-रिम्स में हर ओपीडी में आते हैं 30-35 मरीज
-महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर ज्यादा
-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
झारखंड में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। केवल रिम्स की ओपीडी में ही हर दिन 30-35 मरीज कैंसर के उपचार के लिए आ रहे हैं। वहीं रिम्स में लीनियर एक्सीलरेटर मशीन के चालू होने के बाद से यहाँ अब तक 60-70 मरीजों की रेडियोथेरेपी की जा चुकी है। गौरतलब है कि रिम्स में सप्ताह में दो दिन कैंसर ओपीडी संचालित की जाती है। रिम्स के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ अनुप कुमार ने बताया कि रिम्स में आए मरीजों की संख्या को देखें तो कैंसर बढ़ रहा है। हालांकि राज्य में कैंसर के मरीजों की संख्या का सेंट्रलाइज्ड डाटा बेस न होने के कारण उनकी सही संख्या बता पाना मुश्किल है। डॉ अनुप ने बताया कि कैंसर की रोकथाम का सबसे अच्छा उपाय तो यह है कि कैंसर होने ही न दिया जाए। कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ भोला प्रसाद ने बताया कि राष्ट्रीय औसत के अनुसार हर लाख की आबादी में 50-70 मरीज कैंसर के होते हैं।
-हर साल 10 लाख नये मरीज
एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल कैंसर के 10 लाख नये मरीज डिटेक्ट होते हैं। 2025 में इनकी संख्या बढ़कर पाँचगुनी हो जायेगी। टाटा मेमोरियल अस्पताल की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल पाँच लाख लोग भारत में कैंसर की वजह से काल के गाल में समा जाते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने वर्ष 1981 में ही कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की शुरुआत की थी लेकिन बिहार और झारखंड में अब भी कैंसर के मरीजों का एकीकृत आँकड़ा रजिस्टर्ड नहीं होता। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कैंसर के खतरे को देखते हुए अगले 10 साल में विश्वभर में कैंसर के मरीजों की संख्या दो करोड़ होने का अनुमान लगाया है, जिसके अकेले दो प्रतिशत मरीज भारत में ही होंगे।
-स्मोकिंग और टोबैको अवाइड करें
रिम्स के आंकोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनूप कुमार कहते हैं कि कैंसर से बचने के लिए स्मोकिंग और तम्बाकू का उपयोग नहीं करना चाहिए। अगर कैंसर हो भी जाता है तो इसे छिपाने की बजाय तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए; क्योंकि कैंसर का उपचार जितनी जल्दी शुरू हो, रिजल्ट उतना बेहतर होता है। उन्होंने बताया कि रिम्स में महिलाओं में सबसे अधिक गर्भाशय का कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के मरीज आ रहे हैं, वहीं पुरुषों में सबसे अधिक ओरल कैंसर होता है।
-बचाव ही इलाज
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. भोला प्रसाद ने बताया कि कैंसर से बचाव ही उसका सबसे अच्छा इलाज है। कैंसर के ट्रीटमेंट का खर्च बहुत ज्यादा है, इसलिए सरकारी स्तर पर उसके इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए। कैंसर के बढ़ने की यह स्थिति एकदम नहीं आयी है। विशेषज्ञों की मानें तो अनियमित दिनचर्या की क्रॉनिक आदत शरीर के किसी भी अंग में कैंसरयुक्त सेल्स को अनियंत्रित गति से बढ़ा देती है। सौ प्रमुख तरह के कैंसर में अभी केवल 30 कैंसरकारक सेल्स की पहचान हो पायी है।
-जानें कैंसर को
शरीर के रोजाना क्षतिग्रस्त होनेवाली कोशिकाएँ (सेल्स) जब अनियंत्रित गति से बढ़ने लगती हैं तो कोशिकाओं का यह समूह ट्य़ूमर का रूप ले लेता है, जिसे कैंसर कहा जाता है। दरअसल, स्वस्थ कोशिकाओं की कमी के कारण ही खंडित होनेवाली कोशिकाओं का पुनर्निर्माण नहीं हो पाता और वह संगठित रूप ले लेते हैं। यह समूह लिंफ और गाँठ भी हो सकता है।
-गंभीर कैंसर
कैंसर उस स्थिति में गंभीर हो जाता है जबकि प्रभावित जगह से कैंसरयुक्त कोशिकाएँं शरीर के अन्य भाग, फेफड़े, आमाशय, प्रोस्टेट या फिर मस्तिष्क में पहुँचती हैं। एक बार संगठित होने के बाद ये कोशिकाएँं अपने तरह की हजारों कोशिकाओं का निर्माण कर लेती हैं। इस स्थिति को ‘एंजियोजेनिस’ कहते हैं। ज्यामितीय क्रम में बढ़नेवाली कैंसर की संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करने के लिए उनके ओरिजन यानी उत्पन्न होनेवाली जगह की पहचान जरूरी कही गयी है जो निरंतर संक्रमित कोशिकाएँ बनाती रहती हैं।
-जीन भी हैं कारगर
किसी भी व्यक्ति के जीन को सेल्स के खंडित होने के लिए कारगर माना गया है जो शरीर की जरूरी प्रक्रिया है। चार प्रमुख तरह के जीन को सेल्स के विभाजन के लिए जिम्मेदार माना गया है। कारसिनो और ऑनको जीन को सेल्स के विभाजन के लिए प्रमुख कारण बताया गया है। तम्बाकू का सेवन, रेडिएशन का अधिक संपर्क, एचआइवी, हेपेटाइटिस तथा अन्य बीमारियों का संक्रमण स्वास्थ्य सेल्स के रक्षा कवच को कमजोर करता है और आसानी से कारसिनो और ऑनको का प्रभाव बढ़ने लगते हैं। इन सबके बीच ब्लड सेल्स को प्रभावित करनेवाले मैलिग्नेंसी कैंसर को भी गंभीर माना गया है।
-ऐसे पहचानें कैंसर को
शरीर के किसी भी हिस्से या लिम्फ में दर्दयुक्त या दर्दरहित गाँठ का अनुभव होने पर एमआरआई, सीटी स्कैन, पैट (पोजिशिनिंग इमेजिन टोमोग्राफी) की मदद से बीमारी की पहचान की जाती है। इससे पहले गाँठ की एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन सायटोलॉजी) के जरिये साधारण सेल्स से कैंसरयुक्त सेल्स को पहचाना जाता है।
-आधुनिक इलाज से बँधी उम्मीदें
कैंसर के बढ़ते आँकड़े को देखते हुए इलाज की आधुनिक विधि की भूमिका अहम हो गयी है। रेडियोथेरेपी व कीमोथेरेपी के अलावा मॉलिक्यूलर, स्टेम सेल्स, नैनोटैक्नोलॉजी व टारगेटेट दवाओं के जरिये कैंसर सेल्स को बढ़ने से पहले खत्म किया जा सकता है, जिसमें स्टेम सेल्स थेरेपी को सबसे अधिक रामबाण माना गया है। सेल्यूलर विधि से मरीज के शरीर के ही रक्त को लेकर उसकी डेंडटराइन सेल्स की मदद से मरीज में स्वस्थ सेल्स पहुँचाये जाते हैं।
-कैंसर के ये हैं लक्षण
- किसी भी तरह की गाँठ का अनियंत्रित बढ़ना।
- शरीर में तिल या फिर दाग का गहरा होना।
- एक घाव का लम्बे समय तक ठीक न होना।
- खाने-पीने में दिक्कत लिम्फ नोड्स को बढ़ाती है।
- भूख कम लगना, वजन कम होना।
- थकान बने रहना या फिर जल्दी आलस्य आना।
-स्वस्थ आहार है बेहतर उपाय
- ब्रोकली व काले अंगूर में कैंसररोधी तत्त्व सबसे अधिक हैं, इनका सेवन जरूर करें।
- हरे सेब, टमाटर, सलाद व फाइबरयुक्त खाना बचाव का बेहतर उपाय है।
- गरम मसाले की निर्धारित मात्रा सेल्स के पुनर्निर्माण के लिए जरूरी है, इसलिए खाने में बताये गये अनुपात के अनुसार मसालों का प्रयोग जरूरी है।
- ओमेगा थ्री से युक्त तेल को सेल्स को मजबूत कराने के लिए बेहतर बताया गया है।
स्तन कैंसर और उसके बचाव
20 वर्ष की उम्र के बाद हर महिला को हर महीने पीरियड (मासिक स्राव) शुरू होने के 5-7 दिन के बीच किसी दिन (बुजुर्ग महिलाएँ कोई एक तारीख तय कर लें) खुद स्तन की जाँच करनी चाहिए। ब्रेस्ट और निपल को आइने में देखिये। नीचे ब्रा-लाइन से ऊपर कॉलर बोन यानी गले के निचले सिरे तक और बगलों में भी अपनी तीन अँगुलियाँ मिलाकर थोड़ा दबाकर देखें। अँगुलियों का चलना नियमित स्पीड और दिशाओं में हो। यह जाँच लेटकर भी कर सकती हैं। देखें कि ये बदलाव तो नहीं हैं--
- ब्रेस्ट या निपल के आकार में कोई असामान्य बदलाव।
- कहीं कोई गाँठ जिसमें अक्सर दर्द न रहता हो।
- कहीं भी स्किन में सूजन, लाली, खिंचाव या गड्ढे पड़ना, संतरे के छिलके की तरह छोटे-छोटे छेद या दाने बनना।
- एक ब्रेस्ट पर खून की नलियाँ ज्यादा साफ दीखना।
- निप्पल भीतर की ओर खिंचना या उसमें से दूध के अलावा कोई भी तरल निकलना।
- ब्रेस्ट में कहीं भी लगातार दर्द।
रोकथाम के उपाय-
- हर युवा चाहे वह पुरुष हो या महिला, सही उम्र में शादी करनी चाहिए और 25 साल से पहले ही पहले बच्चों का जन्म देना चाहिए।
- महिलाओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को 5 महीने से लेकर 12 महीने तक स्तनपान कराना कैंसर की रोकथाम में एक सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है।
- फास्ट फूड का सेवन नहीं करना चाहिए या न्यूनतम करना चाहिए।
- हर महिला को 40 साल की उम्र के बाद अपनी मैमोग्राफी करानी चाहिए।
- गर्भनिरोधक दवाइयों का लंबी अवधि तक सेवन नहीं करना चाहिए।
- आहार में सीमित मात्रा में वसा को शामिल करें।
- एण्टीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक सेवन से बचें।
- ब्रेस्ट या निपल के आकार में कोई असामान्य बदलाव।
- कहीं कोई गाँठ जिसमें अक्सर दर्द न रहता हो।
- कहीं भी स्किन में सूजन, लाली, खिंचाव या गड्ढे पड़ना, संतरे के छिलके की तरह छोटे-छोटे छेद या दाने बनना।
- एक ब्रेस्ट पर खून की नलियाँ ज्यादा साफ दीखना।
- निप्पल भीतर की ओर खिंचना या उसमें से दूध के अलावा कोई भी तरल निकलना।
- ब्रेस्ट में कहीं भी लगातार दर्द।
रोकथाम के उपाय-
- हर युवा चाहे वह पुरुष हो या महिला, सही उम्र में शादी करनी चाहिए और 25 साल से पहले ही पहले बच्चों का जन्म देना चाहिए।
- महिलाओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को 5 महीने से लेकर 12 महीने तक स्तनपान कराना कैंसर की रोकथाम में एक सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है।
- फास्ट फूड का सेवन नहीं करना चाहिए या न्यूनतम करना चाहिए।
- हर महिला को 40 साल की उम्र के बाद अपनी मैमोग्राफी करानी चाहिए।
- गर्भनिरोधक दवाइयों का लंबी अवधि तक सेवन नहीं करना चाहिए।
- आहार में सीमित मात्रा में वसा को शामिल करें।
- एण्टीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक सेवन से बचें।
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