उच्च रक्तचाप (एचबीपी) या हाईपरटेंशन दुनियाभर में असामयिक मृत्यु का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इसके कारण प्रत्येक साल दुनियाभर में लगभग 9.4 मिलियन लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। विश्व स्वास्य संगठन द्वारा हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्च रक्तचाप से भारत जैसे देश में 25 वर्ष और इससे अधिक आयु के हर तीन वयस्कों में से एक को प्रभावित करता है। उच्च रक्तचाप तथा अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के कारण हार्ट अटैक, स्ट्रॉक, गुर्दे (किडनी) की विफलता तथा नेत्रों की क्षति जैसी जटिलताएँ होती हैं।
हाईपरटेंशन के कारण समय से पहले मृत्यु या अपंगता से आय की हानि होती है तथा इलाज पर भारी खर्च आता है, जिसकी वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है।
उच्च रक्तचाप की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह समस्या अधिक गंभीर है; क्योंकि यहाँ एक-चौथाई मरीजों को ही उच्च रक्तचाप की स्थिति का पता होता है। इसके अलावा हाईपरटेंशन से ग्रस्त पाँच में से सिर्फ एक ही रोगी इसके इलाज के लिए चिकित्सक तक पहुँच पा रहे हैं। उनमें से पाँच प्रतिशत से भी कम नियंत्रण की स्थिति में है।
हाईपरटेंशन के कारण समय से पहले मृत्यु या अपंगता से आय की हानि होती है तथा इलाज पर भारी खर्च आता है, जिसकी वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है।
उच्च रक्तचाप की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह समस्या अधिक गंभीर है; क्योंकि यहाँ एक-चौथाई मरीजों को ही उच्च रक्तचाप की स्थिति का पता होता है। इसके अलावा हाईपरटेंशन से ग्रस्त पाँच में से सिर्फ एक ही रोगी इसके इलाज के लिए चिकित्सक तक पहुँच पा रहे हैं। उनमें से पाँच प्रतिशत से भी कम नियंत्रण की स्थिति में है।
दरअसल, हृदय शरीर के रक्त को प्रवाहित करता है। स्वच्छ रक्त आर्टरी से शरीर के दूसरे भाग में जाता है और शरीर के दूसरे भागों से दूषित रक्त हृदय में वापस आता है। ब्लड प्रेशर खून को पम्प करने की इसी प्रक्रिया को कहते हैं लेकिन कुछ कारणों से रक्त का दबाव बढ़ जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण आज का भागम-भाग की जिंदगी तथा तनाव है। इसपर नियंत्रण के लिए उचित जीवनशैली तथा खान-पान जरूरी है।
बीपी रीडिंग सामान्य रूप से दो संख्याओं के अनुपात के रूप में दर्शाई जाती है। ऊपरी संख्या को सामान्य रूप से सिस्टोलिक बीपी और कम वाली संख्या को डायस्टोलिक बीपी कहा जाता है। सिस्टोलिक बीपी की सामान्य सीमा 110-139 एमएमएचजी के बीच और डायस्टोलिक बीपी 70-89 एमएमएचजी के बीच होती है।
हाईपरटेंशन (बीपी 140/90 से अधिक) तब होता है जब परिवार में किसी को हाईपरटेंशन रहा हो, वजन अधिक हो या मोटापे से ग्रसित हो, चालीस वर्ष से अधिक का आयु हो, नियमित रूप से व्यायाम न करता हो, भोजन में अधिक नमक का सेवन करता हो, बहुत अधिक शराब पीता हो, धूम्रपान करता हो, उसे मधुमेह हो या हमेशा तनाव में रहता हो, अत्यधिक भाग-दौड़ एवं तनावभरी जीवन शैली एवं चिंता हो।
उच्च रक्तचाप एक साथ शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है। हृदयाघात, ब्रेन हैमरेज, रेटाइनल हैमरेज (दृष्टिपटल पर रक्तस्राव) जैसी जानलेवा समस्या पैदा हो सकती है। निरंतर उच्च रक्तचाप से किडनी खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप गंभीर जटिलता पैदा करती है, जिसे 'एकलैंपशिया' कहते हैं।
कुछ मरीजों में सिर दर्द, थकान, अधिक पेशाब आना जैसे लक्षण उभर सकते हैं। पीड़ित मरीज के खून में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड में सुगर एवं यूरिया की मात्रा की जाँच अवश्य करानी चाहिए। इसके अलावा चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार इसीजी, इक्को, एक्स-रे एवं टीएमटी टेस्ट भी करा लेनी चाहिए। उच्च रक्तचाप आँखों की रोशनी एवं किडनी को भी प्रभावित करती है, इसलिए आँखों की जाँच एवं गुर्दा से संबंधित जाँच भी करा लेनी चाहिए।
बीपी रीडिंग सामान्य रूप से दो संख्याओं के अनुपात के रूप में दर्शाई जाती है। ऊपरी संख्या को सामान्य रूप से सिस्टोलिक बीपी और कम वाली संख्या को डायस्टोलिक बीपी कहा जाता है। सिस्टोलिक बीपी की सामान्य सीमा 110-139 एमएमएचजी के बीच और डायस्टोलिक बीपी 70-89 एमएमएचजी के बीच होती है।
हाईपरटेंशन (बीपी 140/90 से अधिक) तब होता है जब परिवार में किसी को हाईपरटेंशन रहा हो, वजन अधिक हो या मोटापे से ग्रसित हो, चालीस वर्ष से अधिक का आयु हो, नियमित रूप से व्यायाम न करता हो, भोजन में अधिक नमक का सेवन करता हो, बहुत अधिक शराब पीता हो, धूम्रपान करता हो, उसे मधुमेह हो या हमेशा तनाव में रहता हो, अत्यधिक भाग-दौड़ एवं तनावभरी जीवन शैली एवं चिंता हो।
उच्च रक्तचाप एक साथ शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है। हृदयाघात, ब्रेन हैमरेज, रेटाइनल हैमरेज (दृष्टिपटल पर रक्तस्राव) जैसी जानलेवा समस्या पैदा हो सकती है। निरंतर उच्च रक्तचाप से किडनी खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप गंभीर जटिलता पैदा करती है, जिसे 'एकलैंपशिया' कहते हैं।
कुछ मरीजों में सिर दर्द, थकान, अधिक पेशाब आना जैसे लक्षण उभर सकते हैं। पीड़ित मरीज के खून में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड में सुगर एवं यूरिया की मात्रा की जाँच अवश्य करानी चाहिए। इसके अलावा चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार इसीजी, इक्को, एक्स-रे एवं टीएमटी टेस्ट भी करा लेनी चाहिए। उच्च रक्तचाप आँखों की रोशनी एवं किडनी को भी प्रभावित करती है, इसलिए आँखों की जाँच एवं गुर्दा से संबंधित जाँच भी करा लेनी चाहिए।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) या हाईपरटेंशन से बचने के लिए शारीरिक व्यायाम एवं स्वस्य जीवनशैली जरुरी है। बचाव का सबसे बेहतर तरीका योगाभ्यास तथा मेडिटेशन है। यदि मरीज समघातक या माइल्ड उच्च रक्त से पीड़ित है तब इसे अच्छे जीवनशैली, व्यायाम तथा खान-पान को नियन्त्रितकर ठीक किया जा सकता है। मध्यम एवं सीवियर मामलों में मरीज को आजीवन दवाइयाँ खानी पड़ती है। दवा छोड़ना मरीज के लिए बेहद घातक होता है। हरी सब्जियों एवं फलों में पोटैशियम होते हैं जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में बेहद कारगर साबित होते हैं।
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