-शीतांशु कुमार सहाय
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार 25 अप्रैल 2015 को बहुत ही अहम फैसला लिया है कोर्ट ने कहा है कि इंडिया का नाम भारत होना चाहिए, इस मांग वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र के साथ ही सभी प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस संदर्भ में जवाब मांग लिया है। महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन भटवाल ने इस याचिका में बोला है कि संविधान में इंडिया शब्द का प्रयोग केवल संदर्भ के रूप में ही हुआ है। भारत का ही प्रयोग आधिकारिक रूप में होना चाहिए। इंडिया नाम को बदलकर भारत के नाम से पहचाना जाना चाहिए इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत किए जाने की मांग की गई है। इस पर शीर्ष अदालत ने देश के नामकरण पर उठाए गए सवालों का परीक्षण करने का फैसला किया है। केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा गया है कि क्या ‘इंडिया’ नाम को बदलकर ‘भारत’ कर दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भी जारी किया। याचिका में केंद्र को किसी सरकारी उद्देश्य के लिए और आधिकारिक पत्रों में इंडिया नाम का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की गई है। यह याचिका महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन भटवाल ने दायर की। उन्होंने कहा कि यहां तक कि गैर सरकारी संगठनों और कॉर्पोरेट्स को भी सभी आधिकारिक और अनाधिकारिक उद्देश्यों के लिए ‘भारत’ का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है कि संविधान सभा में देश का नाम रखने के लिए ‘भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि या भारतवर्ष’ नाम रखने के प्रमुख सुझाव आए थे। इसके अलावा याचिका में कई और दलीलें दी गई है। संविधान की धारा 1 में इंडिया शब्द का इस्तेमाल गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 और इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के संदर्भ को प्रदर्शित करने के लिए किया गया है। इस आधार पर इंडिया शब्द का प्रयोग सही नहीं है। इसके अलावा यह भी पूछा गया गया कि क्या इंडिया शब्द को दुनियाभर के कूटनीतिक संबंधों को भुनाने के लिए किया गया। फिलहाल इस देश का नाम इंडिया रखने को लेकर कोई लिखित दस्तावेज नहीं है तो फिर यह नाम कैसे पड़ा।
निरंजन भटवाल ने यह याचिका दायर की है। भटवाल का कहना है कि ऐसा कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप को इंडिया के नाम से पुकारा गया हो या इसके निवासियों को इंडियंस कहा गया हो। याचिका के मुताबिक, 'मुगल शासकों ने भी कभी हमें इंडिया नहीं कहा। इंडिया शब्द ब्रिटिश शासन के दौरान चलन में आया।' याचिका कहती है कि संविधान लिखे जाने के दौरान डॉ. बीआर आंबेडकर ने भी इस मुद्दे पर संविधान सभा में खासी बहस की थी। हालांकि, इस बहस का नतीजा स्पष्ट नहीं है। याचिका ने संविधान के अनुच्छेद 1 का हवाला दिया जिसके मुताबिक, ''इंडिया, यानी भारत, राज्यों का समूह होगा।'' सत्ताधारी बीजेपी ने बेंगलुरु में अपने अधिवेशन में विदेश नीति पर एक प्रस्ताव पास किया था जिसमें इंडिया की जगह बार-बार भारत शब्द का ही इस्तेमाल हुआ था। संविधान की धारा 395 में स्पष्ट तौर से भारत शब्द का उल्लेख हुआ है।
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