शनिवार, 27 सितंबर 2025

टेक्सटेरिया ड्रेसेज : आशा, विश्वास और क्षमता का प्रतीक टेक्सटेरिया के रेडीमेड कपड़े Textarya Dresses : Textarya Readymade Garments Symbolize Hope, Faith & Potential

Textarya Shirts
 -शीतांशु कुमार सहाय 

      हमारी आशा और हमारे स्वप्न कभी-कभी हमारी पहुँच से बाहर लग सकते हैं; क्योंकि समाज ने हमें सिखाया है कि कुछ चीज़ें बस अप्राप्य हैं। हम ऐसा क्यों मानते हैं? हम स्वयं पर और अपनी अद्भुत क्षमता पर विश्वास क्यों नहीं करते? जो लोग जीवन की बाधाओं और संशयवादियों को पीछे छोड़कर सितारों तक पहुँचना चाहते हैं, उन के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है। वास्तविक बदलाव लाने की अपनी क्षमता पर विश्वास करना ही होगा। कभी-कभी सही दिशा में एक धक्का ही हमें अपनी समस्याओं को अलग नज़रिये से देखने के लिए पर्याप्त होता है। 'कुछ भी असंभव नहीं है', जब हम ऐसा ठान लेते हैं तो अन्दर से एक शक्ति मिलती है जो हम को असम्भवताओं के बारे में नये नज़रिये से सोचने पर बाध्य कर देती है। इस के बाद हम जो परिश्रम करते हैं तो सम्भावनाएँ सकारात्मक परिणाम में बदलने लगती हैं और ज़रूरी उपाय खोजने नहीं पड़ते, दीखने लगते हैं। 

रीना कुमारी 

    यह किसी उपदेशक ने नहीं कहा। यह कथन है एक सफल महिला उद्यमी रीना कुमारी का। ये उन के अनुभव से निकले शब्द हैं। कुछ नहीं से शुरू कर आज लाखों का कारोबार करनेवाली रीना का टेक्सटेरिया (Textarya) ब्राण्ड के रेडीमेड गारमेण्ट्स आज कई नगरों में बिक रहे हैं। वह कहती हैं कि वर्तमान सरकार की योजनाएँ महिला उद्यमियों के लिए अनुकूल हैं। सरकार की तरफ से न केवल ऋण और अनुदान के रूप में आर्थिक मदद मिल रही है; बल्कि औद्योगिक, व्यावसायिक और मार्केटिंग के प्रशिक्षण भी दिये जा रहे हैं। पहले महिलाओं के लिए ऐसा माहौल नहीं था।

      बिहार प्रगति के पथ पर अग्रसर है। महिलाएँ भी इस प्रगति में निरन्तर भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। उद्योग, व्यवसाय और सेवा के विविध क्षेत्रों में सफल उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। इसी सन्दर्भ में बिहार की महिमा उद्यमी के रूप में उभरता नाम रीना कुमारी का है।

      बिहार के पटना जिले में जन्मी रीना के पिता उद्योग विभाग में कार्यरत धे। उन्होंने बेटी को हर सम्भव मदद की और निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन का आशीर्वाद अब भी मिल रहा है। माँ गृहणी होने के बावजूद बेटी के उद्यमी कदम को बढ़ने से कभी नहीं रोकी। माता के प्रगतिशील विचारधारा का सम्बल प्राप्त हुआ। एक भाई और दो बहनों में सब से छोटी हैं रीना जिन के सपने कभी छोटे नहीं रहे। कारोबारी गतिविधियों में पति सतीश कुमार का निरन्तर सहयोग मिल रहा है।

      माता-पिता के आशीर्वाद और पति के साहस व उत्प्रेरणा से रीना ने अपने बचपन के स्वप्न को साकार करना आरम्भ किया। वह सिलेसिलाये वस्त्र का कारोबार करना चाहती थी। इस के लिए मन में एक योजना बनायी और तदनुरूप कार्य करना आरम्भ कर दिया। पच्चीस वर्षों के वैवाहिक जीवन में कई वर्ष औद्योगिक शहरों में रहने के अवसर प्राप्त हुए। इस बीच वह एक पुत्र आकाश और पुत्री भूमि की माँ बनीं लेकिन अपने लक्ष्य से ध्यान को भटकनेे नहीं दिया। अपने सम्पर्क के आधार पर लगातार वस्त्र उद्योग के सभी पक्षों की बारीकियों को आत्मसात करती रहीं। साध ही सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त करती रहीं।

      पति के सहयोग से रीना ने पटना में कारोबार करने की ठानी। कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कभी-कभी ऐसा भी लगा कि रेडीमेड कपड़ों के उत्पादन से बेहतर होगा कि दूसरी कम्पनी का माल लेकर बेचा जाय लेकिन जिद्द थी अपना ब्राण्ड बनाने की और वह पूरा हुआ। पहले ट्रीना एण्टरप्राइजेज (Treenaa Enterprises) नामक कम्पनी की स्थापना की। नियमानुसार जीएसटी निबन्धन कराया। रीना कुमारी का कहना है कि उन्हें घर से आरम्भिक पूँजी मिल सकती थी, पर उन्होंने अपने बूते कम्पनी को चलाने का निश्चय किया और प्रधानमंत्री रोज़गार योजना के तहत दस लाख रुपये का ऋण लिया। अच्छी कम्पनी की सिलाई मशीनों का क्रय किया और कुशल कारीगरों की व्यवस्था की। इस प्रकार आरम्भ हो गयी टेक्सटेरिया (Textarya) ड्रेसेज की विकास यात्रा जो अनवरत् जारी है। रीना ने नियमानुसार इस नाम का ट्रेडमार्क भी लिया है।

      फिलहाल टेक्सटेरिया ब्राण्ड के अन्तर्गत शर्ट, कुर्ता, पैजामा और बण्डी का हर साइज में उत्पादन हो रहा है। शुरुआत में पटना के कुछ स्थानीय दुकानों में ही कपड़ों की बिक्री हो पा रही थी लेकिन उत्तम क्वालिटी के कपड़े और उत्कृष्ट तथा मजबूत सिलाई के कारण टेक्सटेरिया के ड्रेसेज लोकप्रिय होने लगे। पटना, बक्सर, वैशाली, सारण, गया, जहानाबाद, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, नवादा होते हुए झारखण्ड के राँची, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, धनबाद, बोकारो आदि नगरों में टेक्सटेरिया ने अपना बाजार बना लिया है। 

      रेडीमेड कपड़ों का उत्पादन शुरू कर रीना ने न केवल स्वयं को आर्थिक रूप स्वावलम्बी बनाया; बल्कि दर्जनों महिलाओं और पुरुषों की बेरोजगारी भी दूर कर रही हैं। अब उन के कपड़े कई बड़े माॅल की भी शोभा बढ़ा रहे हैं। पटना के चर्चित खादी माॅल, बिहार इम्पोरियम के बिक्री केन्द्रों, बिहार संग्रहालय के बिक्री केन्द्रों से भी टेक्सटेरिया ड्रेसेज की खरीददारी की जा सकती है। 

      क्या आप ने कभी सोचा है कि असम्भव परिस्थितियाँ भी आगे बढ़ने का एक असाधारण अवसर हैं? याद रखिए कि कोई भी महान रचना कुछ संशोधनों के बिना नहीं रची जा सकती। वर्तमान संभावनाओं पर काम करते हुए असम्भवता को ही लक्ष्य बनाएँ, आप वहाँ पहुँच जाएंगी। अगर लोग यह मानना ​​छोड़ दें कि चीजें असंभव हैं तो जीवन कहीं अधिक उज्ज्वल होगा। आप पर्याप्त दृढ़ संकल्प और विश्वास के साथ कुछ भी कर सकती हैं। अपने असंभव स्वप्नों पर विश्वास रखें और रीना कुमारी की तरह लक्ष्य पर ध्यान लगाकर निरन्तर प्रगति के पथ पर बढ़ते रहें।

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