-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने स्थानीय पहाड़ी मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम का 17 फरवरी 2014 को शिलान्यास करते हुए कहा कि राँची पहाड़ी का धार्मिक महत्त्व के साथ ही ऐतिहासिक एवं पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्त्व है। उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयास होगा कि श्रद्धालुओं को अधिक-से-अधिक सुविधा दी जा सके। सावन के महीने में स्वर्णरेखा नदी से जल भरकर बाबा भोलेनाथ का यहाँ अभिषेक करने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। यहाँ परम्परागत तरीके से बाबा भोलेनाथ की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा- शिलान्यास के पूर्व मैंने पहाड़ी बाबा से प्रार्थना की है कि यह जीर्णोद्धार कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के शीघ्र पूरा हो एवं इस आयोजन में सभी का सहयोग मिले। पहाड़ी मन्दिर झारखण्ड राज्य की राजधानी राँची शहर के बीचों-बीच एक ऐतिहासिक शिखर पर अवस्थित है। इस शिखर से राँची शहर के विहंगम दृश्य अवलोकनीय है। पहाड़ी मंदिर एक अनोखा मंदिर है जहाँ धार्मिक ध्वज के साथ-साथ राष्ट्रीय ध्वज पूरे सम्मान के साथ फहराया जाता है। भूतात्त्विक रिपोर्ट के अनुसार राँची पहाड़ी की आयु करोड़ों वर्ष की है। यह विश्व के प्राचीनतम पहाड़ियों में से एक है। करोड़ों वर्ष पुराना यह पहाड़ अब अपनी वृद्धावस्था से गुजर रहा है जिसका जीर्णोद्धार अतिआवश्यक है। इस हेतु राँची के मेसरा स्थित बीआईटी (बिड़ला इन्स्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) द्वारा तैयार डीपीआर के अनुसार कार्य स्थल की प्रकृति एवं निधि की उपलब्धता के अनुसार निर्माण कार्य किये जायेंगें। यहाँ मैंने निर्मित होने वाले मन्दिर के प्रस्तावित चित्र को प्रस्तुत किया है।
शिलान्यास के बाद वार्ता करते मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, विधायक सीपी सिंह, सांसद सुबोधकान्त सहाय व अन्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें