-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
केन्द्र सरकार ने खादी और ग्रामोद्योग के शहद, सोया दूध, हर्बल मेहंदी, चाय तथा सौंदर्य प्रसाधन सहित अनेक उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने के लिए इनकी उत्पादन तकनीक के आधुनिकीकरण की एक नयी योजना बनायी है जिससे अंततः लाखांे लोग को रोजगार मिल सकेगा। केन्द्र सरकार ने ग्रामोद्योग से जुड़े ऐसे उद्योगों का चयन किया है जिनके उत्पादों की बाजार में माँग है और ये श्रम आधारित है। आँकड़ांे के अनुसार खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित उद्योगों में देशभर में 10 लाख से अधिक बुनकर और कताई करने वाले लोग जुड़े हुए हैं।
-परंपरागत तरीके और तकनीक से उत्पादन
सिक्किम, मिजोरम, गोवा, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और पुड्डुचेरी में खादी की बुनाई और कताई की इकाइयाँ नहीं हैं। ये लोग परंपरागत तरीकांे और तकनीक से उत्पादन करते हैं जिससे उत्पादों में एकरूपता का अभाव होता है और कई बार गुणवत्ता के साथ समझौता करना पड़ता है। सरकार ने इसके मानक तय करने के लिए संबंधित इकाइयांे और कारीगरांे के उत्पादों में एकरूपता लाने की एक विस्तृत योजना तैयार की है। इसके तहत कई संस्थानांे के साथ गठबंधन किया गया है जिसमें गुणवत्ता निर्धारण एवं जाँच, प्रशिक्षण और उत्पादन प्रक्रिया में एकरुपता लाना शामिल है।
-37 उद्योगों के आधुनिकीकरण की योजना
आयोग ने अभी तक 37 उद्योगों के आधुनिकीकरण की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। इनमें सौर ऊर्जा आधारित उपकरणांे और मशीनांे के निर्माण करने से संबंधित उद्योग, कम लागत की पैकेजिंग मशीन, बायोगैस बिजली संयंत्र, एलईडी लाईटिंग उद्योग, धूप बत्ती बनाने वाली मशीन, कम लागत के शौचालय का निर्माण, हरी मिर्च का पाउडर बनाने की मशीन, सोया दूध, इमली, आँवला और शहद आधारित मशीन, हर्बल मेहंदी, चाय, गुलाल और फेस पाउडर, पंचगव्य आधारित उत्पादों का निर्माण, नीम आधारित उत्पाद, बायो उत्पाद जांच किट, खादी वस्त्र एवं परिधान निर्माण और संबंधित मशीनंे, साबुन, शैंपू और अन्य सौंदर्य प्रसाधन निर्माण तथा आभूषण एवं बर्तन निर्माण उद्योग प्रमुख है।
-खादी एवं ग्रामोद्योगों को विशेष सहायता
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत खादी एवं ग्रामोद्योगों को विशेष सहायता दी जा रही है। इसके तहत इन्हंे अपनी गतिविधियां संचालित करने के लिए सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। उद्योगों को तकनीक, ऋण और उपकरण मुहैया कराए जाते हैं। कारीगरांे को उत्पादों की मार्केटिंग करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है और देश के विभिन्न हिस्सांे मंे इनकी प्रदर्शनी लगाई जाती है।
-उत्पादन स्थलों के पुनरोद्धार के लिए ऋण
कारीगरांे को उत्पादन स्थान बनाने के लिए आश्रय उपलब्ध कराया जा रहा है जहाँ एक साथ कई लोग अपने उत्पादों का निर्माण एवं प्रदर्शन कर सकते हैं। कारीगरांे के परंपरागत और पुराने उत्पादन स्थलांे का पुनरोद्धार करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है और ब्याज पर सब्सिडी देने की व्यवस्था की गयी है।
प्रशिक्षण संस्थान के साथ करार
खादी और ग्रामोद्योग से जुड़े उद्योगों के आधुनिकीकरण की जिम्मेदारी खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को सौंपी गयी है। आयोग ने इसके लिए कारीगरांे के प्रशिक्षण के कई संस्थानांे के साथ करार किया है। प्रौद्योगिकी संस्थानांे ने लगभग 124 तकनीक खादी और ग्रामोद्योग के लिए विकसित की है। आयोग ने पुणे के कंेद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के साथ शहद के लिए, जयपुर के कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज संस्थान के साथ हस्तनिर्मित कागज के लिए, नासिक के डॉ. बीआर अम्बेडकर ग्रामीण प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन तथा नवीनीकरणीय ऊर्जा संस्थान के साथ प्रशिक्षण के लिए और नारियल रेशा उत्पादों के लिए त्रिवंेद्रम के फाइबर डिजाइन कम डेवलपमंेट संेटर के साथ समझौते किए हैं।
-42 खादी संस्थान व 64 ग्रामोद्योग
आयोग ने गुणवत्ता की जाँच करने की क्षमता अर्जित करने के लिए 42 खादी संस्थानांे और 64 ग्रामोद्योगों को तकनीकी एवं वित्तीय मदद उपलब्ध कराई है। इन संस्थानांे में कम लागत पर गुणवत्ता जाँच की जाती है।
-42 खादी संस्थान व 64 ग्रामोद्योग
आयोग ने गुणवत्ता की जाँच करने की क्षमता अर्जित करने के लिए 42 खादी संस्थानांे और 64 ग्रामोद्योगों को तकनीकी एवं वित्तीय मदद उपलब्ध कराई है। इन संस्थानांे में कम लागत पर गुणवत्ता जाँच की जाती है।
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