-शीतांशु कुमार सहाय
यदि आप भारत में हैं तो अब आप का कम्प्यूटर और उस में रखी गयी व्यक्तिगत सामगियाँ बिना आप की इजाजत के ‘कोई’ देख सकता है। उस में अगर कुछ ‘गलत’ मिला तो आप के दरवाजे पर दस्तक होगी। आप दरवाजा खोलेंगे तो पुलिस होगी जो आप को थाने चलने, स्पष्टीकरण देने या सीधे गिरफ्तार भी कर सकती है। जी हाँ, यह सच है। भारत में केन्द्रीय सरकार के आदेश से ऐसा होनेवाला है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बृहस्पतिवार, 20 दिसम्बर 2018 को 10 केन्द्रीय एजेंसियों को देश में चल रहे किसी भी कम्प्यूटर में सेंधमारी कर जासूसी करने की इजाजत दे दी है। गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, देश की ये सुरक्षा एजेंसियाँ किसी भी व्यक्ति के कम्प्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किये गये किसी दस्तावेज को देख सकती हैं, उस का परीक्षण कर सकती हैं। किसी व्यक्ति या संस्थान के कॉल या डाटा को जाँचने-परखने के लिए अब इन 10 एजेंसियों को गृह मन्त्रालय का आदेश प्राप्त करने की आवश्यता नहीं है।
इस सरकारी आदेश पर कई तरह की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। पर, चाहे जो भी प्रतिक्रिया आये मगर इसे गोपनीयता भंग करनेवाला बताकर खारिज नहीं किया जा सकता। दरअसल, कोई भी स्मार्टफोन या इण्टरनेट से युक्त कम्प्यूटर, लैपटॉप या टैब्लेट रखनेवाला व्यक्ति अपनी निजता को कई कम्पनियों के बीच बाँट चुका होता है। गौर करें, आप जैसे ही कोई ऐप अपने मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप या टैब्लेट में डाउनलोड करते हैं और उसे चालू करते हैं तो वह कई शर्त्तें आप से स्वीकार करवाता है और आप बिना सोचे-समझे उसे स्वीकार भी कर लेते हैं। प्रत्येक ऐप आप की फोटो गैलरी, डाउनलोडेड या अपलोडेड सामग्रियाँ, मीडिया, वाई-फाई, लोकेशन (आप कब, कहाँ हैं) आदि से सम्बन्धित पूरी जानकारी प्राप्त करती है और जब तक वह ऐप आप के फोन में है, तब तक के सारे अपडेट्स (फोटो गैलरी में डाले गये नये चित्र या वीडियो, नयी डाउनलोडेड या अपलोडेड सामग्रियाँ, मीडिया की नयी सामग्री, वाई-फाई या मोबाइल डाटा, लोकेशन) की जानकारी ऐप वाली कम्पनी को मिलती रहती है।
इसी तरह अब गूगल का नया फीचर आया है। इस का लोग खूब उपयोग कर रहे हैं। पहले लोग मोबाइल फोन या सिम कार्ड में सम्पर्कवालों के नम्बर उन के नाम के साथ सुरक्षित रखते थे। पर अब गूगल के माध्यम से इसे सुरक्षित रख रहे हैं। यों महत्त्वपूर्ण सामग्रियाँ क्लाउड या ड्राइव में सुरक्षित रख रहे हैं।
ऐसे में भारत सरकार के नये आदेश की आलोचना नहीं होनी चाहिये; क्योंकि ऐसा पहले से ही हो रहा है। निजी कम्पनियाँ सब की इलेक्ट्रॉनिक सेन्धमारी पहले से ही कर रही हैं। ऐसे में भारत सरकार तो नियमानुसार कानूनन ही अपनी दस एजेन्सियों को किसी व्यक्ति या संस्थान के कॉल या डाटा को जाँचने-परखने के लिए अधिकृत किया है।
भारत के केन्द्रीय गृह मन्त्रालय के आदेश के अनुसार अब इण्टेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेण्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इण्टेलिजेन्स, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), एनआईए, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इण्टेलिजेन्स और दिल्ली के आरक्षी आयुक्त (कमिश्नर ऑफ पुलिस) को भारत देश की सीमा के अन्दर चलनेवाले सभी कम्प्यूटर की जासूसी की मंजूरी दी गयी है। यहाँ कम्प्यूटर एक व्यापक शब्द है जिस के अन्तर्गत स्मार्टफोन, लैपटॉप या टैब्लेट भी आयेंगे। .....तो हो जायें सावधान और गैर कानूनी कार्य न करें।
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