजिट सेक्‍स को किस--- 5 में से एक छात्र 16 साल का होने से पहले धूम्रपान कर चुका होता है। 2 में से एक टीनेजर 16 साल का होने से पहले बाइक या कार चला चुका होता है। 50 प्रतिशत टीनेजर अपने ऑपोजिट सेक्‍स के किसी न किसी व्‍यक्ति को एक न एक बार किस कर चुके थे। तीन में से एक छात्र 13 का होने से पहले पोर्न मूवी देख चुका होता है।
9.) पोर्न मूवी--- 3 में से एक बच्‍चा 16 साल का होने से पहले पोर्न मूवी देख चुका होता है। 5 में से एक छात्र स्‍कूल के टॉयलेट में गलत काम कर चुके होते हैं।
10.) छोटे शहरों में टीनेजर्स--- इंडिया टुडे के सर्वे के अनुसार छोटे शहरों में 12 से 21 साल की उम्र के बच्‍चों में 21 प्रतिशत टीनेजर्स 13 से 16 साल की उम्र में सेक्‍स कर चुके होते हैं। वहीं मेट्रो शहरों में यह संख्‍या 13 प्रतिशत है। छोटे शहरों की टीनेजर लड़कियों में भी 13 से 19 साल की 42 प्रतिशत लड़कियां एक सप्‍ताह में दो से तीन बार सेक्‍स कर चुकी होती हैं।
11.) 70 प्रतिशत पुरुष चाहते हैं वर्जिन--- इंडिया टुडे के सर्वे के अनुसार छोटे शहरों व गांवों के 70 प्रतिशत पुरुष चाहते हैं कि उनकी पत्‍नी शादी के पहले तक वर्जिन रहे।
12.) टीवी से प्रेरित टीनेजर--- चंद्रशेखर आजाद विश्‍वविद्यालय कानपुर द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में पता चला कि टीवी के जरिये टीनेजर्स ने सेफ सेक्‍स के बारे में जानकारी प्राप्‍त की और वे यौन संक्रमित रोगों से बचने के उपाये जानते हैं।
13.) सेक्‍स एजुकेशन--- चंद्रशेखर आजाद विश्‍वविद्यालय कानपुर द्वारा कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार 71.7 प्रतिशत लड़कियां और 62.5 लड़के सेक्‍स एजुकेशन पर आधारित टीवी कार्यक्रमों व विज्ञापनों के माध्‍यम से सेक्‍सुअल हेल्‍थ के प्रति जागरूक हुए।
14.) सेक्‍स के बारे में ज्ञान--- 14 से 24 साल के टीनेजर्स पर चंद्रशेखर आजाद विश्‍वविद्यालय कानपुर द्वारा कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार 75 प्रतिशत लड़के सेक्‍स के बारे में ज्ञान प्राप्‍त करना चाहते हैं। वहीं 48.3 प्रतिशत लड़के यौन संक्रमित बीमारियों व कंडोम के इस्‍तेमाल के बारे में अच्‍छी तरह जानते हैं।
15.) विश्‍वविद्यालय सर्वेक्षण--- विश्‍वविद्यालय के सर्वेक्षण के अनुसार 59.2 प्रतिशत लड़के और 50.8 प्रतिशत लड़कियां एड्स के प्रति जागरूक कार्यक्रमों से प्रभावित हुए।
16.) इंटरनेट पर सेक्‍स शब्‍द--- आजाद विश्‍वविद्यालय के सर्वेक्षण में पाया गया कि 99 प्रतिशत टीनेजर्स लड़के इंटरनेट पर सेक्‍स शब्‍द दिन में कम से कम एक बार जरूर खोजते हैं। वहीं 46 प्रतिशत लड़कियां अकेले में इंटरनेट पर सेक्‍स शब्‍द खोजती हैं।
17.) चैटिंग पर सेक्‍स की बातें--- चंद्रशेखर आजाद विश्‍वविद्यालय के इस सर्वेक्षण के अनुसार 88.3 प्रतिशत लड़के और 68.3 प्रतिशत लड़कियां चैटिंग पर सेक्‍स की बातें डिसकस करना पसंद करते हैं।
18.) चैटिंग के दौरान अपनी यौन इच्‍छा--- भारतीय टीनेजर्स पर किये गये आजाद विवि के सर्वेक्षण के अनुसार 35.8 प्रतिशत लड़के और 33.3 लड़कियां चैटिंग के दौरान अपनी यौन इच्‍छाओं को खुलकर रख देते हैं।
19.) पोर्न या सेमी पोर्न मूवी--- इंटरनेट ऐक्‍सेस प्राप्‍त टीनेजर्स पर सर्वे के अनुसार 90 प्रतिशत लड़के और 75.8 प्रतिशत लड़कियां यौन इच्‍छाओं के दमन के लिये पोर्न या सेमी पोर्न मूवी या वीडियो देखना पसंद करते हैं। वहीं 77.5 प्रतिशत लड़के और 50 प्रतिशत लड़कियां तस्‍वीरें देखना पसंद करती हैं।
20.) यौन इच्‍छाएं जागृत--- मिसूरी विश्‍वविद्यालय के एक अध्‍ययन के अनुसार 48 प्रतिशत टीनेजर्स टीवी और फिल्‍मों से प्रेरित होने पर उनके अंदर यौन इच्‍छाएं जागृत होती हैं।
21.) मैथुन के रहस्‍य--- टाइम मैगजीन के सर्वेक्षण के अनुसार जो लड़के मैथुन करते हैं, उनमें से 52 प्रतिशत ने कहा कि वो हफ्ते में कम से कम दो बार मैथुन करते हैं। वहीं 23 प्रतिशत लड़कियों ने कहा कि हफ्ते में दो बार मैथुन करती हैं। और 46 प्रतिशत लड़कियों ने कहा साल में कभी-कभी ऐसा करती हैं।
22.) हफ्ते में दो बार मैथुन--- टाइम मैगजीन के सर्वेक्षण के अनुसार जो लड़के मैथुन करते हैं, उनमें से 52 प्रतिशत ने कहा कि वो हफ्ते में कम से कम दो बार मैथुन करते हैं। वहीं 23 प्रतिशत लड़कियों ने कहा कि हफ्ते में दो बार मैथुन करती हैं। और 46 प्रतिशत लड़कियों ने कहा साल में कभी-कभी ऐसा करती हैं।
23.) अमेरिका के टीनेजर्स का हाल--- यूएस हाईस्‍कूल छात्रों पर 2011 में हुए सर्वे के अनुसार वहां 47.4 प्रतिशत टीनेजर्स 13 से 19 साल की उम्र में ही संभोग कर चुके होते हैं।
24.) कंडोम का प्रयोग नहीं--- अमेरिकी सर्वे के अनुसार 39.8% लड़कों ने कंडोम का प्रयोग नहीं किया। वहीं 76.7 प्रतिशत लड़कियों ने बर्थ कंट्रोल पिल्‍स का प्रयोग उचित नहीं समझा।
25.) यौन संबंध--- अमेरिकी सरकार ने अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर हेल्‍थ स्‍टेटिक्‍स के तत्‍वावधान में 40 राज्‍यों में 13 से 24 साल की आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों पर सर्वे कराया। सर्वे के अनुसार वहां के 15.3 प्रतिशत टीनेजर्स चार या चार से अधिक लोगों के साथ यौन संबंध स्‍थापित कर चुके होते हैं।
26.) लड़कियां गर्भवती--- अमेरिका में 2009 में 4 लाख से ज्‍यादा टीनेजर लड़कियां गर्भवती हुईं। इनकी उम्र 15 से 19 साल के बीच थी।
27.) टीन एज में कभी सेक्‍स नहीं किया--- अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर हेल्‍थ स्‍टेटिक्‍स की रिपोट्र के अनुसार 27 प्रतिशत टीनेजर लड़के और 29 फीसदी टीनेजर लड़कियों ने कहा कि उन्‍होंने टीन एज में कभी सेक्‍स नहीं किया।
28.) 15 से 19 साल की आयु में--- 15 से 19 साल की आयु में 58 प्रतिशत लड़कियों और 53 प्रतिशत लड़कों ने कहा कि उन्‍होंने कभी सेक्‍स नहीं किया। वहीं 48.6 लड़कियां और 46.1 लड़के बोले कि किसी न किसी प्रकार से वो यौन गतिविधियों में शामिल रहे। वहीं 20 से 24 साल में 12 प्रतिशत लड़कियों और 13 प्रतिशत लड़कों ने कहा कि उन्‍होंने कभी सेक्‍स नहीं किया।
29.) सिर्फ एक पार्टनर--- नेशनल सर्वे ऑफ फेमिली ग्रोथ के तत्‍वावधान में 2011 में अमेरिका की संस्‍था एनसीएचएस ने 4600 किशोर-किशोरियों पर सर्वे कराया, जिसमें पाया गया कि 15 से 19 साल की आयु में 40 प्रतिशत टीनेजर्स ने कहा कि एक साल में कम से कम एक बार उन्‍होंने सेक्‍स किया। 35 प्रतिशत लड़कियों और 30 प्रतिशत लड़कों ने कहा कि उनका सिर्फ एक पार्टनर है।
30.) एक से ज्‍यादा सेक्‍स पार्टनर--- एनसीएचएस की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के इस सर्वे में पाया गया कि 17 प्रतिशत लड़कियों और 22 प्रतिशत लड़कों के 6 व उससे ज्‍यादा सेक्‍स पार्टनर थे।
31.) एक बार कंडोम का इस्‍तेमाल किया--- 2006 से 2010 के बीच कराये गये अमेरिकी सर्वे के अनुसार 96 प्रतिशत टीनेजर्स ने कम से कम एक बार कंडोम का इस्‍तेमाल किया। वहीं 57 प्रतिशत जब कंडोम नहीं इस्‍तेमाल करते, तब स्‍खलित होने से पहले अलग हो जाते, वहीं 56 प्रतिशत गर्भधारण रोकने के लिये पिल का इस्‍तेमाल करते।
32.) माता-पिता से दूर यानी सेक्‍स--- सर्वे में पाया गया कि 35 प्रतिशत लड़कियां सेक्‍स में इनवॉल्‍व हुईं, जो अपने माता-पिता के साथ नहीं रहती थीं। वहीं अन्‍य किसी अभिभावक के साथ रहने वाली लड़कियों में 54 प्रतिशत सेक्‍स कर चुकी थीं।
33.) प्रेगनेंसी से बचने के लिये क्‍या किया--- 99 प्रतिशत लड़कियों ने कहा कि उन्‍होंने संभोग करते वक्‍त कॉन्‍ट्रासेप्टिव का इस्‍तेमाल किया। इनमें 96 प्रतिशत के पार्टनर ने कंडोम इस्‍तेमाल किया, वहीं 57 प्रतिशत ने स्‍खलित होने से पहले संभोग रोक दिया, 56 प्रतिशत ने गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लिया। वहीं 14 प्रतिशत ने इमर्जेंसी कॉन्‍ट्रासेप्‍शन, जिसे असुरक्षित यौन संबंध के 72 घंटों के भीतर लेना जरूरी होता है, लिया।
34.) पहली बार यौन संबंध--- अमेरिका के इस सर्वे के अनुसार पहली बार यौन संबंध स्‍थापित करते वक्‍त 78 फीसदी लड़कियों और 85 फीसदी लड़कों ने कॉन्‍ट्रासेप्टिव का इस्‍तेमाल किया।
35.) एचआईवी के केस--- 2011 में अमेरिका में जितने भी नये एचआईवी के केस आये, उनमें 21 प्रतिशत मरीजों की उम्र 13 से 24 साल के बीच थी। यह खतरनाक संकेत हैं।
36.) एचआईवी के बारे में--- अमेरिका में 15 से 19 साल की आयु की लड़कियों में मात्र 43 प्रतिशत लड़कियां ही एचआईवी या यौन संक्रमित रोगों के बारे में दी जाने वाली काउंसिलिंग अटेंड करती हैं।
37.) 59 फीसदी ने बच्‍चे को जन्‍म दिया--- 15 से 19 साल की आयु की प्रेगनेंट लड़कियों में से 59 प्रतिशत ने बच्‍चे को जन्‍म दिया जबकि 26 प्रतिशत ने अबॉर्शन करवाया और बाकी का मिसकैरेज हो गया। 2 प्रतिशत टीनेज प्रेगनेंसी पूरी तरह अनियोजित थीं।
38.) 13 से 19 साल की आयु में गर्भवती--- 2011 की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 89 प्रतिशत टीन बर्थ यानी 13 से 19 साल की आयु में जिन महिलाओं ने बच्‍चों को जन्‍म दिया उनमें 89 प्रतिशत की शादी नहीं हुई थी।
39.) जब फीमेल पार्टनर प्रेगनेंट हो--- जब फीमेल पार्टनर प्रेगनेंट हो जाती है, तो 47 प्रतिशत टीनेजर लड़के बहुत अपसेट हुए, जबकि 34 प्रतिशत लड़के कुछ अपसेट हुए, जबकि 18 प्रतिशत खुश हुए।
40.) टीनेजर लड़के 17 से 20 साल की आयु में पिता--- अमेरिका में 2008 में 15 से 19 साल की आयु की 1 लाख 92 हजार लड़कियों ने अबॉर्शन करवाया। इनमें 7 प्रतिशत नाबालिग थीं। अमेरिका में 2010 में हुए सर्वे के अनुसार 16 प्रतिशत टीनेजर लड़के 17 से 20 साल की आयु में पिता बन जाते हैं। (sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com)

कोलकाता पहुंची 'किस ऑफ लव' की मुहिम : आमार शोरीर आमार मोन बोंधो होक राज शासन


नैतिकता का पाठ पढ़ाने वालों के विरोध में और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए कोच्चि के बाद अब कोलकाता के दो विश्वविद्यालयों के छात्रों ने 'किस ऑफ लव' का आयोजन 6 नवम्बर 2014 को किया। केरल में शुरू हुई मुहिम के प्रति एकजुटता दिखाते हुए जादवपुर में एक विरोध रैली में कार्यकर्ताओं ने 'धार्मिक कट्टरपंथ और हठधर्मिता के बढ़ने' का आरोप लगाया। प्रेजिडेंसी यूनिवर्सिटी के छात्र हाथों में तख्तियां लिये हुए कॉलेज स्ट्रीट पर इंडियन कॉफी हाउस के सामने जमा हुए। जादवपुर यूनिवर्सिटी के मौजूदा और पूर्व छात्रों तथा कुछ बाहरी लोगों सहित 300 से ज्यादा कार्यकर्ता बुधवार दोपहर जादवपुर पुलिस थाने की ओर गए। वहां जाकर वे गले मिले, चुंबन लिया और 'आमार शोरीर आमार मोन बोंधो होक राज शासन' (यह मेरा शरीर है, मेरा दिमाग है, मैं मॉरल पुलिसिंग की अनुमति नहीं दूंगा) जैसे नारे लगाए। अपनी दोस्त सुचित्रा का चुंबन लेने वाली पीएचडी की छात्रा सायंतनी ने कहा, 'अपनी स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के दमन के खिलाफ विरोध करने का समय आ गया है। मैं आजादी चाहती हूं कि किसे और कहां पर चूम लूं। इससे किसी को मतलब नहीं होना चाहिए। चुंबन विरोध का सबसे अच्छा तरीका है, इसलिए हम नैतिकता का पाठ पढ़ाने वालों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हम उनके साथ कोई टकराव नहीं चाहते इसलिए हम प्यार का संदेश फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।' एक और छात्र ने कहा, 'यह प्रदर्शन कोच्चि से शुरू हुए आंदोलन के प्रति हमारी एकजुटता दिखाने के लिए है। हम दिशा-निर्देश के लिए कोच्चि के आयोजकों के साथ हैं।' अंग्रेजी साहित्य की तीसरे वर्ष की छात्रा रोनिता सान्याल ने कहा, 'हो सकता है कि इससे चीजें न बदलें, लेकिन हम कोशिश करते रहेंगे। हम नफरत और असहिष्णुता की संस्कृति के खिलाफ आगे बढ़ रहे हैं।' आयोजकों के मुताबिक यह प्रदर्शन महाराष्ट्र में एक दलित लड़के की ऊंची जाति की एक लड़की के साथ संबंधों के चलते लड़के और उसके अभिभावकों की कथित हत्या की घटना के विरोध में आयोजित किया गया। प्रेजिडेंसी यूनिवर्सिटी के पीएचडी के एक छात्र ने कहा, 'किस ऑफ लव राज्य में ऐसी प्रवृतियों के महत्व को रेखांकित करने के लिए है। साफ है कि इस तरह के दमन के खिलाफ तुरंत विरोध की आवश्यकता है।'
विरोध के इस तरीके को क्या कहा जाये? विरोध का वह तरीका निन्दनीय है जो भारतीय परम्परा के विरुद्ध हो। खुलेआम किस करना भारतीय परम्परा का हिस्सा नहीं है। ‘‘यह मेरा शरीर है तो मैं चाहे जो करूँ’’- यह कहना भी कानूनन सही नहीं है। क्या कानूनन शरीर को खुलेआम निर्वस्त्र किया जा सकता है? क्या कानून किसी को आत्महत्या की इजाजत देता है? क्या खुलेआम चुम्बन अश्लीलता नहीं है ? यदि है तो कॉलेज की इन विद्यार्थियों पर तो कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये।  (sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com)