अगर आप मुर्गा खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइये! आपका ये शौक आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। बीमार पड़ने पर एंटीबायटिक दवाओं का आप पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरोमेंट यानी सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पोल्ट्री फॉर्म में चूजों को जल्दी बड़ा करने और वजन बढ़ाने के लिए एंटीबायटिक दिये जाते हैं। सीएसई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पोल्ट्री फॉर्म में चूजों को जल्द-से-जल्द बड़ा करने और उनका वजन बढ़ाने के लिए उन्हें एंटीबायटिक दिये जाते हैं, जो उनके जरिये चिकन खानेवाले लोगों के शरीर में पहुँचता है। ऐसे में बीमार पड़ने पर अगर डॉक्टर आपको एंटीबायटिक दवा देते हैं तो मुमकिन है कि उनका आप पर कोई असर न हो; क्योंकि एंटीबायटिक वाले मुर्गा खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और इसीलिए एंटीबायटिक दवाएं हम पर बेअसर हो सकती हैं। दवा का असर नहीं होने की वजह से आपकी बीमारी बढ़ सकती है और जानलेवा तक हो सकती है।
सीएसई ने ऐसे किया सर्वे---
सीएसआई ने दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों से चिकन के 70 नमूने लिये। इनमें एंटीबायटिक की मौजदगी जानने के लिए टेस्ट किया गया। 40 प्रतिशत सैंपल में एंटीबायटिक के अंश मिले। 17 प्रतिशत सैंपल में एक से ज्यादा तरह के एंटीबायटिक मिले।
चिकन में एंटीबायटिक क्यों है खतरनाक---
आपको बता दें कि हमारे देश में एंटीबायटिक की बिक्री पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही चिकन में एंटीबायटिक के अंश की कोई सीमा तय है। इसलिए पोल्ट्री मालिक बिना सोचे-समझे चूजों को एंटीबायटिक दवाएं देते हैं। मुर्गा में मौजूद ये एंटीबायोटिक दवाएं इंसान के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती हैं। ऐसी हालत में बीमारी होने पर दवा का असर कम होने की आशंका बढ़ जाती है। दवा का असर न होने की वजह से बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरोमेंट की माँग है कि पोल्ट्री इंडस्ट्री में एंटीबायटिक की बिक्री पर रोक लगे।
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