अधिकतर लोगों को यह जानकारी नहीं है कि बैंक उनके बचत खाते पर ब्याज की गणना कैसे करता है। पिछले वर्ष तक प्रत्येक बैंक में ब्याज की दर समान थी जब तक कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्तूबर 2011 में ब्याज की दर को विनियमित नहीं किया था। प्रत्येक बैंक अब अपनी बचत खाता ब्याज दर निश्चित करने के लिए स्वतंत्र है, विषय की एकरूपता रू.1लाख तक बरकरार रखी गई है। एक बैंक, बचत बैंक में जमा 1 लाख रुपये से अधिक की राशि पर विभेदक ब्याज दरें प्रदान कर सकती है। हालांकि, अनिवासी (बाहरी) लेखा योजना एवं साधारण अनिवासियों के लिए ब्याज दरें अपरिवर्तित रहेंगी। कितनी पुरानी दरों की गणना की गई है? पहले, अप्रैल 1, 2010 तक बैंक ब्याज दरों की गणना अलग विधि द्वारा करते थे। यह प्रत्येक महीने के 10वें और अंतिम दिन के बीच खाते में उपलब्ध न्यूनतम शेष राशि पर आधारित था। यह विधि ग्राहकों के लिए लाभदायक नहीं थी जैसे कि उदाहरण के लिए यदि आपने अपने बचत खाते में रू. 2,00,000, 4% की दर से पूरे महीने के लिए रखे महीने की 26 तारीख आपने रू.1,80,000 निकाल लिए। आपको केवल रू.20,000 पर ब्याज मिलेगा जो सिर्फ रू. 65 है। वर्तमान ब्याज दरों की गणना कैसे की जाती है? नई विधि के अनुसार ब्याज ड्रोन की गणना आपकी समापन राशि पर दैनिक आधार पर की जाती है। हालांकि, संचित ब्याज का तिमाही या छमाही में भुगतान किया जाता है जो बैंक पर निर्भर करता है। आरबीआई, एसबी ब्याज दरों को तिमाही आधार पर उधा देने की आशा करता है। नई विधि किस तरह लाभदायक है, यहाँ तुलना दी गई है यदि आप उसी उदाहरण को देखें जिसकी चर्चा हमने ऊपर की है, तो नई विधि द्वारा ब्याज की गणना के अनुसार रू. 2 लाख की राशि पर 4% की दर से 30 दिनों का ब्याज रू.657 हो जाएगा।
मासिक ब्याज = राशि (दैनिक शेष) X (दिनों की संख्या) X ब्याज / वर्ष में दिनों की संख्या. =200000X30X4/100X365 = रू. 657 राशि=200000 दिनों की संख्या=30 ब्याज= 4/100 वर्ष में दिनों की संख्या= 365
नई विधि निश्चित रूप से खाता धारकों के लिए लाभदायक है। अविनियमन के कारण एसबी जमा दरों में वृद्धि हेतु बैंकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
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