भारत में प्रिंट मीडिया का ख्याल प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया रखता है, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) समाचार चैनलों की निगरानी करता है, विज्ञापन के लिए एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया है जबकि फिल्मों को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) प्रमाण पत्र देता है। इन से इतर वर्तमान में डिजिटल सामग्री को नियंत्रित करनेवाला कोई कानून या स्वायत्त निकाय भारत में नहीं है।
ऑनलाइन मीडिया को रेगुलेट करने को लेकर भारत सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। देशभर में चलनेवाले ऑनलाइन न्यूज पोर्टल, ऑनलाइन कंटेंट प्रोग्राम और ऑनलाइन धारावाहिक और फिल्में अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आयेंगे। बुधवार, ११ नवम्बर २०२० को भारत सरकार ने ऑनलाइन न्यूज पोर्टलों, ऑनलाइन कंटेंट प्रोवाइडर्स को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने की अधिसूचना जारी की। इस का मतलब हुआ कि अब अमेजन और नेटफ्लिक्स जैसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय रेगुलेट करेगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित इस अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद ७७ के खंड तीन में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार ने (कार्य आबंटन) नियमावली, १९६१ को संशोधित करते हुए यह फैसला किया है। अधिसूचना के साथ ही यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया। इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध फिल्म, दृश्य-श्रव्य और समाचार व समसामयिक विषयों से संबंधित सामग्रियों की नीतियों के विनियमन का अधिकार मिल गया है। अधिसूचना के मुताबिक, इन नियमों को भारत सरकार (कार्य आवण्टन) ३५७वाँ संशोधन नियमावली, २०२० कहा जाएगा। ये एक ही बार में लागू होंगे।'
केन्द्रीय मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि भारत सरकार ने ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध समाचार, करंट अफेयर्स सामग्री को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में लाने का फैसला लिया है। यह निश्चय ही सराहनीय कदम है।
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