बुधवार, 30 सितंबर 2015

भारत में चिकित्सा स्वास्थ्य पर्यटन प्रोत्साहन बोर्ड का गठन / Health Tourism Promotion Board in India


-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
केन्द्र सरकार ने देश मंे चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यटन दिवस पर 27 सितम्बर को चिकित्सा तथा स्वास्थ्य पर्यटन प्रोत्साहन बोर्ड का गठन कर दिया। केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री महेश शर्मा ने नयी दिल्ली में पर्यटन दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम मंे यह जानकारी दी। उन्हांेने कहा कि चिकित्सा पर्यटन देश की आर्थिक तरक्की का अहम हिस्सा बन सकता है और इसी संभावना का पूरा इस्तेमाल करने के लिए इस बोर्ड का गठन किया गया है। डॉ. शर्मा ने कहा कि सस्ती चिकित्सा सुविध्ाा हमारे यहाँ पर्यटन को बढ़ावा देने का बेहतर आध्ाार बन सकता है और हमंे इसका पूरा फायदा उठाना चाहिए। उन्हांेने कहा कि भारत मंे दुनिया के अन्य क्षेत्रांे की तुलना मंे छः गुना कम खर्चीली चिकित्सा सुविध्ाा है। उन्हांेने कहा कि बोर्ड की शुरुआत 2 करोड़ रुपये की निध्ाि से की गयी है। इसके साथ ही चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आयुष चिकित्सा को भी प्रोत्साहित किया जायेगा।

खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों के दिन जल्द ही बहुरेंगे / Khadi and Village Industries


-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
केन्द्र सरकार ने खादी और ग्रामोद्योग के शहद, सोया दूध, हर्बल मेहंदी, चाय तथा सौंदर्य प्रसाधन सहित अनेक उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने के लिए इनकी उत्पादन तकनीक के आधुनिकीकरण की एक नयी योजना बनायी है जिससे अंततः लाखांे लोग को रोजगार मिल सकेगा। केन्द्र सरकार ने ग्रामोद्योग से जुड़े ऐसे उद्योगों का चयन किया है जिनके उत्पादों की बाजार में माँग है और ये श्रम आधारित है। आँकड़ांे के अनुसार खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित उद्योगों में देशभर में 10 लाख से अधिक बुनकर और कताई करने वाले लोग जुड़े हुए हैं।
-परंपरागत तरीके और तकनीक से उत्पादन
         सिक्किम, मिजोरम, गोवा, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और पुड्डुचेरी में खादी की बुनाई और कताई की इकाइयाँ नहीं हैं। ये लोग परंपरागत तरीकांे और तकनीक से उत्पादन करते हैं जिससे उत्पादों में एकरूपता का अभाव होता है और कई बार गुणवत्ता के साथ समझौता करना पड़ता है। सरकार ने इसके मानक तय करने के लिए संबंधित इकाइयांे और कारीगरांे के उत्पादों में एकरूपता लाने की एक विस्तृत योजना तैयार की है। इसके तहत कई संस्थानांे के साथ गठबंधन किया गया है जिसमें गुणवत्ता निर्धारण एवं जाँच, प्रशिक्षण और उत्पादन प्रक्रिया में एकरुपता लाना शामिल है।
-37 उद्योगों के आधुनिकीकरण की योजना
          आयोग ने अभी तक 37 उद्योगों के आधुनिकीकरण की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। इनमें सौर ऊर्जा आधारित उपकरणांे और मशीनांे के निर्माण करने से संबंधित उद्योग, कम लागत की पैकेजिंग मशीन, बायोगैस बिजली संयंत्र, एलईडी लाईटिंग उद्योग, धूप बत्ती बनाने वाली मशीन, कम लागत के शौचालय का निर्माण, हरी मिर्च का पाउडर बनाने की मशीन, सोया दूध, इमली, आँवला और शहद आधारित मशीन, हर्बल मेहंदी, चाय, गुलाल और फेस पाउडर, पंचगव्य आधारित उत्पादों का निर्माण, नीम आधारित उत्पाद, बायो उत्पाद जांच किट, खादी वस्त्र एवं परिधान निर्माण और संबंधित मशीनंे, साबुन, शैंपू और अन्य सौंदर्य प्रसाधन निर्माण तथा आभूषण एवं बर्तन निर्माण उद्योग प्रमुख है।
-खादी एवं ग्रामोद्योगों को विशेष सहायता
    प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत खादी एवं ग्रामोद्योगों को विशेष सहायता दी जा रही है। इसके तहत इन्हंे अपनी गतिविधियां संचालित करने के लिए सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। उद्योगों को तकनीक, ऋण और उपकरण मुहैया कराए जाते हैं। कारीगरांे को उत्पादों की मार्केटिंग करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है और देश के विभिन्न हिस्सांे मंे इनकी प्रदर्शनी लगाई जाती है।
-उत्पादन स्थलों के पुनरोद्धार के लिए ऋण
    कारीगरांे को उत्पादन स्थान बनाने के लिए आश्रय उपलब्ध कराया जा रहा है जहाँ एक साथ कई लोग अपने उत्पादों का निर्माण एवं प्रदर्शन कर सकते हैं। कारीगरांे के परंपरागत और पुराने उत्पादन स्थलांे का पुनरोद्धार करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है और ब्याज पर सब्सिडी देने की व्यवस्था की गयी है।


प्रशिक्षण संस्थान के साथ करार
    खादी और ग्रामोद्योग से जुड़े उद्योगों के आधुनिकीकरण की जिम्मेदारी खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को सौंपी गयी है। आयोग ने इसके लिए कारीगरांे के प्रशिक्षण के कई संस्थानांे के साथ करार किया है। प्रौद्योगिकी संस्थानांे ने लगभग 124 तकनीक खादी और ग्रामोद्योग के लिए विकसित की है। आयोग ने पुणे के कंेद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के साथ शहद के लिए, जयपुर के कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज संस्थान के साथ हस्तनिर्मित कागज के लिए, नासिक के डॉ. बीआर अम्बेडकर ग्रामीण प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन तथा नवीनीकरणीय ऊर्जा संस्थान के साथ प्रशिक्षण के लिए और नारियल रेशा उत्पादों के लिए त्रिवंेद्रम के फाइबर डिजाइन कम डेवलपमंेट संेटर के साथ समझौते किए हैं।
-42 खादी संस्थान व 64 ग्रामोद्योग
    आयोग ने गुणवत्ता की जाँच करने की क्षमता अर्जित करने के लिए 42 खादी संस्थानांे और 64 ग्रामोद्योगों को तकनीकी एवं वित्तीय मदद उपलब्ध कराई है। इन संस्थानांे में कम लागत पर गुणवत्ता जाँच की जाती है।

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

सोमवार, 14 सितंबर 2015

हिंदी दिवस : इंटरनेट पर बढ़ रही है हिंदी / HINDI DIWAS : HINDI ON INTERNET

प्रस्तुति : शीतांशु कुमार सहाय
भले ही रफ्तार कम हो, लेकिन इंटरनेट पर हिंदी बढ़ रही है। अब ब्लॉगों की भरमार है, सरकारी-गैर सरकारी वेबसाइट भी खूब हैं। सोशल मीडिया में इसमें लिखा जा रहा है। अब स्मार्टफोन पर डिफाल्ट या एप के जरिये की बोर्ड देवनागरी में उपलब्ध हैं। ट्विटर की तरह हिंदी का मूषक आ चुका है। हिंदी एप लांचिंग की तैयारी है। आइए हिंदी दिवस के अवसर पर जानते हैं इंटरनेट पर हिंदी की स्थिति और उसके समक्ष मौजूद चुनौतियों के बारे में...
इंटरनेट पर आंकड़ों में हिंदी...
- 20 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता हिन्दी में इंटरनेट सर्फिंग को पसंद करते हैं गूगल के मुताबिक
- 94 प्रतिशत की दर से बढ़ी है हिंदी की विषयवस्तु की उपलब्धता अंग्रेजी के19 प्रतिशत के मुकाबले
- एक लाख से ऊपर पहुंच गई है इंटरनेट पर हिन्दी ब्लागर की संख्या, इनमें से लगभग 10 हजार अतिसक्रिय और 20 हजार सक्रिय की श्रेणी में आते हैं। 
- 09 हजार वेबसाइट हिंदी में उपलब्ध हैं केंद्र और राज्य सरकारों की 
- 70 ई-पत्रिकाएं देवनागरी लिपि में उपलब्ध हैं आज इंटरनेट पर हिंदी साहित्य से संबंधित 
- 1000 हिंदी के रचनाकारों की रचनाओं का अध्ययन किया जा सकता है महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (वर्धा) की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट हिंदीसमय डॉट कॉम पर।
- 15 से अधिक हिंदी के सर्च इंजन हैं जो किसी भी वेबसाइट का चंद मिनटों में हिंदी अनुवाद करके पाठकों को परोस देते हैं। याहू, गूगल और फेसबुक भी हिंदी में उपलब्ध हैं।
- 50 करोड़ है भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या गूगल के मुताबिक, जबकि गूगल पर 1 लाख विकीपीडिया के लेख हैं
हिंदी की वेबसाइट भी...
- आज पूंजी बाजार नियामक सेबी, बीएसई, एनएसई, भारतीय जीवन बीमा निगम, भारतीय स्टेट बैंक, रिजर्व बैंक आफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय लघु विकास उद्योग बैंक की वेबसाइटें हिंदी में भी उपलब्ध हैं। 
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वेबसाइट भी हिंदी में है।
- भारत स्थित कई विदेशी दूतावासों की अंग्रेजी वेबसाइट पर हिंदी में जानकारी उपलब्ध है।
- गूगल इंडिया के मुताबिक करीब गूगल ने हिंदी वेब डॉट कॉम से एक ऐसी सेवा शुरू की है, जो इंटरनेट पर हिंदी में उपलब्ध समस्त सामग्री को एक जगह ले आएगी। इसमें हिंदी वॉयस सर्च जैसी सुविधा भी शामिल है।
- सी-डैक ने हिन्दी सहित भारत की 22 क्षेत्रीय भाषा में सॉफ्टवेयर तैयार किए हैं।
यूं पार की तकनीकी बाधा...
- इंटरनेट पर हिंदी का सफर रोमन लिपि से प्रारंभ हुआ और फॉन्ट जैसी समस्याओं से जूझते हुए यह देवनागरी लिपि तक पहुंच गया।
- यूनीकोड, मंगल जैसे यूनीवर्सल फॉन्ट ने देवनागरी लिपि को कंप्यूटर पर नया जीवन प्रदान किया
- स्मार्टफोन पर ट्रांसलेशन एप आए, जो अंग्रेजी को हिन्दी में और हिन्दी को अंग्रेजी में अनुदित करते हैं
- हाल के सालों में कुछ भारतीय मोबाइल कंपनियों ने देवनागरी में ही की-बोर्ड उपलब्ध कराए
- नोकिया (अब माइक्रोसॉफ्ट), सैमसंग और कुछ अन्य मोबाइल कंपनियों के स्मार्टफोन में डिफाल्ट देवनागरी लिपि की-बोर्ड उपलब्ध हैं।
- कई एप डेवलपर पूरी तरह से हिन्दी एप्लीकेशन लांच करने की तैयारी में जुटे गए हैं।
- गूगल अब पूर्ण रूप से मैप और सर्च भी हिंदी में ला सकता है।
- हिन्दी उपयोग करने वाले ग्राहकों को देखते हुए स्मार्टफोन बनाए गए हैं। इनमें आप चाहे तो हाथ से हिन्दी लिखकर मैसेज कर सकते हैं। या फिर हिन्दी की-बोर्ड को डाउनलोड कर मैसेज टाइप कर सकते हैं।
- गूगल पर जाकर आप हिन्दी में गूगल नक्शे का उपयोग कर अपने शहर का ट्रैफिक देख सकते हैं।
सोशल मीडिया का हिंदी अवतार...
- हाल में ट्विटर की तरह मूषक नामक माइक्रोब्लागिंग साइट हिन्दी में शुरू करने की घोषणा की गई। 
- इस पर (मूषक) 10 हजार अकाउंट खुल चुके हैं। इस पर फोन नंबर के जरिये भी जुड़ा जा सकता है।
- ट्विटर में जहां 140 कैरक्टर में ट्वीट करते हैं, वहीं मूषक में 500 कैरेक्टर की सीमा उपलब्ध कराई गई है।
- ट्विटर पर हैशटैग सुविधा भी हिंदी में है।
हिंदी बनाम अंग्रेजी...
- गूगल के मुताबिक, अभी देश में अंग्रेजी जानने वालों की तादाद 19.8 करोड़ है। इसमें से ज्यादातर लोग इंटरनेट पर हैं।
- एक तथ्य यह भी है कि भारत में इंटरनेट बाजार का विस्तार ज्यादा सामग्री अंग्रेजी में होने की वजह से ठहर गया है।
- आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट पर 55.8 प्रतिशत सामग्री अंग्रेजी में है, जबकि दुनिया की पांच प्रतिशत से कम आबादी अंग्रेजी का उपयोग प्रथम भाषा के रूप में करती है।
- दुनिया में सिर्फ 21 प्रतिशत लोग ही अंग्रेजी समझते हैं। जहां तक अरबी या हिंदी का सवाल है तो इसे बोलने वालों की संख्या दुनिया में काफी ज्यादा है।
- इसके बावजूद अरबी और हिंदी की इंटरनेट पर सामग्री क्रमश: 0.8 और 0.1 प्रतिशत ही उपलब्ध है।
 चुनौतियां...
- आज हिंदी में कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, इसके बावजूद बैंक, बिजली विभाग, भारतीय बीमा जैसी कंपनियां अभी भी उपभोक्ताओं को अंग्रेजी में बिल और पॉलिसी दे रही हैं। 
- केन्द्र और राज्य सरकार की नौ हजार वेबसाइट हैं लेकिन ज्यादातर पहले अंग्रेजी में खुलती है। हिन्दी में देखने के लिए अलग से क्लिक करना होता है। 
- सबसे बड़ी समस्या जागरुकता की कमी है। लोग नहीं जानते कि हिन्दी में भी साफ्टवेयर हैं, वे कम्प्यूटर और स्मार्ट फोन का उपयोग करने में अंग्रेजी का ज्ञान होना जरूरी मानते हैं। 
- गूगल, एपल, माइक्रोसॉफ्ट सहित अन्य कंपनियों की वेबसाइट पहले अंग्रेजी में बनती है, बाद में इनका अनुवाद हिंदी में किया जाता है।

हिन्दी दिवस : अंग्रेजी में भी लिखे जाने लगे हैं हिन्दी के शब्द / HINDI DIWAS : The Hindi words are written in English


-शीतांशु कुमार सहाय

इंडियन पंच, देवघर के 14 जनवरी 2015 के अंक में प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित



शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

मुद्रा बैंक : 10 लाख तक के व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण व मार्गदर्शन / MUDRA BANK : START BUSINESS UPTO 10 LAKH


प्रस्तुति : शीतांशु कुमार सहाय

अगर आप 10 लाख रुपए तक की पूंजी में व्यवसाय शुरू करना चाहते है तो उसकी पूरी डिटेल अब एक जगह मिल जाएगी। मुद्रा बैंक ने ऐसे 27 बिजनेस की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें प्रोजेक्ट शुरू करने का पूरा प्रोसेस दिया गया है। यानी आपको बिजनेस शुरू करने लिए पूरे बिजनेस करने की प्लानिंग एक जगह मौजूद होगी। साथ ही सस्ते इंटरेस्ट पर मुद्रा बैंक के जरिए आपको लोन भी 10 लाख रुपए तक मिल जाएगा।
मुद्रा बैंक ने तैयार किया डीपीआर...
हाल ही में लांच किए गए मुद्रा बैंक ने ऐसे 27 छोटे बिजनेस की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है। इसके तहत आपको बिजनेस शुरू करने में किन चीजों की जरूरत होगी, उसकी पूरी जानकारी रिपोर्ट में दी गई है। इसके तहत यह बताया गया है कि शुरुआती समय में कितना इन्वेस्टमेंट करना होगा। इसके अलावा वर्किंग कैपिटल के लिए कितनी पूंजी की जरूरत होगी। साथ ही मार्केटिंग का क्या खर्च आएगा। इसका पूरा डिटेल तैयार किया गया है। रिपोर्ट में बिजनेस के जरिए हर महीने होने वाले प्रॉफिट का भी कैलकुलेशन दिया गया है।
इन बिजनेस की है डिटेल रिपोर्ट...
मुद्रा बैंक ने जिन 27 बिजनेस की डीपीआर तैयार की है, उसमें फ्लोर मिल, टॉयलट सोप, टोमैटो सॉस, कम्प्यूटर असेंबलिंग, लाइट इंजिनियरिंग प्रोडक्ट्स, एग्रीकल्चर इम्प्लीमेंट्स, कटलरी, हैंड टूल , पेपर प्रोडक्ट, बेकरी, करी एंड राइस पाउडर प्रोडक्ट, स्टील फर्नीचर, फुट वियर, वुडेन फर्नीचर, रेडीमेड गारमेंट आदि की डीपीआर तैयार की गई है। रिपोर्ट में न केवल बिजनेस शुरू करने का तरीका बताया गया है, बल्कि प्रोडक्ट की मार्केटिंग से लेकर उस इंडस्ट्री से जुड़े सप्लायर आदि का ब्यौरा दिया गया है।
ऐसे काम करेगा बैंक...
मुद्रा बैंक के काम करने का पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। इसके तहत बैंक 10 लाख रुपए तक का लोन देगा। इसमें 60 फीसदी लोन 50 हजार रुपये तक के होंगे। इसके अलावा लोन देने का काम फाइनेंस कंपनियों, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों, ट्रस्ट, सोसायटी, एसोसिएशन आदि के जरिए दिया जाएगा। साथ ही कारोबारियों को मौजूदा इंटरेस्ट रेट की तुलना में सस्ता लोन दिया जाएगा। इसके लिए धीरे-धीरे ऐसा सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे छोटे कारोबारियों को 1.5 से 2.0 फीसदी तक सस्ता लोन मिल सके।
लोन का टारगेट दोगुना...
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए लोन देने के टारगेट को दोगुना करके 1 लाख करोड़ रुपए कर दिया है। सरकार मुद्रा योजना के अंतर्गत लोन वितरण के लिए जल्द ही एक महीने लंबा कैंपेन भी लॉन्च करने जा रही है। वित्त मंत्रालय ने पीएसयू बैंकों, निजी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और विदेशी बैंकों के लिए टारगेट भी तय कर दिए हैं। सरकार की सितंबर में 20 लाख कारोबारियों को लोन देने की योजना है।

जानिये मुद्रा यानी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनैन्स एजेंसी के बारे में / Know About MUDRA or Micro Unites Development and Refinance Agency


प्रस्तुति: शीतांशु कुमार सहाय

1. मुद्रा क्या है?

मुद्रा यानी माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनैन्स एजेंसी लि. सूक्ष्म इकाइयों के विकास तथा पुनर्वित्तपोषण से संबंधित गतिविधियों हेतु भारत सरकार द्वारा गठित एक नयी संस्था है। इसकी घोषणा माननीय वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2016 का बजट पेश करते हुए की थी। मुद्रा का उद्देश्य गैर निगमित लघु व्यवसाय क्षेत्र को निधिपोषण उपलब्ध कराना है।

2. मुद्रा का गठन किसलिए किया गया है?

गैर-निगमित लघु व्यवसाय क्षेत्र (एनसीएसबीएस) में उद्यमिता के विकास की सब से बड़ी बाधा है क्षेत्र को वित्तीय सहायता का उपलब्ध न होना। इस क्षेत्र के अधिकतर हिस्से को औपचारिक स्रोतों से वित्त उपलब्ध नहीं हो पाता। भारत सरकार एक सांविधिक अधिनियमन के अंतर्गत मुद्रा बैंक की स्थापना कर रही है, ताकि एनसीएसबीएस घटक अथवा अनौपचारिक क्षेत्र की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके और उन्हें मुख्य धारा में लाया जा सके। प्रारम्भ में इसे सिडबी की सहायक संस्था के रूप में स्थापित किया जा रहा है।

3. मुद्रा की भूमिका तथा दायित्व क्या होंगे?

मुद्रा अंतिम छोर पर स्थित उन सभी वित्तपोषकों, जैसे लघु व्यवसायों के वित्तपोषण में संलग्न विभिन्न प्रकार की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, समितियों, न्यासों, धारा 8 (पूर्ववर्ती धारा 25) की कंपनियों, सहकारी समितियों, छोटे बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के लिए उत्तरदायी होगा, जो विनिर्माण, व्यापार तथा सेवा- गतिविधियों में लगी सूक्ष्म/लघु व्यवसाय इकाइयों को ऋण प्रदान करते हैं। यह बैंक राज्य/क्षेत्रीय स्तर के मध्यवर्ती समन्वयकों के साथ भागीदारी करेगा, ताकि लघु/सूक्ष्म व्यवसाय उद्यमों के अंतिम छोर पर स्थित वित्तपोषकों को वित्त उपलब्ध कराया जा सके।

4. मुद्रा क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध कराएगा? मुद्रा कैसे कार्य करेगा?

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तत्वावधान में, मुद्रा ने पहले से ही अपने प्रारंभिक उत्पाद/ योजनाएं तैयार कर ली हैं। इन पहलकदमियों को 'शिशु', 'किशोर' तथा 'तरुण' नाम दिए गए हैं, जो वृद्धि/विकास के चरण और लाभग्राही सूक्ष्म इकाई /उद्यमी की निधिक आवश्यकताओं के द्योतक हैं। साथ ही वे विकास/वृद्धि के अगले चरण का भी बोध करता हैं। इनकी सीमाएं निम्नवत हैं-
a. शिशु :  50,000/- तक के ऋण हेतु
b. किशोर :  50,000/- से अधिक तथा  5 लाख तक के ऋण हेतु
c. तरुण :  5 लाख से  10 लाख तक के ऋण हेतु
मुद्रा राज्य / क्षेत्रीय स्तर की मध्यवर्ती संस्थाओं के माध्यम से एक पुनर्वित्त संस्था के रूप में काम करेगा। मुद्रा की ऋण-प्रदायगी प्रणाली इस प्रकार परिकल्पित है, जिसमें अन्य मध्यवर्ती संस्थाओं जैसे बैंकों, प्राथमिक ऋणदात्री संस्थाओं आदि के साथ-साथ, मुख्यतया गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों/ अल्प वित्त संस्थाओं के जरिए पुनर्वित्त प्रदान किया जाएगा।

साथ ही, ज़मीनी स्तर पर वितरण चैनल का विकास तथा विस्तार करने की भी आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में, कंपनियों, न्यासों, समितियों, संघों तथा अन्य नेटवर्कों के रूप में पहले से ही बड़ी संख्या में अंतिम छोर के वित्तपोषक मौजूद हैं, जो लघु व्यवसायों को अनौपचारिक वित्त उपलब्ध करा रहे हैं।

5. मुद्रा के लक्ष्य ग्राहक कौन हैं / किस प्रकार के उधारकर्ता मुद्रा से सहायता पाने के पात्र हैं?

ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में स्थित गैर निगमित लघु व्यवसाय घटक (एनसीएसबीएस), जिनमें ऐसी लाखों प्रोप्राइटरशिप/पार्टनरशिप फर्में शामिल हैं, जो लघु विनिर्माण इकाइयाँ, सेवा क्षेत्र की इकाइयाँ, दुकानदार, फल/सब्जी विक्रेता, ट्रक परिचालक, खाद्य-सेवा इकाइयां, मरम्मत की दुकानें, मशीन परिचालन, लघु उद्योग, दस्तकार, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां तथा व्यवसाय चलाते हैं।

6. क्या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) मुद्रा से सहायता हेतु पात्र हैं?

जी हाँ, मुद्रा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उनकी तरलता बढ़ाने के लिए पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध कराएगा।

7. मुद्रा द्वारा प्रभारित की जाने वाली ब्याज दर क्या है?

मुद्रा एक पुनर्वित्त संस्था होगी, जो अंतिम छोर के वित्तपोषकों को निधियां उपलब्ध कराएगी, ताकि वे इस क्षेत्र को वित्तपोषण उपलब्ध करा सकें। ग्राहक के लिए मुद्रा की सबसे अनूठी मूल्यवत्तापूर्ण अवधारणा होने जा रही है - उचित मूल्य पर वित्त तक आसान पहुँच। अंतिम ऋणकर्ता के लिए निधि की लागत को कम करने हेतु मुद्रा वित्तीयन के कई प्रकार के नवोन्मेषी उपाय करेगा।

8. मेरा कागज़ के सामान का एक छोटा सा व्यवसाय है. क्या मुद्रा मेरी सहायता कर सकता है?

हाँ। मुद्रा 'शिशु' श्रेणी के अंतर्गत  50,000 तक के छोटे ऋण उपलब्ध कराएगा तथा 'किशोर' श्रेणी के अंतर्गत 50,000 से अधिक और  5 लाख तक के ऋण उपलब्ध कराएगा। ये उत्पाद उद्यम-जगत के निचले सिरे पर परिचालनरत ग्राहकों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बनाए गए हैं। ये ऋण अल्प वित्त संस्थाओं, एनबीएफसी, बैंकों, आदि के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे।

9. मैंने हाल ही में स्नातक की परीक्षा पास की है। मैं अपना स्वयं का व्यवसाय आरंभ करना चाहता हूँ। क्या मुद्रा मेरी सहायता कर सकता है?

मुद्रा 'शिशु' श्रेणी के अंतर्गत  50,000 तक के छोटे ऋण तथा 'किशोर' श्रेणी के अंतर्गत  50,000 से अधिक और  5 लाख तक के ऋण उपलब्ध कराता है। 'तरुण' श्रेणी के अंतर्गत यह  5 लाख से अधिक और  10 लाख तक के ऋण भी उपलब्ध कराता है। आपकी व्यवसाय परियोजना की प्रकृति के अनुसार आप मुद्रा की किसी भी मध्यवर्ती संस्था से मानदंडों के अनुरूप वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

10. मेरे पास खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा है। मैं अपनी स्वयं की इकाई आरंभ करना चाहता हूँ। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।

खाद्य प्रसंस्करण मुद्रा की योजनाओं के अंतर्गत सहायता हेतु पात्र गतिविधि है। आप अपनी आवश्यकतानुसार मुद्रा की योजनाओं के अंतर्गत सहायता प्राप्त कर सकते हैं ।

11. मैं ज़री के काम में दक्ष एक दस्तकार हूँ। मैं दूसरों के लिए जॉब वर्क करने के बजाय अपना स्वयं का काम शुरू करना चाहता हूँ। क्या मुद्रा मेरी सहायता कर सकता है?

आप अपने उद्यम की स्थापना हेतु अपने क्षेत्र में कार्यरत किसी भी अल्प वित्त संस्था के माध्यम से मुद्रा की अल्प ऋण योजना की 'शिशु' श्रेणी के अंतर्गत सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

12. मैंने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है। मैं अपना बुटीक खोलना चाहती हूँ तथा अपना खुद का ब्रांड विकसित करना चाहती हूँ। मुद्रा मेरी क्या सहायता कर सकता है?

मुद्रा महिला उद्यमियों हेतु 'महिला उद्यम निधि' नामक एक विशेष योजना संचालित करता है। इस योजना के अंतर्गत सभी तीन श्रेणियों यानी ‘शिशु’, ‘किशोर’ एवं ‘तरुण’ के अंतर्गत सहायता प्रदान की जाएगी।

13. मैं फ्रैन्चाइजी मॉडल पर काम करना चाहता हूँ और अपना एक आइसक्रीम पार्लर खोलना चाहता हूँ। क्या मुद्रा मेरी सहायता कर सकता है?

मुद्रा “व्यवसायियों तथा दुकानदारों हेतु व्यवसाय ऋण” नामक एक विशेष योजना संचालित करता है। आप इस योजना के अंतर्गत अपनी आवश्यकतानुसार सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं।

14. मेरा पॉटरी का व्यवसाय है। मैं और अधिक वरायटी और डिज़ाइनें शामिल करके इसका विस्तार करना चाहता हूँ। मुझे मुद्रा से क्या सहायता मिल सकती है?

आप अपने उद्यम की स्थापना हेतु अपने क्षेत्र में कार्यरत किसी भी अल्प वित्त संस्था के माध्यम से मुद्रा की अल्प ऋण योजना की 'शिशु' श्रेणी के अंतर्गत सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

15. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का दायरा क्या है? इसके अंतर्गत किस-किस प्रकार के ऋण उपलब्ध हैं? कौन-सी एजेंसियाँ ऋण प्रदान करेंगी?

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों जैसे पीएसयू बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, विदेशी बैंकों, अल्प वित्त संस्थाओं तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के माध्यम से उपलब्ध होगी। 08 अप्रैल 2015 के बाद से गैर-कृषि क्षेत्र में आय-अर्जक गतिविधियों के लिए प्रदान किए गए  10 लाख तक के सभी ऋणों को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में समाहित माना जाएगा।

16. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के कार्यान्वयन की निगरानी कौन करेगा?

राज्य स्तर पर प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की निगरानी राज्यस्तरीय बैंकर समिति के ज़रिए और राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा/ वित्तीय सेवाएं विभाग, भारत सरकार द्वारा की जाएगी। इस उद्देश्य हेतु मुद्रा ने एक पोर्टल विकसित किया है, जिसमें बैंक तथा अन्य ऋणदात्री संस्थाएं सीधे अपनी उपलब्धि के विवरण भरेंगी। इसे सिस्टम द्वारा समेकित किया जाता है और समीक्षा के लिए रिपोर्टें जनरेट की जाती हैं।

17. क्या केन्द्र/ राज्य सरकार की कोई ऐसी योजना है, जो पूरे भारत पर लागू है और जिसमें बिना गारंटी के / गारंटर के बिना ऋण दिया जाता है?

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) भारत सरकार की योजना है, जो छोटे उधारकर्ताओं को गैर-कृषि, आय-अर्जक गतिविधियों के लिए बैंकों, अल्प वित्त संस्थाओं, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से  10 लाख तक के ऋण लेने की सुविधा देती है। आम तौर पर, बैंकों द्वारा सूक्ष्म/ लघु उद्यमों को  10 लाख तक के ऋण बिना किसी संपार्श्विक प्रतिभूति के जारी किए जाते हैं।

18. क्या स्कूल खोलना, बढ़ईगिरी और आरओ वॉटर प्लाण्ट इन्स्टालेशन ऋण के लिए पात्र हैं? यदि हाँ, तो ऋण की अधिकतम और न्यूनतम राशि क्या है?

बढ़ईगिरी, व्यावसायिक स्तर के आरओ वॉटर प्लाण्ट इन्स्टालेशन और शैक्षिक संस्थान मुद्रा ऋण के अन्तर्गत पात्र गतिविधियाँ हैं, बशर्ते ऋण राशि रु. 10 लाख से कम हो। मुद्रा ऋण की प्राथमिक शर्त यह है कि वह विनिर्माण, प्रसंस्करण, व्यापार और सेवा क्षेत्र की आय-अर्जक गतिविधि के लिए होना चाहिए तथा ऋण राशि रु. 10 लाख से कम होनी चाहिए।

19. मुद्रा ऋण लेने के लिए व्यक्तियों की पात्रता क्या है?

भारत का कोई भी नागरिक जिसकी गैर-कृषि क्षेत्र की आय-अर्जक गतिविधि जैसे विनिर्माण, प्रसंस्करण, व्यापार अथवा सेवा क्षेत्र के वाली व्यवसाय योजना हो और जिसकी ऋण-आवश्यकता रु. 10 लाख से कम हो, वह प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के अन्तर्गत मुद्रा ऋण प्राप्त करने के लिए किसी बैंक, अल्प वित्त संस्था अथवा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी से संपर्क कर सकता है। पीएमएमवाई के अन्तर्गत ऋण लेने के लिए ऋणदात्री एजेंसी के सामान्य निबंधनों व शर्तों का पालन करना प़ड़ सकता है। उधार-दरें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस सम्बन्ध में समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशानुसार होती हैं।

20. क्या प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के अन्तर्गत कोई सब्सिडी है? यदि हाँ तो उसके ब्यौरे दें।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत दिए जानेवाले ऋणों के लिए कोई सब्सिडी नहीं है। यदि ऋण-प्रस्ताव सरकार की किसी ऐसी योजना से संबद्ध हो, जिसमें सरकार पूँजी सब्सिडी प्रदान करती है, तब भी वह प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत पात्र होगा।

21. कृपया मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दें।

मुद्रा का पूरा नाम है- माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनैन्स एजेंसी लि.। यह एक पुनर्वित्त एजेंसी है न कि प्रत्यक्ष ऋण देने वाली संस्था। मुद्रा अपनी ऐसी मध्यवर्ती संस्थाओं जैसे- बैंकों/अल्प वित्त सस्थाओं/ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को पुनर्वित्त प्रदान करता है, जो गैर कृषि क्षेत्र में विनिर्माण, व्यापार तथा सेवा क्षेत्र की आय-अर्जक गतिविधियों को उधार देने का व्यवसाय करती हैं और जो पुनर्वित्त पाने के पश्चात् लाभग्राहियों का वित्तपोषण करेंगी।

22. क्या आप मुद्रा कार्ड के बारे में जानकारी दे सकते हैं?

मुद्रा कार्ड एक नवोन्मेषी ऋण उत्पाद है, जिसमें उधारकर्ता बिना किसी झंझट के और लचीले तरीके से उधार ले सकता है। यह उधारकर्ता को सीसी/ओडी के रूप में कार्यशील पूँजी की सुविधा प्रदान करेगा। चूंकि मुद्रा कार्ड रुपे डेबिट कार्ड होगा, इसलिए यह एटीएम से या बिजनेस करेस्पॉण्डेंट से नकद राशि निकालने अथवा विक्रय-बिन्दु मशीन इस्तेमाल करके खरीद करने में इस्तेमाल हो सकता है। जब कभी धन की बचत हुई हो तब राशि लौटाने की सुविधा भी है, ताकि ब्याज का बोझ कम हो सके।
(http://www.mudra.org.in)

शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

नासिक में शुरू हुआ कुम्भ मेला 2015 / KUMBH FAIR 2015 IN NASIK



-शीतांशु कुमार सहाय
ठीक 13वें साल गुरु के सिंह राशि में प्रवेश होते ही नासिक में बहुप्रतीक्षित ‘महाकुंभ’ मेले की शुरुआत हो गयी। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भारी सुरक्षा के बीच शुक्रवार 28 अगस्त 2015 को मंत्रोच्चार और परंपरागत ध्वजारोहण के साथ मेले का उद्घाटन किया.गौरतलभ है की नासिक का सिंहस्थ महाकुंभ देश के चारों सबसे कुंभ स्थलों में सबसे छोटा है। इस बार नासिक कुंभ में करीब 1 करोड़ लोगों के स्नान की उम्मीद लगायी जा रही है।
भारत में कुंभ मेला चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है – इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। हरिद्वार (उत्तराखंड) में,जहाँ पवित्र गंगा शक्तिशाली हिमालय से मैदानों में प्रवेश करती है,इलाहाबाद में गंगा,यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर, ऐतिहासिक उज्जैन नगरी में पवित्र क्षिप्रा नदी के तट और महाराष्ट्र के विख्यात नासिक नगर में गोदावरी नदी के तट पर हर 12 वर्ष बाद मनाया जाता है।
खगोलीय दृष्टिकोण से हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में सदियों से हर तीसरे वर्ष अर्ध या पूर्ण कुम्भ का आयोजन किया जाता है। यह मूल रूप में बृहस्पति और सूर्य ग्रह की स्थिति के आधार पर तय होता है। नासिक महाकुम्भ जब गुरु सिंह राशि पर स्थित हो तथा सूर्य एवं चंद्र कर्क राशि पर हों,तब नासिक में कुम्भ मेला आयोजित किया जाता है। यह स्थिति हर 12 वर्ष बाद आती है।
नासिक महाकुम्भ 2015 में अखाड़ों का ध्वजारोहण साधुग्राम में 19 अगस्त को और प्रथम शाही स्नान 29 अगस्त 2015 को आयोजित किया जाएगा। दूसरा शाही स्नान 13 सितंबर और अंतिम शाही स्नान 18 सितंबर 2015 को आयोजित किया जायेगा.इस तरह पूरे ढाई महीने भक्त ‘कुम्भ’ मेले में आस्था की डुबकी लगाते रहेंगे।

महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने कुंभ के आयोजन पर 3,000 विशेष बसें मुहैया कराई हैं। जबकि रेलवे ने हर 20 मिनट में ट्रेनों की व्यवस्था की है। विशेष रूप से 36 रेलें चलायी जा रहीं हैं।
338 एकड़ के क्षेत्रफल में साधुओं के ठहरने का प्रबंध करने के लिए ‘साधुग्राम’ बनवाया गया है.’साधू ग्राम’ में तंबुओं शौचालय,पेयजल,और बिजली की बेहतरीन व्यवस्था की गई है।
मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट SBM(स्वच्छ भारत मिशन) का प्रभाव नासिक कुम्भ आयोजन पर साफ़ तौर पर देखा जा सकता है.कुंभ में प्लास्टिक पर पूर्णतः प्रतिबंधित होगा इसलिए लोगों के लिए ‘थैलों’ की व्यवस्था की गयी है।
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच पौराणिक काल में हुए अमृत मन्थन के दौरान अन्य दिव्य पदार्थो के समान ही अमृत से भरा एक ‘कुंभ’ भी निकला। असुर अमृतपान कर अमर हो जाना चाहते थे। दैत्यो ने अमृत कलश को देवताओं से छीनने की कोशिश की तो देवराज इन्द्र का पुत्र ‘जयन्त’ इस अमृत कलश को लेकर भाग निकला।
राक्षसों ने कलश प्राप्त करने के लिए जयंत का पूरे ब्रह्माण्ड भर में पीछा किया.जयन्त तीनो लोकों में भागता रहा। इस भागदौड के दौरान आकाश से अमृत गिरा वहाँ प्रत्येक 12 वर्ष बाद कुम्भ पर्व मनाया जाता है।
नासिक में कुंभ मेला बड़ी उत्सुकता, से मनाया जाता है। बड़े पैमाने पर तीर्थयात्री अपने पापों और त्राश को दूर करने के लिए पवित्र नदी गोदावरी में स्नान करते है। रामकुंड और कुशावर्त इन दो पवित्र स्नान घाटो में आस्था और विश्वास के साथ स्नान करते है।
सरकार ने इस आयोजन हेतु 2378 करोड़ रुपए का बजट रखा है। पूरा नासिक को 348 सीसीटीवी कैमरों की जद में रखा गया है। चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए विशेष तौर पर पुलिस कंट्रोल रूम तैयार किया गया है।
-15000 पुलिसकर्मी संभालेंगे आस्था का सैलाब
नासिक और त्र्यंबकेश्वर में कुंभ का पहला शाही स्नान शनिवार को है। इस दौरान सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। नासिक पुलिस ने हरिद्वार के पुलिसकर्मियों से भी मेले के दौरान इंतजाम दुरुस्त रखने के टिप्स लिए हैं। नासिक पुलिस कमिश्नर एस जगन्नाथन ने बताया कि कुंभ के दौरान नासिर में सुरक्षा के लिए 15000 पुलिसकर्मी, स्पेशल फोर्स और एटीएस के 10 स्कॉवड, बम निरोधक दस्ते की 12 टीमें, 350 सीसीटीवी कैमरे निगरानी करेंगे। मुख्य घाट के रास्तों में लोगों को सूचना देने के लिए 1700-1800 लाउडस्पीकर सिस्टम भी लगाए गए हैं। नासिक और त्र्यंबकेश्वर में जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए हैं। पुलिसकर्मी जरूरत पड़ने पर लोगों की सघनता से जांच भी कर रहे हैं। श्रद्धालुओं को भी इससे ऐतराज नहीं है। प्रशासन को लग रहा है कि पहले शाही स्नान के दिन 70 लाख से एक करोड़ लोग नासिक और त्र्यंबक में डुबकी लगाने जुट सकते हैं, इसलिए वह सुरक्षा के हर मुमकिन इंतजाम करने में जुटा है।

Every 12th entry of Jupiter into Taurus, i.e. once every 144 years, the Purna Kumbh at Prayag is called Maha Kumbh. The year 2013 happens to be one such Maha Kumbh at Prayag after 144 years.

-नागा साधु



निर्वस्त्र होकर चलते, शरीर पर भभूत और रेत लपेटे, नाचते-गाते, उछलते-कूदते, डमरू-ढफली बजाते नागा साधुओं का जीवन हमेशा से ही रहस्यमयी रहा है। वह कहां से आते हैं और कहां गायब हो जाते हैं इस बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं होती। जूना अखाड़े के प्रवक्ता महंत हरी गिरि के मुताबिक अखाड़ों में आए यह नागा सन्यासी इलाहाबाद, काशी, उज्जैन, हिमालय की कंदराओं और हरिद्वार से आए हैं। इन में से बहुत से संन्यासी वस्त्र धारण कर और कुछ निर्वस्त्र भी गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या करते हैं और फिर 6 वर्ष बाद यानि अगले अर्धकुंभ के मौके पर नासिक आएंगे। आमतौर पर यह नागा सन्यासी अपनी पहचान छुपा कर रखते हैं। कई नागा संन्यासी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में जूनागढ़ की गुफाओं या पहाडिय़ों से आये हैं। नागा संन्यासी किसी एक गुफा में कुछ साल रहते है और फिर किसी दूसरी गुफा में चले जाते हैं। इस कारण इनकी सटीक स्थिति का पता लगा पाना मुश्किल होता है। एक से दूसरी और दूसरी से तीसरी इसी तरह गुफाओं को बदलते और भोले बाबा की भक्ति में डूबे ये नागा जड़ी-बूटी और कंदमूल के सहारे पूरा जीवन बिता देता हैं। कई नागा जंगलों में घूमते-घूमते सालों काट लेते हैं और अगले कुंभ या अर्ध कुंभ में नजर आते हैं। नागा साधुओं को रात और दिन मिलाकर केवल एक ही समय भोजन करना होता है। वो भोजन भी भिक्षा मांग कर लिया गया होता है। एक नागा साधु को अधिक से अधिक सात घरों से भिक्षा लेने का अधिकार है। अगर सातों घरों से कोई भिक्षा ना मिले, तो उसे भूखा रहना पड़ता है। जो खाना मिले, उसमें पसंद-नापसंद को नजर अंदाज करके प्रेमपूर्वक ग्रहण करना होता है। नागा साधु सोने के लिए पलंग, खाट या अन्य किसी साधन का उपयोग नहीं कर सकते। यहां तक कि नागा साधुओं को गादी पर सोने की भी मनाही होती है। नागा साधु केवल जमीन पर ही सोते हैं। यह बहुत ही कठोर नियम है, जिसका पालन हर नागा साधु को करना पड़ता है।

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

100 नगर होंगे स्मार्ट, 98 के नाम घोषित/ 100 Smart Cities, 98 Named





-शीतांशु कुमार सहाय
नयी दिल्ली में 27 अगस्त 2015 (वृहस्पतिवार) को केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने केन्द्र सरकार की देशभर मंे सौ स्मार्ट शहर बनाने की महत्त्वाकांक्षी योजना के तहत नामांकित 98 नगरांे की सूची जारी कर दी। इनमंे पटना, बंेगलुरु, कोलकाता, शिमला और तिरूवनन्तपुरम जैसी राजध्ाानियांे को जगह नहीं मिली है। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री एम वंेकैया नायडू ने नयी दिल्ली में नगरों की सूची जारी करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर के एक-एक शहर की घोषणा बाद मंे की जायेगी।
-मेरठ या रायबरेली
नायडू ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने नगर का नाम भेजने के लिए कुछ और समय माँगा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश को अभी मेरठ और रायबरेली मंे से किसी एक नगर को चुनना है।      
-चयनित नगरों की विशेषता
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री ने कहा कि इन शहरांे के नामांकन मंे केन्द्र सरकार की भूमिका केवल मानक तथा दिशा निर्देश तय करने की रही है जिनके आध्ाार पर इन्हंे राज्यांे को चुनना था। नामांकित 98 शहरांे मंे 24 राज्यांे की राजध्ाानियाँ, 24 व्यावसायिक और औद्योगिक केन्द्र, 18 सांस्कृतिक तथा पर्यटन महत्त्व के, 5 बंदरगाह शहर और 3 शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल केन्द्र के रूप मंे मशहूर हैं।
-उत्तर प्रदेश के 13 व बिहार के 3 नगर
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री नायडू ने बताया कि जनसंख्या के आध्ाार पर उत्तर प्रदेश को 13, तमिलनाडु को 12, महाराष्ट्र को 10 मध्य प्रदेश को 7, गुजरात और कर्नाटक को 6-6 तथा आंध्र प्रदेश और बिहार को 3-3 राज्यांे के नाम स्मार्ट नगर के लिए नामांकित  करने को कहा गया था। अन्य राज्यांे तथा केन्द्र शासित प्रदेशांे को अपने एक-एक नगर का नाम भेजना था। यों 100 में से 98 नगर चुने गये।
-98 शहरांे में 13 करोड़ भारतीय
नायडू ने कहा कि नामांकित नगरांे मंे से 8 की जनसंख्या एक लाख या उससे कम, 35 की जनसंख्या 1 से 5 लाख के बीच, 21 की 5 से 10 लाख के बीच, 25 की 10 से 25 लाख के बीच और 5 नगरांे की 25 से 50 लाख के बीच है। चार शहरांे चेन्नई, ग्रेटर हैदराबाद, अहमदाबाद और बृहन्मुंबई की जनसंख्या 50 लाख से अध्ािक है। इन 98 शहरांे की आबादी 13 करोड़ है जो 2011 की जनगणना के अनुसार देश की 35 प्रतिशत तथा शहरी आबादी के 80 प्रतिशत के बराबर है। इन 98 नगरांे मंे से 90 सरकार की एक अन्य महत्त्वाकांक्षी योजना ‘अमृत’ मंे भी शामिल हैं।
-नगरांे के बीच होगी प्रतिस्पर्द्धा
नायडू ने बताया कि इसके साथ ही स्मार्ट शहर योजना का पहला चरण पूरा हो गया है। दूसरे चरण मंे इन नगरांे के बीच प्रतिस्पर्द्धा होगी जिनके आध्ाार पर इन्हंे रैंकिंग दी जायेगी और शीर्ष 20 शहरांे को पहले साल स्मार्ट शहर बनाने के लिए चुना जायेगा। यह काम इस वर्ष के अंत तक पूरा हो जायेगा तथा आगामी जनवरी मंे स्मार्ट शहर का काम शुरू हो जायेगा। दूसरे वर्ष अगले 40 तथा तीसरे वर्ष शेष 40 शहरांे को चुना जायेगा। उन्हांेने कहा कि स्मार्ट शहर परियोजना मंे शामिल होने के लिए इन शहरांे को 6 मानकांे पर खरा उतरना होगा, जिनके तहत इनकी योजनाओं को लागू करने, शहर के विजन और रणनीति, योजना के आर्थिक तथा पर्यावरणीय प्रभावांे, लागत, नयी तकनीक और प्रक्रियाओं के आध्ाार पर परखा जायेगा।
-96 हजार करोड़ की है परियोजना
नायडू ने कहा कि पहले वर्ष चुने गये 20 शहरांे को 200-200 करोड़ रुपये की राशि जारी की जायेगी। इसके बाद 5 वर्ष तक हर साल इन्हंे 100-100 करोड़ रुपये दिये जायंेगे। केन्द्र सरकार ने स्मार्ट शहर मिशन के लिए 48 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावध्ाान किया है। केन्द्र शासित प्रदेशांे और राज्यांे को भी 48 हजार करोड़ रुपये की राशि देनी होगी। इस तरह इस परियोजना के लिए कुल 96 हजार करोड़ रुपये की राशि रखी गयी है। स्मार्ट शहर योजनाओं को लागू करने के लिए एक विशेष उपक्रम बनाया जायेगा, जिसमंे राज्य और केन्द्र की बराबर की हिस्सेदारी होगी। इसमंे निजी क्षेत्र का भी सहयोग लिया जा सकता है।
-होंगी 3 कार्यशालाएँ
केन्द्रीय मंत्री नायडू ने बताया कि इन 98 नगरांे को प्रतिस्पर्द्धा के लिए तैयार करने के उद्देश्य से शहरी विकास मंत्रालय अगले महीने तीन कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। पहली कार्यशाला दिल्ली मंे 3 सितम्बर को, दूसरी हैदराबाद मंे 7 सितम्बर को तथा तीसरी 11 सितम्बर को कोलकाता मंे होगी।
कैसे चुने गए शहर
सबसे पहले राज्यों ने अपने शहर चुने। इसके लिए केंद्र की ओर से कुछ गाइडलाइंस तय की गईं थीं। राज्यों से स्मार्ट सिटी के लिए प्रप्रोजल्स के साथ कुछ सुझाव भी मांगे गए थे। सभी राज्यों से दी गई लिस्ट को एक एक्सपर्ट कमिटी के पास भेजा गया। इस कमिटि में देश और विदेश के एक्सपर्ट थे। इनके निर्णय के आधार पर शहरों के नाम फाइनल किए गए।
कैसे होगी प्रोजेक्ट फंडिंग
पहले चरण में 20 और अगले हर दो साल में 40-40 शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए सिलेक्ट किया जाएगा। हर स्मार्ट सिटी को अगले पांच साल तक केंद्र सरकार हर साल 100 करोड़ रुपए देगी।
स्मार्ट सिटीज़ बनाने पर फोकस
शहरी विकास मंत्रालय के कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक, देश में अभी शहरी आबादी 31 फीसदी है, लेकिन इसकी भारत के जीडीपी में हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा है। अनुमान है कि अगले 15 साल में शहरी आबादी की जीडीपी में हिस्सेदारी 75 फीसदी होगी। इस वजह से 100 स्मार्ट सिटीज़ बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
स्मार्ट सिटी के बुनियादी सिद्धांत
सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को तीन सिद्धांताें पर तैयार किया है।
1. क्वालिटी ऑफ लाइफ
स्मार्ट सिटी में रहने वाले हर व्यक्ति को क्वालिटी लाइफ मिले। यानी किफायती घर हो, हर तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर हो। पानी और बिजली चौबीसों घंटे मिले। एजुकेशन के ऑप्शंस हों। सुरक्षा हो। एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स के साधन हों। आसपास के इलाकों से अच्छी और तेज कनेक्टिविटी हो। अच्छे स्कूल और अस्पताल भी मौजूद हों।
2. इन्वेस्टमेंट
स्मार्ट सिटी में वहां मौजूद ह्यूमन रिसोर्स और नेचुरल रिसोर्स के मुताबिक पूरा इन्वेस्टमेंट भी आए। बड़ी कंपनियों को वहां अपनी इंडस्ट्री लगाने के लिए सुविधाएं और सहूलियत मिले। उन पर टैक्स का ज्यादा बोझ न हो।
3. रोजगार
स्मार्ट सिटी में इन्वेस्टमेंट ऐसा आए जिससे वहां या आसपास रहने वाले लोगों को रोजगार के पूरे मौके मिलें। स्मार्ट सिटी के अंदर रहने वालों को अपनी आमदनी के लिए उस इलाके से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े।
जो सुविधाएं आजादी के बाद से अब तक आपको नहीं मिलीं, वे स्मार्ट सिटी में दिलाने के दावे
स्मार्ट सिटी में ट्रांसपोर्ट, रेजिडेंशियल, बिजली-पानी, हेल्थ और एजुकेशन की सुविधाएं देने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं।
1. ट्रांसपोर्ट
- स्मार्ट सिटी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने का ट्रैवल टाइम 45 मिनट से ज्यादा न हो।
- कम से कम 2 मीटर चौड़े फुटपाथ हों।
- रिहाइशी इलाकों से 800 मीटर की दूरी या 10 मिनट वॉक पर बस या मेट्रो की सुविधा हो।
2. रिहाइश
- 95 फीसदी रिहाइशी इलाके ऐसे हों जहां 400 मीटर से भी कम दूरी पर स्कूल, पार्क और रीक्रिएशन पार्क मौजूद हों।
- 20 फीसदी मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए हों।
- कम से कम 30 फीसदी रिहाइशी और कमर्शियल इलाके बस या मेट्रो स्टेशन से 800 मीटर की दूरी के दायरे में ही हों।
3. बिजली और पानी
- स्मार्ट सिटी में 24*7 पानी और बिजली सप्लाई हो।
- 100 फीसदी घरों में बिजली कनेक्शन हों। सारे कनेक्शनों में मीटर लगा हो।
- लागत में नुकसान न हो। यानी कोई बिजली-पानी चोरी न कर पाए।
- प्रति व्यक्ति कम से कम 135 लीटर पानी दिया जाए।
4. वाईफाई कनेक्टिविटी
- 100 फीसदी घरों तक वाईफाई कनेक्टिविटी हो।
- 100 एमबीपीसी की स्पीड पर वाईफाई पर मिले।
5. हेल्थ
- स्मार्ट सिटी में इमरजेंसी रिस्पॉन्स टाइम 30 मिनट से ज्यादा न हो।
- हर 15 हजार लोगों पर एक डिस्पेंसरी हो।
- एक लाख की आबादी पर 30 बिस्तरों वाला छोटा अस्पताल, 80 बिस्तरों वाला मीडियम अस्पताल और 200 बिस्तरों वाला बड़ा अस्पताल हो।
- हर 50 हजार लोगों पर एक डायग्नोस्टिक सेंटर हो।
5. एजुकेशन
- 15 फीसदी इलाका एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के लिए हो।
- हर 2500 लाेगों पर एक प्री-प्राइमरी, हर 5000 लोगों पर एक प्राइमरी, हर 7500 लोगों पर एक सीनियर सेकंडरी और हर एक लाख की आबादी पर पहली से 12वीं क्लास तक का एक इंटिग्रेटेड स्कूल हो।
- सवा लाख की आबादी पर एक कॉलेज हो।
- 10 लाख की आबादी पर एक यूनिवर्सिटी, एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज, एक प्रोफेशनल कॉलेज और एक पैरामेडिकल कॉलेज हो।
-ये हैं 98 नामांकित नगरांे की सूची 
अंडमान निकोबार द्वीप समूह- पोर्ट ब्लेयर।
आंध्र प्रदेश-  विशाखापट्टनम , तिरूपति  और काकीनाड़ा।
अरूणाचल प्रदेश- पासीघाट।
असम- गुवाहाटी।
बिहार- मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बिहारशरीफ।
चंडीगढ़।
छत्तीसगढ़- रायपुर और विलासपुर।
दमन व दीव- दीव।
दादर नगर हवेली- सिलवासा।
दिल्ली- नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद क्षेत्र।
गोवा- पणजी।
गुजरात- गाँध्ाीनगर, अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा, राजकोट और दहोद।
हरियाणा- करनाल और फरीदाबाद।
हिमाचल प्रदेश- ध्ार्मशाला।
झारखंड- राँची।
कर्नाटक- मंेगलुरु, बेलगाम, शिवमोगा, हुबली, ध्ाारवाड़, तुमकुर और दंेवाणगेरे।
केरल- कोच्चि।
लक्षद्वीप- कवराती।
मध्य प्रदेश- भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, सतना और उज्जैन।
महाराष्ट्र- नवी मुंबई, नासिक, ठाणे, बृहन्मुम्बई, अमरावती, सोलापुर, नागपुर, कल्याण, दांेबावली, औरंगाबाद और पुणे।
मणिपुर- इम्फाल।
मेघालय- शिलांग।
मिजोरम- एंजल।
नागालैंड- कोहिमा।
ओडिशा- भुवनेश्वर और राउरकेला।
पुड्डुचेरी- ओलग्रेट।
पंजाब- लुध्ाियाना, जालन्धर और अमृतसर।
राजस्थान- जयपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर।
सिक्किम- नामची।
तमिलनाडु- तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, डिंडीगुल, तंजावुर, तिरूपुर, सेलम, वेल्लुर, कोयंबटूर, मदुरै, इरोड़, तूतुकुड़ी और चेन्नई।
तेलंगाना -ग्रेटर हैदराबाद और ग्रेटर वारांगल।
त्रिपुरा- अगरतला।
उत्तर प्रदेश- मुरादाबाद, अलीगढ, सहारनपुर, बरेली, झाँसी, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा और रामपुर।
उत्तराखंड- देहरादून।
पश्चिम बंगाल- न्यू टाउन कोलकाता, विध्ााननगर, दुर्गापुर और हल्दिया।

मंगलवार, 25 अगस्त 2015

इतिहास में पहली बार कांवड़ ले निकलीं मुस्लिम महिलाएं, किया जलाभिषेक/ For the first time, came to Muslim women with Kanwad the Jalabhishek

-शीतांशु कुमार सहाय
-सावन के अंतिम सोमवार को मधुमिलन चौराहे से गीता भवन तक अनूठी कांवड़ यात्रा निकली। 
-यात्रा में बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई भी शामिल हुए।
-यात्रा में शामिल केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर, महापौर मालिनी गौड़।
-मधुमिलन चौराहा़ स्थित हनुमान मंदिर से कांवड़ यात्रा शुरू हुई।
-सामाजिक समरसता का संदेश देने के उद्देश्य को लेकर कांवड़ यात्रा निकाली गई।
-यात्रा में मधुमिलन चौराहे पर हनुमान मंदिर से हिंदू महिलाओं ने कांवड़ में जल भरा।
इंदौर में सावन के अंतिम सोमवार 24 अगस्त 2015 को मधुमिलन चौराहे से गीता भवन तक अनूठी कांवड़ यात्रा निकली। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों की महिलाएं कांवड़ लेकर चलीं। देश के इतिहास में शायद यह पहली ऐसी कांवड़ यात्रा है, जिसमें बुर्का पहनकर मुस्लिम महिलाएं कांवड़ लेकर चलीं और भोले बाबा का जलाभिषेक किया। यात्रा में एक ओर जहां भजनों की स्वरलहरियां गूंजी, वहीं दूसरी ओर कव्वाली। कांवड़ यात्रा ने एकता और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए यात्रा में---
संस्था साझा संस्कृति द्वारा सोमवार को मधुमिलन चौराहा़ स्थित हनुमान मंदिर से कांवड़ यात्रा शुरू हुई। यात्रा में मधुमिलन चौराहे पर हनुमान मंदिर से हिंदू महिलाओं ने कांवड़ में जल भरा। इसके बाद हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई व पारसी समाज की युवतियां और महिलाएं कांवड़ थाम कर एक साथ चलीं। गीता भवन मंदिर पर सभी धर्मों की महिलाओं ने शिवजी का जलाभिषेक किया। यात्रा में हिंदू भाई-बहनें पारंपरिक केसरिया वस्त्र, मुस्लिम बहनें पारंपरिक वेशभूषा, बुर्का पहनकर, क्रिश्चियन-पारसी व सिख समाज भी पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए।

सर्वधर्म-समभाव हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति की पहचान---
यात्रा संयोजक सेम पावरी ने कहा कि सर्वधर्म-समभाव हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति की पहचान है। सामाजिक समरसता का संदेश देने के उद्देश्य को लेकर कांवड़ यात्रा निकाली गई। कांवड़ यात्रा में सभी धर्मों के लोग शामिल हुए। यात्रा में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महापौर मालिनी गौड़, शंकर लालवानी, महेन्द्र हार्डिया, सुदर्शन गुप्ता, जीतू जिराती, अनवर मोहम्मद खान भी शामिल हुए।

यह यात्रा सराहनीय कदम---
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हमारे देश की प्राचीन संस्कृति को सहेजने का अद्भुत कार्य संस्था साझा सांस्कृतिक ने किया है। सावन के पवित्र माह में देशभर में सैकड़ों कांवड़ यात्रा निकली हैं, लेकिन देश की एकता और सामाजिक समरसता को दर्शाने हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई को एकरूपता में पिरोने का संदेश देने का कार्य कांवड़ यात्रा के माध्यम से किया है, जो सराहनीय है।

यात्रा में शामिल केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर, महापौर मालिनी गौड़।





धर्म आधारित भारत की जनगणना 2015 : हिंदुओं से ज्‍यादा बढ़ रही मुस्लिमों की आबादी / Religion-based census data of India : Growing Muslim population than Hindus



देश की आबादी 121.09 करोड़ 

-शीतांशु कुमार सहाय
सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने 2011 तक की जनगणना के आंकड़े मंगलवार 25 अगस्त 2015 शाम को जारी किए हैं। जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत की जनसंख्‍या 121.09 करोड़ है। इसमें हिंदू 79.8 प्रतिशत हैं जबकि दूसरी बड़ी जाति‍ मुस्लिमों की है जो 14.2 प्रतिशत हैं। इनके बाद नंबर है ईसाइयों का जिनका प्रतिशत 2.3 है। देश में सिखों की आबादी 1.7 प्रतिशत है जबकि बौद्ध 0.7 प्रतिशत और जैन 0.4 प्रतिशत हैं। जारी किए गए आकड़ों के अनुसार हिंदुओं का अनुपात 0.7 प्रतिशत की दर से कम हुआ है। वहीं मुस्लिमों की आबादी 24.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 96 करोड़ 63 लाख हिंदू हैं वहीं मुस्लिमों की जनसंख्‍या 17 करोड़ 22 लाख है।
देश में हिंदुओं की आबादी 0.7 प्रतिशत घटी है और और मुस्लिमों की आबादी 0.8 प्रतिशत बढ़ी है। यह बात धर्म के आधार पर की गई जनगणना (2010-11) के नतीजों से पता चली है। मोदी सरकार की ओर से मंगलवार को ये आंकड़े जारी किए गए। इन 10 सालों में मुस्लिमों की आबादी बाकी धर्म मानने वालों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। साथ ही यह पहला मौका है जब देश में हिंदुओं की आबादी में गिरावट दर्ज हुई है। 2011 में देश की कुल आबादी 121 करोड़ हो चुकी है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल 96.63 करोड़ हिंदू और 17.22 करोड़ मुस्लिम आबादी है। 2001-11 के दौरान भारत में 17.7 प्रतिशत के दर से देश की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। 2001-11 के दौरान हिंदू (16.8), मुस्लिम (24.6), ईसाई (15.5), सिख (8.4), बौद्ध (6.1), जैन (5.4) प्रतिशत बढ़े हैं। बीते दिनों केंद्र सरकार ने जाति आधारित जनगणना के आंकड़े नहीं जारी करने का ऐलान किया तो सियासी गलियारों में खूब हलचल मची, वहीं बिहार में‍ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जनवरी में किए गए अपने वादे को निभाते हुए मोदी सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में मुसलमानों की तादाद सबसे तेजी से बढ़ रही है, जबकि हिंदुओं की जनसंख्या की वृद्धि‍ दर दूसरे नंबर पर है। साल 2001 से 2011 के दशक पर आधारित इस जनगणना के मुताबिक, इस दशक में देश की कुल आबादी 17.7 प्रतिशत के रफ्तार से बढ़ी है जबकि मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या इस दौरान सबसे तेजी से 24.6 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है। इसके ठीक बाद हिंदुओं की जनसंख्या की वृद्धि‍ दर है, जो 16.8 प्रतिशत है। ईसाई समुदाय की जनसंख्या भी एक निर्धारित एक दशक में 15.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
तीसरे नंबर पर सिख समुदाय---
धर्म आध‍ारित जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, देश में हिंदू और मुसलमानों के बाद सिख समुदाय की जनसंख्या तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है जबकि वृद्धि‍ दर के लिहाज से यह 8.4 प्रतिशत के साथ चौथे नंबर पर है। सिखों के बाद देश में सबसे तेजी से बढ़ने वाली जनसंख्या बौद्धों की है। 6.1 प्रतिशत वृद्धि‍ दर के साथ बौद्ध धर्म के लोगों की संख्या बढ़ रही है, वहीं जैन धर्म के लोगों की संख्या भी 5.4 प्रतिशत के दर से बढ़ रही है।
किसकी कितनी आबादी---
साल 2011 तक के जनसंख्या के आंकड़े के मुताबिक, देश की कुल आबादी 121.09 करोड़ है। इनमें हिंदुओं की जनसंख्या सबसे अधि‍क 96.63 करोड़ (79.8 प्रतिशत) है। मुसलमानों की आबादी 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत), ईसाइयों की जनसंख्या 2.78 करोड़ (2.3 प्रतिशत) और सिख समुदाय के लोगों की संख्या 2.08 करोड़ (1.7 प्रतिशत) है। इसके अलावा बौद्ध धर्म के लोगों की कुल जनसंख्या 0.84 करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 0.7 प्रतिशत है। जैन धर्म के लोगों की जनसंख्या 0.45 करोड़ है और यह कुल आबादी का 0.4 प्रतिशत है। 
रिपोर्ट के मुताबिक, कुल आबादी के मुकाबले 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। सिखों की जनसंख्या में भी 0.2 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
नहीं जारी किए जातिगत जनगणना के आंकड़े---
सरकार ने सामाजिक, आर्थि‍क और जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जुटा लिए गए हैं, लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है। जुलाई महीने में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों से भारत की हकीकत जानने में मदद मिलेगी जबकि इससे पहले जनवरी में ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उनकी सरकार धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर सकती है. धर्म आधारति जनगणना महा पंजीयक और जनणना आयोग ने की है. यह विभाग गृह मंत्रालय के अधीन आता है।
आंकड़े जारी करने पर सवाल---
आलोचकों ने सरकार के द्वारा जारी जनगणना के आंकड़ो की निंदा की है। उनका मानना है कि मोदी सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले धर्म आधारित आंकड़े जारी कर इलेक्शन कार्ड खेला है। बिहार की 243 सीटों में से 50 पर इसका असर पड़ सकता है।

धर्म         कुल आबादी        प्रतिशत

हिंदू           96.63 करोड़               79.8%
मुस्लिम   17.22 करोड़               14.2 % 
ईसाई         2.78 करोड़                  2.3 %
सिख          2.08 करोड़                  1.7 %
बौद्ध           0.84 करोड़                   0.7 %
जैन           0.45 करोड़                   0.4 %

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का राष्ट्र के नाम संदेश ज्यों का त्यों / ADDRESS TO NATION BY PRESIDENT OF INDIA PRANAB MUKHARJEE ON 14 AUGUST 2015


प्रस्तुति - -शीतांशु कुमार सहाय
प्यारे देशवासियो 
हमारी स्वतंत्रता की 68वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर, मैं आपका और विश्व भर के सभी भारतवासियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। मैं अपनी सशस्त्र सेनाओं,अर्ध-सैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों का विशेष अभिनंदन करता हूं। मैं, अपने उन सभी खिलाड़ियों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने भारत तथा दूसरे देशों में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पुरस्कार जीते। मैं, 2014 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी को बधाई देता हूं,जिन्होंने देश का नाम रोशन किया।

मित्रो :
2. 15 अगस्त, 1947 को, हमने राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल की। आधुनिक भारत का उदय एक ऐतिहासिक हर्षोल्लास का क्षण था;परंतु यह देश के एक छोर से दूसरे छोर तक अकल्पनीय पीड़ा के रक्त से भी रंजित था। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध महान संघर्ष के इस पूरे दौर में जो आदर्श तथा विश्वास कायम रहे वे अब दबाव में थे।

3. महानायकों की एक महान पीढ़ी ने इस विकट चुनौती का सामना किया। उस पीढ़ी की दूरदर्शिता तथा परिपक्वता ने हमारे इन आदर्शों को, रोष और भावनाओं के दबाव के अधीन विचलित होने अथवा अवनत होने से बचाया। इन असाधारण पुरुषों एवं महिलाओं ने हमारे संविधान के सिद्धांतों में, सभ्यतागत दूरदर्शिता से उत्पन्न भारत के गर्व, स्वाभिमान तथा आत्मसम्मान का समावेश किया, जिसने पुनर्जागरण की प्रेरणा दी और हमें स्वतंत्रता प्रदान की।। हमारा सौभाग्य है कि हमें ऐसा संविधान प्राप्त हुआ है जिसने महानता की ओर भारत की यात्रा का शुभारंभ किया।

4. इस दस्तावेज का सबसे मूल्यवान उपहार लोकतंत्र था, जिसने हमारे प्राचीन मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में नया स्वरूप दिया तथा विविध स्वतंत्रताओं को संस्थागत रूप प्रदान किया। इसने स्वाधीनता को शोषितों और वंचितों के लिए एक सजीव अवसर में बदल दिया तथा उन लाखों लोगों को समानता तथा सकारात्मक पक्षपात का उपहार दिया जो सामाजिक अन्याय से पीड़ित थे। इसने एक ऐसी लैंगिक क्रांति की शुरुआत की जिसने हमारे देश को प्रगति का उदाहरण बना दिया। हमने अप्रचलित परंपराओं और कानूनों को समाप्त किया तथा शिक्षा और रोजगार के माध्यम से महिलाओं के लिए बदलाव सुनिश्चित किया। हमारी संस्थाएं इस आदर्शवाद का बुनियादी ढांचा हैं।

प्यारे देशवासियो,
5. अच्छी से अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए लगातार देखभाल जरूरी होती है। लोकतंत्र की हमारी संस्थाएं दबाव में हैं। संसद परिचर्चा के बजाय टकराव के अखाड़े में बदल चुकी है। इस समय, संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के उस वक्तव्य का उल्लेख करना उपयुक्त होगा,जो उन्होंने नवंबर, 1949में संविधान सभा में अपने समापन व्याख्यान में दिया था :

'किसी संविधान का संचालन पूरी तरह संविधान की प्रकृति पर ही निर्भर नहीं होता। संविधान केवल राज्य के विधायिका,कार्यपालिका तथा न्यायपालिका जैसे अंगों को ही प्रदान कर सकता है। इन अंगों का संचालन जिन कारकों पर निर्भर करता है,वह है जनता तथा उसकी इच्छाओं और उसकी राजनीति को साकार रूप देने के लिए उसके द्वारा गठित किए जाने वाले राजनीतिक दल। यह कौन बता सकता है कि भारत की जनता तथा उनके दल किस तरह आचरण करेंगे''?

यदि लोकतंत्र की संस्थाएं दबाव में हैं तो समय आ गया है कि जनता तथा उसके दल गंभीर चिंतन करें। सुधारात्मक उपाय अंदर से आने चाहिए।

प्यारे देशवासियो :
6. हमारे देश की उन्नति का आकलन हमारे मूल्यों की ताकत से होगा,परंतु साथ ही यह आर्थिक प्रगति तथा देश के संसाधनों के समतापूर्ण वितरण से भी तय होगी। हमारी अर्थव्यवस्था भविष्य के लिए बहुत आशा बंधाती है।'भारत गाथा' के नए अध्याय अभी लिखे जाने हैं।'आर्थिक सुधार'पर कार्य चल रहा है। पिछले दशक के दौरान हमारी उपलब्धि सराहनीय रही है;और यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि कुछ गिरावट के बाद हमने 2014-15 में 7.3 प्रतिशत की विकास दर वापस प्राप्त कर ली है।

परंतु इससे पहले कि इस विकास का लाभ सबसे धनी लोगों के बैंक खातों में पहुंचे,उसे निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। हम एक समावेशी लोकतंत्र तथा एक समावेशी अर्थव्यवस्था हैं; धन-दौलत की इस व्यवस्था में सभी के लिए जगह है। परंतु सबसे पहले उनको मिलना चाहिए जो अभावों के कगार पर कष्ट उठा रहे हैं। हमारी नीतियों को निकट भविष्य में'भूख से मुक्ति'की चुनौती का सामना करने में सक्षम होना चाहिए।

प्यारे देशवासियो :
7. मनुष्य और प्रकृति के बीच पारस्परिक संबंधों को सुरक्षित रखना होगा। उदारमना प्रकृति अपवित्र किए जाने पर आपदा बरपाने वाली विध्वंसक शक्ति में बदल सकती है जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि होती है। इस समय,जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं देश के बहुत से हिस्से बड़ी कठिनाई से बाढ़ की विभीषिका से उबर पा रहे हैं। हमें पीड़ितों के लिए तात्कालिक राहत के साथ ही पानी की कमी और अधिकता दोनों के प्रबंधन का दीर्घकालीन समाधान ढूंढ़ना होगा।

प्यारे देशवासियो :
8. जो देश अपने अतीत के आदर्शवाद को भुला देता है वह अपने भविष्य से कुछ महत्त्वपूर्ण खो बैठता है। विभिन्न पीढ़ियों की आकांक्षाएं आपूर्ति से कहीं अधिक बढ़ने के कारण हमारे शिक्षण संस्थानों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। परंतु नीचे से ऊपर तक गुणवत्ता का क्या हाल है? हम गुरु शिष्य परंपरा को तर्कसंगत गर्व के साथ याद करते हैं; तो फिर हमने इन संबंधों के मूल में निहित स्नेह, समर्पण तथा प्रतिबद्धता का परित्याग क्यों कर दिया? गुरु किसी कुम्हार के मुलायम तथा दक्ष हाथों के ही समान शिष्य के भविष्य का निर्माण करता है। विद्यार्थी, श्रद्धा तथा विनम्रता के साथ शिक्षक के ऋण को स्वीकार करता है। समाज, शिक्षक के गुणों तथा उसकी विद्वता को सम्मान तथा मान्यता देता है। क्या आज हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐसा हो रहा है? विद्यार्थियों, शिक्षकों और अधिकारियों को रुककर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।

प्यारे देशवासियो :
9. हमारा लोकतंत्र रचनात्मक है क्योंकि यह बहुलवादी है,परंतु इस विविधता का पोषण सहिष्णुता और धैर्य के साथ किया जाना चाहिए। स्वार्थी तत्व सदियों पुरानी इस पंथनिरपेक्षता को नष्ट करने के प्रयास में सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाते हैं। लगातार बेहतर होती जा रही प्रौद्योगिकी के द्वारा त्वरित संप्रेषण के इस युग में हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए कि कुछ इने-गिने लोगों की कुटिल चालें हमारी जनता की बुनियादी एकता पर कभी भी हावी न होने पाएं। सरकार और जनता,दोनों के लिए कानून का शासन परम पावन है परंतु समाज की रक्षा एक कानून से बड़ी शक्ति द्वारा भी होती है : और वह है मानवता। महात्मा गांधी ने कहा था, 'आपको मानवता पर भरोसा नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है;यदि समुद्र की कुछ बूंदें मैली हो जाएं, तो समुद्र मैला नहीं हो जाता।'

मित्रो :
10. शांति, मैत्री तथा सहयोग विभिन्न देशों और लोगों को आपस में जोड़ता है। भारतीय उपमहाद्वीप के साझा भविष्य को पहचानते हुए,हमें संयोजकता को मजबूत करना होगा,संस्थागत क्षमता बढ़ानी होगी तथा क्षेत्रीय सहयोग के विस्तार के लिए आपसी भरोसे को बढ़ाना होगा। जहां हम विश्व भर में अपने हितों को आगे बढ़ाने की दिशा में प्रगति कर रहे हैं,वहीं भारत अपने निकटस्थ पड़ोस में सद्भावना तथा समृद्धि बढ़ाने के लिए भी बढ़-चढ़कर कार्य कर रहा है। यह प्रसन्नता की बात है कि बांग्लादेश के साथ लम्बे समय से लंबित सीमा विवाद का अंतत: निपटारा कर दिया गया है।

प्यारे देशवासियो;
11. यद्यपि हम मित्रता में अपना हाथ स्वेच्छा से आगे बढ़ाते हैं परंतु हम जानबूझकर की जा रही उकसावे की हरकतों और बिगड़ते सुरक्षा परिवेश के प्रति आंखें नहीं मूंद सकते। भारत,सीमा पार से संचालित होने वाले शातिर आतंकवादी समूहों का निशाना बना हुआ है। हिंसा की भाषा तथा बुराई की राह के अलावा इन आतंकवादियों का न तो कोई धर्म है और न ही वे किसी विचारधारा को मानते हैं। हमारे पड़ोसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके भू-भाग का उपयोग भारत के प्रति शत्रुता रखने वाली ताकतें न कर पाएं। हमारी नीति आतंकवाद को बिल्कुल भी सहन न करने की बनी रहेगी। राज्य की नीति के एक उपकरण के रूप में आतंकवाद का प्रयोग करने के किसी भी प्रयास को हम खारिज करते हैं। हमारी सीमा में घुसपैठ तथा अशांति फैलाने के प्रयासों से कड़ाई से निबटा जाएगा।

12. मैं उन शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने भारत की रक्षा में अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया। मैं अपने सुरक्षा बलों के साहस और वीरता को नमन करता हूं जो हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा तथा हमारी जनता की हिफाजत के लिए निरंतर चौकसी बनाए रखते हैं। मैं, विशेषकर उन बहादुर नागरिकों की भी सराहना करता हूं जिन्होंने अपने जीवन को जोखिम की परवाह न करते हुए बहादुरी के साथ एक दुर्दांत आतंकवादी को पकड़ लिया।

प्यारे देशवासियो;
13. भारत 130 करोड़ नागरिकों, 122 भाषाओं, 1600 बोलियों तथा7 धर्मों का एक जटिल देश है। इसकी शक्ति,प्रत्यक्ष विरोधाभासों को रचनात्मक सहमतियों के साथ मिलाने की अपनी अनोखी क्षमता में निहित है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में यह एक ऐसा देश है जो'मजबूत परंतु अदृश्य धागों'से एक सूत्र में बंधा हुआ है तथा''उसके ईर्द-गिर्द एक प्राचीन गाथा की मायावी विशेषता व्याप्त है;मानो कोई सम्मोहन उसके मस्तिष्क को वशीभूत किए हुए हो। वह एक मिथक है और एक विचार है,एक सपना है और एक परिकल्पना है, परंतु साथ ही वह एकदम वास्तविक,साकार तथा सर्वव्यापी है।''

14. हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त उर्वर भूमि पर, भारत एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में विकसित हुआ है। इसकी जड़ें गहरी हैं परंतु पत्तियां मुरझाने लगी हैं। अब नवीकरण का समय है।

15. यदि हमने अभी कदम नहीं उठाए तो क्या सात दशक बाद हमारे उत्तराधिकारी हमें उतने ही सम्मान तथा प्रशंसा के साथ याद कर पाएंगे जैसा हम1947 में भारतवासियों के स्वप्न को साकार करने वालों को करते हैं। भले ही उत्तर सहज न हो परंतु प्रश्न तो पूछना ही होगा।

धन्यवाद, जय हिंद!

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

अब सस्ता हुआ सोना, तब 18 रुपये में मिलता था दस ग्राम सोना / Now cheap gold, then ten grams of gold was 18 ruppes to get in



-2007 में सोने ने छुआ था 10 हजार का आँकड़ा
-शीतांशु कुमार सहाय
सोने के दाम देश में सामान्यतः 24 हजार 200 रुपये में 10 ग्राम होने पर इसे सस्ता कहा जा रहा है। ज्वेलरी दुकानों में जेवरात बनवाने और खरीदने के लिए होड़ है लेकिन एक जमाना वह भी रहा है, जब दस ग्राम सोना 18 रुपये में था। वर्ष 1925 में 10 ग्राम सोने का भाव महज 18.75 रुपये था। इसके बाद के वर्षों में सोने के दाम और सस्ते हो गये थे। वर्ष 1930 में तो 10 ग्राम सोना अठारठ रुपये पाँच आने में मिल रहा था। वर्ष 1958 तक सोना कितना सस्ता था, इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता था कि 10 ग्राम सोने का दाम तब सौ रुपये भी नहीं था। तब दस ग्राम सोने का रेट 95.38 रुपये प्रति था।
-आज अधिक सस्ता है सोना
बीते दिनों को याद करते हुए एक बुजुर्ग ने बताया कि कल की तुलना में सोना आज अधिक सस्ता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 83-84 में उन्होंने अपनी बहन की शादी के लिए सोना खरीदा था। तब दस ग्राम सोने का रेट 1800 रुपये प्रति दस ग्राम था। उन्होंने बताया कि तब बतौर मेडिकल ऑफिसर उनकी तनख्वाह 1500 रुपये महीना थी। उस समय एक महीने के पैसे से दस ग्राम सोना भी खरीदना मुश्किल था। आज बतौर प्रोफेसर उनकी तनख्वाह एक लाख रुपये से अधिक है और सोना प्रति दस ग्राम 24,200 रुपये है। एक अन्य प्रौढ़ ने बताया कि वर्ष 1980 में उनकी शादी हुई थी। तब 20 ग्राम सोने का हार बनाने में महज 2700 रुपये लगे थे। उस समय सोने का रेट 1330 रुपये प्रति दस ग्राम था। उन्होंने बताया कि उस समय लोगों की तनख्वाह बहुत कम थी। इसलिए आज सस्ता लगनेवाला सोना उस समय भी महंगा ही था।
-1959 में सोने ने लगाया था शतक
वर्ष 1959 में सोने ने शतक लगा लिया और इस वर्ष दस ग्राम सोने का दाम 102 रुपये 56 पैसे हो गया। सोने ने 200 रुपये प्रति दस ग्राम का आँकड़ा 1972 में छुआ। इस साल सोने के दाम 202 रुपये प्रति दस ग्राम हो गये थे। 1980 में सोना हजार रुपये को पार कर गया था। इस वर्ष सोने के दाम 1330 रुपये प्रति दस ग्राम हो गये थे। हालाँकि सस्ती के इस जमाने में भी लोगों के लिए सोना महंगा ही था।
-10000 का आँकड़ा
वर्ष 2007 में सोना 10,800 रुपये प्रति दस ग्राम हो गया। 2011 में इसने 26,400 रुपये का स्तर छू लिया। इस साल हाल के दिनों में सोने के रेट में गिरावट आयी है और इसके 23,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक जाने का अनुमान बाजार के जानकार लगा रहे हैं।
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यों चढ़ते गये सोने के मूल्य
वर्ष             मूल्य प्रति दस ग्राम
1925           18.75 रुपये
1958           95.38 रुपये
1972           202 रुपये
1976           506 रुपये
1980           1330 रुपये
1996           5160 रुपये
2007           10,800 रुपये
2011           26,400 रुपये

शनिवार, 4 जुलाई 2015

भारत का सामाजिक, आर्थिक, जातीय जनगणना 2011 चिंताजनक / worrisome : India's Social, Economic, Ethnic Census 2011

शुक्रवार 3 जुलाई 2015 को केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नयी दिल्ली में सामाजिक-आर्थिक एवं जातीय जनगणना रिपोर्ट- 2011 जारी किया।

-शीतांशु कुमार सहाय

-देश में कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं।

-6.68 लाख परिवार भीख माँगते हैं।

-4.08 लाख परिवार कचरा बीनते हैं।

-5.39 करोड़ ग्रामीण परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।

-9.16 करोड़ परिवार दिहाड़ी के आधार पर हाथ से किये जानेवाले श्रम से आय कमाते हैं।

-44.84 लाख परिवार दूसरों के घरों में घरेलू सहायक हैं।

 

1931 के बाद पहली बार शुक्रवार 3 जुलाई 2015 को केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नयी दिल्ली में सामाजिक-आर्थिक एवं जातीय जनगणना रिपोर्ट- 2011 जारी किया। केन्द्र सरकार की ओर से जारी किये गये सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना रिपोर्ट- 2011 काफी चिन्ताजनक है। देश में ग्रामीण और शहरी दोनों तरह के परिवार मिलाकर कुल 24.39 करोड़ परिवार हैं। 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहते हैं। कुल ग्रामीण परिवारों में से 5.39 करोड़ परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। ग्रामीण इलाकों में 5.37 करोड़ (29.97 प्रतिशत) परिवार भूमिहीन हैं और उनकी आजीविका का साधन मेहनत-मजदूरी है। 2.37 करोड़ (13.25 प्रतिशत) ग्रामीण परिवार एक कमरे के कच्चे घर में रहते हैं। 21.53 प्रतिशत या 3.86 करोड़ ग्रामीण परिवार अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के हैं।
9.16 करोड़ परिवार दिहाड़ी के आधार पर हाथ से किये जानेवाले श्रम से आय कमाते हैं। करीब 44.84 लाख परिवार दूसरों के घरों में घरेलू सहायक के तौर पर काम करके आजीविका चलाते हैं। 4.08 लाख परिवार कचरा बीनकर और 6.68 लाख परिवार भीख माँगकर अपना घर चला रहे हैं। यह आँकड़ा गरीबी के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से गरीबों व आम लोग के लिए चलाये जा रहे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर प्रश्न चिह्न भी लगाता है।
आय के स्रोत के लिहाज से 9.16 करोड़ परिवार (51.14 प्रतिशत) दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं जिनके बाद खेती पर निर्भर परिवारों का स्थान है जो 30.10 प्रतिशत हैं। जनगणना के मुताबिक 2.5 करोड़ (14.01 प्रतिशत) परिवार आय के अन्य स्रोतों पर निर्भर हैं जिनमें सरकारी सेवा, निजी क्षेत्र और सार्वजनिक उपक्रम शामिल हैं। इसके अलावा 4.08 लाख परिवार आजीविका के लिए कचरा बीनने पर निर्भर हैं जबकि 6.68 लाख परिवार भीख और दान पर निर्भर हैं।
देश के करोड़ों परिवार दो जून की रोटी के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। 17.18 प्रतिशत घरों की आय 5-10 हजार रुपये पर निर्भर हैं, वे कहाँ से महंगा मोबाईल खरीदकर इण्टरनेट सेवा का लाभ उठा पायेंगे।

प्रधानमंत्री से गुहार

गरीबी जैसे दंश से देश को उबारने के लिए गरीबों व ग्रामीण क्षेत्रों पर पूरी तरह से ध्यान दिया जाय। ऐसी योजनाएँ लायी जायें जो पूरी तरह से ग्रामीणों एवं गरीबों को लाभ दिलानेवाली हो, जिसका फायदा सीधे लाभुकों के बैंक एकाउण्ट में जाय। समयानुसार योजनाओं की केन्द्रीय स्तर पर समीक्षा की जाय। तब कहीं जाकर भारत समृद्व देश बन पायेगा।
राष्ट्रीय स्थिति और बिहार की स्थिति---
सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना- 2011 के मुताबिक  बिहार के कुल ग्रामीण परिवारों में से 65 प्रतिशत भूमिहीन हैं। देश स्तर पर यह आँकड़ा 56 प्रतिशत है। देशभर में सबसे अधिक 98 प्रतिशत ग्रामीण भूमिहीन परिवार चंडीगढ़ में हैं। बिहार के गांवों में सिर्फ 3.89 प्रतिशत परिवार सरकारी नौकरी में हैं और 54.33 प्रतिशत भूमिहीन परिवार मजदूरी करते हैं। सरकारी नौकरी का राष्ट्रीय औसत पांच प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया कि देश के सिर्फ 4.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आयकर देते हैं जबकि वेतनभोगी ग्रामीण परिवारों की संख्या 10 प्रतिशत है। आयकर देनेवाले अनुसूचित जाति के परिवारों की संख्या 3.49 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति के ऐसे परिवारों की संख्या मात्र 3.34 प्रतिशत है। बिहार में 2.73 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आयकर या पेशा कर देते हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहिया व चारपहिया वाहनोंवाले परिवार 11.70 प्रतिशत और 10 हजार से ऊपर की आमदनी वाले 6.87 प्रतिशत परिवार हैं।
ग्रामीण भूमिहीनों के मामले में बिहार से चंडीगढ़, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, दमन, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश आगे हैं। 1931 के बाद यह पहली जनगणना है जिसमें क्षेत्र विशेष, समुदाय, जाति एवं आर्थिक समूह संबंधी विभिन्न किस्म के ब्योरे हैं और भारत में परिवारों की प्रगति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुल ग्रामीण जनसंख्या के 56 प्रतिशत हिस्से के पास भूमि नहीं है, जिनमें 70 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 50 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग भूमिहीन हैं। इसके अलावा 11 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास फ्रिज है और 20.69 प्रतिशत के पास एक मोटरगाड़ी या एक मत्स्य नौका है। सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति की आबादी पंजाब में 36.74 प्रतिशत है।
सिर्फ आठ हजार अनुसूचित जाति के पास कार---
बिहार में अनुसूचित जाति के करीब 85 हजार ग्रामीण परिवारों (2.83 प्रतिशत) की आय 10 हजार रुपये मासिक से ज्यादा है जबकि राष्ट्रीय औसत 4.69 प्रतिशत है। राज्य में सिर्फ आठ हजार अजा परिवारों के पास चारपहिया वाहन हैं। 22 प्रतिशत के पास कोई फोन नहीं है।
18.42 प्रतिशत की आय कृषि से---
देश के कुल ग्रामीण परिवारों में से 30.10 प्रतिशत परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, जबकि बिहार में यह आँकड़ा 18.42 प्रतिशत है। बिहार में 1.25 करोड़ ग्रामीण परिवार (70.59 प्रतिशत) दिहाड़ी मजदूर हैं जबकि देश में 9.16 करोड़ (51.14 प्रतिशत) परिवार दिहाड़ी से अपनी रोजी कमाते हैं। बिहार में 54.33 प्रतिशत भूमिहीन परिवार अनियमित रूप से मजदूरी करते हैं।
मकान के मामले में आगे---
ग्रामीण परिवारों के पास मकान के मामले में जम्मू-कश्मीर को छोड़ बिहार बाकी सबसे आगे है। देश में 94 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मकान हैं जबकि बिहार में 98.81 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास अपना मकान है, जिनमें  57 फीसदी कच्चे व 42 प्रतिशत पक्के मकान हैं। 
हर तीसरा परिवार भूमिहीन मजदूर---
रपट से संकेत मिलता है कि गांवों में हर तीसरा परिवार भूमिहीन है, जो अपनी आजीविका के लिए शारीरिक श्रम पर निर्भर है। बिहार में यह संख्या आधे से ज्यादा है।
ये लोग शामिल नहीं---
इस सेंसस में वे परिवार शामिल नहीं हैं, जो 14 तय पैरामीटर में से किसी एक में भी शामिल हैं। मसलन खेती से जुड़ीं मशीनें, वाहन, 50 हजार रुपये से ज्यादा सीमा वाला किसान क्रेडिट, तीन से ज्यादा कमरों वाले पक्के मकान, लैंडलाइन फोन और फ्रिज जैसी अन्य चीजें जिनके पास हैं, वे इसमें शामिल नहीं किये गये हैं।
कहाँ होगा उपयोगी---
ये आँकड़े सबके लिए आवास, शिक्षा एवं कौशल विकास, मनरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, विशिष्ट रूप से समर्थ लोगों के लिए पहलों, महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों के लिए हस्तक्षेप और वंचितों के साक्ष्य के आधार पर परिवारों-व्यक्तियों की पात्रता तय करने के संबंध में इसका अर्थपूर्ण उपयोग किया जायेगा। इससे अंत्योदय मिशन का रास्ता साफ होगा; ताकि ग्राम पंचायत गरीबी उन्मूलन योजना के जरिये परिवारों की गरीबी घटाई जा सके।

कुल परिवार

भारत        - 179164754
बिहार        - 17662724

वेतनभोगी
                         भारत                                                         बिहार
कुल                17338251 (9.68 प्रतिशत)                   106431 (6.03 प्रतिशत)
सरकारी           8989248 (5.02 प्रतिशत)                     713201 (4.04 प्रतिशत)
निजी               6407754 (3.58 प्रतिशत)                      241753 (1.37 प्रतिशत)

शिक्षा
                                    भारत                                                         बिहार

अनपढ़                       315786931 (35.73 प्रतिशत)          42890099 (43.85 प्रतिशत)
प्राइमरी से कम          123427659 (13.97 प्रतिशत)          19269966 (19.70 प्रतिशत)
प्राइमरी तक              157111009 (17.18 प्रतिशत)          14745696(15.08 प्रतिशत)
मिडिल स्कूल तक      119620648 (13.53 प्रतिशत)           8618739 (8.18 प्रतिशत)
सेकेंडरी तक               84619867 (9.57 प्रतिशत)                6179917 (6.32 प्रतिशत)
हायर सेकेंडरी              47821608 (5.41 प्रतिशत)                3552680 (3.63 प्रतिशत)
स्नातक और ऊपर        30513307 (3.45 प्रतिशत)                2231780 (2.28 प्रतिशत)

संपत्ति                        
                                        भारत                                                बिहार
फ्रिज                          19772939 (11.04 प्रतिशत)          461067 (2.61 प्रतिशत)
लैंडलाइन  फोन             1785476 (1 प्रतिशत)                107625 (0.61 प्रतिशत)
मोबाइल                    122453752 (68.35 प्रतिशत)        14510889 (82.16 प्रतिशत)
लैंड लाइन+मो.           4874886 (2.72 प्रतिशत)              154778 (0.88 प्रतिशत)
गाड़ी                             37077942 (20.69 प्रतिशत)        2066897 (11.70 प्रतिशत)
(गाड़ी में दो, तीन, चार पहिया के साथ मछली पकड़ने वाला मोटरबोट भी शामिल)

भूमि स्वामित्व
                                           भारत                                                    बिहार
कुल जमीन                  1057522765.188 हेक्टेयर                       307346303.18 हेक्टेयर
भूमि वाले परिवार        78378173 हे. (44 प्रतिशत)                     6169414 हे. (35 प्रतिशत)
भूमिहीन परिवार        100777240 हे. (56 प्रतिशत)                    11490154 हे. (65 प्रतिशत)

जातीय संरचना
भारत
एससी        33065266 (18.46 प्रतिशत)
एसटी        19646873 (10.97 प्रतिशत)

बिहार
एससी        2997987  (16.97 प्रतिशत)
एसटी        286284        (1.62 प्रतिशत)