-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
आज 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है। भारत में
अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा होती रहती है। पर, अफसोस की
बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या किसी अन्य भारतीय नेता ने मजीठिया वेतन
आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर कुछ नहीं कहा। ऐसे में भारतीय पत्रकारों ने
अपने हक को मारनेवाले अखबारों के मालिकों को दुखी दिल से ‘दुहाई’ देते हुए विश्व
प्रेस स्वतन्त्रता दिवस मनाया।
3 मई को मनाए जानेवाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर
भारत में भी प्रेस की स्वतंत्रता पर बातचीत होना लाजिमी है। भारत में प्रेस की
स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की
आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है।
विश्वस्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए
संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित
किया गया जिसे 'विश्व प्रेस दिवस' के रूप
में भी जाना जाता है। 'अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस' या 'विश्व
प्रेस स्वतंत्रता दिवस' मनाने का निर्णय वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त
राष्ट्र के जन सूचना विभाग ने मिलकर किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1993
में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। तब से हर साल '3 मई' को 'अंतरराष्ट्रीय
प्रेस स्वीतंत्रता दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले नामीबिया में विन्डंहॉक
में हुए एक सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया था कि प्रेस की आज़ादी को मुख्य
रूप से बहुवाद और जनसंचार की आज़ादी की जरूरत के रूप में देखा जाना चाहिए।
यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस
स्वतंत्रता दिवस पर 'गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज' भी दिया
जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की
स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस प्रेस की स्वतंत्रता का
मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और
प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए संवाददाताओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है। पर, मीडिया
अपना दायित्व ठीक तरीके से नहीं निभा रहा है। कुछ लोग को छोड़कर श्रद्धांजलि देने
का काम भी मीडिया ठीक से नहीं कर रहा है।
2017 का गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार ईसाक को / Guillermo Cano World Press Freedom Award for 2017 to eisak
एरिट्रियन स्वीडिश पत्रकार दावित ईसाक को उनकी हिम्मत, प्रतिरोध
और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता हेतु वर्ष 2017 का
गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार (US $ 25,000)
के लिए चुना गया। 1997 से
अब तक भारत के किसी भी पत्रकार को यह पुरस्कार नहीं मिलने की एक बड़ी वजह कई
वरिष्ठ पत्रकार पश्चिम और भारत में पत्रकारिता के मानदंडों में अंतर को बताते हैं।
भारतीय पत्रकारिता में हमेशा विचार हावी होता है जबकि पश्चिम में तथ्यात्मकता पर
जोर दिया जाता है। इससे भारतीय पत्रकारिता के स्तर में कमी आती है। इसके अलावा
भारतीय पत्रकारों में पुरस्कारों के प्रति जागरूकता की भी कमी है, वे इसके
लिए प्रयासरत नहीं रहते।
प्रेस के प्रति अटल विश्वास : प्रधानमंत्री
मोदी
Unfaltering faith in the press : PM Modi
Unfaltering faith in the press : PM Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार, 3 मई 2017 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'स्वतंत्र
व जोशपूर्ण प्रेस' की वकालत करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण
बताया। मोदी ने एक ट्वीट में कहा,
"यह प्रेस के प्रति अपने
अटल विश्वास को दोहराने का दिन है।" प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "आज
के दिन और समय में सोशल मीडिया संपर्क के एक सक्रिय माध्यम के रूप में उभरा है और
इससे हमारी प्रेस की स्वतंत्रता को और मजबूती मिली है।"
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