शनिवार, 27 सितंबर 2025

टेक्सटेरिया ड्रेसेज : आशा, विश्वास और क्षमता का प्रतीक टेक्सटेरिया के रेडीमेड कपड़े Textarya Dresses : Textarya Readymade Garments Symbolize Hope, Faith & Potential

Textarya Shirts
 -शीतांशु कुमार सहाय 

      हमारी आशा और हमारे स्वप्न कभी-कभी हमारी पहुँच से बाहर लग सकते हैं; क्योंकि समाज ने हमें सिखाया है कि कुछ चीज़ें बस अप्राप्य हैं। हम ऐसा क्यों मानते हैं? हम स्वयं पर और अपनी अद्भुत क्षमता पर विश्वास क्यों नहीं करते? जो लोग जीवन की बाधाओं और संशयवादियों को पीछे छोड़कर सितारों तक पहुँचना चाहते हैं, उन के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है। वास्तविक बदलाव लाने की अपनी क्षमता पर विश्वास करना ही होगा। कभी-कभी सही दिशा में एक धक्का ही हमें अपनी समस्याओं को अलग नज़रिये से देखने के लिए पर्याप्त होता है। 'कुछ भी असंभव नहीं है', जब हम ऐसा ठान लेते हैं तो अन्दर से एक शक्ति मिलती है जो हम को असम्भवताओं के बारे में नये नज़रिये से सोचने पर बाध्य कर देती है। इस के बाद हम जो परिश्रम करते हैं तो सम्भावनाएँ सकारात्मक परिणाम में बदलने लगती हैं और ज़रूरी उपाय खोजने नहीं पड़ते, दीखने लगते हैं। 

रीना कुमारी 

    यह किसी उपदेशक ने नहीं कहा। यह कथन है एक सफल महिला उद्यमी रीना कुमारी का। ये उन के अनुभव से निकले शब्द हैं। कुछ नहीं से शुरू कर आज लाखों का कारोबार करनेवाली रीना का टेक्सटेरिया (Textarya) ब्राण्ड के रेडीमेड गारमेण्ट्स आज कई नगरों में बिक रहे हैं। वह कहती हैं कि वर्तमान सरकार की योजनाएँ महिला उद्यमियों के लिए अनुकूल हैं। सरकार की तरफ से न केवल ऋण और अनुदान के रूप में आर्थिक मदद मिल रही है; बल्कि औद्योगिक, व्यावसायिक और मार्केटिंग के प्रशिक्षण भी दिये जा रहे हैं। पहले महिलाओं के लिए ऐसा माहौल नहीं था।

      बिहार प्रगति के पथ पर अग्रसर है। महिलाएँ भी इस प्रगति में निरन्तर भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। उद्योग, व्यवसाय और सेवा के विविध क्षेत्रों में सफल उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। इसी सन्दर्भ में बिहार की महिमा उद्यमी के रूप में उभरता नाम रीना कुमारी का है।

      बिहार के पटना जिले में जन्मी रीना के पिता उद्योग विभाग में कार्यरत धे। उन्होंने बेटी को हर सम्भव मदद की और निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन का आशीर्वाद अब भी मिल रहा है। माँ गृहणी होने के बावजूद बेटी के उद्यमी कदम को बढ़ने से कभी नहीं रोकी। माता के प्रगतिशील विचारधारा का सम्बल प्राप्त हुआ। एक भाई और दो बहनों में सब से छोटी हैं रीना जिन के सपने कभी छोटे नहीं रहे। कारोबारी गतिविधियों में पति सतीश कुमार का निरन्तर सहयोग मिल रहा है।

      माता-पिता के आशीर्वाद और पति के साहस व उत्प्रेरणा से रीना ने अपने बचपन के स्वप्न को साकार करना आरम्भ किया। वह सिलेसिलाये वस्त्र का कारोबार करना चाहती थी। इस के लिए मन में एक योजना बनायी और तदनुरूप कार्य करना आरम्भ कर दिया। पच्चीस वर्षों के वैवाहिक जीवन में कई वर्ष औद्योगिक शहरों में रहने के अवसर प्राप्त हुए। इस बीच वह एक पुत्र आकाश और पुत्री भूमि की माँ बनीं लेकिन अपने लक्ष्य से ध्यान को भटकनेे नहीं दिया। अपने सम्पर्क के आधार पर लगातार वस्त्र उद्योग के सभी पक्षों की बारीकियों को आत्मसात करती रहीं। साध ही सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त करती रहीं।

      पति के सहयोग से रीना ने पटना में कारोबार करने की ठानी। कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कभी-कभी ऐसा भी लगा कि रेडीमेड कपड़ों के उत्पादन से बेहतर होगा कि दूसरी कम्पनी का माल लेकर बेचा जाय लेकिन जिद्द थी अपना ब्राण्ड बनाने की और वह पूरा हुआ। पहले ट्रीना एण्टरप्राइजेज (Treenaa Enterprises) नामक कम्पनी की स्थापना की। नियमानुसार जीएसटी निबन्धन कराया। रीना कुमारी का कहना है कि उन्हें घर से आरम्भिक पूँजी मिल सकती थी, पर उन्होंने अपने बूते कम्पनी को चलाने का निश्चय किया और प्रधानमंत्री रोज़गार योजना के तहत दस लाख रुपये का ऋण लिया। अच्छी कम्पनी की सिलाई मशीनों का क्रय किया और कुशल कारीगरों की व्यवस्था की। इस प्रकार आरम्भ हो गयी टेक्सटेरिया (Textarya) ड्रेसेज की विकास यात्रा जो अनवरत् जारी है। रीना ने नियमानुसार इस नाम का ट्रेडमार्क भी लिया है।

      फिलहाल टेक्सटेरिया ब्राण्ड के अन्तर्गत शर्ट, कुर्ता, पैजामा और बण्डी का हर साइज में उत्पादन हो रहा है। शुरुआत में पटना के कुछ स्थानीय दुकानों में ही कपड़ों की बिक्री हो पा रही थी लेकिन उत्तम क्वालिटी के कपड़े और उत्कृष्ट तथा मजबूत सिलाई के कारण टेक्सटेरिया के ड्रेसेज लोकप्रिय होने लगे। पटना, बक्सर, वैशाली, सारण, गया, जहानाबाद, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, नवादा होते हुए झारखण्ड के राँची, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, धनबाद, बोकारो आदि नगरों में टेक्सटेरिया ने अपना बाजार बना लिया है। 

      रेडीमेड कपड़ों का उत्पादन शुरू कर रीना ने न केवल स्वयं को आर्थिक रूप स्वावलम्बी बनाया; बल्कि दर्जनों महिलाओं और पुरुषों की बेरोजगारी भी दूर कर रही हैं। अब उन के कपड़े कई बड़े माॅल की भी शोभा बढ़ा रहे हैं। पटना के चर्चित खादी माॅल, बिहार इम्पोरियम के बिक्री केन्द्रों, बिहार संग्रहालय के बिक्री केन्द्रों से भी टेक्सटेरिया ड्रेसेज की खरीददारी की जा सकती है। 

      क्या आप ने कभी सोचा है कि असम्भव परिस्थितियाँ भी आगे बढ़ने का एक असाधारण अवसर हैं? याद रखिए कि कोई भी महान रचना कुछ संशोधनों के बिना नहीं रची जा सकती। वर्तमान संभावनाओं पर काम करते हुए असम्भवता को ही लक्ष्य बनाएँ, आप वहाँ पहुँच जाएंगी। अगर लोग यह मानना ​​छोड़ दें कि चीजें असंभव हैं तो जीवन कहीं अधिक उज्ज्वल होगा। आप पर्याप्त दृढ़ संकल्प और विश्वास के साथ कुछ भी कर सकती हैं। अपने असंभव स्वप्नों पर विश्वास रखें और रीना कुमारी की तरह लक्ष्य पर ध्यान लगाकर निरन्तर प्रगति के पथ पर बढ़ते रहें।

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बुधवार, 24 सितंबर 2025

भवान्यष्टक और इस की उत्पत्ति का इतिहास Bhawani Ashtak And Its History

 

 -प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय 

      माता आदिशक्ति अपने दुर्गा अवतार को नौ रूपों में व्यक्त किया है। इन्हें 'नवदुर्गा' कहते हैं। नवरात्र के दौरान इन की आराधना-उपासना की जाती है। कई मन्त्रों, स्तवनों, श्लोकों और स्तोत्रों से नवदुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। इन में महत्त्वपूर्ण रूप से 'भवान्यष्टक' यानी 'भवानी अष्टक' शामिल है जिसे आचार्य शंकर (शंकराचार्य) ने रचा था।

      भवान्यष्टक की रचना का एक इतिहास है। इस बारे में आप भी जानिए। एक बार आदिगुरु शंकराचार्य शाक्तमत (शक्ति को माननेवाले का मत) का खण्डन करने के लिए कश्मीर पहुँचे थे। कश्मीर में उन का स्वास्थ्य बिगड़ गया। उन का शरीर शक्तिहीन हो गया था। एक पेड़ के नीचे आराम करते हुए विचारमग्न थे कि इतनी शारीरिक शक्तिहीनता कैसे प्रकट हुई और इस का निराकरण क्या है।

वहाँ से एक ग्वालिन सिर पर दही का बर्तन लेकर निकली। आचार्य शंकर का पेट जल रहा था और वे बहुत प्यासे भी थे। उन्होंने ग्वालिन को इशारा किया कि वह उन के पास आकर दही दे। ग्वालिन थोड़ी दूर पर रूकी और  कहा, "दही लेना है तो आप यहाँ आइए।" 

      आचार्य शंकर ने धीरे से कहा, “मुझ में इतनी दूर आने की शक्ति नहीं है। बिना शक्ति के कैसे तुम्हारे पास पहुँच सकता हूँ।"

      हँसती हुई ग्वालिन ने कहा, "शक्ति के बिना कोई एक कदम भी नहीं उठा सकता और आप शक्ति का खण्डन करने निकले हैं?"

      ग्वालिन की बात सुनते ही शंकराचार्य की आँखें खुल गयीं। वह समझ गये कि भगवती स्वयं ही इस ग्वलिन  के रूप में आयी हैं। उन के मन में जो शिव और शक्ति के बीच का अंतर था वो मिट गया और उन्होंने शक्ति के सामने समर्पण कर दिया और शब्द निकले "गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानी"

      समर्पण का यह स्तवन 'भवानी अष्टक' या 'भवान्यष्टक' नाम से प्रसिद्ध है, जो अद्भुत है। शिव स्थिर शक्ति हैं और भवानी उन में गतिशील शक्ति हैं। दोनों अलग-अलग हैं... एक दूध है और दूसरा उस की सफेदी है। इस तरह नेत्रों पर अज्ञान का जो आखिरी पर्दा भी माँ ने ही उसे हटाया था। इसलिए शंकर ने कहा, "माँ, मैं कुछ नहीं जानता"।

      यहाँ शंकराचार्य रचित 'भवान्यष्टक' को प्रस्तुत किया गया है। 

न तातो न माता न बन्धुर्न दाता

          न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।

    न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥१॥


भवाब्धावपारे महादुःखभीरु

          प्रपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः।

    कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं  

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥२॥


न जानामि दानं न च ध्यानयोगं

          न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् ।

    न जानामि पूजां न च न्यासयोगं

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥३॥


न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं

          न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।

    न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्-

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥४॥


कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः

          कुलाचारहीनः कदाचारलीनः।

    कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥५॥


प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं

          दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित्।

    न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥६॥


विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे

          जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये।

    अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥७॥


अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो

          महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः।

    विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं

          गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥८॥

रविवार, 14 सितंबर 2025

जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत में मछली खाने की परम्परा का सच The Truth Behind The Tradition of Eating Fish During Jivitputrika Vrat or Jitiya Vrat


-शीतांशु कुमार सहाय 

      ग्रन्थों में वर्णित जीवित्पुत्रिका व्रत को ही जितिया व्रत या जिउतिया व्रत भी कहा जाता है। आदिशक्ति के दुर्गा अवतार का ही एक नाम 'जीवित्पुत्रिका' भी है। अतः इस दिन सन्तान  की दीर्घायुता, विद्वत्ता, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए माता दुर्गा की आराधना अवश्य करनी चाहिए। ऐसा शास्त्र का आदेश है। साथ ही जीमूतवाहन की हरे कुश से प्रतिकृति बनाकर पूजा करने का विधान है। यह चर्चा 'जीवित्पुत्रिका व्रत कथा' में भी है। पूर्ण फल की प्राप्ति हेतु ऐसा ही करना चाहिए। 

      मैं ने देखा है कि लोग मूल ग्रन्थ नहीं पढ़ते और सुनी-सुनायी बातों के आधार पर शास्त्रोक्त पूजन विधियों में फेरबदल कर लेते हैं। फलतः भगवद्कृपा प्राप्त नहीं होती और पूजन का फल नहीं मिलता है। 

      कुछ लोगों ने जितिया के दौरान मछली खाने की परम्परा को आत्मसात् कर लिया है। यह घोर पापकर्म है। यह व्रत पूरी तरह वैष्णव व्रत है। आश्विन कृष्ण पक्ष की सप्तमी रहित अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मतलब यह कि पितृपक्ष का आठवाँ दिन। पितृपक्ष के दौरान मांसाहार पूरी तरह वर्जित होता है। सातवें दिन यानी आश्विन कृष्ण सप्तमी को नहाय-खाय के दिन स्वाद के गुलाम लोगों ने मछली खाना आरम्भ कर दिया जो स्थानीय स्तर पर परम्परा का रूप ले लिया है जो सर्वथा ग़लत है। इसी तरह कुछ लोग नवरात्र के दौरान भी मछली का सेवन करते हैं। यह भी जीभ की परतन्त्रता स्वीकारनेवालों की 'चालाकी' का प्रतीक है। किसी भी धार्मिक आयोजन में मांसाहार की शास्त्रीय परम्परा नहीं है। धर्म की ग़लत व्याख्या करनेवाले विधर्मियों ने धर्म को बदनाम करने के लिए एक षड्यन्त्र के तहत इसे एक 'परम्परा' का स्वरूप देने का कुत्सित प्रयास किया है। धार्मिक लोग विधर्मियों के इस षड्यन्त्र का जाने-अनजाने में शिकार हो रहे हैं। 

      ऊपर वर्णित 'मछली परम्परा' अधिकतर मिथिला क्षेत्र (नेपाल और बिहार का उत्तरी भाग) में देखने को मिलती है। नवरात्र में मछली खाने की परम्परा बंगाल में अधिक दृष्टिगोचर होती है। मिथिला के निवासियों के मस्तिष्क में यह बात बैठायी गयी है कि मिथिला राज्य (स्वाधीनता से पूर्व) का राजचिह्न मछली थी। कुछ कुतर्की लोग मछली को मांसाहार नहीं मानते; बल्कि 'जल का फल' मानते हैं। पर, धर्म के नियम और शास्त्र के अनुशासन यह बताते हैं कि व्रत, यज्ञ, अनुष्ठान आदि में मूल ग्रन्थ का ही अनुसरण करना चाहिए। 

      अब स्वीकार कीजिए 'जीवित्पुत्रिका व्रत' की मङ्गलकामना, साथ ही सुनिए 'जीवित्पुत्रिका व्रत कथा' और कमेण्ट कर बताइए कि इस में जो कहा गया है, क्या व्रत करनेवाली महिलाएँ उन का पालन करती हैं? यदि नहीं, तो उन्हें पूर्ण फल की प्राप्ति निश्चित रूप से नहीं होगी। अन्त में आप से निवेदन करता हूँ कि आप तैत्तिरीयोपनिषद का कथन 'धर्मं चर' अर्थात् 'धर्म का आचरण करो' की नीति को याद रखिए और ऐसा ही कीजिए।

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा


शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

बिहार में सम्पन्नता की संजीवनी : मुख्यमन्त्री महिला रोज़गार योजना Mukhyamantri Mahila Rozgar Yojana In Bihar


-शीतांशु कुमार सहाय 

"नया वक़्त है नया ज़माना,

मिलकर ग़रीबी को दूर भगाना।

बढ़ती जाएंगी महिलाएँ जब,

विकसित होगा भारत अपना तब।"

      बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती अप्सरा का उक्त कथन हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा घोषित 'मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना' पर पूरी तरह से चरितार्थ होता है। महिला सशक्तीकरण की राह में यह योजना वास्तव में ज़मीनी स्तर पर मील का पत्थर साबित होगा। भारत के सभी राज्यों में यह पहली योजना है जो बिहार के सभी परिवार को लाभान्वित करेगी। यह योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'हर घर महिला उद्यमी' के स्वप्न को साकार करेगी। इस से न केवल प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी; बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। इस तरह बिहार की उद्यमी महिलाएँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'विकसित भारत' के संकल्प को पूरा करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम हो पायेंगी। सात सितम्बर २०२५ को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 'मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना' का शुभारम्भ कर रहे हैं। 

●  योजना का उद्देश्य : 

      महिलाओं के उत्थान के लिए निरन्तर प्रयासरत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्थनता का समूल नष्ट करने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया है। इस का लाभ प्रत्येक परिवार तक पहुँचाने को सरकार संकल्पित भाव से कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना के उद्देश्य के सन्दर्भ में बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती अप्सरा कहती हैं कि घरेलू जिम्मेदारियों के निर्वहन के बाद महिलाओं के पास दोपहर में घण्टों समय बचता है। इस समय का उपयोग कर महिलाएँ सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता से परिवार की आमदनी बढ़ा सकती हैं। श्रीमती अप्सरा ने व्यावहारिक रूप से बताया कि अक्सर पारिवारिक या घरेलू विवाद दोपहर के समय में होते हैं। जब महिलाएँ दोपहर के समय का अर्थोपार्जन में सदुपयोग करने लगेंगी तो पारिवारिक कलह में भी कमी आयेगी और महिला आयोग पर बढ़ते घरेलू विवाद के बोझ घटेंगे। प्रत्येक परिवार की एक महिला को उद्यमी या व्यवसायी बनाने का उद्देश्य भी यह योजना पूरी करेगी। श्रीमती अप्सरा कहती हैं कि यह योजना निश्चय ही 'सम्पन्नता की संजीवनी' साबित होगी।

कितनी आर्थिक सहायता :

      इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक परिवार की एक महिला को शुरुआत में दस हजार रुपये की राशि बैंक खाते में प्रदान की जायेगी। इस राशि से उद्योग या व्यवसाय आरम्भ करना है। कुछ महीनों बाद उद्योग या व्यवसाय की स्थिति का आकलन करने के बाद आवश्यकता के अनुसार दो लाख रुपये तक अतिरिक्त सहायता राशि प्रदान की जायेगी।

कार्यकारी एजेन्सी : 

      मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना को राज्य का ग्रामीण विकास कार्यान्वित कर रहा है। इस विभाग के अधीन कार्यरत 'बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) ही इस योजना को संचालित करने के लिए अधिकृत एजेन्सी है। गाँवों में जीविका के अन्तर्गत संचालित महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएँ इस योजना का लाभ ले सकती हैं। जो महिलाएँ समूह से नहीं जुड़ी हैं, उन्हें समूह से जुड़ने के बाद ही आवेदन करना होगा। 

      शहरों की महिलाओं को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। शहरी महिलाएँ भी जीविका समूह से जुड़कर इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकती हैं। शहरों में योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग की सहायता ली जा रही है। 

योजना में परिवार की परिभाषा :

      मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना का फायदा हर परिवार तक पहुँचाने को सरकार संकल्पित भाव से कार्य कर रही है। इस योजना में पति, पत्नी और उन के अविवाहित बच्चों को परिवार माना जायेगा। यदि 18 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित लड़की की माँ और पिता दोनों का देहान्त हो गया है तो उसे एकल परिवार माना जायेगा। ऐसी लड़की इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकती है। 

पात्रता की शर्तें :

      इस योजना के तहत लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गयी हैं।  आवेदिका की आयु कम-से-कम 18 और अधिकतम 60 वर्ष होनी चाहिए। आवेदिका या उस का पति आयकर न देता हो तभी इस योजना का लाभ मिलेगा। साथ ही आवेदिका या उस का पति नियमित या संविदा पर सरकारी नौकरी न करता हो। आवेदिका का एक बैंक खाता हो जो आधार से जुड़ा हो।

आवश्यक दस्तावेज :

      इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए एक नियमित संचालित बैंक खाता हो जो आधार से जुड़ा होना चाहिए। साथ ही आधार कार्ड, आवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता के अनुसार ज़रूरत पड़ेगी।

      परिवार की आय बढ़ाने, बिहार को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने और विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना से महिलाओं को अवश्य जुड़ना चाहिए। 

● पंजीकरण और वेबसाइट :

ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाली महिलाएँ जीविका के प्रखण्ड या जिला कार्यालय में पंजीकरण करा सकती हैं। इस के अलावा प्रखण्ड कार्यालय, उप विकास आयुक्त कार्यालय अथवा जिलाधिकारी (डीएम) के कार्यालय में भी पंजीकरण कराया जा सकता है। 

शहरी क्षेत्रों में रहनेवाली महिलाएँ 'मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना' का लाभ लेने के लिए अपने नगर पंचायत, नगर परिषद या नगर निगम कार्यालय में जाकर पंजीकरण करा सकती हैं। 

मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन का वेबसाइट है :- www.brlps.in

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सोमवार, 18 अगस्त 2025

बच्चों के हृदय की निःशुल्क चिकित्सा और शल्य Free Treatment Of Heart For Children & Operation

 

-शीतांशु कुमार सहाय 

कुछ बच्चों को जन्म से ही हृदय की बीमारी होती है। ऐसे बच्चों की चिकित्सा अत्यन्त मुश्किल हो जाती है। कई बार तो उन की जान तक चली जाती है। ऐसे बच्चों के लिए हरियाणा का एक अस्पताल वरदान साबित हो रहा है। इस अस्पताल में बीमार बच्चों की दवा, इलाज, जाँच सहित सर्जरी मुफ्त में की जाती है। चिकित्सा के दौरान बच्चे के साथ ही उस के परिजन के ठहरने की भी व्यवस्था की जाती है।

      इस अस्पताल में किसी भी काम के लिए पैसे नहीं देने पड़ते हैं। हम बार कर रहे हैं, हरियाणा के पलवल स्थित बघोला में बने श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल की। बघोला में बने श्री सत्य साईं संजीवनी इण्टरनेशनल सेण्टर फॉर चाइल्ड हार्ट केयर सेण्टर गरीबों की निःशुल्क चिकित्सा कर रहा है।

शनिवार, 16 अगस्त 2025

श्रीकृष्ण के जन्म से पूर्व कंस के हाथों मारे गये छः शिशु कौन थे Who were the six children killed by Kansa before the birth of Shri Krishna


-प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय

      भगवान् श्री कृष्ण वह महानायक है, जिसने पूरी दुनिया को अधर्म और अन्याय के खिलाफ खड़े होना सिखाया ! जीवन-दर्शन का संदेश और ज्ञान गीता के द्वारा समझाया, भ्रमितों को राह दिखाई, दुखियों को न्याय दिलवाया ! इसके लिए भारी कीमत भी चुकाई ! जन्म लेते ही माँ-बाप से अलग होना पड़ा, जहां पला-बढ़ा, उस स्थान को भी छोड़ना पड़ा ! बचपन से लेकर जीवन पर्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद उसे बदनाम होना पड़ा, लांछन झेलने पड़े यहां तक कि श्रापग्रस्त भी होना पड़ा ! अपने जीवन काल में ही अपने वंश की दुर्दशा का सामना करना पड़ा पर इस सबके बावजूद चेहरे की मधुर मुस्कान को तिरोहित नहीं होने दिया ! कभी अपने दुखों की काली छाया अपने भक्तों की आशाओं पर छाने नहीं दी, क्योंकि सभी का कष्ट हरने के लिए ही तो अवतार लिया था ! 

      द्वापर का समय था ! बड़ी भीषण परिस्थितियां थीं ! राज्याध्यक्ष उच्श्रृंखल हो चुके थे ! प्रजा परेशान थी ! न्याय माँगने वालों को काल कोठरी नसीब होती थी ! अराजकता का बोल-बाला था ! भोग-विलास का आलम छाया हुआ था ! उस समय मथुरा का राज्य कंस के हाथों में था ! कंश निरंकुश व पाषाण ह्रदय नरेश था ! वैसे तो वह अपनी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था पर जबसे उसे मालूम हुआ था कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा तभी से उसने उसे काल कोठरी में डाल रखा था ! किसी भी तरह का खतरा मोल न लेने की इच्छा के कारण कंस ने देवकी के पहले छह पुत्रों की भी ह्त्या कर दी !

कौन थे वे अभागे शिशु ? 

ब्रह्मलोक में स्मर, उद्रीथ, परिश्वंग, पतंग, क्षुद्र्मृत व घ्रिणी नाम के छह देवता हुआ करते थे ! ये ब्रह्माजी के कृपा पात्र थे ! इन पर ब्रह्मा जी की कृपा और स्नेह दृष्टि सदा बनी रहती थी ! वे इन छहों की छोटी-मोटी बातों और गलतियों पर ध्यान न दे उन्हें नज़रंदाज़ कर देते थे ! इसी कारण उन छहों में धीरे-धीरे अपनी सफलता के कारण घमंड पनपने लग गया ! ये अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझने लग गए ! ऐसे में ही एक दिन इन्होंने बात-बात में ब्रह्माजी का भी अनादर कर दिया ! इससे ब्रह्माजी ने क्रोधित हो इन्हें श्राप दे दिया कि तुम लोग पृथ्वी पर दैत्य वंश में जन्म लो ! इससे उन छहों की अक्ल ठिकाने आ गयी और वे बार-बार ब्रह्माजी से क्षमा याचना करने लगे ! ब्रह्मा जी को भी इन पर दया आ गयी और उन्होंने कहा कि जन्म तो तुम्हें दैत्य वंश में लेना ही पडेगा पर तुम्हारा पूर्व ज्ञान बना रहेगा !

समयानुसार उन छहों ने राक्षसराज हिरण्यकश्यप के घर जन्म लिया ! उस जन्म में उन्होंने पूर्व जन्म का ज्ञान होने के कारण कोई गलत काम नहीं किया ! सारा समय उन्होंने ब्रह्माजी की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न करने में ही बिताया ! जिससे प्रसन्न हो ब्रह्माजी ने उनसे वरदान माँगने को कहा ! दैत्य योनि के प्रभाव से उन्होंने वैसा ही वर माँगा कि हमारी मौत न देवताओं के हाथों हो, न गन्धर्वों के, न ही हम हारी-बीमारी से मरें ! ब्रह्माजी तथास्तु कह कर अंतर्ध्यान हो गये।

इधर हिरण्यकश्यप अपने पुत्रों से देवताओं की उपासना करने के कारण नाराज था। उस ने इस बात के मालूम होते ही उन छः को शाप दे डाला कि वे किसी देवता या गंधर्व के हाथों नहीं, एक दैत्य के हाथों मरेंगे। इसी शाप के वशीभूत उन्होंने देवकी के गर्भ से जन्म लिया और कंस के हाथों मारे गये और सुतल लोक में जगह पायी।

कंस वध के पश्चात जब श्रीकृष्ण माँ देवकी के पास गए तो माँ ने उन छहों पुत्रों को देखने की इच्छा प्रभू से की जिनको जन्मते ही मार डाला गया था। प्रभू ने सुतल लोक से उन छहों को लाकर माँ की इच्छा पूरी की। प्रभू के सानिध्य और कृपा से वे फिर देवलोक में स्थान पा गये।

मंगलवार, 12 अगस्त 2025

शबरी को भगवान श्रीराम के दर्शन का रहस्य


शबरी को आश्रम सौंपकर महर्षि मतंग जब देवलोक जाने लगे, तब शबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।

      शबरी की उम्र  दस वर्ष  थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगी।

      महर्षि शबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे। शबरी को समझाया   पुत्री इस आश्रम में भगवान आएंगे, तुम यहीं प्रतीक्षा करो।

        अबोध शबरी इतना अवश्य जानती थी कि गुरु का वाक्य सत्य होकर रहेगा, उसने फिर पूछा-  कब आएंगे..

       महर्षि मतंग त्रिकालदर्शी थे। वे भूत भविष्य सब जानते थे, वे ब्रह्मर्षि थे।  महर्षि शबरी के आगे घुटनों के बल बैठ गए और शबरी को नमन किया।

      आसपास उपस्थित सभी ऋषिगण असमंजस में डूब गए। ये उलट कैसे हुआ।  गुरु यहां शिष्य को नमन करे, ये कैसे हुआ   महर्षि के तेज के आगे कोई बोल न सका।

                 महर्षि मतंग बोले- 

      पुत्री अभी उनका जन्म नहीं हुआ। अभी दशरथ जी का लग्न भी नहीं हुआ।

      उनका कौशल्या से विवाह होगा। फिर भगवान की लम्बी प्रतीक्षा होगी। 

      फिर दशरथ जी का विवाह सुमित्रा से होगा।  फिर प्रतीक्षा..

               फिर उनका विवाह कैकई से होगा। फिर प्रतीक्षा.. 

     फिर वो  जन्म लेंगे, फिर उनका  विवाह माता जानकी से होगा।  फिर उन्हें 14 वर्ष वनवास होगा और फिर वनवास के आखिरी वर्ष माता जानकी का हरण होगा।  तब उनकी खोज में वे यहां आएंगे।  तुम उन्हें कहना  आप सुग्रीव से मित्रता कीजिये। उसे आतताई बाली के संताप से मुक्त कीजिये, आपका अभीष्ट सिद्ध होगा। और आप रावण पर अवश्य विजय प्राप्त करेंगे।

         शबरी एक क्षण किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई।  अबोध शबरी इतनी लंबी प्रतीक्षा के समय को माप भी नहीं पाई।

         वह फिर अधीर होकर  पूछने लगी-  इतनी लम्बी प्रतीक्षा कैसे पूरी होगी गुरुदेव

         महर्षि मतंग बोले-  वे ईश्वर है, अवश्य ही आएंगे। यह भावी निश्चित है।  लेकिन यदि उनकी इच्छा हुई तो काल दर्शन के इस विज्ञान को परे रखकर वे कभी भी आ सकते है। लेकिन आएंगे  अवश्य 

        जन्म मरण से परे उन्हें जब जरूरत हुई तो प्रह्लाद के लिए खम्बे से भी निकल आये थे।  इसलिए प्रतीक्षा करना। वे कभी भी आ सकते है।  तीनों काल तुम्हारे गुरु के रूप में मुझे याद रखेंगे। शायद यही मेरे तप का फल है।

        शबरी गुरु के आदेश को मान वहीं आश्रम में रुक गई।  उसे हर दिन प्रभु श्रीराम की प्रतीक्षा रहती थी। वह जानती थी समय का चक्र उनकी उंगली पर नाचता है, वे कभी भी आ सकतें है। 

        हर रोज रास्ते में फूल बिछाती है और हर क्षण प्रतीक्षा करती।

                  कभी भी आ सकतें हैं।

हर तरफ फूल बिछाकर हर क्षण प्रतीक्षा।  शबरी बूढ़ी हो गई। लेकिन प्रतीक्षा  उसी अबोध चित्त से करती रही।

     और एक दिन उसके बिछाए फूलों पर प्रभु श्रीराम के चरण पड़े।  शबरी का कंठ अवरुद्ध हो गया। आंखों से अश्रुओं की धारा फूट पड़ी।

         गुरु का कथन सत्य हुआ।* भगवान उसके घर आ गए।  शबरी की प्रतीक्षा का फल ये रहा कि जिन राम को कभी तीनों माताओं ने जूठा नहीं खिलाया, उन्हीं राम ने शबरी का जूठा खाया।

         ऐसे पतित पावन मर्यादा, पुरुषोत्तम, दीन हितकारी श्री राम जी की जय हो। जय हो। जय हो।

         एकटक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद वृद्धा भीलनी के मुंह से स्वर/बोल फूटे-

         कहो राम ! शबरी की कुटिया को ढूंढ़ने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ..

        राम मुस्कुराए-  यहां तो आना ही था मां, कष्ट का क्या मोल/मूल्य..

        जानते हो राम! तुम्हारी प्रतीक्षा तब से कर रही हूँ, जब तुम जन्मे भी नहीं थे, यह भी नहीं जानती थी कि तुम कौन हो  कैसे दिखते हो ? क्यों आओगे मेरे पास ? बस इतना ज्ञात था कि कोई पुरुषोत्तम आएगा, जो मेरी प्रतीक्षा का अंत करेगा।

       राम ने कहा-  तभी तो मेरे जन्म के पूर्व ही तय हो चुका था कि राम को शबरी के आश्रम में जाना है।

       एक बात बताऊँ प्रभु ! भक्ति में दो प्रकार की शरणागति होती है। पहली ‘वानरी भाव’ और दूसरी ‘मार्जारी भाव’।

       बन्दर का बच्चा अपनी पूरी शक्ति लगाकर अपनी माँ का पेट पकड़े रहता है, ताकि गिरे न..उसे सबसे अधिक भरोसा माँ पर ही होता है और वह उसे पूरी शक्ति से पकड़े रहता है। यही भक्ति का भी एक भाव है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर को पूरी शक्ति से पकड़े रहता है। दिन रात उसकी आराधना करता है...! (वानरी भाव)

       पर मैंने यह भाव नहीं अपनाया।  मैं तो उस बिल्ली के बच्चे की भाँति थी, जो अपनी माँ को पकड़ता ही नहीं, बल्कि निश्चिन्त बैठा रहता है कि माँ है न, वह स्वयं ही मेरी रक्षा करेगी,   और माँ सचमुच उसे अपने मुँह में टांग कर घूमती है। मैं भी निश्चिन्त थी कि तुम आओगे ही, तुम्हें क्या पकड़ना...। (मार्जारी भाव)

                 राम मुस्कुराकर रह गए!!

    भीलनी ने पुनः कहा-  सोच रही हूँ बुराई में भी तनिक अच्छाई छिपी होती है न...  कहाँ सुदूर उत्तर के तुम, कहाँ घोर दक्षिण में मैं! तुम प्रतिष्ठित रघुकुल के भविष्य, मैं वन की भीलनी।  यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो तुम कहाँ से आते..

                राम गम्भीर हुए और कहा-

   भ्रम में न पड़ो मां!  राम क्या रावण का वध करने आया है..

      रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चलाकर भी कर सकता है।

     राम हजारों कोस चलकर इस गहन वन में आया है, तो केवल तुमसे मिलने आया है मां, ताकि  सहस्त्रों वर्षों के बाद भी, जब कोई भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे, कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिलकर गढ़ा था।

     जब कोई भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो काल उसका गला पकड़कर कहे कि नहीं! यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ, एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है।

     राम वन में बस इसलिए आया है, ताकि  जब युगों का इतिहास लिखा जाए, तो उसमें अंकित हो कि  शासन/प्रशासन और सत्ता जब पैदल चलकर वन में रहने वाले समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे, तभी वह रामराज्य है।

     राम वन में इसलिए आया है,  ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतीक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं। राम रावण को मारने भर के लिए नहीं आया है माँ!

     माता शबरी एकटक राम को निहारती रहीं।

                    राम ने फिर कहा-

     राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता!  राम की यात्रा प्रारंभ हुई है, भविष्य के आदर्श की स्थापना के लिए।

     राम राजमहल से निकला है, ताकि  विश्व को संदेश दे सके कि एक माँ की अवांछनीय इच्छओं को भी पूरा करना ही 'राम' होना है।

     राम निकला है, ताकि  भारत विश्व को सीख दे सके कि किसी सीता के अपमान का दण्ड असभ्य रावण के पूरे साम्राज्य के विध्वंस से पूरा होता है।

    राम आया है, ताकि  भारत विश्व को बता सके कि अन्याय और आतंक का अंत करना ही धर्म है।

    राम आया है, ताकि भारत विश्व को सदैव के लिए सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक सूर्पणखाओं की नाक काटी जाए और खर-दूषणों का घमंड तोड़ा जाए।

    राम आया है, ताकि युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी शबरी के आशीर्वाद से जीते जाते है।

       शबरी की आँखों में जल भर आया था।

उसने बात बदलकर कहा- बेर खाओगे राम..

   राम मुस्कुराए, बिना खाये जाऊंगा भी नहीं मां!

      शबरी अपनी कुटिया से झपोली में बेर लेकर आई और राम के समक्ष रख दिये।

      राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा- 

                बेर मीठे हैं न प्रभु?

    यहाँ आकर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ मां! बस इतना समझ रहा हूँ कि यही अमृत है।

    सबरी मुस्कुराईं, बोली- सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो, राम!

     मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को 

       बारंबार सादर चरण वंदन।।

शनिवार, 31 मई 2025

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर Lokmata Devi Ahilyabai Holkar



केवल तीन मिनट में जानिये महान शासिका  लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की जीवनी। उन की ३००वीं जयन्ती मनायी जा रही है। नीचे के लिंक पर क्लिक करें और देखें.....

https://youtu.be/KaKpBnatPC8

आज का राशिफल ३१ मई २०२५ Aaj Ka Rashifal 31 May 2025

 


अपनी राशि के अनुसार जानिये आज का राशिफल। 

अपना राशिफल इस लिंक पर क्लिक करें और देखें.....


https://youtu.be/qrSPxLVaTwI

शुक्रवार, 30 मई 2025

आतंक के फन को कुचल देंगे, बिहार से मोदी की हुंकार

 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में ४८ हज़ार ५०० करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण के बाद जनसभा को सम्बोधित किया और पाकिस्तान को आतंकवाद से परहेज करने की नसीहत दी।

उन्होंने कहा कि भारत की बेटियों के सिन्दूर की शक्ति को आज विश्व देख रहा है। मोदी ने रोहतास जिले के सासाराम में आज आयोजित विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए 'प्राण जाय पर वचन न जाई' का जयघोष किया। पाकिस्तान को सावधान करते हुए कहा कि अगर आतंक का फन निकला तो बिल से खींचकर कुचल देंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने और क्या कहा, सुनने और देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें.....

https://youtu.be/_X_Sc-fmvLk?si=Imdlq6rweP69BV_2

बिहार में ४८ हज़ार ५०० करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण किये PM Narendra Modi Inaugrated Mega Projects Of More Than 48 Thousand 500 Crore



बिहार में शुक्रवार, ३० मई २०२५ को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने४८ हजार ५०० करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के शिलान्यास व लोकार्पण किये। 

नीचे के लिंक पर क्लिक करें और देखें कि बिहार के किन जिला को किस प्रकार की परियोजना का सीधा लाभ मिला.....

https://m.youtube.com/watch?v=23HtLyPVGOo

आज ३० मई २०२५ का राशिफल Aaj Ka Rashifal 30 May 2025

 


अपनी राशि के अनुसार जानिये आज ३० मई २०२५ (शुक्रवार) का राशिफल। आज का दिन और आज की रात कैसी गुजरेगी?

अपना राशिफल इस लिंक पर जानिये...

https://m.youtube.com/watch?v=vPl5cmIf6N0

बुधवार, 28 मई 2025

प्रख्यात शिक्षक खान सर के विवाह का सच जानिये | Know Fact Of The Marriage Of Famous Teacher Khan Sir | Faizal Khan

 


     बिहार की राजधानी पटना में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षक फैजल खान बिहारी हिन्दी में पढ़ाने के कारण चर्चित हैं। वह 'खान सर' के नाम से विद्यार्थियों के बीच प्रसिद्ध हैं। यूट्यूबर के रूप में भी उन की प्रसिद्धि है।

      खान सर ने अपने विद्यार्थियों के बीच अपनी शादी की बात कही है। इस के बारे में सच जानने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें और देखें.....

https://youtu.be/N9wu_ivSe6A?si=swBgtE9kAWYJUxaZ

      Know Fact Of The Marriage Of Famous Teacher Khan Sir on above link.


खान सर के विवाह का सच जानिये | Know Fact Of The Marriage Of Famous Teacher Khan Sir | Faizal Khan


सोमवार, 19 मई 2025

१७ नेता संसद के रत्न चयनित, २ समितियों को भी सम्मान 17 Leaders Are The Sansad Ratna, 2 Committees Also Honored

भारत का संसद भवन


शीतांशु कुमार सहाय

      भारत में १५ वर्षों से बेहतरीन सांसदों को सम्मानित-पुरस्कृत करने की परम्परा चली आ रही है। इस वर्ष भी सम्मानित होनेवाले सांसदों का चयन कर लिया गया है। संसद में उल्लेखनीय योगदान देनेवाले १७ सांसदों और दो संसदीय स्थायी समितियों को 'संसद रत्न पुरस्कार २०२५' के लिए चुना गया है। ये पुरस्कार संसद में सक्रियता, बहस में भागीदारी, प्रश्न पूछने और विधायी कामकाज में योगदान के आधार पर दिए जाते हैं। यह पुरस्कार प्राइम प्वाइंट फाउण्डेशन की तरफ से शुरू किया गया है। 

      संसद रत्न पुरस्कार की शुरुआत २०१० में हुई थी और यह पुरस्कार उन सांसदों को दिये जाते हैं जो पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती देने के लिए संसद में सक्रिय रहते हैं।

      इस वर्ष के विजेताओं का चयन जूरी कमेटी ने किया जिस की अध्यक्षता पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर (राष्ट्रीय) ने की। 

४ सांसदों को विशेष सम्मान 

      चार सांसदों को संसदीय लोकतंत्र में उत्कृष्ट और सतत योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया जायेगा। प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन के अनुसार, ये चारों सांसद १६वीं और १७वीं लोकसभा में भी संसद में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करनेवालों में शामिल रहे हैं और अपनी मौजूदा कार्यकाल में भी लगातार सक्रिय हैं। 

      ये चारों सांसद हैं-- भर्तृहरि महताब (भाजपा), सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी), एन. के. प्रेमचंद्रन (आरएसपी) और श्रीरंग अप्पा बारणे (शिवसेना)

१३ सांसदों को  विशिष्ट सम्मान 

      अन्य १३ सांसदों को उन के विशिष्ट संसदीय कार्यों के लिए चुना गया है। इन में कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इन सांसदों ने संसद में प्रश्न पूछने, चर्चा में भाग लेने और विधेयकों पर सुझाव देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

      इन के नाम इस प्रकार हैं-- स्मिता वाघ (भाजपा),  अरविंद सावंत (शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट), नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना), वर्षा गायकवाड़ (काँग्रेस), मेधा कुलकर्णी (भाजपा), प्रवीण पटेल (भाजपा), रवि किशन (भाजपा), निशिकांत दुबे (भाजपा), बिद्युत बरन महतो (भाजपा), पी. पी. चौधरी (भाजपा), मदन राठौर (भाजपा), सी. एन. अन्नादुरै (डीएमके) और दिलीप सैकिया (भाजपा)।

दो स्थायी समितियाँ भी पुरस्कृत 

     इस वर्ष दो संसदीय स्थायी समितियों को भी संसद रत्न पुरस्कार से नवाजा जाएगा। ये हैं दोनों समितियाँ--

      वित्त पर स्थायी समिति। इस समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब (भाजपा) हैं। इस समिति ने वित्तीय नीतियों पर कई प्रभावशाली और व्यावहारिक रपटें संसद में प्रस्तुत की हैं।

      कृषि पर स्थायी समिति। इस समिति के अध्यक्ष चरणजीत सिंह चन्नी (काँग्रेस) हैं। इस समिति ने किसानों की समस्याओं और कृषि सुधारों पर ठोस सुझाव संसद में रखे हैं।

शुक्रवार, 16 मई 2025

ऑपरेशन सिन्दूर...तुर्किये और अजरबैजान का बायकाट जारी, जानिये अन्दर-बाहर की बात Operation Sindoor : Boycott Of Turkey & Azerbaijan, Know The Inside And Outside Story

तीन इस्लामिक देशों की दोस्ती : भारत से दुश्मनी

शीतांशु कुमार सहाय 

      बायकाट...बायकाट...बायकाट...सभी जगह यही शब्द ट्रेण्ड कर रहा है। संसार का सर्वाधिक आबादी वाला और विश्व का सब से बड़ा उपभोक्ता देश भारत अब सामरिक दृष्टि से भी महाशक्ति के रूप में उभरा है। ऑपरेशन सिन्दूर की प्रचण्ड सफलता ने इस उभार को नया आयाम दिया है। पहली बार देश के हर नागरिक में देशभक्ति का ज्वार-भाटा प्रकट रूप से हिलोर मार रहा है। जन-जन के देशप्रेम के इसी हिलोर में तुर्किये और अजरबैजान की आर्थिक स्थिति हिचकोले खाने लगी है। इसी सन्दर्भ में विस्तार से जानिये.....

      एक अनुमान के अनुसार, भारत से जो आर्थिक लाभ तुर्किये और अजरबैजान को मिल रहा था, उस में सत्तर प्रतिशत से अधिक की कमी आ गयी है। आज दिल्ली सहित देश के सतरह राज्यों के व्यापारियों ने बैठक कर तुर्किये और अजरबैजान के सामानों को अपनी व्यापारिक गतिविधियों से निकाल-बाहर करने का निर्णय लिया है। भारत पर हमला करने के लिए पाकिस्तान की सहायता करना इन दोनों इस्लामिक देशों को महँगा पड़ रहा है। 

नरेन्द्र मोदी : नये भारत का दमदार नेतृत्वकर्ता

टेरर और ट्रेड साथ-साथ नहीं  

      भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राष्ट्र के नाम सम्बोधन में स्पष्ट कहा कि टेरर (आतंकवाद) और ट्रेड (व्यापार) एकसाथ नहीं चल सकते। मोदी के नेतृत्व में नये भारत की विदेश नीति बड़ी धारदार है-- दोस्त हो तो दोस्ती निभाओ और दुश्मन हो तो मैदान में आ जाओ। छिपकर वार करने की फितरत भारत की नहीं है लेकिन चार दिन के संघर्ष में जिन-जिन देशों ने छिपकर, धर्म की ओट लेकर या व्यापार को आधार बनाकर भारत पर आक्रमण में पाकपरस्ती की है, उन्हें खामियाज़ा भुगतना ही पड़ेगा। 

व्यापारी और उद्योगपति नाराज

      फिलहाल दो पाकपरस्तों को आर्थिक मोर्चे पर धोबिया पछाड़ देने के लिए भारतवासियों ने कमर कस लिया है। पिछले कुछ दिनों से से चल रहे छिटपुट बायकाट ट्रेण्ड को आज देश के विभिन्न राज्यों में बैठक कर बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों ने औपचारिक बायकाट का रूप दे दिया। बिना सरकारी घोषणा के भारतीय व्यापारियों के बायकाट के औपचारिक निर्णय से तुर्किये और अजरबैजान के वैसे व्यापारियों और कारोबारियों के गले सूखने लगे हैं जो भारत में निर्यात कर रहे थे।

      चैम्बर ऑफ ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री (सीटीआई) के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने कहा कि जो देश भारत के खिलाफ दुश्मन देश का समर्थन कर रहे हैं, उन के साथ कारोबार करना उचित नहीं है। भारत के लोगों से कमाई करके उस रकम से पाकिस्तान को मदद दी जा रही है। अब तुर्किये और अजरबैजान के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म कर सबक सिखाने की जरूरत है।

     भारत के सभी व्यापारिक संगठनों में भारत विरोधी विदेशी शक्तियों के खिलाफ़ अपना रोष प्रकट किया है। 

      सीटीआई महासचिव गुरमीत अरोड़ा का कहना है कि केंद्र सरकार को फौरन तुर्किये और अजरबैजान के साथ-साथ चीन से आयात होने वाले सामानों पर रोक लगानी चाहिए, ताकि भारत से कमाई करके जुटाए गए फंड का इस्तेमाल पाकिस्तान की मदद करने में न किया जा सके। 

पर्यटन और व्यापार पर ख़तरा

      तुर्किये के पर्यटन और अर्थव्यवस्था में भारत का अहम रोल है। वर्ष 2024 में भारत के 2 लाख 75 हज़ार लोगों ने तुर्किये की यात्रा की है। 2024 में भारत और तुर्किये के बीच 12.5 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ। अब तय करना है नाटो के एकमात्र मुस्लिम सदस्य देश तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन को कि वह पाकिस्तान को चुने या अर्थव्यवस्था में साढ़े बारह अरब डॉलर जोड़े।

अनिर्णय की स्थिति में तुर्किये 

      दरअसल, भारत की विदेश नीति और भारतीयों के बायकाट वाले तात्कालिक निर्णय ने एर्दोआन को अनिर्णय की स्थिति में ला दिया है। अनिर्णय की स्थिति में तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी आ गये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी से घबराकर उन्हें युद्ध विराम की श्रेय लेनेवाले वक्तव्य को बदलना पड़ा। एर्दोआन के पाकपरस्ती से दामाद की ड्रोन निर्माण करनेवाली और हवाई अड्डे पर यात्रियों को सेवा देनेवाली कम्पनी पर ख़तरे मँडराने लगे हैं। इस बारे में विस्तार से आगे बता रहा हूँ। 

धर्म के आधार पर पाकिस्तान को मदद

      बहरहाल, तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन मुसलमानों के खलीफा बनना चाहते हैं; क्योंकि तुर्किये खलीफा प्रथा का गढ़ था जिसे खत्म कर मुस्तफा कमाल पाशा ने तुर्की को मुस्लिमबहुल देश होने के बावजूद एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में विश्व फलक पर उभारा था। पर, मुस्लिम बहुल देश धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता, इस कथन को चरितार्थ कर तुर्की भी इस्लामिक देश बन गया और नाम भी तुर्की से तुर्किये हो गया। इसी सन्दर्भ में तुर्किये और अजरबैजान ने धर्म (इस्लाम) के आधार पर पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध सहायता दिया और लगातार दे रहा है।

तुर्किये के ड्रोन से भारत पर हमला 

      आप को याद होगा कि सात मई के बाद पाकिस्तान ने भारत के सीमावर्ती छब्बीस जगहों पर कुछ दिनों तक करीब चार सौ एसिसगॉर्ड सोनगार ड्रोन्स से हमला किया। ये ड्रोन तुर्किये के बने हुए थे।

तुर्किये के राष्ट्रपति के दामाद की कम्पनी पर भारत की सख्ती 

      इस बीच मोदी सरकार ने फिर बड़ा फैसला लेते हुए तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग फर्म सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज की भारतीय हवाई अड्डों पर सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है। इस सम्बन्ध में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दी है। तुर्की की यह कंपनी मुंबई सहित भारत के कई एयरपोर्ट पर यात्री सेवाओं, लोड नियंत्रण, उड़ान संचालन, कार्गो और डाक सेवाओं, गोदामों और पुल संचालन सहित लगभग 70 प्रतिशत ज़मीनी संचालन संभालती है। नागरिक उड्डयन और सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पूरे भारत से भारतीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएँ संचालित करनेवाली तुर्की की कंपनी 'सेलेबी एनएएस एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया लिमिटेड' पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध प्राप्त हुए हैं।

      यहाँ बता दूँ कि साल 2008 में तत्कालीन काँग्रेसी सरकार के आदेश पर सेलेबी कंपनी ने भारत के विमानन (एयरपोर्ट सर्विस) सेक्टर में काम शुरू किया था। अब रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस कंपनी में तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन की बेटी सुमेये एर्दोआन की हिस्सेदारी यानी शेयर है। एर्दोआन की बेटी की शादी सेलकुक बेराकटार से हुई है। ये वही शख्स है, जिस की कंपनी बेराकटार तुर्की में मिलिट्री ड्रोन बनाती है। पाकिस्तान ने इसी कंपनी के बनाए ड्रोन का इस्तेमाल सात मई के बाद भारत के खिलाफ नाकाम हमले में किया था।

अरबों रुपये का व्यापार ख़तरे में 

       अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये को भारत का निर्यात 5.2 बिलियन अमेरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 6.65 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 437 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात का सिर्फ 1.5 प्रतिशत है।

      अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान को भारत का निर्यात केवल 86.07 मिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 89.67 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल निर्यात का मात्र 0.02 प्रतिशत है।

      अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये से भारत का आयात 2.84 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 3.78 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 720 बिलियन अमरीकी डॉलर के आयात का केवल 0.5 प्रतिशत है।

      अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान से आयात 1.93 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 0.74 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल आवक शिपमेंट का मात्र 0.0002 प्रतिशत है।

भारत और तुर्किये के बीच आयात व निर्यात

निर्यात :- खनिज ईंधन और तेल (2023-24 में 960 मिलियन अमरीकी डॉलर), विद्युत मशीनरी और उपकरण, ऑटो और उसके पुर्जे, कार्बनिक रसायन, फार्मा उत्पाद, टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं, प्लास्टिक, रबर, कपास, मानव निर्मित फाइबर और तंतु, लोहा और इस्पात शामिल है।

आयात :- विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब), ताजे सेब (लगभग 10 मिलियन अमरीकी डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल (2023-24 में 1.81 बिलियन अमरीकी डॉलर), रसायन, प्राकृतिक या संवर्धित मोती, लोहा और इस्पात।

भारत और अजरबैजान के बीच आयात व निर्यात

निर्यात :- तम्बाकू और उसके उत्पाद (2023-24 में 28.67 मिलियन अमरीकी डॉलर), चाय, कॉफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबर, कागज और पेपर बोर्ड और सिरेमिक उत्पाद।

आयात :- पशु चारा, जैविक रसायन, आवश्यक तेल और इत्र और कच्ची खालें और चमड़ा। 2023 में, भारत अज़रबैजान के कच्चे तेल के लिए तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य था।

दोनों देशों में भारतीय 

      वर्तमान में तुर्किये में लगभग तीन हज़ार भारतीय नागरिक हैं। इन में दो सौ छात्र शामिल हैं। इसी तरह अजरबैजान में भारतीय समुदाय के लोग की संख्या डेढ़ हज़ार से ज़्यादा है।


बुधवार, 7 मई 2025

ऑपरेशन सिन्दूर व अखण्ड भारत : ऐसे हल होगा भारत का सीमा विवाद व अखण्ड भारत की पुनर्कल्पना Operation Sindoor & Akhand Bharat : This Is How India's Border Dispute Will Be Solved & Akhand Bharat Will Be Re-imagined


      जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों की हत्या किये जाने का बदला लेने के लिए भारत ने सात मई २०२५ को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला कर आतंकवादियों को मिट्टी में मिला दिया। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है जाने-माने ज्योतिष अमित कुमार नयनन का आकलन। इस में भारत-पाकिस्तान के वर्तमान तनाव, सीमा विवाद, अखण्ड भारत की परिकल्पना व अन्य महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर तथ्य समाहित हैं, जिन से आमतौर पर लोग अनभिज्ञ हैं। 

      भारत की कुंडली वृष लग्न की है और इसकी राशि कर्क है। वृष स्थिर तो कर्क चर राशि है, अतः स्थिर व चरात्मक दोनो प्रवृत्ति का इस की प्रवृत्ति व प्रकृति में समावेश होगा। वृष व कर्क दोनो ही राशियाँ स्वभाव से मृदु हैं, अतः इस देश की प्रकृति मृदु व स्नेहशील होगी व इस में सहनशीलता व विवेकशीलता अन्य देशों की अपेक्षा अधिक रहेगी। लग्नेश शुक्र का राशीश चन्द्र के साथ तृतीय भाव में युति इस के दीर्घकालिक अवस्था को सबलता से दर्शाता है। लग्न में लग्नेश शुक्र मित्र राहु अपनी उच्च राशि में बैठा है। इस प्रकार लग्न के लिए यह एक अच्छी स्थिति है। लग्नेश का तृतीय पराक्रम स्थान में सूर्य, चन्द्र, बुध, शनि के साथ बैठना व केतु से देखा जाना इस देश के विविध लोग, सभ्यता व संस्कृति के दर्शन को सरल तरीके से इंगित करता है। तृतीय में विविध प्रकृति के पंचग्रह की युति कुछ हद तक संत या एकाकी योग को भी बताता है। इस में भी संदेह नहीं कि भारत धर्म और ध्यात्म का धनी देश है। इस प्रकार इस की विविधता में एकता का बल लक्षित होता है जो कि पूर्णतया सही है। भारत भौगोलिक रूप से तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम, दक्षिण दिशा की ओर जल से घिरा प्रायद्वीप है जिस के एकमात्र उत्तर में विशालकाय हिमालय व भूखंड आदि हैं।  

भारत की कुंडली में तृतीय पराक्रम स्थान जितना प्रबल है उतना ही चतुर्थ जनता, अचल संपति व भूमि स्थान कमजोर है। तृतीय स्थान में जो ग्रह बल, पराक्रम आदि की वृद्धि कर रहे हैं वही ग्रह जनता, अचल संपत्ति व भूमि के लिए बाधा भी दे रहे हैं क्योंकि तृतीय स्थान चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान है। यह युति चूँकि कर्क राशि में बन रही है, अतः उतर दिशा भारत के लिए इस मामले में सदा चिंता का मसला रहेगा। तृतीय स्थान में पंचग्रह युति जहां बल व पराक्रम के लिए अच्छी है वहीं यह अचल संपति व भूखंड के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसी कारण तृतीयस्थ शनि महादशा में पाक व चीन युद्ध हुआ व तिब्बत एवं कैलास व मानसरोवर जैसे भूखंड इस वक्त चीन के कब्जे में हैं। अतः कुल ९ महादशा ग्रहों में इन पाँच ग्रहों की दशा में सीमा विवाद अक्सर बना रहेगा। कुल १२० साल की महादशा में सनि १९ साल, बुध १७ साल, शुक्र २० साल, सूर्य ६ साल व चन्द्र १० साल आते हैं जो कि ८२ साल अर्थात कुल दशा का दो-तिहाई से भी ज़्यादा साल आते हैं, अतः संक्षेप में भारत को अपने दशाकाल में अक्सर सीमा व भूमि विवाद बना रहेगा और इन पांच ग्रहों की दशा में यह विशेष होगा ।

भारत की आज़ादी समय ज्योतिषीयों के द्वारा आज़ादी का निर्धारित किया गया समय पूर्ण शुभ न होने के कारण आज यह स्थिति है। यही पंचग्रह यदि लग्न, दशम या एकादश में होते तो देश की स्थिति कुछ और होती। फिर भी बल व पराक्रम का स्थान मजबूत होने के कारण यह एक मजबूत देश है और रहेगा।  

चन्द्र महादशा फल

      चन्द्र महादशा २१ मई २०१५ से २१ मई २०२५ तक चल रही है। चन्द्र महादशा की दस साल की महादशा पूर्णता के पश्चात २१ मई २०२५ से सात साल की मंगल महादशा २१ मई २०३२ तक चलेगी।

   (विशेष : विविध पंचांगों की मतविभिन्नता के कारण दशा को एक या २ माह तक पहले या बाद से भी मानते हैँ; मगर किसी भी पंचांग को लिया जाए तो १ या २ माह से अधिक का अंतर नहीं होता है।)

     इस आभार पर कुछ २०२५ जुलाई से भी मंगल महादशा की शुरुआत मानते है! तथापि किसी भी पद्धति को लिया जाय तो भी दशाफल तो  वही रहेगा ही। साथ ही दशाफल में भी एक या दो माह से अधिक का अंतर नहीं आएगा। इसलिए सटीक विश्लेषण के लिए सटीक पंचांग का उपयोग करें अथवा फलादेश से घटनाक्रम को मिलाकर उपयुक्त पंचांग का स्वयं चयन कर लें।

भारत व पाकिस्तान युद्ध : ज्योतिषीय गणना से निकला सच India & Pak War : Pakistan Will Be Destroyed, Truth Revealed By Astrological Calculations

      भारत और पाकिस्तान मैं इतना विवाद क्यों है, इस का उत्तर जानना भी आवश्यक है। इस सन्दर्भ को लेकर अब कुण्डली का विश्लेषण लग्न व राशि के आधार पर करते हैं।  

विक्रमादित्य के समय का अखण्ड भारत





लग्न की दृष्टि से आकलन

      भारत का लग्न वृष और पाकिस्तान का लग्न मेष है। वृष का व्यय भाव मेष होता है तथा मेष का धन भाव वृष होता है। भारत का  लग्न वृष पाकिस्तान के लग्न मेष का धन भाव है तथा पाकिस्तान का लग्न मेष भारत के लग्न का व्यय भाव है।

राशि के अनुसार विश्लेषण 

      भारत की राशि कर्क और पाकिस्तान की राशि मिथुन है। भारत की राशि कर्क पाकिस्तान की राशि मिथुन का धन भाव तो पाकिस्तान की राशि मिथुन भारत की राशि कर्क का व्यय भाव है।

अंक ज्योतिषीय विश्लेषण

      पाकिस्तान का पहले नाम 'पाकस्तान' था। इस को बाद में 'पाकिस्तान' कर दिया गया। पाकिस्तान का जन्म भारत की भाँति ठीक अर्द्ध-रात्रि को नहीं हुआ था; बल्कि ११:३० बजे रात को ही उस के पेपर वर्क हो गये थे। इस प्रकार पाकिस्तान का जन्म विशुद्ध रूप से १४ का न होकर १३ का है। इसलिए इसपर मूलांक ४ का पूर्ण प्रभाव है। मूलांक १ और मूलांक ४ अंक विज्ञान में समान माने जाते हैँ। पाकिस्तान का मूलांक ४ तथा चीन का १ है। इसलिए समानवर्ती ग्रहीय गुण के कारण इन दोनो की आपस में सहमति और सहभागिता बहुत बार नज़र आई है।

      अंक विज्ञान के अनुसार पाकस्तान से पाकिस्तान नाम करने से पाक का सन्युक्तांक ५ से ६ हो गया जो भारत का मूलांक है। इस तरह भारत इसपर हावी रहेगा या होगा। ऐसी ही स्थिति भारत और चीन के बीच भी है, भारत का मूलांक ६ है तथा चीन का 'चाइना' शब्द के आधार पर ६ सन्युतांक है। इस तरह भारत के लिए यह अनुकूल ग्रह स्थिति है; इस ग्रहीय स्थिति के कारण भारत चीन पर हावी रहेगा अथवा चीन भारत का समर्थन करेगा। अगर चीन समर्थन नहीं भी करता है फिर भी भारत हावी रहेगा।

स्वर अंक आधारित विश्लेषण 

      एक और रोमांचक तथ्य स्वर अंक के आधार पर गणना और विश्लेषण करने पर पता चलता है। स्वर अंक से भारत और पाकिस्तान समान हैँ मगर चीन बलवान है। इसलिए भारत जबतक भारत के नाम से पुकारा जाता रहा, चीन का दबदबा अचानक बढ़ा और उस ने भारत का तिब्बत हड़प लिया। स्वर विज्ञान से तिब्बत भी चीन से स्वरांक में ऋणी है इसलिए वह उस का गुलाम बन गया।

      स्वरांक का पुकारू नाम पर अधिक प्रभावी होता है। मसलन किसी का सर्टिफिकेट नाम कुछ भी हो मगर जिस नाम से सम्बोधित करते उस की तंद्रा उसे सब से पहले सचेत करे अथवा जिस नाम से अधिक स्वयं में सक्रिय हो, उस नाम का प्रथम अक्षर ही स्वरांक प्रधान होता है।

      भारत कालांतर में इंडिया के नाम से प्रचलित व सम्बोधित हुआ और हो रहा है। इस नाम के अनुसार चीन और पाकिस्तान दोनो ही भारत के ऋणी हैँ। स्वरांक विधि अनुसार दोनो अधिकतम पॉइंट के साथ ऋणी हैँ। इसलिए समय के अनुसार भारत बनाम इंडिया ने तिब्बत घटना के बाद भी चीन के मुक़ाबले आनुपातिक रूप से अतिशय वृद्धि कर ली है तथा पहले के मुक़ाबले कमजोर स्थिति से सबलता से हो खड़ा हो गया है।

      स्वरांक विधि वस्तुतः उच्चारण आधारित पद्धति है। अतः किसी के वर्णमाला के प्रथम अक्षर की जगह उस के उच्चारण में आ रहे अक्षर को प्रधानता दी जाती है। मसलन, स्कूल को सकूल पढ़ते हैँ मगर इस्कूल बोलते हैँ। उच्चारण चूँकि इस्कूल है, अतः स्वर विज्ञान में इस्कूल अनुसार ही गणना होगी। स्कूल के 'स्' की जगह इस्कूल के 'इ' को प्रथम अक्षर के रूप में लेकर गणना की जाएगी।

      लग्न, राशि, अंक, स्वर आधारित अध्य्ययन, गणना, तुलनात्मक आकलन आदि से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इन में आखिर इतना परस्पर विवाद क्यों होता है।

बुधवार, 30 अप्रैल 2025

पश्चिम बंगाल के दीघा में बना भव्य जगन्नाथ मन्दिर Jagannath Temple At Digha West Bengal Inaugrated

जगन्नाथ धाम, दीघा





      
      पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर का आज बुधवार, ३० अप्रील २०२५ (अक्षय तृतीया) को शुभ मुहूर्त में उद्घाटन हुआ है। आज मंदिर में देवताओं की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। इस के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यज्ञ, हवन और पूजा के लिए एक दिन पहले मंगलवार को ही दीघा पहुँच गयी थीं।

      ओडिशा के पुरी में बने १२वीं सदी के मंदिर की तर्ज पर बने दीघा के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करीब बीस एकड़ में किया गया है। इस के लिए राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से लाल बलुआ पत्थर मँगाए गए थे।

      पश्चिम बंगाल सरकार मंदिर के उद्घाटन के बाद सालाना रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रही है। दीघा में पहली ऐसी यात्रा जून में आयोजित होने की संभावना है। यात्रा में इस्तेमाल होनेवाले रथ पहले ही बनाए जा चुके हैं और उन्हें तैयार रखा गया है। पुरी से दीघा करीब ३५० किलोमीटर दूर है।

     दीघा के जगन्नाथ धाम का निर्माण 'हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन' (HIDCO) द्वारा किया गया है। राज्य सरकार ने इस पर करीब २५० करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस का पूरा प्रबन्धन अब 'इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस' (इस्कॉन) को सौंपा जाएगा।

      पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह, दीघा के मंदिर भी चार मंडप (हॉल) बनाए गए हैं। इन के नाम- विमान (गर्भगृह), जगमोहन, नट मंडप (नृत्य हॉल) और भोग मंडप हैं। दीघा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियाँ पुराने पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही बनाई गई हैं लेकिन ये पत्थर से बनी हैं। चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार बने हैं। मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद अरुण स्तंभ है, फिर सिंह द्वार है और इस के ठीक सामने व्याघ्र द्वार है। हर दरवाजे के पास सीढ़ियाँ और छतरी बनी है।

      हर दरवाजे को शंख, चक्र और कमल से सजाया गया है। मंदिर के गुंबद से लेकर हर दरवाजे पर रंग-बिरंगी लाइटिंग लगाई गई है। पुरी मंदिर की तरह, दीघा जगन्नाथ मंदिर के ऊपर हर शाम झंडा फहराये जाने की परम्परा आरम्भ की गयी है।

जगन्नाथ धाम, दीघा की प्रमुख बातें


मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

भारत व पाकिस्तान युद्ध : ज्योतिषीय गणना से निकला सच India & Pak War : Pakistan Will Be Destroyed, Truth Revealed By Astrological Calculations

भारत की कुण्डली

      जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर हिन्दुओं की हत्या किये जाने को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते खराब हो गये हैं। राजनयिकों की संख्या में कटौती, नागरिकों की वापसी, वीजा में छूट पर रोक, नये वीजा पर प्रतिबन्ध, सीमा पर सैन्य गतिविधियों में वृद्धि, द्विपक्षीय सन्धियों के निलम्बन जैसी कार्रवाइयाँ दोनों देशों की ओर से हुई हैं। आपसी सम्बन्ध निरन्तर बिगड़ रहे हैं। ऐसे में ज्योतिष अमित कुमार नयनन ने इस सन्दर्भ को ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर गणना कर यह आलेख प्रस्तुत किया है...

      भारत की कुण्डली के अनुसार, भारत की महादशा चंद्र १० वर्षीय से मंगल ७ वर्षीय की ओर अग्रसर है; महादशा जुलाई २०२५ में चंद्र से मंगल में प्रवेश कर जाएगी । चंद्र एक शांतिपूर्ण शीतल ग्रह हैँ मगर मंगल स्वयं ही युद्धप्रिय ग्रह ही नही बल्कि स्वयं ही योद्धा ग्रह हैँ। इसलिए मंगल की ७ वर्षीय महादशा अपनी दशा में कई बार युद्ध स्थितियों को जन्म दे रही है। भारत के लिए यह युद्ध की महादशा है। 

मंगल महादशा का गम्भीर प्रभाव 

      मंगल का सीधा सम्बन्ध भाई, भूमि से होता है, इसलिए संलगन क्षेत्रों से भूमि एवं युद्ध का स्पष्ट सूचक है। भारत की कुण्डली में मंगल मिथुन राशि में हैँ। मिथुन पश्चिम दिशा का सूचक है, अतः इस दशा मैं पश्चिम, उत्तर-पश्चिम व दक्षिण-पश्चिम से विशेष तौर पर संघर्ष होगा। मंगल राहु के नक्षत्र और राहु के उपनक्षत्र में ही हैँ तथा राहु भारत के लगन में उच्च होकर स्थित हैँ। अतः इतना तो स्पष्ट है कि भारत सुरक्षित रहेगा एवं इस के प्रभुत्व का विश्व लोहा मानेगा।

बड़े नेताओं पर खतरा

      मंगल और राहु दोनो की दृष्टि संतान भाव पर है, इसलिए यह भारत के शीर्षस्थ नेताओं यहाँ तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या समतुल्य उच्च शासकीय लोग के लिए खतरे की घण्टी है। अतः इस मामले में पूर्ण सतर्कता बरतनी होगी अन्यथा अकस्मात् गंभीर घटना हो सकती है। 

केतु की महादशा का कुप्रभाव 

      यहाँ यह जानने की बात है कि केतु की महादशा में ही इंदिरा गाँधी की हत्या हुई थी। केतु स्वयं विस्फोटक ग्रह हैँ। विदित हो कि राहु और केतु की अपनी कोई राशि नहीं होती, इसलिए जिन राशियों मैं बैठते एवं जिन से भी संयुक्त या प्रभावित होते हैँ, उन का भी फल देने लग जाते हैँ। अतः स्वयं विस्फोटक होने तथा अग्नि ग्रह मंगल की राशि मैं बैठने से तथा मंगल के कुटुम्ब भाव मैं बैठने तथा संतान भाव पर दृष्टि डालने से उक्त (इन्दिरा गाँधी की हत्या) घटना ने जन्म लिया था। इस में मंगल का व्यय भाव का मालिक होने से भी आग में घी का काम किया था। इसलिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री वगैरह देश के मुख्य शीर्ष शासकीय व्यक्तियों को विशेष रूप से सचेत रहना ही होगा। इस में भी यह मंगल की महदशा में मंगल, राहु, शनि, बुध, केतु की अन्तर्दशा मे होंगी। इन में केतु के अतिरिक्त सारी दशाएँ मंगल महादशा के पूर्वार्द्ध अर्थात् पहले साढ़े ३ साल के अंदर पड़ती हैँ। अतः २०२५ जुलाई से सतर्कता ज़रूरी है। राष्ट्र को तो कुछ नहीं होगा, इस का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा मगर कोई अनहोनी घटना शीर्ष अधिकारियों को लेकर हो सकती है।

जम्मू-कश्मीर की स्थिति 

      वर्तमान में कश्मीर की कुण्डली के अनुसार, कश्मीर में ७ जून २०२५ तक स्थिति खराब रहेगी। हालाँकि विपरीत घटनाओं का असर कश्मीर पर कमोबेश सितम्बर २०२५ तक भी है।

पाकिस्तान की ग्रह-दशा

पाकिस्तान की कुण्डली

     पाकिस्तान की कुण्डली के अनुसार, वह २९ अप्रैल २०२५ से ७ जून २०२५ तक कठिन और बेहद कठिन दौर से गुजरेगा। २०२५ जुलाई तक भी बहुत सुधार की उम्मीद नहीं है। १५ अगस्त २०२५ तक भारत से विवाद चरम पर होगा तथा १६ सितम्बर २०२५ तक भारत पाकिस्तान संघर्ष का सम्पूर्ण परिणाम सभी तरह से स्पष्ट हो जाएगा। भारत की कुण्डली बलवान है, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के साथ बलूचिस्तान भी पाकिस्तान के हाथ से जाता दीख रहा है। पाकिस्तान की सम्प्रभुता पर भी आँच आएगी।

भारत के लिए 

मंगल महादशा में सतर्कता की अवधि

मंगल - मंगल : २०२५ जुलाई-दिसंबर २०२५

मंगल - राहु : २०२५ दिसंबर-जनवरी २०२७

मंगल - शनि : २०२७ दिसंबर-जनवरी २०२९

मंगल - बुध : २०२९ जनवरी-जनवरी २०३०

मंगल - केतु : २०३० जानवरी-जून २०३०

चीन का हस्तक्षेप 

      इस प्रकरण में चीन का हस्तक्षेप ७ जून २०२५ तक रहेगा। मई के प्रथम सप्ताह से चीन पाकिस्तान का साथ देगा। राहु और केतु जून में अगले १ साल ६ माह तक के लिए कुम्भ-सिंह राशि में गोचर कर रहे हैँ। भारत-पाक के  लिए यह एक चुनौतीपूर्ण दौर होगा; क्योंकि दोनो की नवमांश कुंडली में राहु और केतु इन्हीं राशियों मे हैँ। मई २०२५ तक चीन का हस्तक्षेप अधिक रहेगा तथा ७ जून २०२५ के बाद चीन इस मामले मे कमजोर पड़ जाएगा।

      चीन की ग्रहचाल एवं गतिविधि से इस मामले में चीन की प्रत्यक्ष या परोक्ष संलिप्त्ता संभव है। ऐसा संभव है कि उस ने इस प्रकरण मे पाक का साथ दिया हो और प्रॉक्सी वार खेल रहा हो, मगर विश्व तथा भारत के अंदर व बाहर से मिल रहे पूर्ण समर्थन को देख उस की रणनीतिक हार हुई हो। भारत को इस सिरे पर पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। मुख्यातः इस बात पर ध्यान हो कि बिना चीन की मदद के पाकिस्तान में इतना बड़ा कदम उठाने की कूबत नहीं है। भूखे-दरिद्र पाक को उकसाकर समृद्ध होते भारत तथा जम्मू-कश्मीर एवं उत्तर भारत की सकारात्मक होती बयार को डिस्टर्ब करना चाहता हो। गुप्त रूप से भी पाकिस्तान को चीन की तरफ से भारत के विरुद्ध सहायता मिल सकती है। 

भारत-पाक युद्ध : महादशा-अंतर्दशा

      भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तीन युद्धों में ग्रहों की महादशा और अन्तर्दशा देखिये। इस बार जो दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति है, वैसी स्थिति में भी २०२५ की वर्तमान ग्रह-स्थिति प्रदर्शित की गयी है। 

१९४८ : शनि-शनि

१९६५ : बुध-बुध

१९७१ बुध-सूर्य

१९९९ : शुक्र-बृहस्पति

२०२५ : चंद्र-सूर्य और मंगल-मंगल

रविवार, 23 मार्च 2025

श्रेष्ठ अभिनय व शानदार व्यक्तित्व के लिए याद किये जायेंगे राकेश पाण्डेय

 

पटना में फिल्म 'लल्लू बिहारी' की शूटिंग के दौरान राकेश पाण्डेय के साथ शीतांशु

-शीतांशु कुमार सहाय 

श्रेष्ठ अभिनेता राकेश पाण्डेय अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन मुझ जैसे सैकड़ों सहकर्मियों और लाखों प्रशंसको के मानस पटल पर सदा-सर्वदा जीवित रहेंगे। अपने लाखों पाठकों की ओर से मैं उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ और परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ!

हिंदी सिनेमा और भोजपुरी फिल्मों में अहम योगदान देने वाले प्रसिद्ध दिग्गज अभिनेता राकेश पांडे का शुक्रवार, 21 मार्च की सुबह दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने मुंबई के जुहू स्थित आरोग्यनिधि अस्पताल में सुबह 8:50 बजे अंतिम सांस ली, जहां उनका इलाज आईसीयू में चल रहा था। अंतिम संस्कार 22 मार्च को मुंबई के शास्त्री नगर श्मशान घाट पर किया गया जिस में परिवार और करीबी परिचित मौजूद थे। 

राकेश पांडे ने हिंदी और भोजपुरी सिनेमा में अपने यादगार अभिनय से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। 1970 के दशक में फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले राकेश पांडे ने अपने प्रभावशाली अभिनय से कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। उन्होंने वर्ष 1971 में श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सुधा सुहागन’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। हालांकि, उन्हें असली पहचान 1974 में आई फिल्म ‘अनुभव’ से मिली, जिसमें उन्होंने अभिनेत्री तनुजा के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म अपने गहरे सामाजिक संदेश और बेहतरीन अभिनय के लिए जानी जाती है।

राकेश पांडे ने अपने कॅरियर में कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें शामिल हैं :-

‘अनुभव’ (1974) – तनुजा के साथ मुख्य भूमिका में

‘रजनीगंधा’ (1974) – अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा के साथ

‘घर’ (1978) – विनोद मेहरा और रेखा के साथ

‘साजन बिना सुहागन’ (1978)

‘अहिंसा’ (1979)

हिंदी और भोजपुरी फिल्मों के अलावा, राकेश पांडे ने कुछ टेलीविजन शो और थिएटर में भी अभिनय किया। उनका अभिनय सहज और वास्तविकता से जुड़ा होता था, जिससे दर्शक उनसे गहराई से जुड़ पाते थे।

राकेश पांडे ने भोजपुरी सिनेमा में भी अपनी अलग पहचान बनाई और कई लोकप्रिय फिल्मों का हिस्सा रहे। उनके अभिनय और दमदार डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें भोजपुरी दर्शकों का भी चहेता बना दिया। उन का योगदान भारतीय सिनेमा के लिए अमूल्य रहेगा, और उनकी यादगार फिल्में हमेशा उन के शानदार करियर की गवाही देंगी।

राकेश पांडे का जन्म 9 अप्रैल 1940 को भारत के हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपना एक्टिंग करियर 1969 में फिल्म 'सारा आकाश' से शुरू किया था। इसमें उन्होंने समर की भूमिका निभाई थी। इन्होंने हिंदी से लेकर भोजपुरी सिनेमा में लंबे समय काम किया और सफलता हासिल की। इन्होंने 1978 में 'मेरा रक्षक' में मंगल की भूमिका निभाई थी। जिससे उन्हें ज्यादा पहचान मिली थी।


बुधवार, 22 जनवरी 2025

जूना अखाड़ा : डेढ़ हजार तोग ने नागा संन्यास की दीक्षा ली, उन्नीस महिलाएँ भी बनीं नागा संन्यासी Naga Sangnyasi



     बुधवार १८ जनवरी २०२५ को प्रयागराज के महाकुंभ में १५०० पुरुषों ने पिण्डदान सहित स्वयं ही अपना पूरा श्राद्ध कर्म किया और नागा संन्यासी बनने के लिए दीक्षा ग्रहण की। 

      इस अवसर पर १९ महिलाएँ भी महाकुम्भ में नागा संन्यासी बनने की दीक्षा लेंगी। इन सब को गुरु परंपरा के अनुसार ही दीक्षा दी जायेगी।

      सभी पुरुषों ने पंच दशनाम जूना अखाड़े से जुड़कर हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा संन्यासी बनने की दीक्षा ली।

      जूना अखाड़े के रमता पंच के श्री महंत रामचंद्र गिरि, दूधाधारी महाराज, निरंजन भारती और मोहन गिरि की देखरेख में पहले सभी लोगों का मुंडन संस्कार किया गया। इस के बाद सभी ने १०८ बार गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाई। इस के उपरान्त गंगा पूजन किया औऱ अपना, माता-पिता सहित सात पीढ़ियों का पिणडदान किया। 

      पिण्डदान के बाद सभी ने एक स्वर में स्वयं को सांसारिक मोह-माया से अलग करते हुए सांसारिक तौर पर स्वयं के मृत होने की घोषणा कर दी।

शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

विश्व हिन्दी दिवस World Hindi Day

-शीतांशु कुमार सहाय 

      प्रतिवर्ष १० जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हिन्दी भाषा की बढ़ती वैश्विक पहचान और सम्मान को दर्शाने के लिए समर्पित है। वर्ष २००६ में भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने १० जनवरी को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाने की आधिकारिक शुरुआत की। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है कि हिन्दी की अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता बढ़े और इसे अधिक प्रतिष्ठा मिले।

      विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन दुनियाभर में हिन्दीभाषियों, हिन्दी प्रेमियों और भाषा के प्रवर्तकों द्वारा किया जाता है, जिस से यह एक महत्त्वपूर्ण अवसर बन जाता है, हिन्दी के महत्त्व को स्वीकार करने और प्रचारित करने का।

      भारत के अलावा विश्व के अनेक देशों में हिन्दी बोली और समझी जाती है। वर्तमान में हिन्दी अपने एक मजबूत स्थान पर है और निरन्तर प्रचारित व प्रसारित हो रही है।

शुक्रवार, 3 जनवरी 2025

इस महीने बदलेंगे भाजपा के २९ प्रदेश अध्यक्ष 29 State Presidents of BJP Will Change This Month

-शीतांशु कुमार सहाय

      २९ राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव हेतु भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव अधिकारियों की घोषणा कर दी। किस राज्य में कौन चुनाव करायेंगे, इस की सूची इस प्रकार है :-

१) मनोहर लाल खट्टर (केन्द्रीय मंत्री) : बिहार
२) केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव : गुजरात
३) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान : कर्नाटक
४) केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल : उत्तर प्रदेश
५) केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान : मध्य प्रदेश 
६) गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी : राजस्थान
७) केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू : सिक्किम
८) केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत : असम
९) सर्बानंद सोनोवाल : अरुणाचल प्रदेश
१०) केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी : केरल
११) केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह : हिमाचल प्रदेश
१२) राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े : छत्तीसगढ़
१३) तमिलनाडु की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती तमिलिसाई सुंदरराजन : अंडमान निकोबार
१४) पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर : लद्दाख
१५) सांसद संजय जायसवाल : ओडिशा
१६) सुनील बंसल : गोवा
१७) पीसी मोहन : आन्ध्र प्रदेश
१८) सरदार नरेन्द्र सिंह रैना : चण्डीगढ़
१९) विनोद तावड़े : छत्तीसगढ़
२०) डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल : दादर-नगर हवेली और दमन-दीव
२१) अरुण सिंह : हरियाणा
२२) पूर्व सांसद संजय भाटिया : जम्मू-कश्मीर
२३) पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष हिमाचल प्रदेश जयराम ठाकुर : लद्दाख
२४) पूर्व केन्द्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन : लक्षद्वीप 
२५) केन्द्रीय राज्य मंत्री जाॅर्ज कूरियन : मेघालय
२६) महिला मोर्चा की अध्यक्ष श्रीमती वानती श्रीनिवासन : मिजोरम
२७) पूर्व केन्द्रीय मंत्री बी मुरलीधरन : नागालैण्ड
२८) राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ : पुदुचेरी
२९) गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय भाई रूपाणी : राजस्थान
      १५ जनवरी २०२५ तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव पूरा करने की समय सीमा तय की गयी है। इस के बाद, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। प्रत्याशा है कि इस महीने के आखिर तक भाजपा के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है।