बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

अँग्रजों ने छिन्न-भिन्न किया भारत के सामाजिक ताने-बाने को The British Destroyed The Social Fabric Of India


-शीतांशु कुमार सहाय

आज नौ फरवरी है, मेरा जन्मदिन। अतः मैंने सोचा कि आज कुछ ऐसा लिखा जाये जिसे मेरे प्यारे मित्र वास्तव में पढ़ें और ज्ञान में वृद्धि करें। 

मित्रों! सभी जानते हैं कि भारत ने विश्व को कई अमूल्य उपहार दिये हैं। इन उपहारों में एक है अध्यात्म-विज्ञान जो सब के कल्याण का कारक है- शारीरिक रूप से भी और आध्यात्मिक रूप से भी। जिस समय कृत्रिम उपग्रहों का आविष्कार नहीं हुआ था, उस समय ही अर्थात् हज़ारों वर्षों पूर्व हमारे मनीषियों ने कई आकाशीय पिण्डों की पृथ्वी से दूरी और उन की गति आदि के बारे में बताया था जो आज भी आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर खरा है। नौ ग्रहों का पृथ्वी और इस पर रहनेवाले जीवों पर प्रभाव आदि का विश्लेषण हज़ारों वर्षों पूर्व ही किया गया। 

साथ ही समाज का ताना-बाना इस प्रकार बुना गया था जिस में सार्वजनिक धन का समाज में इतना समान वितरण था कि कोई भिखारी यहाँ नहीं था। सब के हाथ में रोज़गार था, सभी हुनरमन्द थे, सभी ज्ञानवान थे, सभी सामाजिक व राजकीय नियमों को पूर्णतः माननेवाले सभ्य और उच्च आचरणवान नागरिक थे। कार्य के अनुसार वर्ण-व्यवस्था होने के बावजूद जातिगत या धर्मगत वैमनस्यता नहीं थी। ऐसे ही गुणों ने भारत को विश्वगुरु की संज्ञा दिलायी। यही गुण अँग्रेजों को रास न आया और उन्होंने यहाँ अपने शासन को मजबूत करने के लिए अपने कई विशेषज्ञों से सर्वेक्षण कराया जिन में एक था मैस्क्युले। उस ने भारत भ्रमण के बाद सन् १८३५ ईश्वी में ब्रिटिश सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट का एक अंश.... 

 ''मैं भारत के कोने-कोने में घूमा हूँ। मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखायी दिया जो भिखारी हो, चोर हो। इस देश में मैं ने इतनी धन-दौलत देखी है, इतने ऊँचे चारित्रिक आदर्श, गुणवान मनुष्य देखे हैं कि मैं नहीं समझता हम इस देश को जीत पायेंगे, जब तक इस की रीढ़ की हड्डी को नहीं तोड़ देते जो है-- इस की आध्यात्मिक संस्कृति और इस की विरासत! इसलिए मैं प्रस्ताव रखता हूँ कि हम पुरातन शिक्षा व्यवस्था और संस्कृति को बदल डालें; क्योंकि यदि भारतीय सोचने लगें कि जो भी विदेशी है और अँग्रेजी है, वही अच्छा है और उन की अपनी चीजों से बेहतर है तो वे आत्म-गौरव और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे और वैसे बन जायेंगे जैसा हम चाहते हैं। एक पूरी तरह से दमित देश!''

आज वास्तव में स्थिति यह है कि जो हिन्दी या अन्य भारतीय भाषा बोलता है, उसे भारत के ही लोग अंग्रेजी बोलनेवालों की अपेक्षा कमतर आँकते हैं। भारतीय अपने समृद्ध अतीत पर गौरवान्वित नहीं होते; विदेशियों की बात पर विश्वास करते हैं। 

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

नर्मदा स्तुति व मन्त्र Narmada Stuti & Mantra

पवित्र नर्मदा नदी

प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय
     माघ महीने में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भगवान शिव के आदेश और आशीर्वाद से नदी के रूप में नर्मदा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ। अमरकंटक पर्वत से निकलकर यह पूर्व दिशा में प्रवाहित होती हुई मध्यप्रदेश और गुजरात के पार अरब सागर में मिल जाती है। गंगा की तरह नर्मदा भी देवी के रूप में पूजित हैं। यहाँ 'नर्मदा स्तुति' और 'नर्मदा मन्त्र' प्रस्तुत है। इन का पाठ और जप कल्याणकारी है। 

नर्मदा स्तुति 

नम: पुण्यजलेआद्येनम: सागरगामिनि।
नमोऽस्तुतेऋषिगणै: शंकरदेहनि:सृते।
नमोऽस्तुते धर्मभृतेवरानने नमोऽस्तुते देवगणैकवन्दिते।
नमोऽस्तुते सर्वपवित्रपावने नमोऽस्तुते सर्वजगत्सुपूजिते।।१।।

पुण्या कनखले गंगा कुरुक्षेत्रे सरस्वती।
ग्रामेवा यदि वारण्ये पुण्या सर्वत्र नर्मदा।
त्रिभि: सारस्वतं पुण्यं सप्ताहेनतुयामुनम्।
सद्य:पुनातिगाङ्गेयं दर्शनादेवनर्मदाम्। कनकाभांकच्छपस्थांत्रिनेत्रांबहुभूषणां।
पद्माभय: सुधाकुम्भ: वराद्यान्विभ्रतींकरै:।।२।।

नर्मदा मंत्र

ऐं श्रीं मेकल-कन्यायै सोमोद्भवायै देवापगायै नम:।*

शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

सरस्वती वन्दना Saraswati Vandana



 -शीतांशु कुमार सहाय

विद्या की देवी माँ सरस्वती के पावन चरणों में नमस्कार है। वसन्त पंचमी के अवसर पर कीजिये उन की आराधना! आइये इस मंत्र से उन की उपासना करें.....  

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।१।।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमाद्यां जगद्व्यापिनीं ।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारपहाम्।।
हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।२।।

विसर्जन : जल में क्यों विसर्जित करते हैं देव प्रतिमाओं को Why Do Gods Immerse Idols In Water?



  -शीतांशु कुमार सहाय 
    आखिर देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जल में ही क्यों विसर्जित कर दिया जाता है? 
     शास्त्रों के अनुसार जल ब्रह्म का स्वरूप माना गया है; क्योंकि सृष्टि के आरंभ में और अंत में संपूर्ण सृष्टि में सिर्फ जल ही जल होता है। जल बुद्घि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इस के देवता गणपति को माना गया है। जल में ही श्रीहरि का निवास है, इसलिए जल को नारायण भी कहते हैं। 
     माना जाता है कि जब जल में देव प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है, तो देवी-देवताओं का अंश मूर्ति से निकलकर वापस अपने लोक को चला जाता है यानी परब्रह्म में लीन हो जाता है। यही कारण है कि मूर्तियों और निर्माल को जल में विसर्जित किया जाता है।

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

Indian Union Budget 2022-23 Highlights भारत के केन्द्रीय बजट २०२२-२३ की मुख्य बातें


Union Finance Minister of India Mrs. Nirmala Sitharaman presented the Union Budget for the financial year 2022-23 on Tuesday, 1 February 2022. She reached the Lok Sabha with a tab in a red cloth and presented a completely paperless digital budget. Here are the highlights of the budget...

·  Government to simplify customs rate for sectors including chemicals.

·   To give duty concessions for some electronics manufacturer.

·     Lower duty some chemicals.

·  Revokes anti dumping duty for some steel products.  

· Government to cap surcharge on Long term capital gains at 15%.

·   Government extends tax incentive for startups up to March 2023.

·   Tax gift of virtual digital asset.

· Government to tax income from Virtual digital assets transfer at 30%.

·  Government proposes more reforms in direct tax regime. Government to allow new provision to update return for tax payers.

·  Proposes new plan to file updated income tax return.

·  Proposes cut in alternate minimum tax for Cooperate society, MAT reduce to 15%.

·  Fiscal deficit in FY22 gap 6.9% of GDP vs 6.8% goal.

·  Fiscal deficit in FY23 gap 6.4% of GDP.  

·  Digital rupee to be introduced by central bank in FY 23 to be backed by block chain technology.

· Government plans Rs. 1 trln. assistance to states borrowing plans.

· Proposes Rs. 7.5 trln. on capital allocation.

· Proposes Rs. 10.6 trln. on effective capital expenditure.

·  To allow to set up international arbitration center in gift city.

·   Give data centers as infra status.  

· Rs 6,000 crore programme to rate MSMEs will be  rolled out over the next five years, Finance Minister Nirmala Sitharaman said on Tuesday, February 1, 2022.

· As part of initiatives to promote digital infrastructure, a desh stack e-portal will be launched, union financs minister noted in her presentation of the Union Budget for 2022-23.

·  Startups will be promoted for Drone Shakti.

·   Government SEZs act to be replaced with new law, new law to boost exports competitiveness.

·  To open up defense R&D for startup, academia, industry.

·   65% of defense capex  to be kept for local companies.

· To promote public transports in urban areas.

·    Plans battery swapping policy.

·  Budget would continue to provide impetus to  growth.

· The economic recovery is benefitting from public investments and capital spending, she said in her Budget 2022-23 speech.

· Added that inclusive development, productivity enhancement, energy transition and climate action are four pillars of development.

·   Sitharaman noted that the PM Gati Shakti master plan is based on seven engines of growth.  

·   Government to get all Post office on core banking systems in 2022.

·  Plans to digital University to provide access to school.

·  Drinking water projects allocated Rs. 60,000 crore.

. Housing projects allocated Rs. 48,000 crore.

·  ECLGS scheme to have Rs5tn total cover.

· To promote startups for Drone making.  

·   Plans to cut dependence on oil seed imports.

·   Urban transport to be connected to railways.

·   Plans find for farm startups under Nabard.

·  Plans expansion of water supply projects.  

· Rail, POST to work together on logistic.

·   To make new Vande Bharat trains in 3 years.

·   100 cargo terminals in 3 years.

·    Economy is seen growing at 9.2 per cent in the current fiscal, finance minister Nirmala Sitharaman said while presenting the Union Budget.

·    Plans to cut dependence on oil seed imports.

·     Infrastructure, logistic key areas of India focus.

·  Highways to expanded by 25,000 KMS by 23.

·    Promoting digital economy, fintech among the government focus, committed to strengthening abilities of poor.

·  Make in India can create 60 lakh new jobs, Public issue of LIC is expected shortly.

मंगलवार, 11 जनवरी 2022

कोरोना संक्रमितों की मौत का सच जानिये Coronavirus : Know Fact of Death


 -शीतांशु कुमार सहाय 

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मौत का आँकड़ा भी रफ़्तार पकड़ रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी एक महत्त्वपूर्ण आँकड़े के अनुसार ५ दिन में कोरोना संक्रमण से भरनेवाले ४६ लोग में से ३४ मौत का कारण संक्रमितों में को-मॉर्बिडिटी (गंभीर बीमारियों से ग्रसित) का होना पाया गया है। 

यह आँकड़ा ५ से ९ जनवरी तक का है। इस का मतलब यह हुआ कि ५ से ९ जनवरी तक अर्थात् ५ दिनों में हुई कुल मृत मरीज़ों में से लगभग ७४% अन्य गम्भीर बीमारियों से ग्रसित थे।

४६ मृतकों में से २८ पुरुष और १८ महिलाएँ थीं। दिल्ली सरकार के आँकड़े के  विश्लेषण से विदित होता है कि को-मॉर्बिडिटी वाले २१ मरीज़ों को दिल्ली के विभिन्न अस्पताल में भर्ती होने के बाद कोरोना हुआ था और उन की मृत्यु हो गयी। जिन ४६ कोरोना मरीज़ों की मृत्यु हुई, उन में से ३२ मरीज़ आईसीयू में भर्ती थे। ३७ मरीज़ ऐसे थे जिन का ऑक्सीजन लेवल अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ९४ से कम था। मतलब यह कि उन के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम थी जो मृत्यु के कारणों में शामिल हुई।

दोनों डोज भी काम न आये

दिल्ली सरकार के आँकड़े से पता चलता है कि दिल्ली में ५ से ९ जनवरी के बीच जिन ४६ मरीज़ों की मृत्यु हुई, उन में से ११ मरीज़ों को कोरोना टीके की दोनों डोज लग चुकी थी।

अधिक उम्र का असर

५ से ९ जनवरी के बीच जिन ४६ मरीज़ों की मौत हुई, उन में से २५ मरीज़ों की आयु ६० वर्ष से अधिक थी। इन के अलावा १४ मरीज़ों की उम्र ४१ से ६० वर्ष के बीच थी। इसी तरह ५ मरीज़ २१ से ४० वर्ष उम्र-वर्ग के थे। एक मरीज १६ से २० साल और एक मरीज़ की उम्र शून्य से १५ वर्ष के आयु-वर्ग में था।

५०% मृत्यु एक दिन में 

पाँच दिनों में कोरोना से मृत ४६ में से १२ मरीज़ों की मृत्यु अस्पताल में भर्ती होने वाले दिन ही हुई थी। इसी तरह ११ मरीज़ों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के बाद एक दिन के अन्दर हुई थी। मतलब २३ कोरोना संक्रमितों अर्थात् ५०% मरीज़ों की मौत एक दिन में ही हो गयी। ६ मरीज़ों की मौत २ दिन के अंदर, १४ मरीज़ों की मौत ३ से ७ दिन के अंदर और शेष ३ मरीज़ों की मौत एक सप्ताह के अंदर हुई।

जानिये को-मॉर्बिडिटी को

अगर कोई व्यक्ति मधुमेह, कॉर्निया से सम्बन्धित रोग , हृदय रोग, यकृत से सम्बन्धित रोग, अस्थमा, टायफायड, एड्स, वृक्क से सम्बन्धित रोग, खून की कमी, गठिया जैसे रोग से ग्रसित हैं तो वह मरीज़ में को-मॉर्बिडिटी कही जाती है। किसी रोग के कारण डायलिसिस करानेवाले मरीज़ भी इसी श्रेणी में आते हैं। 


शनिवार, 25 दिसंबर 2021

२५ दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस क्यों Why Tulsi Poojan Diwas on 25 December


-शीतांशु कुमार सहाय 

       हिन्दू धर्म में तुलसी पूजन की परम्परा प्राचीन काल से है। प्रतिदिन तुलसी की पूजा करना, उन की जड़ को शुद्ध जल अर्पित करना हमारी शुद्ध, स्वस्थ और आनन्दपूर्ण संस्कार का अभिन्न अंग है। हम गुरु, माँ, पिता, भाई या बहन के लिए विशेष डे नहीं मनाते; क्योंकि प्रतिदिन इन के अभिवादन करने का परामर्श हमारा ग्रन्थ देता है और यह हमारी दिनचर्या में शामिल है। वैसे आषाढ़ पूर्णिमा को 'गुरु पूर्णिमा' कहते हैं और उस दिन गुरु की विशेष आराधना की जाती है। पर, सच को थोड़ा और जानिये कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु वेद व्यास जी का अवतरण दिवस है। इसलिए उन की जयन्ती को 'गुरु पूर्णिमा' कहते हैं। 'श्रीमद्भगवद्गीता' में भगवान ने वेद व्यास जी को अपना ही प्रतिरूप बताया है। इस तरह "कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्" के आधार पर भी गुरु पूर्णिमा की सार्थकता समझ में आती है।  

     आखिर जिन का पूजन या अभिवादन दिनचर्या में सम्मिलित हो, उन के लिए वर्ष में एक दिन का निर्धारण क्यों?     

     वैसे पिछले कुछ वर्षों से भारत में २५ दिसम्बर को 'तुलसी पूजन दिवस' मनाने की प्रथा शुरू हुई। इस प्रथा की शुरुआत सन् २०१४ ईस्वी से हुई और इस दौरान देश के कई केंद्रीय मंत्रियों और सन्तों ने तुलसी पूजा के महत्त्व का बखान सोशल मीडिया द्वारा किया था। तब से २५ दिसम्बर को प्रतिवर्ष 'तुलसी पूजन दिवस' मनाया जाने लगा। यदि तुलसी की महत्ता बताने के लिए एक अदद दिवस की आवश्यकता थी तो पहले से ही विक्रम सम्वत् के पञ्चाञ्ग में 'तुलसी विवाह'  (कार्तिक शुक्ल एकादशी) के रूप में विद्यमान है। तुलसी विवाह को ही और धूमधाम से, भव्य आयोजन कर, सोशल मीडिया पर प्रचार कर मनाया जाता तो अधिक अच्छा होता। 

     जब हमारे सारे पर्व-त्योहार विक्रम सम्वत् के अनुसार होते हैं तो फिर 'तुलसी पूजन' अंग्रेजी सम्वत् के अनुसार २५ दिसम्बर को क्यों? वैसे तुलसी पूजा हमारी दिनचर्या में शामिल है और इस के लिए वर्ष में केवल एक दिन का निर्धारण उचित नहीं? अगर इस का निर्धारण किया भी गया तो विक्रम सम्वत् के अनुसार ही दिन निर्धारित किया जाना चाहिये था। 

     कहीं ऐसा तो नहीं कि हम गणेश चतुर्थी के बदले गणेश दिवस, रामनवमी को छोड़कर राम दिवस, जन्माष्टमी को छोड़कर कृष्ण दिवस, महाशिवरात्रि के बदले शिव दिवस, नवरात्र की जगह दुर्गा दिवस, छठ को छोड़कर सूर्य दिवस की ओर बढ़ रहे हैं? 

सोमवार, 13 दिसंबर 2021

काशी विश्वनाथ धाम के नये स्वरूप का अनावरण


काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  अनावरण किया। वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के नये परिसर का अनावरण्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुभ मुहूर्त रेवती नक्षत्र (दोपहर १:३७ बजे से १:५७ बजे तक २० मिनट का शुभ मुहूर्त था) में किया। मोदी ने मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पूजा की, मंदिर निर्माण में शामिल मजदूरों पर पुष्प वर्षा कर सम्मानित किया और उन के साथ सीढ़ी पर बैठ फोटो भी खिंचवाई। उन्होंनेे धर्माचार्यों और विशिष्टजनों से संवाद किया।

काशी विश्वनाथ धाम पूरी तरह से नया हो चुका है और ५ लाख स्क्वायर फीट में यह फैला हुआ है। ९०० करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना में कई आकर्षण हैं। साथ ही कुछ प्रतीक भी हैं, जो बड़ा संदेश देते हैं। इन में हैं- शंकराचार्य, भारत माता और अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमाएँ। भारत माता की प्रतिमा के जरिए भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रवाद को उकेरना का प्रयास किया है। इसी तरह शंकराचार्य के माध्यम से हिंदुत्व का संदेश देने की कोशिश है। ऐसा पहली बार है, जब ऐसे किसी स्थान पर अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा लगायी जा रही है। 


१८वीं सदी की रानी रहीं अहिल्याबाई होलकर को बड़ी संख्या में मंदिरों के निर्माण के लिए इतिहास में जाना जाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसा पहली बार है, जब किसी धार्मिक स्थान पर उन की प्रतिमा लगी है और उन के जरिये गलत इतिहास को सुधारने का संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। मराठा रानी अहिल्याबाई होलकर की राजधानी इंदौर के दक्षिण में स्थित महेश्वर में थी, जो मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे स्थित था। कुशल योद्धा और प्रशासक होने के साथ ही अहिल्याबाई होलकर मंदिरों के निर्माण और उन के पुनरुद्धार के लिए चर्चित रही हैं। 

अहिल्याबाई होलकर का काशी विश्वनाथ धाम से भी निकट का सम्बन्ध रहा है। मंदिर का जो मौजूदा स्वरूप है, उस का निर्माण १७८० ईस्वी में अहिल्याबाई होलकर ने ही कराया था। इस के बाद १९वीं सदी में महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया था। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के वक्त बड़ी संख्या में महारानी अहिल्याबाई होलकर के पोस्टर देखने को मिले। मोदी के नेतृत्व में केदारनाथ में शंकराचार्य की प्रतिमा, राम मंदिर निर्माण और अब काशी कॉरिडोर का निर्माण हुआ। 

'दिव्य काशी, भव्य काशी' अभियान


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी २०१४ से ही काशी के सांसद हैं और वह यहाँ एक-एक प्रोजेक्ट की निजी तौर पर निगरानी कर रहे हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण उन का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है और उस की हर अपडेट वह लगातार लेते रहे हैं।

विश्‍वनाथधाम के गर्भगृह में पूजा-अर्चना के बाद पीएम मोदी सीधे उन मजदूरों के बीच पहुँचे जिन्‍होंने दिन-रात मेेेहनत कर काशी विश्‍वनाथ काॅरिडोर तैयार किया। पीएम ने मजदूरों पर फूल बरसाए और उन के साथ बैठकर फोटो खिंचवाई। मोदी ने वहाँ अपने लिए रखी कुर्सी हटवा दी और मजदूरों के साथ सीढ़ी पर बैठकर ही फोटो खिंचवाई। कुछ देर तक पीएम ने मजदूरों से बात भी की। 

गुरुवार, 11 नवंबर 2021

सूर्य के तेज से बने भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र, इन्द्र का वज्र और शिव का त्रिशूल

 -शीतांशु कुमार सहाय 

सभी सूर्योपासकों को यह जानना आवश्यक है कि १६ कलाओं में निपुण भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र किस प्रकार बना। देवराज इन्द्र का वज्र और भगवान शिव का त्रिशूल आखिर किस प्रकार निर्मित हुए। 



सोमवार, 8 नवंबर 2021

छठ : डूबते सूर्य को नमस्कार Chhath

 


-शीतांशु कुमार सहाय 

   पूरी धरती पर भारत का बिहार और आस-पास का एकमात्र ऐसा मानव निवास क्षेत्र है, जहाँ के लोग डूबते सूर्य की भी आराधना करते हैं। 

     छठ सूर्योपासना का ऐसा महापर्व है जो वर्ष में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी पर्यन्त मनाया जाता है। प्रमुख आयोजन षष्ठी तिथि को होता है जिस दिन सन्ध्या काल में जलाशय में स्नान कर खड़े अवस्था में ही जल से भीगे वस्त्र पहने हुए डूबते अरुणाभ सूर्यदेव को ऋतुफल, पकवान, दूध, जल आदि से अर्घ्य प्रदान किया जाता है। इस षष्ठी यानी छठी तिथि के कारण इस महापर्व का नाम 'छठ' पड़ा। 

     चार दिवसीय छठ महापर्व की चतुर्थी तिथि को उदित सूर्यदेव की आराधना (सुबह के प्रथम मुहूर्त के बाद) होती है, जिसे 'नहाय-खाय' कहते हैं। पञ्चमी तिथि को अस्त होने के पश्चात् शाम में सूर्यदेव की पूजा की जाती है, जिसे 'खरना' कहा जाता है। षष्ठी की शाम में अस्ताचलगामी यानी डूबते अरुणाभ सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाता है। इसी तरह सप्तमी तिथि को उदयगामी यानी उगते अरुणाभ सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करने के पश्चात् चार दिवसीय छठ महापर्व सम्पन्न होता है।

नीचे जो प्रकाशित आलेख है, वह पटना से छपनेवाले दैनिक समाचार पत्र 'राष्ट्रीय सहारा' में शुक्रवार, 16 नवम्बर 2007 को प्रकाशित हुआ था। इस आलेख को राष्ट्रीय सहारा में कार्यरत तत्कालीन फीचर सम्पादकद्वय सुनील पाण्डेय और किशोर केशव ने अपनी कुशल विद्वत्ता में सम्पादित किया था।

एक बार आप भी पढ़िये और और जानिये उन तथ्यों को जिन्हें आप अबतक नहीं जानते..... 



मंगलवार, 2 नवंबर 2021

धनतेरस और प्रदोष व्रत एक ही दिन, जानिये शुभ मुहूर्त Dhanteras 2021

 


धनतेरस की शुभकामना!

   सनातन हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्त्व है। प्रदोष व्रत में आदिदेव भगवान शंकर और माता पार्वती की आराधना की जाती है।

भक्ति भाव के साथ प्रदोष व्रत रखने वालों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूरी होती है। 

प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह महीने में दो बार होता है-- पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में आता है।

कार्तिक महीने को शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

इस साल धनतेरस आज यानी २ नवम्बर, मंगलवार को है। मंगलवार को पड़नेवाले प्रदोष व्रत को 'भौम प्रदोष व्रत' कहा जाता है। त्रयोदशी तिथि में धनतेरस और प्रदोष व्रत होने के कारण हर वर्ष ये एक ही दिन पड़ते हैं।

भौम प्रदोष व्रत तिथि २ नवम्बर २०२१ को दोपहर ०२ बजकर ०१ मिनट से प्रारम्भ होगी, जो कि ३ नवम्बर को दोपहर ०१ बजकर ३२ मिनट पर समाप्त होगी। 

आज धनतेरस के दिन भौम प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ समय शाम ०६ बजकर ४२ मिनट से रात ०८ बजकर ४९ मिनट तक है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि के दिन सूर्योदय से पुष्कर व सिद्ध योग रहेगा। 

इस सुअवसर पर 'प्रदोष व्रत कथा' को पूरे मनोयोग से पढ़ना अथवा सुनना चाहिये। नीचे के लिंक पर क्लिक करें और आप भी सपरिवार अवश्य सुनें प्रदीप व्रत कथा।

प्रदोष व्रत कथा इस लिंक पर क्लिक कर सुनिये...

    https://youtu.be/1nVsGtHS-ug

रविवार, 26 सितंबर 2021

छठ : सूर्यदेव की आरती Chhath : Lord Sun Aarti


ॐ जय कश्यपनन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकन्दन, भक्त हृदय चन्दन॥ 

ॐ जय कश्यपनन्दन।

छठ व्रत कथा 

सप्त अश्वरथराजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ 

ॐ जय कश्यपनन्दन।


सुर मुनि असुर वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरणमाली॥ 

ॐ जय कश्यपनन्दन।


सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥ 

ॐ जय कश्यपनन्दन।


कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत सहज हरत अति, मनसिज सन्तापा॥ 

ॐ जय कश्यपनन्दन।


नेत्रव्याधिहर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

वृष्टि विमोचन सन्तत, परहित व्रतधारी॥ 

ॐ जय कश्यपनन्दन। 


सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥ 

ॐ जय कश्यपनन्दन। 

प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय

गुरुवार, 16 सितंबर 2021

भगवान विश्वकर्मा के १०८ नाम, १०८ मन्त्र मन्त्र Lord Vishwakarma's 108 Name & 108 Mantras


-शीतांशु कुमार सहाय         

      भगवान विश्वकर्मा को वास्‍तु शास्‍त्र और यन्त्रों का देवता कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में उन की पूजा पूरी विधि-विधान से की जाती है। निर्माण के देवता विश्वकर्मा की वार्षिक पूजा कन्या संक्रान्ति या १७ सितम्बर को होती है। भगवान विश्वकर्मा की कृपा पाने के लिए उन के १०८ नामों का पाठ करना बहुत लाभदायी होता है।

विश्वकर्मा के १०८ नाम-मन्त्र का वीडियो 

     भगवान विश्वकर्मा के एक सौ आठ नामों को जपिये। नियमानुसार जो जनेऊ धारण करते हैं, वे भगवान के नामों के आगे 'ऊँ' का उच्चारण करेंगे। जो भक्त जनेऊधारी नहीं हैं, वे भगवान के नामों के आगे 'श्री' का उच्चारण करेंगे। यहाँ भगवान विश्वकर्मा के नामों के आगे 'ऊँ' का उल्लेख किया गया है--

१.  ॐ विश्वकर्मणे नमः
२.  ॐ विश्वात्मने नमः
३.  ॐ विश्वस्माय नमः
४.  ॐ विश्वधाराय नमः
५.  ॐ विश्वधर्माय नमः 
६.  ॐ विरजे नमः
७.  ॐ विश्वेक्ष्वराय नमः
८.  ॐ विष्णवे नमः
९.  ॐ विश्वधराय नमः
१०.  ॐ विश्वकराय नमः
११.  ॐ वास्तोष्पतये नमः
१२.  ॐ विश्वम्भराय नमः
१३.  ॐ वर्मिणे नमः
१४.  ॐ वरदाय नमः
१५.  ॐ विश्वेशाधिपतये नमः
१६.  ॐ वितलाय नमः
१७.  ॐ विशभुजाय नमः
१८.  ॐ विश्वव्यापिने नमः
१९.  ॐ देवाय नमः
२०.  ॐ धार्मिणे नमः
२१.  ॐ धीराय नमः
२२.  ॐ धराय नमः
२३.  ॐ परात्मने नमः
२४.  ॐ पुरुषाय नमः
२५.  ॐ धर्मात्मने नमः
२६.  ॐ श्वेताङ्गाय नमः
२७.  ॐ श्वेतवस्त्राय नमः
२८.  ॐ हंसवाहनाय नमः
२९.  ॐ त्रिगुणात्मने नमः
३०.  ॐ सत्यात्मने नमः
३१.  ॐ गुणवल्लभाय नमः
३२.  ॐ भूकल्पाय नमः
३३.  ॐ भूलेंकाय नमः
३४.  ॐ भुवलेकाय नमः
३५.  ॐ चतुर्भुजाय नमः
३६.  ॐ विश्वरूपाय नमः
३७.  ॐ विश्वव्यापकाय नमः
३८.  ॐ अनन्ताय नमः
३९.  ॐ अन्ताय नमः
४०.  ॐ आह्माने नमः
४१.  ॐ अतलाय नमः
४२.  ॐ आघ्रात्मने नमः
४३.  ॐ अनन्तमुखाय नमः
४४.  ॐ अनन्तभुजाय नमः
४५.  ॐ अनन्तयक्षुय नमः
४६.  ॐ अनन्तकल्पाय नमः
४७.  ॐ अनन्तशक्तिभूते नमः
४८.  ॐ अतिसूक्ष्माय नमः
४९.  ॐ त्रिनेत्राय नमः
५०.  ॐ कम्बीघराय नमः
५१.  ॐ ज्ञानमुद्राय नमः
५२.  ॐ सूत्रात्मने नमः
५३.  ॐ सूत्रधराय नमः
५४.  ॐ महलोकाय नमः
५५.  ॐ जनलोकाय नमः
५६.  ॐ तषोलोकाय नमः
५७.  ॐ सत्यकोकाय नमः
५८.  ॐ सुतलाय नमः
५९.  ॐ सलातलाय नमः
६०.  ॐ महातलाय नमः
६१.  ॐ रसातलाय नमः
६२.  ॐ पातालाय नमः
६३.  ॐ मनुषपिणे नमः
६४.  ॐ त्वष्टे नमः
६५.  ॐ देवज्ञाय नमः
६६.  ॐ पूर्णप्रभाय नमः
६७.  ॐ हृदयवासिने नमः
६८.  ॐ दुष्टदमनाथाय नमः
६९.  ॐ देवधराय नमः
७०.  ॐ स्थिरकराय नमः
७१.  ॐ वासपात्रे नमः
७२.  ॐ पूर्णानन्दाय नमः
७३.  ॐ सानन्दाय नमः
७४.  ॐ सर्वेश्वराय नमः
७५.  ॐ परमेश्वराय नमः
७६.  ॐ तेजात्मने नमः
७७.  ॐ परमात्मने नमः
७८.  ॐ कृतिपतये नमः
७९.  ॐ बृहद्स्मरणाय नमः
८०.  ॐ ब्रह्माण्डाय नमः
८१.  ॐ भुवनपतये नमः
८२.  ॐ त्रिभुवननाथाय नमः
८३.  ॐ सततनाथाय नमः
८४.  ॐ सर्वादये नमः
८५.  ॐ कर्षापाय नमः
८६.  ॐ हर्षाय नमः
८७.  ॐ सुखकर्त्रे नमः
८८.  ॐ दुखहर्त्रे नमः
८९.  ॐ निर्विकल्पाय नमः
९०.  ॐ निर्विधाय नमः
९१.  ॐ निस्माय नमः
९२.  ॐ निराधाराय नमः
९३.  ॐ निकाकाराय नमः
९४.  ॐ महदुर्लभाय नमः
९५.  ॐ निर्मोहाय नमः
९६.  ॐ शान्तिमूर्तय नमः
९७.  ॐ शान्तिदात्रे नमः
९८.  ॐ मोक्षदात्रे नमः
९९.  ॐ स्थवीराय नमः
१००.  ॐ सूक्ष्माय नमः
१०१.  ॐ निर्मोहय नमः
१०२.  ॐ धराधराय नमः
१०३.  ॐ स्थूतिस्माय नमः
१०४.  ॐ विश्वरक्षकाय नमः
१०५.  ॐ दुर्लभाय नमः
१०६.  ॐ स्वर्गलोकाय नमः
१०७.  ॐ पञ्चवक्त्राय नमः
१०८.  ॐ विश्वल्लभाय नमः

     भगवान विश्वकर्मा की कृपा सब पर बनी रहे!


रविवार, 15 अगस्त 2021

मोदी की घोषणा : :१०० करोड़ की गति शक्ति योजना व सैनिक विद्यालयों में लड़कियाँ होंगी नामांकित


१५ अगस्त सन् २०२१ ईस्वी {रविवार} को लालकिले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण का मुख्यांश.....

९० मिनट तक बोले नरेन्द्र मोदी

विश्व के सब से बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ७५वें स्वतंत्रता दिवस (१५ अगस्त २०२१) पर आठवीं बार लाल किले पर झंडा फहराने के बाद देश को संबोधित किया। उन्होंने ९० मिनट का विस्तृत भाषण दिया। स्वतंत्रता सेनानियों को नमन के साथ उन्होंने अपनी बात शुरू की। उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को भी याद किया। मोदी ने दो बड़े ऐलान किये। इन में युवाओं को रोजगार देने वाली १०० लाख करोड़ रुपये की 'गति शक्ति योजना' और बेटियों के लिए देश के सभी सैनिक विद्यालयों में नामांकन की घोषणा शामिल हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक नया प्रगतिवादी मन्त्र दिया-- 

"सब का साथ

सब का विकास 

सब का विश्वास 

सब का प्रयास!"

 स्वतंत्रता सेनानियों और नेहरू को याद किया

प्रधानमंत्री ने कहा, 'आजादी को जन आंदोलन बनाने वाले बापू हों या सब कुछ न्योछावर करने वाले नेताजी हों, भगत सिंह, आजाद, बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां, झांसी की लक्ष्मी बाई या चित्तूर की रानी कनम्मा हों, देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू हों, सरदार पटेल हों, दिशा देने वाले अंबेडकर हों.. देश हर व्यक्ति और व्यक्तित्व को याद कर रहा है। देश सभी का ऋणी है।'

ओलिंपिक खिलाड़ियों के सम्मान में तालियाँ

मोदी ने कहा, 'इस आयोजन में ओलिंपिक में भारत का नाम रोशन करने वाली युवा पीढ़ी एथलीट्स और हमारे खिलाड़ी मौजूद हैं। मैं देशवासियों को और हिंदुस्तान के कोने-कोने में मौजूद लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारे खिलाड़ियों के सम्मान में कुछ पल तालियाँ बजाकर उनका सम्मान करें।

भारत के खेलों का सम्मान, भारत की युवा पीढ़ी का सम्मान, भारत को गौरव दिलाने वाले युवाओं का सम्मान, करोड़ों देशवासी आज तालियों की गड़गड़ाहट के साथ देश के जवानों का, युवा पीढ़ी का सम्मान कर रहे हैं। एथलीट्स पर विशेष तौर पर हम ये गर्व कर सकते हैं कि उन्होंने दिल ही नहीं जीता, उन्होंने आने वाली पीढ़ियों को भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का बहुत बड़ा काम किया है।'

१०० लाख करोड़ रुपये की 'गति शक्ति योजना'

प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश में जिस तरह से नए एयरपोर्ट बन रहे हैं, उड़ान योजना जगहों को जोड़ रही है, ये अभूतपूर्व है। बेहतर कनेक्टिविटी लोगों के सपनों को नई उड़ान दे रही है। गति शक्ति का नेशनल मास्टर प्लान हम आपके सामने आएंगे। सौ लाख करोड़ से भी ज्यादा की योजना लाखों नौजवानों के लिए रोजगार लाएगी। गति शक्ति देश के लिए ऐसा नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर का मास्टर प्लान होगा। इकोनॉमी को इंटीग्रेटेड पाथवे देगा। गति शक्ति सभी रोड़ों को और कठिनाइयों को हटाएगी। सामान्य आदमी के ट्रेवल टाइम में कमी होगी, मैन्युफैक्चरर्स को मदद होगी। अमृत काल के इस दशक में गति की शक्ति भारत के कायाकल्प का आधार बनेगी।

राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन घोषित

नरेन्द्र मोदी ने कहा, 'तिरंगे को साक्ष्य मानते हुए मैं नेशनल हाइड्रोजन मिशन की घोषणा कर रहा हूँ। अमृत काल में हमें ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट का हब बनाना है। ये भारत को आत्म निर्भर बनाएगा। क्लीन एनर्जी का ये क्षेत्र, क्लीन ग्रोथ से क्लीन जॉब के अवसर हमारे युवाओं और स्टार्टअप के लिए दस्तक दे रहे हैं।'

अब सैनिक विद्यालयों में लड़कियाँ भी पढ़ेंगी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि खेल से लेकर हर जगह बेटियां कमाल कर रही हैं। आज भारत की बेटियां अपनी जगह लेने के लिए आतुर हैं। सड़क से लेकर वर्कप्लेस तक महिलाओं में सुरक्षा, सम्मान का भाव हो, इसके लिए शासन प्रशासन, पुलिस, नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी निभानी है। इस संकल्प को आजादी के ७५ साल का संकल्प बनाना है। मुझे लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं। ढाई साल पहले मिजोरम के सैनिक स्कूल में बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया था। अब तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को देश की बेटियों के लिए भी खोल दिया जाएगा।

१४ अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनेगा 

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। ये पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है। आजादी के बाद इन लोगों को बहुत ही जल्द भुला दिया गया। कल ही भारत ने एक भावुक निर्णय लिया है। अब से हर वर्ष १४ अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद किया जाएगा।

जो लोग विभाजन के समय अमानवीय हालात से गुजरे, अत्याचार सहे, सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नसीब नहीं हुआ। उनका हमारी स्मृतियों में जीवित रहना जरूरी है। इस दिवस का तय होना, ऐसे लोगों को हर भारतवासी की तरफ से आदरपूर्वक श्रद्धांजलि है।'

सब का साथ-सब का विकास-सब का विश्वास-सब का प्रयास

मोदी ने कहा, 'सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास। इसी श्रद्धा के साथ हम सब जुट चुके हैं। आज लाल किले की प्राचीर से आह्वान कर रहा हूं। सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और अब सबका प्रयास हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सात साल में शुरू हुई अनेक योजनाओं का लाभ करोड़ों गरीबों के घरों तक पहुँचा है। उज्ज्वला योजना आयुष्मान भारत की ताकत देश जानता है।'

गरीबों को पोषणयुक्त चावल

प्रधानमंत्री ने गरीब बच्चों में कुपोषण पर चिंता जताते हुए कहा कि देश के हर गरीब तक पोषण पहुंचाना भी सरकार की प्राथमिकता है। गरीब बच्चों में कुपोषण और पौष्टिक पदार्थों की कमी, विकास में बाधा बनती है। तय किया है कि सरकार अपनी अलग-अलग योजनाओं के तहत जो चावल गरीबों को देती है, उसे पोषण युक्त करेगी। राशन दुकानों, मिड डे मील, २०२४ तक हर योजना के तहत मिलने वाला चावल पोषण युक्त कर दिया जाएगा।

ऑक्सीजन प्लांट बढ़ेंगे

मोदी ने कहा कि सरकार ने मेडिकल शिक्षा में जरूरी सुधार किए, प्रिवेंटिव हेल्थ केयर में सुधार किया है। आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के गांव-गांव तक क्वालिटी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं। गरीब और मध्यम वर्ग को सस्ती दवा दी जा रही है। ७५ हजार से ज्यादा हेल्थ और वेलनेस सेंटर बनाये जा चुके हैं। अच्छे अस्पतालों और आधुनिक लैब के नेटवर्क पर काम किया जा रहा है। जल्द देश के हजारों अस्पतालों के पास अपने ऑक्सीजन प्लांट भी होंगे।

पिछड़ों की हैंड होल्डिंग करनी होगी

२१वीं सदी में भारत को नई ऊँचाई पर पहुँचने के  लिए भारत के सामर्थ्य का सही और पूरा इस्तेमाल समय की माँग है और जरूरी है। इसके लिए जो वर्ग पीछे है, जो क्षेत्र पीछे है, उनकी हैंड होल्डिंग करनी ही होगी। मूलभूत जरूरतों की चिंता के साथ ही, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण निश्चित किया जा रहा है। मेडिकल में ओबीसी के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। ओबीसी की सूची बनाने का अधिकार राज्यों को दे दिया गया है।

हर बार अलग रंग की पगड़ी

लाल किले पर तिरंगा फहराने के दौरान मोदी का पहनावा भी खास होता है। हर बार वे अलग तरह की पगड़ी पहने नजर आए हैं। इस बार उन्होंने केसरिया पगड़ी पहनी है। इसी तरह, हर बार उनके भाषण की लंबाई भी अलग-अलग रही है। इस बार वे ९० मिनट बोले। मोदी ने २०२० में १५ अगस्त को सातवीं बार लाल किले पर झंडा फहराया था और उन्होंने ८६ मिनट तक देश को संबोधित किया था। इस से पहले २०१९ में वे ९३ मिनट बोले थे। वर्ष २०१६ में ९६ मिनट देश को संबोधित किया था। यही इन का अब तक का सबसे लंबा भाषण रहा है। नरेन्द्र मोदी २०१४ से २०२१ तक आठ साल में लाल किले से १० घंटे ५४ मिनट बोल चुके हैं।

मोदी ने नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ा

प्रधानमंत्री मोदी ने २०१५ में ८६ मिनट तक अपनी बात देश के लोग के सामने रखी थी और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ा था। नेहरू ने लाल किले से १९४७ में ७२ मिनट का भाषण दिया था।

भारत के शत्रुओं को कड़ा सन्देश

भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने देश के दुश्मनों को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक कर दुश्मनों को नये भारत ने संदेश दिया है। भारत बदल रहा है, भारत बदल सकता है, भारत कठिन-से-कठिन फैसले ले सकता है और इस से झिझकता नहीं है, रूकता नहीं।

नरेन्द्र मोदी ने अपनी बात दो कविताओं के साथ समाप्त की।

मंगलवार, 22 जून 2021

कई रोगों से बचाव करती है ब्रोकली Broccoli

-शीतांशु कुमार सहाय

    ब्रोकली को ब्रोकोली भी कहा जाता है। यह गोभी परिवार की एक हरी सब्जी है। यह एक तरह की फूलगोभी है जिस का रंग हरा होता है। ब्रोकली या ब्रोकोली शब्द इतालवी के ‘ब्रोकोलो’ शब्द से बना है जिस का अर्थ है एक गोभी का फूलदार क्रेस्ट यानी फूलदार मुकुट। यह ब्रासिका ओलेरेशिया गोभी परिवार का सदस्य है। अगर आप इसे अपने आहार में शामिल करते हैं तो यह आप के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा। ब्रोकली गुणों का खजाना है। आप चाहें तो ब्रोकली को महीन काटकर सलाद के रूप में, सूप के रूप में या सब्जी के रूप में खा सकते हैं। ब्रोकोली में मौजूद तत्व शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालते हैं। ब्रोकली में उपस्थित फाइटोकेमिकल और सल्‍फोराफेन शरीर को डिटॉक्सिफाइ करते हैं।

ब्रोकली का वीडियो ज़रूर देखें

    सब से पहले मैं आप को ब्रोकली के पोषण से जुड़ी जानकारी दे रहा हूँ । यदि आप १०० ग्राम ब्रोकली लेते हैं तो उस में इस प्रकार पोषक तत्त्व मिलेंगे : 

ऊर्जा = ३३ किलो कैलोरी 

कुल वसा = ०.४ ग्राम

सोडियम = ३३ मिलीग्राम

पोटैशियम = ३१६ मिलीग्राम

मैग्नीशियम = २१ मिलीग्राम 

कार्बोहाइड्रेट = ७ ग्राम

आहारीय रेशा = २.६ ग्राम

शर्करा = १.७ ग्राम

प्रोटीन = २.८ ग्राम

विटामिन ए = ६२३ आईयू जो कैरोटीनोइड के रूप में होता है 

विटामिन बी-१ की कुछ मात्रा

विटामिन बी-६ = ०.२ मिलीग्राम

विटामिन सी = ८९.२ मिलीग्राम

विटामिन ई की कुछ मात्रा 

कैल्सियम = ४७ मिलीग्राम

लौह (आयरन) = ०.७ मिलीग्राम

    सेलेनियम, अभी जिन तत्वों के बारे में मैं ने बताया,इन के अलावा ब्रोकली में आहारीय रेशा यानी न्यूट्रीशनल फाइबर, पेंटोथेनिक एसिड, मैंगनीज, फॉस्‍फोरस, कोलाइन, पोटेशियम और तांबे की भी मात्रा मिलती है। ब्रोकली में फाइटोन्‍यूट्रिएंट्स और ग्‍लूकोसिनोलेट्स भी होते हैं। इस में ग्‍लूकोसिनोलेट्स से बना आइसोथियोसाइनेट्स कैंसर को रोकने में मदद करते हैं। इस के अलावा ब्रोकली में प्रोटीन, जस्‍ता, कैल्शियम, फोलेट, नियासिन, ग्लूकोराफिन और सेलेनियम भी उपस्थित रहते हैं। इस में कई प्रकार के लवण भी होते हैं जो रक्त में शर्करा के स्तर को यानी शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने में मददगार हैं। फोलेट और क्रोमियम भी ब्रोकली में होते हैं।

    ब्रोकली में संतृप्त वसा, बहुअसंतृप्त वसा, मोनोअसंतृप्त वसा और कोलेस्टेरॉल नहीं पाये जाते। 

    अब हम जानते हैं ब्रोकली खाने के फायदों के बारे में :  

    १. हृदय से जुड़ी बीमारियों से बचाव 

    ब्रोकली में सल्‍फोराफेन नामक एंटी-इंफ्लामैट्री होता है जो रक्‍तशर्करा की समस्‍याओं के कारण रक्‍त वाहिकाओं (नस) की सतह पर होने वाले नुकसान को रोकता है। ब्रोकोली में कैरेटेनॉयड्स ल्यूटिन पाया जाता है। यह ह्रदय की धमनियों को स्वस्थ बनाये रखता है। इस के सेवन से हृदयाघात पड़ने और अन्य बीमारियों के होने की आशंका घटती है। इस में मौजूद पोटैशि‍यम हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ने नहीं देता है। घुलनशील फाइबर की अच्छी मात्रा ब्रोकली में उपस्थित होती है जो आप के शरीर से हानिकारक कोलेस्‍ट्रॉल को खत्‍म करने में मदद करता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि फाइबर पाचन तंत्र में पित्‍त एसिड (bile acids) के साथ कोलेस्‍ट्रॉल के संयोजन में मदद करता है और इस से कोलेस्‍ट्रॉल को अलग करना आसान हो जाता है। ब्रोकली रक्‍त एलडीएल-कोलेस्‍ट्रोल (blood LDL-cholesterol) के स्‍तर को ६ प्रतिशत तक कम कर सकती है। ब्रोकली का नियमित सेवन करने से उच्‍च रक्‍तचाप को कम किया जा सकता है। 

    २. कैंसर से बचाव

    ब्रोकोली के सेवन से कैंसर होने की आशंका भी कम हो जाती है। ब्रोकली में फिटाकेमिकल अधिक मात्रा में पाया जाता है। इस में उपस्थित सेलेनियम कैंसर को रोकने में कारगर  है। इस में एक सल्‍फरयुक्‍त यौगिक होता है जिसे सल्‍फोराफेन कहा जाता है, जिस में कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है। इस में उपस्थित सल्‍फोराफेन एंजाइम हिस्‍टोन डेसिटाइलेज को रोक सकता है जो कैंसर की कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है। फोलेट और विटामिन महिलाओं में स्‍तन कैंसर के खतरे को कम करने के लिए जाना जाता है। इन के अलावा अन्‍य एंटी-कैंसरजन्‍य यौगिक जैसे कि गलूकोराफिनिन, डायंडोलाइमेथेन, बीटा-कैरोटीन आदि ब्रोकली में होते हैं जो कैंसर के विरूद्ध हमारी मदद करते हैं। ब्रोकली मूत्राशय के कैंसर (bladder cancer) को रोकने में सहायक है जो महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में तीन गुना अधिक होता है।

    ३.अवसाद के खतरे से बचाव 

    फोलेट की कम मात्रा लेने से डिप्रेशन यानी अवसाद का खतरा बढ़ जाता है। ब्रोकोली में फोलेट की भरपूर मात्रा पायी जाती है। ये मानसिक अवस्था को बेहतर बनाये रखने के लिए बहुत आवश्यक होता है। ब्रोकोली खानेवाले मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं।

    ४. रोग प्रतिरोधी 

    ब्रोकोली इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मददगार है। इस में विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है। इसलिए ब्रोकली शरीर में इम्यून सिस्टम को बूस्ट करती है यानी रोगप्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाती है। ब्रोकली संक्रमण से बचाव में मदद करती है।

    ५. गर्भावस्था में फायदेमंद 

    गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से ब्रोकली का सेवन करना चाहिए। इस में मौजूद तत्त्व न केवल बच्चे के स्वास्थ्य और विकास के लिए फायदेमंद होते हैं बल्क‍ि माँमां को भी कई प्रकार के संक्रमण से दूर रखते हैं। ब्रोकली में उपस्थित कैल्शियम गर्भवती महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में सक्षम है। इस में उपस्थित फोलेट स्वस्थ गर्भावस्‍था सुनिश्चित करता है और यह बच्‍चे में न्‍यूरोलॉजिकल यानी मस्तिष्क के दोष को समाप्‍त करता है। इस में उपस्थित फाइबर गर्भावस्‍था के मधुमेह को रोकने में मदद करता है जो गर्भवती महिलाओं को अक्‍सर होती है। ब्रोकली का सेवन करने से नवजात शिशु में मस्तिष्‍क की चोट को रोका जा सकता है।

    ६. त्वचा के लिए फायदे 

    ब्रोकली में पाए जाने वाले कई तरह के विटामिन,ब्रोकली में ग्लूकोराफिन होता है जो सल्‍फोराफेन में परिवर्तित हो जाता है और यह त्‍वचा की समस्‍याओं को दूर कर सकता है। आहार फाइबर और अन्य तत्त्व त्वचा के रोग से बचाव करता है।

    ७. बालों के लिए लाभ

    ब्रोकली में विटामिन-सी अच्छी मात्रा में उपलब्‍ध है जो बालों के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। इस में कैल्शियम व विटामिन-ए भी होते हैं जो बालों के विकास में सहायक हैं। ब्रोकली को भोजन में शामिल करने से सिर में नये बाल उगने लगते हैं। ब्रोकली बालों के झड़ने की समस्‍या को भी कम करते हैं।

    ८. पाचन में सहायक 

    औषधीय गुणों से भरपूर ब्रोकली बड़ी आँत (कोलन) में सूजन को कम कर देता है और कोलन कैंसर को रोकने में मदद करता है। इस सब्‍जी के कुछ यौगिक पेट में टूट जाते हैं, उन में से एक इंडोलोकारबाज़ोल (indolocarbazole) होता है। यह आईसीजेड एरियल हाइड्रोकार्बन रिसेप्‍टर नामक एक और यौगिक को सक्रिय करता है, जो आँत को स्‍वस्थ रखता है। यह आंतों में संक्रमण को ठीक करता है।

    ९. आँखों की क्षमता बढ़ाने के लिए 

    यदि आप किसी भी तरह की आँख की समस्‍या से परेशान हैं तो ब्रोकली इस समस्या को दूर करने में आप की मदद कर सकती है। ब्रोकली आँख के अन्धेपन को रोक सकती है। इस में सल्‍फोराफेन (sulforaphane) एंटीऑक्‍सीडेंट होता है जो नेत्रों को पराबैंगनी विकिरणों से बचाता है। 

    १०. मोटापा घटाने में 

    ब्रोकली में फाइटोकेमिकल्‍स भी होते हैं जो वजन कम करने में सहायता करते हैं। अगर आप अपने भोजन में ब्रोकली को शामिल करते हैं तो यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करती है। ब्रोकली में कैलोरी कम मात्रा में जबकि अन्‍य पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में होते हैं जो वजन को कम करने करते हैं। 

    ११. पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए 

    पुरुषों के यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ब्रोकली बहुत ही फायदेमंद होता है;ब्रोकली में फोलेट बहुत अच्‍छी मात्रा में होता है। फोलेट का सेवन करने से वीर्य उत्‍पादन में वृद्धि होती है जिस से मजबूत संभोग सुख और प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है। इस में उपस्थित विटामिन-ए शुक्राणुओं की संख्‍या में वृद्धि करता है।

    १२. अस्थियों को मजबूत करती है 

    विटामिन और कैल्शियम की अच्छी मात्रा ब्रोकली में होती है। ये दोनों अस्थि यानी हड्डी के स्‍वास्‍थ्‍य और ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। कैल्शियम के साथ-साथ ब्रोकली में मैग्‍नीशियम, जिंक और फॉस्‍फोरस अच्‍छी मात्रा में होते हैं। इसलिए ब्रोकली बच्‍चों, बुजुर्गों और स्‍तनपान कराने वाली माताओं के लिए लाभकारी है।

    १३. जवान बने रहने के लिए 

    विटामिन-सी एक अच्‍छा एंटीआक्‍सीडेंट होता है, जो त्‍वचा को सूर्य की गर्मी और प्रदूषण से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है। यह त्‍वचा की झुर्रियों को कम करता है। विटामिन-सी कोलेजन के गठन में मदद करता है जो कि त्‍वचा की मुख्‍य सुरक्षा प्रणाली है। ब्रोकली में विटामिन-ए और विटामिन-ई भी होते हैं जो त्‍वचा के लिए अच्‍छे होते हैं।

    १४. यकृत के लिए लाभप्रद 

    यकृत कैंसर के उपचार में ब्रोकली सहायक है। ब्रोकली का पर्याप्त सेवन करने से डिटॉक्सिफिकेशन एंजाइम का स्‍तर शरीर में बढ़ाता है जो यकृत को नुकसान से बचाता है। ब्रोकली फैटी लीवर (बढ़ा हुआ यकृत) रोग को रोकने में भी मदद करती है।


रविवार, 20 जून 2021

भारत में 'फादर्स डे' मनाने की आवश्यकता नहीं There Is No Need To Celebrate Father's Day In India

 

-शीतांशु कुमार सहाय

    आज 'फादर्स डे' के अवसर पर आज मेरे पुत्र अभ्युदय ने फाइल-फोल्डर, कलम और सेलो टेप का अमूल्य उपहार दिया तो मुझे कुछ लिखने को विवश होना पड़ा।

भारत में पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित ‘फादर्स डे’ नहीं मनाया जाता। इस का प्रधान कारण यह है कि भारत में समाज और परिवार की संकल्पना में पिता का महत्त्वपूर्ण स्थान है। माँ और पिता के अभाव में परिवार की संकल्पना भारत में नहीं हो सकती। जिस बच्चे की माँ और पिता दोनों नहीं होते, उसे भी परिवार में कोई बड़े-बुजुर्ग लोग ही पालते हैं और माँ-पिता की तरह प्यार देने की कोशिश करते हैं; ताकि उस बच्चे को माँ-बाप का अभाव न महसूस हो।

    भारत की संस्कृति ही ऐसी है कि यहाँ प्रातः उठते ही माँ और पिता सहित घर के सभी बड़े लोग को चरण स्पर्श कर प्रणाम करने की परम्परा है। यहाँ माँ या पिता के लिए कोई एक दिन निर्धारित नहीं कियसा गया है। प्रतिदिन उन के अभिवादन करने का विधान है। यही कारण है कि भारत में ‘फादर्स डे’नहीं मनाया जाता।  

    पश्चिमी सभ्यता में माँ और पिता के साथ बच्चे रहेंगे ही यह अनिवार्य नहीं। प्रायः माँ अलग, पिता अलग और बच्चे किसी छात्रावास में! कई जगह माँ और बाप दोनों नौकरी-पेशा वाले होने की वजह से एक घर में रहने के बाद भी माँ, पिता और बच्चे एक साथ खुशहाल समय नहीं व्यतीत कर पाते। ऐसे में उन्होंने ‘फादर्स डे’यानी पितृ दिवस की संकल्पना बनायी। पर, भारत में इस संकल्पना की कोई आवश्यकता ही नहीं है। भारत में कोई एक दिन पिता को सम्मान देने का नियम नहीं है; बल्कि प्रतिदिन उन्हें अभिवादन का नियम है।

    वैसे भारत के युवाओं को भारत की सरकार ने पाठ्यक्रमों के माध्यम से देश की समृद्ध पुरानी परम्परा के बारे में पढ़ाया ही नहीं। वैसे भारत में जून के तीसरे रविवार को 'फादर्स डे' बनाया जाता है। कई देशों में अलग-अलग तिथियों पर 'फादर्स डे' मनाया जाता है।



रविवार, 30 मई 2021

पिछले वर्ष ही शीतांशु टीवी ने बताया कि चीन ने फैलाया कोरोना Sheetanshu TV Reported Last Year That China Spread Coronavirus or COVID-19


इन दिनों यह चर्चा विश्वस्तर पर हो रही है कि चीन ने नोवेल कोरोना विषाणु फैलाकर पूरे विश्व को महासंकट में डाल दिया और स्वयं चैन की वंशी बजा रहा है।

चीन की तरफदारी करनेवाला WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) China Virus (चीनी विषाणु) बोलने पर अमेरिका और अन्य देशों पर आग-बबूला हो गया और China Virus का नाम बदलकर Novel  Coronavirus (नोवेल कोरोना विषाणु) कर दिया।

अब चीन की तरफदारी WHO पर भारी पड़ रही है और उस पर चौतरफा दबाव है कि वह चीन के विरुद्ध सख्ती से पड़ताल करे कि चीन के प्रयोगशाला से किस के आदेश से और किस साज़िश के तहत नोवेल कोरोना विषाणु का संक्रमण आरम्भ हुआ।

विश्व के सभी देश डेढ़ साल से कोविड-१९ का दंश झेल रहे हैं। निश्चय ही यह जाँच होनी चाहिये।

पर, यह सच जानिये कि पिछले वर्ष ही Sheetanshu TV ने एक वीडियो बुलेटिन के माध्यम से यह राज उजागर किया था कि चीन ने ही COVID-19 (कोविड-१९) महामारी फैलाकर पूरी पृथ्वी के जन-जीवन को भारी परेशानी में डाला है। चीन ही इस महामारी से हुई करोड़ों मौत का जिम्मेदार है। संसार के करोड़ों लोग की असहनीय पीड़ा और पारिवारिक, सामाजिक व आर्थिक दुःख-दर्द का कारण भी चीन ही है। यह राज पिछले वर्ष २३ अप्रैल २०२० को ही Sheetanshu TV ने उजागर किया था। 

आप भी वह संग्रहनीय वीडियो बुलेटिन नीचे के Sheetanshu TV पर क्लिक कर अवश्य देखें.....

  Sheetanshu TV 

रविवार, 23 मई 2021

और यह है एक खुराक वाला कोरोना टीका This is Single Dose Corona or COVID Vaccine

-शीतांशु कुमार सहाय

    भारत में नोवेल कोरोना विषाणु के संक्रमण से फैलनेवाली महामारी कोविड-१९ (COVID-19) से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान जारी है। इन दिनों तीन तरह के कोविड टीके भारत में दिये जा रहे हैं- कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक वी कोविशील्ड। इन तीनों टीकों की दो खुराकें कुछ सप्ताह के अन्तराल पर लेनी पड़ती है। पर, एक कोविड टीका ऐसा भी है जिस की केवल एक खुराक ही लेनी पड़ती है। आगे जानते हैं इसी एक डोज वाली वैक्सीन के बारे में।   

देखें एक डोज वाली कोरोना वैक्सीन का वीडियो 

    भारत में कई लोग इसलिए भी अबतक कोविड-१९ का टीका नहीं लिये हैं कि वे इस प्रतीक्षा में हैं कि स्पुतनिक का एक खुराक वाला टीका ही लेंगे, तो ऐसे लोग ध्यान से पढ़ें। पहले के आलेख में आप पहले जान चुके हैं कि स्पुतनिक-वी वैक्सीन की दोनों खुराक में दो अलग-अलग वायरस होते हैं। इन दोनों वायरस के नाम भी आप जान चुके हैं। अब जानते हैं स्पुतनिक-वी टीके की ही सिंगल डोज वाली वैक्सीन अर्थात स्पुतनिक लाइट (Sputnik Light) के बारे में।

    अब सच्चाई जानिये कि स्पुतनिक लाइट वैक्सीन वास्तव में स्पुतनिक-वी वैक्सीन की ही पहली खुराक है। स्पुतनिक-वी टीके की दो खुराकें तीन सप्ताह के अन्तराल पर दी जाती हैं। अब इसे बनानेवाली कंपनी रूस की गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दावा किया है कि स्पुतनिक-वी का पहला डोज भी कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है और इसे ही स्पुतनिक लाइट के रूप में बाज़ार में उतारा गया है। स्पुतनिक लाइट की प्रभाविकता यानी इफेक्टिवनेस ७९. प्रतिशत है जो अन्य वैक्सीन के दो डोज से भी अधिक है।

    अगर स्पुतनिक लाइट की मंजूरी भारत में मिलती है तो एक खुराक में ही अधिक टीकाकरण किया जा सकेगा। इस से टीकाकरण में तेजी आयेगी।

    भारत में अबतक स्वीकृत तीनों कोरोना वैक्सीन (कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक वी) नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण वाले व्यक्ति को गम्भीर होने और वेंटिलेटर पर जाने से बचाती हैं। इसलिए आप के आसपास जो भी वैक्सीन मिल रही हो, उसे तुरन्त लगवा लें। कोविड-१९ के ये तीनों टीके रोग के गम्भीर होने के खतरे को टाल देते हैं और आप के जीवन की रक्षा करते हैं।

    याद रखिये, कोविड वैक्सीन से कोरोना विषाणु को खतरा है, इसे लेनेवाले मनुष्य को नहीं।