शनिवार, 13 मार्च 2021

मंगल-पाठ Mangal-Paath


-शीतांशु कुमार सहाय

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

जिस गुरुदेव ने धर्म दिया है, उन का मंगल होय रे।

ज्ञान-मार्ग पर चलना सिखाया, गुरु का मंगल होय रे।

जिस जननी ने जन्म दिया है, उस का मंगल होय रे।

पाला-पोसा और बढ़ाया, उस पिता का मंगल होय रे।

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

तेरा मंगल, इन का मंगल, उन का मंगल होय रे।

सब का मंगल, सब का मंगल, सब का मंगल होय रे।

इस जगत के सब दुखियारे प्राणी का मंगल होय रे।

जल में, थल में और गगन में सब का मंगल होय रे।

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

अन्तर्मन की गाँठें खुले, तन-मन निर्मल होय रे।

राग-द्वेष-मद-मोह मिट जाय, भ्रान्ति न रह पाय रे।

धर्म-कर्म का राज बढ़े और पाप पराजित होय रे।

इस वसुधा के सब कोने में, सदाचार लहराये रे

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

तेरा मंगल, मेरा मंगल, सब का मंगल होय रे।

न अमंगल हो किसी का, सब का मंगल होय रे।

घर में मंगल, बाहर मंगल, चहुँओर मंगल होय रे।

शुद्ध धर्म जन-जन में जागे, घर-घर शान्ति समाय रे।

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

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